रमन्ना आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट, सेंट्रल और आंध्र प्रदेश एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट में भी प्रैक्टिस कर चुके हैं. कॉन्स्टिट्यूशनल, क्रिमिनल, सर्विस और इंटर-स्टेट रिवर लॉ में उनका स्पेशलाइजेशन है. उन्होंने विभिन्न सरकारी संगठनों के लिए पैनल वकील के रूप में भी काम किया है. रमन्ना ने केंद्र सरकार के लिए अतिरिक्त स्थायी वकील और हैदराबाद में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में रेलवे के लिए स्थायी वकील के रूप में कार्य किया है. आंध्र प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में सेवाएं दी हैं.

जस्टिस रमन्ना 27 जून 2000 से 1 सितंबर 2013 तक आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में जज रहे. आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के एक्टिंग जज रह चुके हैं. 2 सितंबर 2013 से 16 फरवरी 2014 तक दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे. उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया. भारत और विदेशों में आयोजित कानूनी महत्व के विभिन्न विषयों पर पेपर प्रस्तुत किए. 17 फरवरी 2014 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया. जस्टिस रमन्ना के कुछ बड़े फैसले # जस्टिस रमन्ना तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली संवैधानिक पीठ का हिस्सा रहे हैं, जिसने अयोध्या मामले की सुनवाई की थी.

# जस्टिस एनवी रमन्ना की तीन जजों की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ही इंटरनेट को अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकार माना था. जम्मू-कश्मीर में 4G मोबाइल इंटरनेट चालू करने की मांग वाली याचिका पर तीन सदस्यों वाली कमेटी का गठन किया था.
# चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के ऑफिस को RTI के दायरे में लाने का फैसला पांच जजों की जिस संवैधानिक बेंच ने दिया था, उस में जस्टिस एनवी रमन्ना भी शामिल थे.
# 9 जजों की बेंच ने 7:2 से फैसला दिया था कि राज्य की ओर से दूसरे राज्य से लाए गए सामान पर एंट्री टैक्स लगाया जा सकता है. इस फैसले में जस्टिस एनवी रमन्ना भी शामिल थे. जजों ने कहा था कि राज्यों की ओर से बनाए गए एंट्री टैक्स कानून को संविधान के अनुच्छेद 304 बी के तहत राष्ट्रपति की सहमति लेने की जरूरत नहीं है.
# पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने अरुणाचल प्रदेश के मामले में फैसला दिया कि राज्यपाल विधानसभा सत्र बुलाने के मामले में अपनी मर्जी से फैसला नहीं ले सकता. सीएम और कैबिनेट की सलाह पर ही विधानसभा सत्र बुला सकते हैं.
# किसी कंपनी पर जुर्माना लगाने वाला फैसला देते हुए जस्टिस एनवी रमन्ना की बेंच ने कहा था कि जुर्माने की रकम कंपनी के टर्नओवर के हिसाब से होगी.
#जस्टिस एनवी रमन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने अपने एक फैसले में कहा था कि ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के तहत मकान मालिक और किराएदार के विवादों को मध्यस्थता के जरिए सुलझाया जा सकता है. उन्हें लंबी और खर्चीली कानूनी लड़ाई में फंसने की जरूरत नहीं है.

