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दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक में क्या फर्जीवाड़ा सामने आया जो जांच CBI को सौंप दी गई?

आरोप है कि प्राइवेट लैब्स को फायदा पहुंचाने के लिए आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक्स में नकली मरीजों के लाखों के टेस्ट किए गए. LG ने मामले की जांच CBI से कराने की सिफारिश की. केंद्रीय गृहमंत्रालय ने जांच CBI को सौंप दी है.

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दिल्ली में 500 से ज्यादा मोहल्ला क्लीनिक हैं. (Photo- India Today)

मनी लॉन्ड्रिंग केस में सत्येंद्र जैन जेल में हैं. नई आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जेल में है. इसी केस में प्रवर्तन निदेशालय(ED) मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तीन बार समन दे चुकी है. ये स्थिति तब है जब लोकसभा चुनाव के लिए 4 महीने का समय भी नहीं बचा है. और इस बीच आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की मुश्किलों की लिस्ट में एक नया इजाफा हो गया है. दिल्ली सरकार के एक और विभाग पर CBI की जांच बैठ गई है. क्या है ये मामला? पहले संक्षेप में जानिए.

दिल्ली सरकार पूरे दिल्ली में आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक संचालित करती है. इन मोहल्ला क्लीनिक्स को आप लोकल डिस्पेंसरी जैसा समझ सकते हैं. यहां पर एक डॉक्टर होता है. ये छोटे-मोटे आम रोगों के लिए लोगों को दवा देते हैं. यहां सबसे पहले प्राथमिक जांच होती है. कोई अंदरूनी कारणों की जानकारी के लिए पैथॉलजी या रेडियोलजी रेफर किया जाता है. अगर आप दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में जांच कराते हैं, तो जांच फ्री होती है. अगर बाहर के प्राइवेट लैब में जांच कराते हैं, तो वो आवश्यक कागजी कार्रवाई के बाद वो पैसा रीइमबर्स भी हो जाता है. और रोगों की जांच वगैरह के बाद इस मोहल्ला क्लीनिक से मुफ़्त में दवा मिल जाती है. और अगर जरूरत होती तो रोगी को दिल्ली सरकार के ही कम्यूनिटी हेल्थ केंद्र या दिल्ली सरकार के अधिकार में आने वाले अस्पतालों में रेफर कर देते हैं.

और जो विवाद फिलहाल चर्चा में है वो इन मोहल्ला क्लीनिक के इस जांच वाले फेर को लेकर ही है. आरोप है कि प्राइवेट लैब्स को फायदा पहुंचाने के लिए आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक्स में नकली मरीजों के लाखों के टेस्ट किए गए. आरोप सामने आने के बाद सबसे पहले स्वास्थ्य विभाग ने जांच की. स्वास्थ्य विभाग ने अपनी जांच रिपोर्ट विजिलेंस डिपार्टमेंट को भेज दी. विजिलेंस की विस्तृत रिपोर्ट आने के बाद दिल्ली के मुख्य सचिव ने फाइल उपराज्यपाल के पास भेजी. दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने इस मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की. और इस खबर के लिखे जाने तक केंद्रीय गृह मंत्रालय ने CBI जांच की मंजूरी भी दे दी है.

मामला विस्तार से समझिए

अब ये मामला क्या है, विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं. अगस्त 2023. दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग को सूचना मिली कि दिल्ली के साउथ-वेस्ट, शाहदरा और नॉर्थ-ईस्ट जिलों चल रहे 7 मोहल्ला क्लीनिकों में काम करने वाले कुछ स्टाफ सदस्य अपनी डेली अटेंडेंस में धांधली कर रहे थे. आरोप है इन मोहल्ला क्लीनिक्स में वीडियो रिकार्डिंग से स्टाफ की अटेंडेंस दर्ज होती है. और चालाकी देखिए, हर बार अटेंडेंस की बारी आने पर ये लोग अपना पुराना वीडियो प्ले कर देते थे और अटेंडेंस दर्ज हो जाती थी. और स्टाफ की गैरमौजूदगी में मोहल्ला क्लीनिकों में जो मरीज आ रहे थे, उन लोगों का इलाज बिना ट्रेनिंग पाए लोग कर रहे थे. स्वास्थ्य विभाग ने अपनी रिपोर्ट में इन 7 मोहल्ला क्लीनिक्स और इनमें हो रही कथित धांधली का समय भी लिखा.

