
इस तरह की खबरें अक्सर आती रहती हैं कि फलां जगह, फलां की खेत में जमीन की खुदाई के दौरान खजाना मिला. अगर आप गूगल सर्च करेंगे, तो इस तरह के तमाम आर्किटल भी देखने को मिल जाएंगे कि जमीन के नीचे दबे खजाने के बारे में कैसे पता लगाएं. इन सब खबरों को पढ़ने के दौरान हमारे मन में ख्याल आया कि अगर मेरे या आपके खेत में खजाना मिल जाए, तो क्या होगा? क्या पूरा का पूरा खजाना उस व्यक्ति का हो जाएगा, जिसके खेत में मिला है? आइये इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं. खजाना मिलने के बाद क्या होता है? ये जानने के लिए हमने राजस्थान में सीकर जिले के श्रीमाधोपुर के SDM लक्ष्मीकांत गुप्ता से बात की. वह इस तरह की कार्रवाई में शामिल रहे हैं. हमने उनसे पूछा कि इस तरह के मामले सामने आने के बाद प्रशासन क्या करता है? नियम क्या हैं?
SDM लक्ष्मीकांत गुप्ता ने बताया कि इस तरह के मामले दफीना एक्ट के तहत डील किए जाते हैं. उन्होंने आगे कहा,
मान लीजिए कि किसी के खेत में खुदाई के दौरान कोई खजाना मिला, सोना, चांदी, सोना चांदी के गहने या कोई और चीज. सबसे पहले तो उस व्यक्ति को, जिसके यहां खुदाई के दौरान कुछ मिला है, उसे पुलिस को सूचना देनी होगी. अगर जिसके यहां खजाना मिला है, वो सूचना नहीं दे रहा है, तो कोई और व्यक्ति इस बारे में सूचना दे सकता है. सूचना मिलने पर स्थानीय पुलिस और प्रशासन मौके पर पहुंचते हैं. मिले खजाने को जब्त कर लेते हैं. उसे सीज करने के बाद जमा करा लेते हैं.खजाने को कब्जे में लेने के बाद क्या होता है? SDM ने बताया कि खुदाई के दौरान मिली चीजों को कब्जे में लेकर रिपोर्ट सरकार को भेज देते हैं. इसके बाद हमारी जो ट्रेजरी होती है, वह उसमें जमा हो जाता है. फिर वो सरकार के आदेश से जहां भी जाना होगा, चला जाएगा. मतलब आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया या उन संस्थाओं को जो ऐसे मामलों में रिसर्च करती है, उन्हें भेज दिया जाता है. तो क्या जिसके खेत में खजाना मिला है उसे कुछ नहीं मिलेगा? SDM लक्ष्मीकांत गुप्ता का कहना है कि दफीना एक्ट में एक लाइन साफ तौर पर लिखी गई है कि जमीन के अंदर मिले किसी भी धन या खजाने पर सरकार का हक है. उन्होंने आगे कहा,
किसी के खेत में या जमीन में कुछ मिलता है, तो उसे सरकार को जमा करना पड़ेगा. मान लीजिए कि आर्किलॉजिक सर्वे वाली चीजें मिलीं जो 200,300 साल पुरानी हैं, तो वह सरकार के पास जमा हो जाएंगी. अगर ठोस सोना मिला है तो सरकारी खजाने में जमा हो जाएगा.

एसडीएम गुप्ता ने आगे बताया कि जिसके खेत में ये सारी चीजें मिली हैं, वह व्यक्ति ईमानदारी से बताता है, तो हो सकता है कि सरकार प्रोत्साहन के रूप में कुछ राशि दे सकती है. 10-20 प्रतिशत जो भी है. ये सरकार की मर्जी पर निर्भर है.
हां, अगर कोई दावा करता है कि मिट्टी की खुदाई के दौरान मिला खजाना उसका है, तो फिर मामला कोर्ट में जाता है और आगे की कार्रवाई होती है. फिर कोर्ट में साबित करने के बाद खुदाई के दौरान मिली चीजें उसकी हो जाती हैं. लेकिन खुदाई के दौरान मिली चीजों के बारे में अगर कोई जानकारी छिपाता है, तो वह कानूनी पचड़े में पड़ सकता है. पुलिस उसके खिलाफ एक्शन ले सकती है. कुल मिलाकर बात ये है कि खुदाई के दौरान मिली चीजों पर पहला हक सरकार का है.