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कैसे पता चलेगा कि आपका फोन टैप हो रहा है?

सरकार कब बिना मर्जी आपका फोन टैप करवा सकती है?

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प्रतीकात्मक तस्वीर. (साभार- Unsplash.com)
‘मनी हाइस्ट’ का सर्गियो मार्कीना (Sergio Marquina) उर्फ़ प्रोफ़ेसर. अपने शातिर दिमाग से दुनिया की दो सबसे बड़ी चोरियों को अंजाम देता है. ये पूरी सीरीज़ अच्छी-बुरी तमाम इंसानी भावनाओं को मोबाइल स्क्रीन पर उतारने की कोशिश करती है. कितना सफल होती है इसके लिए हमें रिव्यू करना पड़ेगा. ओपिनियन देने पड़ेंगे. जो हमारी सिनेमा टीम करे तो बेहतर. लेकिन इस पूरी सीरीज़ में हमारी उत्सुकता कुछ तकनीकी चीज़ों को लेकर थी. जैसे कि प्रोफेसर इतनी आसानी से रॉयल मिंट और बैंक ऑफ़ स्पेन के पास बनाए गए पुलिस टेंट के अंदर की बातें कैसे सुन लेता है, उसकी कॉल को पुलिस वाले ट्रैक क्यों नहीं कर पाते, बैंक ऑफ़ स्पेन के अंदर सारे चोर किस तकनीक से आपस में बात कर रहे थे, और सबसे बड़ा सवाल कि क्या असल जिंदगी में ये सब वाकई मुमकिन है?
इन सारे सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश करेंगे. फ़ोन के अलावा और किन रास्तों से टू-वे कम्युनिकेशन हो सकता है सभी पर बात करेंगे. लेकिन शुरुआत फ़ोन की टैपिंग से. सरकार कब और कैसे किसी का फ़ोन टैप कर सकती है, सरकारी एजेंसी के बजाय किसी ने आपका फ़ोन टैप किया है तो कैसे पता चलेगा और ऐसे में आपको क्या कदम उठाने चाहिए. फ़ोन टैपिंग से जुड़ा ताज़ा मामला उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों होने में कुछ ही महीने बाकी हैं. ऐसे में सूबे की सियासी गर्मी बढ़ती जा रही है. रविवार 19 दिसंबर 2021 को सपा सुप्रीमो और यूपी के एक्स सीएम अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि सरकार केंद्रीय जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल करके उनका फोन टैप करा रही है. अखिलेश यादव ने कहा कि शाम को खुद सीएम योगी आदित्यनाथ फ़ोन टैप करवाने के बाद रिकॉर्डिंग सुनते हैं. इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जवाब दिया कि उनकी तरफ से ऐसे काम किए जाते होंगे इसलिए उन्हें ऐसा लगता है.
अखिलेश यादव का आरोप कितना और कहां तक सच है, ये तो जांच का विषय है. फिलहाल जान लेते हैं कौन सी एजेंसीज़ ऐसा कर सकती हैं. फ़ोन टैप करने वाली सरकारी एजेंसीज़ भारतीय क़ानून के मुताबिक सरकार के पास फ़ोन टैप करने के अधिकार हैं. इन्वेस्टिगेशन एजेंसीज़ किसी का फ़ोन टैप कर सकती हैं. लेकिन सिर्फ तब, जब बात नेशनल और इंटर्नल सिक्योरिटी की हो. देश की अखंडता, संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए अगर किसी का फ़ोन टैप करना ज़रूरी हो तो ये काम इन एजेंसीज़ से करवाया जा सकता है- इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB), एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED), सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT), डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (RID), सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन(CBI), नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA), रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW), डायरेक्टोरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस (SID).
इनके अलावा दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को भी किसी की डिजिटल जासूसी करने का अधिकार है. 2014 में Software Freedom and Law Centre की एक रिपोर्ट के मुताबि
क भारत सरकार हर महीने करीब 9000 फ़ोन टैप करने के ऑर्डर देती है.