किस क्लीनिक में कब से कब तक धांधली के आरोप?

जफ्फार कलां - जून 2022 से जनवरी 2023 तक 
उजवा - अगस्त 2022 से मार्च 2023 तक
गोपाल नगर - अगस्त 2022 से मार्च 2023 तक
धंसा - जुलाई 2022 से मार्च 2023 तक
जगजीत नगर - जनवरी 2023 से जून 2023 तक
बिहारी कालोनी - जुलाई 2022 से मार्च 2023 तक
शिकारपुर - अक्टूबर 2022 से मार्च 2023 तक

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सितंबर 2023 में इन मोहल्ला क्लीनिकों पर काम कर रहे अधिकतर स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की गई. उन्हें पैनल से हटा दिया गया और उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई. साथ ही इन सभी मोहल्ला क्लीनिक्स के जुलाई 2023 से सितंबर 2023 तक के प्राइवेट लैब्स में कराए गए जांच के आंकड़े जुटाए गए. इन 7 क्लीनिक्स के जरिए सिर्फ दो प्राइवेट लैब्स में जांच कराई गई थी. पहला एजिलस डाइग्नॉस्टिक्स और दूसरा मेट्रोपोलिस हेल्थ केयर. टेस्ट रिकार्ड की जांच में पता चला कि मरीजों की जांच के लिए जो रजिस्ट्रेशन करना होता है, उसमें फर्जी फोन नंबर का इस्तेमाल किया गया. और कागजों के मुताबिक, उनकी जांच भी कर दी गई. जैसे-

1. पांच मोहल्ला क्लीनिकों में सैम्पल देने वाले 8251 लोगों के फोन नंबर ही नहीं थे.
2. जांच में ऐसे कुल 42 फोन नंबर मिले जो अंक 1,2,3,4,5 से शुरु होते थे, ध्यान रहे कि भारत में इन अंकों से फोन की सीरीज अभी तक शुरु नहीं हुई है.
3. ऐसे 3092 रिकार्ड मिले जहां फोन नंबर की जगह दस बार बस 9 लिखा हुआ था. जैसे 9999999999.
4. ऐसे कुल 928 फोन नंबर मिले जो 15 से ज्यादा बार रिपीट किये गए थे.
5. ऐसे कुल 11,657 फोन नंबर मिले, जहां फोन नंबर की जगह बस जीरो अंक भर दिया गया था.

कुल मिलाकर 6 लाख 6 हजार 837 टेस्ट किए गए. ये जुलाई से लेकर सितंबर तक का ही आंकड़ा है. और मामला अभी तक 7 मोहल्ला क्लीनिक्स और उनसे जुड़े दो लैब्स तक ही सिमटा हुआ है. इसलिए ऐसा आंशका है ये आंकड़ा बढ़ भी सकता है.

हालांकि मोहल्ला क्लीनिक और दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था से जुड़ा ये पहला मामला नहीं है, जिसमें जांच का जिम्मा सीबीआई को मिला हो. इसके पहले साल 2023 में एलजी ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों में गैर-मानक दवाओं की खरीद और आपूर्ति की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. उपराज्यपाल कार्यालय के अनुसार कई मरीजों की शिकायत के बाद दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले प्रमुख अस्पतालों से दवाओं के सैम्पल इकट्ठा किए गए थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लैब टेस्ट में कई दवाओं के सैम्पल मानक पर खरे नहीं उतरे थे.