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'हनुक्का' त्योहार के बारे में कितना जानते हैं आप? जिसके पहले ही दिन ऑस्ट्रेलिया में गोलीबारी हो गई

Australia Shooting: यहूदी परिवार Sydney के Bondi Beach पर Hanukkah Festival मनाने के लिए जुटे थे. लेकिन दो बंदूकधारियों ने दर्जनों परिवारों पर अंधाधुंध गोलियां चला दी. जानते हैं कि क्या है हनुक्का और क्यों मनाया जाता है?

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प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: AI/Gemini)

यह ‘रोशनी’ का दिन था. एक खास त्योहार, जिसे दुनिया भर के यहूदी धूमधाम से मनाते आए हैं. ठीक उसी तरह, जैसे भारतीय दिवाली मनाते आए हैं. अंधकार पर रोशनी की जीत. इसी विश्वास के साथ यहूदी परिवार सिडनी के बोंदी बीच पर ‘हनुक्का’ की पहली रात मनाने के लिए जुटे थे. यह दिन प्रार्थनाओं के लिए होना चाहिए था, लेकिन अचानक दहशत में बदल गया. दो बंदूकधारियों ने दर्जनों परिवारों पर अंधाधुंध गोलियां चला दी (Australia Sydney Bondi Beach Shooting).

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पुलिस का कहना है कि यह हमला यहूदियों को टारगेट करके किया गया. इस हमले के बाद से ‘हुनक्का फेस्टिवल’ (What is Hanukkah) कीवर्ड बन चुका है. लोग इस त्योहार के बारे में जानना चाहते हैं, जिसके पहले ही दिन 15 लोगों की जान चली गई.

हनुक्का की कहानी क्या है?

यह त्योहार यहूदियों को 2,000 साल पहले के उस समय की याद दिलाता है, जब यहूदियों ने यूनानियों के खिलाफ एक जंग जीतकर अपने धर्म की रक्षा की थी. कई यहूदी त्योहारों के उलट, हनुक्का का जिक्र बाइबिल में नहीं है. लेकिन इतिहास से जुड़ी दो किताबें हैं- मैकाबीज़ प्रथम और द्वितीय, जिनमें इस त्योहार का जिक्र मिलता है.

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जेरूसलम में यहूदियों का सबसे पवित्र मंदिर था. सन् 168 ईसा पूर्व में सीरिया के राजा एंटिओकस एपिफेन्स ने अपनी सेना यहां भेज दी. सैनिकों ने मंदिर को अपवित्र कर दिया और यूनानी देवताओं की पूजा के लिए मूर्तियां स्थापित की गईं. यूनानियों ने सभी यहूदी अनुष्ठानों पर बैन लगा दिया. यहां तक कि मंदिर का नाम तक बदलकर यूनानी देवता ज़्यूस के नाम पर रख दिया गया. 

उधर, राजा एंटिओकस ने यहूदियों के सामने दो विकल्प रखे- या तो वे धर्म परिवर्तन कर लें या मरने के लिए तैयार रहें. यहूदियों के लिए यह एक कठिन समय था. लेकिन इस अंधेरे समय में एक छोटा सा परिवार सामने आया- मैकाबी परिवार. इस परिवार के मुखिया थे- मत्ताथियास. उनके बेटे यहूदा मैकाबी ने हथियार उठाए और यहूदी सेना का नेतृत्व किया. 

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(फोटो: Getty Images)

संख्या में कम होने के बावजूद, यहूदा और उसके साथियों ने दो बड़े युद्ध जीते और ताकतवर सीरियाई सेना को हरा दिया. तीन सालों तक चली इस जंग के बाद आखिरकार, यहूदियों को जेरूसलम का मंदिर वापस मिल गया. हालांकि, इतिहासकारों के बीच अब भी यह बहस का मुद्दा है कि जंग का परिणाम क्या रहा. 

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(फोटो: सोशल मीडिया)

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आठ दिन तक चलता रहा दिया

उनका यहूदी मंदिर नष्ट हो चुका था. अब बारी थी मंदिर को फिर से पवित्र करने की. इस घटना से जुड़ी एक किंवदंती के मुताबिक, जब यहूदी, मंदिर के अंदर दाखिल हुए, तो उनके सामने एक समस्या थी. मंदिर में जलने वाला पवित्र दीपक ‘नेर तामिद’ फिर से जलाया जाना था, लेकिन मंदिर में उन्हें शुद्ध तेल का एक ही घड़ा मिला, जो केवल एक दिन के लिए काफी था. 

अतिरिक्त तेल लाने के लिए भेजे गए दूत को अपना काम पूरा करने में आठ दिन लगे, लेकिन तेल का वह घड़ा उसके लौटने तक जलता रहा. यही वह क्षण था, जिसने हनुक्का को ‘फेस्टिवल ऑफ लाइट’ बना दिया. यही वजह है कि हनुक्का का त्योहार आठ दिनों तक चलता है.

