किस बात पर हुई हिंसक झड़प?
असम और मिजोरम से राष्ट्रीय राजमार्ग-306 गुजरता है. ये असम के कछार जिले के लैलापुर गांव और मिजोरम के कोलासिब जिले का वैरेंगते गांव को जोड़ता है. या यूं कहें कि ये दोनों इस हाइवे के सबसे करीबी गांव हैं. कोलासिब जिले के पुलिस उपायुक्त एच. लल्थलंगलियाना के मुताबिक, शनिवार शाम को लाठी-डंडे लिए असम के कुछ लोगों ने सीमावर्ती गांव के बाहरी इलाके में एक समूह हमला कर दिया. इसके बाद वैरेंगते गांव के लोग भारी संख्या में इकट्ठा हो गए, और झड़प शुरू हो गई. धारा-144 लागू होने के बावजूद वैरेंगते गांव की गुस्साई भीड़ ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर लैलापुर गांव की करीब 20 झोपड़ियों और दुकानों में आग लगा दी. घंटों चली हिंसक झड़प में 8 लोग घायल हो गए.

असम-मिजोरम सीमा पर झड़प के दौरान झोंपड़ियां जला दी गईं. (फोटो क्रेडिट- इंडिया टुडे)
केंद्र के दखल से सुलझा मामला
मामला पीएमओ तक पहुंचा तो हलचल हुई. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने असम और मिजोरम के मुख्यमंत्रियों से फोन पर बात की. बुधवार को सिलचर में गृह सचिव लालबियाकसंगी ने सेंट्रल होम मिनिस्ट्री के ज्वाइंट सेक्रेटरी सत्येंद्र कुमार गर्ग की मुलाकात हुई. गर्ग ने बताया कि केंद्र, असम और मिजोरम सरकार ने इस पर विचार-विमर्श किया और शांतिपूर्ण ढंग से विवाद खत्म करने का फैसला किया. मिजोरम सरकार ने असम के इलाके में बनाईं अपनी पुलिस चौकियां हटा लीं. कर्मचारियों को भी वापस बुला लिया.
उत्तर-पूर्व के राज्यों के बारे में जान लीजिए
भारत के उत्तर-पूर्व में सात राज्य हैं. इन्हें 'सात-बहनें यानी 7 सिस्टर्स' कहा जाता है. इन राज्य 2,55,522 वर्ग किमी यानी भारत के कुल क्षेत्रफल के लगभग 7 प्रतिशत इलाके में फैले हुए हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश की कुल जनसंख्या की 3.7 प्रतिशत इन राज्यों में रहती है. आजादी से साल 1962 तक असम प्रमुख राज्य था. लेकिन 1962 से असम से अलग होकर नए-नए राज्य बनने शुरू हुए. 1963 में नागालैंड बना. 1972 में मेघालय. मिजोरम को 1972 में केंद्रशासित प्रदेश घोषित किया गया था, लेकिन 1987 में इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया गया.

विवाद की वजह क्या है?
पहली वजह: साल 1873 की बात है. उत्तर-पूर्वी राज्यों में बाहरी लोगों का प्रवेश रोकने, राज्यों के संसाधन, मूल आबादी, उनकी संस्कृति को सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक कानून लाया गया. इसका नाम था- BEFR यानी बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन. इसी के चलते इनर लाइन परमिट (ILP) को मान्यता मिली. उत्तर-पूर्व के चार राज्य- अरुणाचल, नागालैंड, मिजोरम और मणिपुर में इनर लाइन परमिट सिस्टम लागू है. मतलब इन राज्यों में रहने वालों के अलावा बाहर का कोई नागरिक बिना परमिट यहां एंट्री नहीं कर सकता. परमिट की अवधि से ज्यादा समय यहां नहीं रुक सकता. यह कानून असम पर लागू नहीं है. मतलब यह कि दूसरे राज्यों के लोग तो असम में प्रवेश कर सकते हैं, लेकिन असम के लोगों को इन चार राज्यों के खास इलाकों में आने के लिए परमिट लेना होगा.

दो पक्षों में हिंसा के बीच आगजनी भी की गई. (फोटो क्रेडिट- इंडिया टुडे)
दूसरी वजह.
दक्षिणी असम के साथ मिज़ोरम करीब 165 किमी की सीमा साझा करता है. मिज़ोरम का दावा है कि उसकी सीमा के करीब 509 वर्गमील के हिस्से पर असम का कब्जा है. दरअसल, 1987 में मिज़ोरम राज्य बनने तक असम का जो लुशाई हिल्स ज़िला था, वह मिज़ोरम था. 1875 में एक अधिसूचना जारी हुई थी, जिसमें लुशाई हिल्स को असम के कछार वाले मैदान से अलग कर दिया गया था. इसी के बाद से दोनों राज्य आपस में झगड़ रहे हैं. साल 1993 असम और मणिपुर सरकार ने लुशाई हिल्स और मणिपुर राज्य के बीच के इलाकों का सीमांकन कर दिया. मिजोरम सरकार का कहना है कि इसके लिए उनकी राय नहीं ली गई, यह सीमांकन अवैध है. सीमांकन 1875 की अधिसूचना के आधार पर किया जाना चाहिए, जो कि BEFR ACT, 1873 के अंतर्गत आता है.
सीमा विवाद सुलझाने का क्या सिस्टम है?
दो राज्यों के बीच उत्पन्न विवादों को खत्म करने के लिए साल 1990 में वी.पी सिंह की सरकार ने 'अंतर्राज्यीय परिषद' का गठन किया. भारतीय संविधान के अनुच्छेद-263 के तहत ये व्यवस्था की गई है. इस परिषद का मुख्य काम है, राज्यों के बीच पैदा होने वाले विवादों की जांच करना और विचार-विमर्श करके सलाह देना. इसके साथ ही राज्य पुनर्गठन एक्ट, 1956 के तहत क्षेत्रीय परिषदों का भी गठन किया गया.
इसके अलावा, साल 1971 में उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए अलग से 'पूर्वोतर परिषद' बनाई गई. इसमें असम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा और सिक्किम शामिल हैं. इस परिषद का प्रमुख काम है, सदस्य राज्यों की तरफ से उठाए गए सुरक्षा के कदमों की समीक्षा करना. इन राज्यों की समस्याओं को हल करना, विवाद होने पर सलाह देना, विकास और एकता को बढ़ावा देना.
(ये स्टोरी हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहे बृज द्विवेदी ने लिखी है)