की है, जिसमें कनिष्क ने अपनी ज़िंदगी से जुड़ी कुछ मज़ेदार बातें शेयर की हैं, जो हम आपको नीचे पढ़वा रहे हैं.
आईएएस बनने से पहल साउथ कोरिया में नौकरी कर चुके हैं
कनिष्क शुरुआत से पढ़ने-लिखने वाले बच्चों में से थे. उनके दसवीं और बारहवीं दोनों ही परीक्षा में 90 फिसदी से ज़्यादा मार्क्स रहे थे. आईआईटी के जॉइंट एंट्रेंस इग्ज़ाम (JEE) में ऑल इंडिया रैंक 44 रहा था. इसकी बदौलत उनका एडमिशन आईआईटी बॉम्बे में हो गया. यहां से कनिष्क ने कंप्यूटर साइंस में ग्रैजुएशन किया. यहां से पासआउट होने के बाद वो अपनी लाइफ को थोड़ा एक्सप्लोर करना चाहते थे. इसलिए पहले साउथ कोरिया में डेढ़ साल नौकरी की. इंडिया लौटने के बाद बेंगलुरु में एक साल तक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी में नौकरी की. यहां इन्हें इंडिया और विदेशों के बीच सिस्टम में अंतर दिखना शुरू हुआ. उन्हे लगा अगर इस सिस्टम को बदलना है, तो सिस्टम में घुसना पड़ेगा.
पढ़ाई-लिखाई को प्लान कैसे किया था?
कनिष्क ने बताया कि उनकी पढ़ाई करने का कोई खास पैटर्न नहीं था. उनके दोस्तों ने कुछ प्लानिंग की थी, जिसे कनिष्क भी अपने हिसाब से तोड़-मरोड़कर फॉलो करते थे. शुरुआत में बेसिक आइडिया वगैरह समझने के लिए उन्होंने दिल्ली में आईएएस कोचिंग जॉइन की. लेकिन मार्च, 2018 से वो सेल्फ स्टडी ही कर रहे हैं. आम तौर पर वो पढ़ाई को 8-10 घंटे का समय देते थे. लेकिन जैसे-जैसे मेंस का पेपर नज़दीक आने लगा, प्रेशर बढ़ने लगा. इसके बाद समय सीमा बढ़कर हो गई 14-15 घंटे प्रतिदिन.

रिजल्ट आने के बाद पापा के हाथ से मिठाई खाते कनिष्क कटारिया.
पापा की वजह से सिविल सर्विसेज़ में आए
कनिष्क के पापा, जो खुद ही सिविल सर्विसेज़ में हैं, वो चाहते थे कि उनका बेटा भी सिविल सर्विसेज़ की तैयारी करे. सो कनिष्क ने शुरू कर दिया. इसी का नतीजा है कि आज उन्होंने इंडिया की सबसे बड़ी परीक्षा में टॉप किया है. कनिष्क की एक बहन भी हैं, जो डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही हैं और मां होममेकर हैं. कनिष्क को क्रिकेट और फुटबॉल देखना पसंद है. वो सचिन तेंडुलकर को अपना ऑल टाइम फेवरेट क्रिकेटर और करंट लॉट से विराट कोहली को अपना पसंदीदा क्रिकेटर बताते हैं.
लल्लनटॉप की ओर से कनिष्क को उनकी इस सफलता के लिए टोकरा भर बधाई :)