#जस्टिस एन वी रमन्ना की बेंच ने अपने एक फैसले में कहा था कि गिफ्ट की गई संपत्ति को लेने वाला यदि उसे लिखित में स्वीकार नहीं भी करता है, तो भी वह गिफ्ट कानूनी रूप से योग्य माना जाएगा.
# जस्टिस एनवी रमन्ना की बेंच ने फैसला दिया था कि मुकदमे के अंत में दर्ज किए गए अभियुक्त के बयान को हल्के ढंग से झूठा व अविश्वसनीय बताकर दरकिनार नहीं किया जाना चाहिए. अभियुक्त का धारा-313 के तहत बयान दिया जाना महत्वपूर्ण होता है. इससे उसे अपना बचाव करने और न्याय मांगने का अधिकार है. घरेलू महिलाओं को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी हाल ही में जस्टिस एनवी रमन्ना की बेंच ने कहा था कि घरेलू महिलाएं काम नहीं करतीं, आर्थिक योगदान नहीं देतीं, यह सोच ही गलत है. वर्षों से प्रचलित इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है. इनकी आय तय करना महत्वपूर्ण है. यह उन हजारों महिलाओं के काम को महत्व देने जैसा है, जो सामाजिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के कारण ऐसा करने को बाध्य हैं. कोर्ट ने ये भी कमेंट किया था कि घर में किसी महिला के काम करने की अहमियत, दफ्तर जाने वाले उसके पति की तुलना में किसी भी मायने में कम नहीं है. इस समिति का हिस्सा बनने से इंकार किया था CJI रहने के दौरान रंजन गोगोई पर लगे कथित यौन उत्पीड़न के मामले में आरोपों की जांच के लिए गठित समिति का हिस्सा बनने से जस्टिस एनवी रमन्ना ने इंकार कर दिया था. ऐसा उन्होंने आरोप लगाने वाली महिला की ओर से उठाई गई आपत्ति की वजह से किया था. महिला ने कहा था कि रंजन गोगोई और जस्टिस रमन्ना खास दोस्त हैं. महिला ने कहा था कि दोनों जजों के बीच पारिवारिक संबंध होने के कारण वह जांच को प्रभावित कर सकते हैं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक समिति ने गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों को निराधार पाया था.

जस्टिस एनवी रमन्ना ने एम नागेश्वर राव को CBI का अंतरिम निदेशक नियुक्त करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से भी खुद को अलग कर लिया था. न्यायमूर्ति रमन्ना ने मामले पर सुनवाई से खुद को अलग करते हुए कहा था कि वह एम नागेश्वर की बेटी की शादी में शामिल हुए थे. एनवी रमन्ना से जुड़े विवाद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने अक्टूबर 2020 में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे को एक चिट्ठी लिखी. इसमें उन्होंने जस्टिस एनवी रमन्ना पर कई तरह के आरोप लगाए. मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया था कि जस्टिस रमन्ना ने राज्य की पिछली चंद्रबाबू नायडू (टीडीपी) सरकार में अपने प्रभाव का इस्तेमाल अपनी बेटियों के पक्ष में किया. उन्होंने जस्टिस रमन्ना की दो बेटियों और अन्य के खिलाफ अमरावती में जमीन के लेन-देन के मामले में चल रही एंटी करप्शन ब्यूरो की जांच का भी जिक्र किया.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, सीएम जगनमोहन ने चिट्ठी में आरोप लगाए कि जस्टिस रमन्ना आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के कामकाज में दखल देते हैं. उन्होंने चीफ जस्टिस से राज्य न्यायपालिका की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाने पर विचार करने का भी आग्रह किया था.

इस लेटर ने मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरी थी. All India Lawyers' Union ने सीएम रेड्डी के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग की. हालांकि अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने जगन रेड्डी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था. क्या कहा था जस्टिस रमन्ना ने? ये मामला सामने आने के बाद एक कार्यक्रम में जस्टिस रमन्ना ने कहा था कि जजों में ये खूबी होने चाहिए कि वे सभी तरह के दबावों को झेल सकें और विषम परिस्थितियों का डटकर मुकाबला कर सकें. उन्होंने कहा था,
एक अच्छा जीवन कहे जाने के लिए व्यक्ति को असंख्य गुणों के साथ जीना होता है, जिसमें विनम्रता, धैर्य, दया, काम के प्रति नैतिकता और लगातार सीखने और सुधारने का उत्साह शामिल है. खासकर जजों के लिए सबसे महत्वपूर्ण ये है कि उन्हें अपने सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं करना चाहिए और अपने फैसलों में निडर होना चाहिए. जजों में ये खूबी होने चाहिए कि वे सभी तरह के दबावों को झेल सकें और विषम परिस्थितियों का डटकर मुकाबला कर सकें.जस्टिस रमन्ना ने यह भी कहा था कि न्यायपालिका की सबसे बड़ी ताकत उसमें लोगों का विश्वास है. विश्वास और स्वीकार्यता के लिए आदेश नहीं दिया जा सकता है, उन्हें अर्जित करना पड़ता है.
हालांकि जिस दिन ये खबर आई कि जस्टिस एनवी रमन्ना अगले CJI होंगे, उसी दिन एक और खबर आई. सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस एनवी रमन्ना के खिलाफ आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की शिकायत को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन-हाउस प्रक्रिया पूरी तरह से गोपनीय है. इसे सार्वजनिक करने के लिए वे उत्तरदायी नहीं हैं.