पहली मातृभाषा.
NEP 2020 में जिस त्रिभाषीय फॉर्मूले की बात की गई है, वो क्या है?
आज से नहीं, कई दशकों से चला आ रहा है.

त्रिभाषा फ़ॉर्मूला भारत में काफी पहले से चला आ रहा है. (सांकेतिक तस्वीर)
मोदी सरकार न्यू एजुकेशन पॉलिसी, 2020 (NEP) लेकर आई है. हिंदी में कहें तो नई शिक्षा नीति. यानी वो नियम जो स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई के लिए बनाए गए हैं. मोटा मोटी ये समझिए कि स्कूल की पढ़ाई कितने साल की होगी, बोर्ड परीक्षा कौन-कौन सी क्लास में होगी, ग्रेजुएशन कितने साल में होगा इस तरह के नियम एजुकेशन पॉलिसी में होते हैं. अब आते हैं इस नीति में सुझाए गए एक महत्वपूर्ण बदलाव पर. 31 मई, 2019 को इस नीति का ड्राफ्ट पेश किया गया था. इसमें थ्री लैंग्वेज प्रोग्राम (त्रिभाषीय फार्मूला) की बात की गई थी. इसमें कहा गया था कि स्कूलों में अंग्रेजी और हिंदी कम्पलसरी कर दी जाएंगी. और एक रीजनल यानी क्षेत्रीय भाषा चुनने का विकल्प स्टूडेंट के पास होगा. इसके बाद इसका काफी विरोध हुआ. कहा गया कि ये गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने के प्रयास हैं. इसके बाद बदलाव किए गए. हिंदी की अनिवार्यता खत्म कर दी गई.
क्या है त्रिभाषा फॉर्मूला? त्रिभाषा यानी तीन भाषाएं. पूरे देश में पढ़ने वाले बच्चे कम से कम तीन भाषाएं ज़रूर सीखें.
दूसरी, अंग्रेजी
तीसरी, कोई एक आधुनिक भारतीय भाषा.
उदाहरण के तौर पर, अगर कोई कन्नड़ बोलने वाला स्टूडेंट कन्नड़ और अंग्रेजी पढ़ रहा है, तो उसे एक और भाषा चुननी होगी. इन आधुनिक भारतीय भाषाओं की लिस्ट में बांग्ला, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, असमिय़ा, मराठी और पंजाबी जैसी भाषाएं शामिल हैं. NEP में और क्या लिखा है? रीसर्च दिखाती है कि बच्चे दो से आठ साल की उम्र के बीच भाषाएं बेहद जल्दी सीखते हैं. और स्टूडेंट्स को कई भाषाओं का ज्ञान होना उनके दिमाग के लिए भी अच्छा होता है. इसलिए भाषाओं से उनका परिचय जल्दी कराया जाएगा. पहले मातृभाषा में, और तीसरी क्लास के बाद बाकी की दोनों भाषाओं में. अलग-अलग राज्य द्विपक्षीय समझौते कर के एक-दूसरे के यहां से टीचर्स हायर कर सकते हैं. ताकि त्रिभाषीय फ़ॉर्मूले को पूरा किया जा सके. जिन बच्चों की पढ़ाई का माध्यम उनकी मातृभाषा/उनके राज्य की भाषा है, वो लोग छठी कक्षा से साइंस और मैथ्स अंग्रेजी में भी पढ़ना शुरू करेंगे. NEP में ये भी कहा गया है कि तीन भाषाओं के इतर भारत की किसी भी क्लासिकल भाषा (जैसे संस्कृत, पाली, ओड़िया, तमिल, तेलुगु) को स्कूल अपने यहां दो साल के लिए पढ़ाने का ऑप्शन रख सकते हैं. स्टूडेंट इन्हें कक्षा छह से बारह तक के बीच कभी भी चुन सकते हैं. त्रिभाषा फ़ॉर्मूले का इतिहास नेशनल पॉलिसी रिजॉल्यूशन 1968 के तहत इस फ़ॉर्मूले की बात की गई थी. जब 1986 में नेशनल पॉलिसी ऑन एजुकेशन लागू हुई तो इसमें ये प्रावधान किए गए थे:
वीडियो: मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति में क्या ऐतिहासिक बदलाव किए?
तीन भाषाएं होंगी- हिंदी,अंग्रेजी और एक और भारतीय भाषा. हिंदीभाषी राज्यों में दक्षिण की एक भाषा पढ़ाई जाएगी हिंदी और अंग्रेजी के साथ. वहीं गैरहिंदी भाषी राज्यों में हिंदी, अंग्रेजी और वहां की क्षेत्रीय भाषा पढ़ाई जाएगी.
तमिलनाडु ने इसका भरपूर विरोध किया था. और वहां पर अभी भी हिंदी नहीं पढ़ाई जाती है. वहीं कई हिंदी भाषी क्षेत्रों में हिंदी के साथ दूसरी आधुनिक भारतीय भाषा की जगह संस्कृत पढ़ाई जाती है. क्या है NEP 2020? नई शिक्षा नीति 2020 को 29 जुलाई को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दी. इसके पीछे दलील है कि बदलते वक्त की जरूरतों को पूरा करने के लिए, शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए, इनोवेशन और रिसर्च को बढ़ावा देने और देश को ज्ञान का सुपर पावर बनाने के लिए नई शिक्षा नीति की जरूरत है. अभी देश में जो शिक्षा नीति चल रही है, वो 1986 में राजीव गांधी सरकार के दौरान लागू की गई थी और उसके बाद 1992 में इसमें थोड़ा बदलाव किया गया था. लेकिन वो सिस्टम अब मोदी सरकार बदल रही है. नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए 31 अक्टूबर, 2015 को सरकार ने पूर्व कैबिनेट सचिव टी.एस.आर. सुब्रह्मण्यन की अध्यक्षता में पांच सदस्यों की कमिटी बनाई. कमिटी ने अपनी रिपोर्ट दी 27 मई, 2016 को. इसके बाद 24 जून, 2017 को ISRO के प्रमुख रहे वैज्ञानिक के. कस्तूरीगन की अध्यक्षता में नौ सदस्यों की कमेटी को नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी. 31 मई, 2019 को ये ड्राफ्ट एचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को सौंपा गया. ड्राफ्ट पर एचआरडी मंत्रालय ने लोगों के सुझाव मांगे थे. इस पर दो लाख से ज्यादा सुझाव आए. और इसके बाद 29 जुलाई को केंद्रीय कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी. पूरी नीति के बारे में जानकारी पाने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.वीडियो: मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति में क्या ऐतिहासिक बदलाव किए?