सरकारी एजेंसीज़ के अलावा प्राइवेट हैकर्स भी डिजिटल जासूसी के काम करते हैं (प्रतीकात्मक फोटो सोर्स - आज तक)
सरकारी एजेंसीज़ के अलावा प्राइवेट हैकर्स भी डिजिटल जासूसी के काम करते हैं (प्रतीकात्मक फोटो सोर्स - आज तक)

क्या क़ानून हैं? भारत उन मुट्ठी भर लोकतांत्रिक देशों में से एक है जहां नागरिकों को निजता का अधिकार तो है, लेकिन ख़ास स्थितियों में सरकार इस अधिकार को किनारे कर लोगों के फ़ोन टैप करके जासूसी करवा सकती है, रिकॉर्डिंग सुन सकती है, फोटो और वीडियो देख सकती है.
और सरकार को ये राइट मिला है 136 साल पुराने अंग्रेजों के वक़्त के एक क़ानून से. इंडियन टेलीग्राफिक एक्ट 1885 के आर्टिकल 5 के दूसरे क्लॉज़ के तहत केंद्र और राज्य सरकारों को किसी के टेलीफोन को इंटरसेप्ट करने का अधिकार है. हालांकि इस एक्ट में साल 2007 में हुए संशोधन के बाद फोन टैपिंग के लिए सरकार को गृह सचिव स्तर के अधिकारी से परमिशन लेनी होती है. ये अनुमति शुरुआत में 60 दिनों के लिए मिलती है जिसे बढ़ाकर 180 दिन तक किया जा सकता है.
साल 2000 के IT एक्ट की धारा 69 के तहत भी सरकार को मोबाइल फ़ोनों की जासूसी करने या किसी भी कंप्यूटर में मौजूद या उससे भेजी गई किसी भी इनफार्मेशन या डेटा को हासिल करने का अधिकार है. कैसे पता करें फ़ोन टैप हो रहा है? फ़ोन टैपिंग के ज्यादातर मामलों में विक्टिम के पास ऐसा कोई सुबूत नहीं होता कि उसके खिलाफ़ की जा रही जासूसी कानूनी तरीके से नहीं हो रही है या ज़रूरी परमिशन वगैरह नहीं ली गई है. ऐसे में शिकायत का आधार ही नहीं बनता. दूसरा कि फ़ोन टैपिंग की प्रक्रिया इतनी आसान भी नहीं है कि उसकी जांच करके ये साफ़ कर दिया जाए कि फ़ोन टैप किया गया था या नहीं.
बताया जाता है कि सरकारी एजेंसीज़ के अलावा बहुत बड़े पैमाने पर कई निजी कंपनियां इस काम में लिप्त हैं. इन कंपनियों का काम है मोटी रकम लेकर बदले में आपके लिए किसी की जासूसी करना. पेगासस सॉफ्टवेयर के मामले आपने सुने ही होंगें. छोटे स्तर भी कई ऐसी कंपनीज़ के ऐप्स मौजूद हैं जो ये सर्विस प्रोवाइड करते हैं.
फ़ोन टैपिंग की खबरें सुनते हैं तो कई बार हमारे मन में शंका आती है कि हमारा फ़ोन भी तो टैप किया जा सकता है. हालांकि कुछ तरीके हैं जिनसे आप ये पता कर सकते हैं कि आपका फ़ोन टैप किया जा रहा है या नहीं. मोबाइल तकनीक के जानकार कहते हैं कि एंड्राइड फ़ोन का टैप किया जाना iPhones की तुलना में कहीं ज्यादा आसान है. कुछ पॉइंटर्स हैं जिनसे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि आपका फ़ोन टैप हो रहा है या नहीं. जैसे-
# अगर कोई आपके फ़ोन की जासूसी कर रहा है तो आपके फ़ोन का डेटा यूसेज बढ़ जाएगा, अगर आपका प्लान पोस्ट पेड है तो फ़ोन का बिल बढ़ा हुआ आ सकता है.
# आपके फ़ोन की बैटरी सामान्य से जल्दी डिस्चार्ज होगी और फ़ोन जल्दी ओवरहीट करेगा.
# फ़ोन पर स्पाइंग यानी जासूसी होने की स्थिति में फ़ोन असामान्य प्रतिक्रियाएं देता है जैसे- कई ऐप्स एक साथ खुलना, अजीबो-गरीब पॉप-अप आना, फ़ोन का ऑटोमैटिकली रिबूट हो जाना आदि.