आज कैसे मनाया जाता है यह त्योहार?

हनुक्का हिब्रू पंचांग के नौवें महीने किसलेव के 25वें दिन से शुरू होता है. यह नवंबर या दिसंबर किसी भी महीने में पड़ सकता है. जैसे इस साल हनुक्का 14 दिसंबर से 22 दिसंबर मनाया जाएगा. हनुक्का शब्द का हिब्रू भाषा में अर्थ होता है- ‘समर्पण’. यह रोशनी का त्योहार है. इन आठ दिनों को यहूदी बहुत धूमधाम से मनाते हैं. घरों में रोशनी करते हैं. बच्चों को गिफ्ट देते हैं और स्वादिष्ट पकवान बनाते हैं.

हनुकिया क्या है?

ब्रिटानिका के मुताबिक, इस त्योहार को हनुकिया नाम की मोमबत्ती जलाकर भी मनाया जाता है. हनुकिया में नौ शाखाएं होती है, जिनमें एक शमाश भी है. शमास बीच में होता है, जिसका मतलब होता है- सहायक, जिसे सबसे पहले जलाया जाता है और बाकी मोमबत्ती इसी से जलाई जाती हैं. 

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हनुकिया (फोटो: AI/Gemini)

पहली शताब्दी ईस्वी में हनुक्का मनाने के तरीके को लेकर यहूदी विद्वानों के बीच एक दिलचस्प बहस हुई. एक ओर थे रब्बी हिलेल और उनके अनुयायी यानी फॉलोअर्स. जिनका मानना था कि हनुक्का की पहली रात सिर्फ़ एक मोमबत्ती जलाई जानी चाहिए और फिर हर अगली रात एक मोमबत्ती और बढ़ाई जानी चाहिए. इस तरह आठवीं रात तक आठ मोमबत्तियां जलें.

दूसरी ओर थे रब्बी शम्मई. उनकी राय थी कि पहली ही रात आठों मोमबत्तियां जलाई जाएं और फिर हर रात एक-एक मोमबत्ती कम की जाए. काफी चर्चा और विचार-विमर्श के बाद हिलेल की बात मानी गई. इसलिए आज हनुक्का में हर रात एक नई मोमबत्ती जलाई जाती है. अंधेरे से उजाले की तरफ बढ़ते हुए.

हनुक्का के दौरान क्या खाते हैं?

हनुक्का सिर्फ रोशनी का ही नहीं, स्वादिष्ट खाने का भी त्योहार है. BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मौके पर ऐसे व्यंजन बनाए जाते हैं जो तेल में तले जाते हैं, ताकि मंदिर में हुए तेल के चमत्कार को याद किया जा सके. ऐसी ही एक लोकप्रिय डिश है- लैटके (Latkes). आलू से बने कुरकुरे पकौड़े. 

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लैटके (Latkes) (फोटो: AI/Gemini)

इसके अलावा, पैनकेक और डोनट्स भी खाए जाते हैं.

ड्रेडल क्या होता है?

हनुक्का के दौरान एक पारंपरिक खेल खेला जाता है, जिसे बच्चे और बड़े सभी मिलकर खेलते हैं. इसमें एक खास तरह का लट्टू इस्तेमाल होता है, जिसे ड्रेडल कहते हैं. ड्रेडल घन (क्यूब) के आकार का होता है और इसके चारों तरफ हिब्रू भाषा के अक्षर लिखे होते हैं. 

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ड्रेडल (फोटो: AI/Gemini)

कैसे खेलते हैं?

- हर खिलाड़ी के पास 10–20 छोटी चीज़ें होती हैं, जैसे किशमिश या मिठाई.

- सभी खिलाड़ी बीच में एक-एक चीज़ रखते हैं.

- फिर बारी-बारी से ड्रेडल घुमाया जाता है.

ड्रेडल रुकने पर जो अक्षर ऊपर आता है, वही हार-जीत तय करेगा.

इजराइल में, हनुक्का एक नेशनल हॉलीडे है. इस दिन स्कूलों में स्टूडेंट नाटक प्रस्तुत करते हैं. उत्सव के गीत गाते हैं और पार्टियां मनाते हैं. स्कूल बंद रहते हैं और इजराइली संसद, नेसेट जैसी प्रमुख इमारतों के ऊपर मेनोराह प्रदर्शित किए जाते हैं. मेनोराह यहूदी धर्म में एक बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण सात-शाखाओं वाला दीया-स्टैंड है, जो प्राचीन काल से यहूदी पहचान का प्रतीक रहा है. यह बिल्कुल हनुकिया की तरह ही होता है. बस फर्क यह है कि इसमें 9 की जगह 7 शाखाएं होती हैं. 

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