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'घुसपैठ' करते फिर धराया पाकिस्तान, दुबई के रास्ते मुंबई तक पहुंचा था सामान

DRI ने ‘डीप मैनिफेस्ट’ नाम से एक ऑपरेशन शुरू किया था. इसके तहत दुबई, UAE के रास्ते पाकिस्तान से आने वाले अवैध सामान का आयात रोकना था. पाकिस्तान और UAE के लोगों के बीच कई जटिल ट्रांजैक्शन का भी पता चला है.

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(प्रतीकात्मक फोटो)

मुंबई के पोर्ट से पाकिस्तानी माल से लदे 39 कंटेनर ज़ब्त किए गए हैं. ये माल UAE के रास्ते भारत लाया जा रहा था. लेकिन मुंबई के पोर्ट पर वित्त मंत्रालय की एंटी-स्मगलिंग ब्रांच DRI ने इसे ज़ब्त कर लिया. इन कंटेनर्स में 1,115 मीट्रिक टन माल है. इसकी कीमत 9 करोड़ रुपये आंकी गई है. माल इम्पोर्ट करने वाली फर्म के एक पार्टनर को भी गिरफ़्तार किया गया है. DRI पहलगाम हमले के बाद से ही पाकिस्तान से आने वाले चीज़ों पर नज़र रख रहा था. 

वित्त मंत्रालय ने गुरुवार 26 जून को बताया कि दो अलग-अलग मामलों में इन खेपों को मुंबई के न्हावा शेवा बंदरगाह पर ज़ब्त किया गया था. इन सामानों को UAE का बताकर भारत भेजा जा रहा था. लेकिन वास्तव में यह माल पाकिस्तान का था. जांच में पता चला था कि पाकिस्तानी मूल के इस माल को दुबई के ज़रिए भारत में इम्पोर्ट किया जा रहा है. 

मंत्रालय ने बताया कि DRI ने ‘डीप मैनिफेस्ट’ नाम से एक ऑपरेशन शुरू किया था. इसके तहत दुबई, UAE के रास्ते पाकिस्तान से आने वाले अवैध सामान का आयात रोकना था. इसी अभियान के तहत 39 कंटेनर ज़ब्त किए गए. आयात करने वाली एक फर्म के एक पार्टनर को 26 जून को गिरफ्तार किया गया.

सरकार ने कहा कि जांच में पता चला है कि ये माल पाकिस्तान के कराची पोर्ट से पहले दुबई के जेबेल अली पोर्ट भेजा गया. फिर वहां से भारतीय बंदरगाहों तक भेजा जा रहा था. इसके अलावा, पाकिस्तान और UAE के लोगों के बीच कई जटिल ट्रांजैक्शन का भी पता चला है. इसका मकसद यह छिपाना था कि माल पाकिस्तान का है. 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पहलगाम आतंकवादी हमले के मद्देनजर DRI ने पाकिस्तान से आने वाले माल को ज़ब्त करना शुरू कर दिया था. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुमानों के मुताबिक, 10 बिलियन डॉलर का भारतीय माल समुद्री रास्तों से पाकिस्तान पहुंचता है. 

लेकिन पुलवामा और पहलगाम हमले से पैदा हुए तनाव की वजह से यह द्विपक्षीय व्यापार 2018-19 में 4,370.78 करोड़ रुपये से घटाकर 2022-23 में 2,257.55 करोड़ रुपये हो गया है. लेकिन 2023-24 में यह बढ़कर 3,886.53 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले पांच वर्षों में सबसे ज़्यादा है. 

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