# किसी अनजान ऐप का होना भी फ़ोन टैपिंग का सुबूत हो सकता है.
# अगर आपके फ़ोन पर कुछ बेमतलब के टेक्स्ट मैसेज आ रहे हैं जिनमें रैंडम लेटर्स. सिंबल या नंबर्स हैं तो ये किसी थर्ड पार्टी के मैसेज हो सकते हैं जो आपके फ़ोन पर मौजूद स्पाईवेयर से कम्यूनिकेट करने की कोशिश कर रहे हैं. अगर आपके फ़ोन कॉन्टैक्ट्स में जुड़े लोग आपके फ़ोन से ऐसे मैसेज आने की शिकायत कर रहे हैं तो ये निश्चित तौर पर इस बात का संकेत हो सकता है कि आपके फ़ोन में जासूसी के लिए कोई मालवेयर या वायरस इंस्टाल किया जा रहा है.
# अगर नेटवर्क से जुड़ी कोई दिक्कत नहीं है और कॉल करने के दौरान क्लिक की साउंड या कोई असामान्य शोर आता है तो आपका फ़ोन टैप होने की संभावना है.
फ़ोन टैपिंग से कैसे बचें? ये एक लंबी चर्चा हो सकती है. आपराधिक गतिविधियों के चलते अगर किसी के साथ कानूनी तौर पर ऐसा हो रहा है तो उसे रोकना आसान भी नहीं है. और इस बारे में हमारा डिस्क्लेमर यही है कि इन तरीकों का उपयोग न करें और जांच में क़ानून का सहयोग दें. लेकिन अगर कोई प्राइवेट ऐप या कंपनी आपके फ़ोन की जासूसी गलत वजहों से करना चाहती है तो आप ये कुछ तरीके अपना सकते हैं.
# कुछ चुनिन्दा थर्ड पार्टी एंटी-मालवेयर ऐप्स
जैसे Certo Anti Spyware वगैरह अपने फ़ोन में इंस्टाल कर सकते हैं. ये ऐप बैकग्राउंड में स्कैनिंग करती रहती हैं और आपको जासूसी जैसी किसी भी संदिग्ध गतिविधि की रियलटाइम इनफार्मेशन देती रहती हैं.

# iPhone यूज़र्स,  Cydia नाम की ऐप के इस्तेमाल से चेक कर सकते हैं कि डिवाइस में जेलब्रेक हुआ है या नहीं. इसके अलावा कुछ डेस्कटॉप टूल्स जैसे 3UTOOLS का इस्तेमाल कर सकते हैं.
# कुछ आसान USSD कोड्स का इस्तेमाल करके भी फोन की बैटरी, वाई-फाई, कनेक्शन वगैरह के बारे में जानकारी ली जा सकती है जिनसे फ़ोन टैप होने के अनुमान लगाना आसान हो जाता है. ये कोड हैं –
फ़ोन की जानकारी के लिये - *#*#4636#*#* कॉल फॉरवर्ड डीएक्टिवेट करने के लिए - ##002# डेटा डायवर्सन जानने के लिए - *#21# किसी दूसरे फ़ोन पर रीडायरेक्ट चेक करने के लिए - *#62#
फ़ोन टैप हो जाने पर अब मान लीजिए आपको कन्फर्म हो जाता है कि आपका फ़ोन टैप हो चुका है, तो ऐसे में फौरी तौर पर क्या कर सकते हैं, चलते-चलते संक्षिप्त में ये भी जान लेते हैं.
# सबसे पहले फ़ोन को Airplane Mode में डालें.
# Unknown Apps को Uninstall करें.
# Device Admin Access को Remove करें.
# Safe Mode में Reboot करें.
# फ़ोन को Factory Reset करें.
# फोन का Software Update करें.
रिपोर्ट के इस हिस्से में हमने केवल फोन टैपिंग से जुड़ी बेसिक बातों पर चर्चा की. अगले भाग में जानेंगे कि IMEI नंबर और IP एड्रेस से क्या-क्या मुमकिन है- फोन और मोबाइल के अलावा कौन-कौन से विकल्प हैं- दुनिया भर में टैपिंग से बचने के लिए कौन से तरीके अपनाए जाते हैं- सैटेलाइट कॉल, इंटरनेट कॉल, रेडियो फ्रीक्वेंसी पर बात कैसे होती है- सब कुछ संक्षिप्त में बताएंगे.