पिछले दिनों BHU फिरोज़ खान को लेकर चर्चा में रहा. वो प्रोफेसर जिन्हें मुसलमान होने के कारण अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी.
अब BHU में एक नए किस्म की दूब उगी है - भूत विद्या. एक नज़र में न्यूज़ हेडलाइन्स हमें ये दिखाती हैं -
BHU में पढ़ाई जाएगी भूत विद्या.इन हेडलाइन्स से ऐसा अंदाज़ा लगता है कि BHU में भूत भगाने वाली विद्या सिखाई जाएगी. यहां के बच्चे अब से रोब पहने जादुई छड़ी लिए घूमेंगे. BHU बीएचयू न रहेगा, हॉगवर्ट्स हो जाएगा. लेकिन असल में क्या मामला है?
Bhoot Vidya: India university to teach doctors Ghost Studies.

ये हैं मिस ग्रेजर्स. हॉगवर्ट्स की सबसे काबिल जादूगरनी. और हैरी पॉटर की दोस्त. (सोर्स - हैरी पॉटर)
आयुर्वेद का आठवां अंग - भूतविद्या
BHU में आयुर्वेद संकाय है. इस आयुर्वेद संकाय के अंदर भूत विद्या का एक अलग यूनिट बनाया गया है. इसके साथ ही भूत विद्या का 6 महीने का सर्टिफिकेट कोर्स होगा. ये कोर्स जनवरी से शुरू होगा. BHU ऐसा करने वाला देश का पहला इंस्टीट्यूट है.इस कोर्स को कौन करेगा? डॉक्टर्स करेंगे. जो डॉक्टर BAMS और MBBS के डिग्रीधारी हैं, वो इस कोर्स में हिस्सा ले सकते हैं.
अब मेन सवाल पर आते हैं - ये भूत विद्या क्या है?
भूत विद्या आयुर्वेद की एक ब्रांच है. जैसे मॉडर्न मेडिसिन में अलग-अलग ब्रांच होती हैं - बच्चों के डॉक्टर अलग होते हैं. सर्जरी के अलग. महिलाओं के अलग - वैसे ही आयुर्वेद में अलग-अलग ब्रांच होती हैं.

BHU के आयुर्वेद संकाय का पोस्टर. (सोर्स - BHU)
अष्टांग आयुर्वेद - आयुर्वेद के आठ अंग. आयुर्वेद की आठ ब्रांच.
1. शल्य 2. शालाक्य 3. कायचिकित्सा 4. कौमारभृत्य 5. अगदतंत्र 6. रसायनतंत्र 7. वाजीकरण 8. भूतविद्याइस भूतविद्या को भूत-प्रेत वाली पढ़ाई कहना ठीक नहीं होगा. यहां भूत का मतलब है अदृश्य. भूत विद्या मतलब ऐसी बीमारियों की पढ़ाई जो अदृश्य या अज्ञात कारणों से होती हैं. मानसिक बीमारियां.
आयुर्वेद संकाय के डीन यामिनी भूषण त्रिपाठी के मुताबिक भूत विद्या साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर का आयुर्वेदिक इलाज है. ये साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर क्या होते हैं? साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर मतलब मनोदैहिक विकार. ऐसे विकार जो मन में पैदा होते हैं और देह (शरीर) में तकलीफ देते हैं.
भूत विद्या पर सवाल-जवाब
आयुर्वेद में इस भूत विद्या के क्या मायने हैं? ये समझने के लिए हमने BHU के आयुर्वेद संकाय के प्रोफेसर बी के द्विवेदी से बात की. प्रोफेसर द्विवेदी भूतविद्या के स्पेशलिस्ट हैं. इस बातचीत का निचोड़ हम आपको बता रहे हैं.ये कोर्स क्यों लाया गया है?
हमारे समाज में भूत-प्रेत को लेकर बहुत अंधविश्वास है. लोग फर्ज़ी तांत्रिकों और बाबाओं के चक्कर में पड़ जाते हैं. झाड़-फूंक करवाते हैं. हम भूत विद्या को इसलिए बढ़ावा दे रहे हैं ताकि लोग क्वालिफाइड डॉक्टर्स की सलाह ले सकें.
बहुत सारे लोग आयुर्वेद को महज़ औषधियों और जड़ी-बूटियों के लिए जानते हैं. लेकिन आयुर्वेद में न दिखने वाली बीमारियों का इलाज भी है. भूतविद्या आयुर्वेद का हिस्सा है.
आयुर्वेद मानता है कि ये कुछ स्पेशल टाइप के मानसिक रोग हैं और इनकी स्पेशल चिकित्सा होनी चाहिए.

लोगों के अंदर से भूत निकालने वाला सीन हॉरर मूवीज़ में बहुत कॉमन है.(सोर्स - विकिमीडिया)
इसमें क्या देखकर चिकित्सा होती है?
इन भूतों यानी रोगों के 28 प्रकार होते हैं. इन रोगों के डायग्नोसिस (पहचान) के तरीके होते हैं. जब रोग की पहचान हो जाती है, तो उस हिसाब से इलाज किया जाता है. हम चाहते हैं कि पेशेंट कम से कम हॉस्पिटल तो आए.
कुछ एग्ज़ाम्पल दीजिए. मान लीजिए इन 28 में से कोई एक विकार समझ में आ गया, फिर इलाज कैसे होता है?
उसके लिए कई तरीके होते हैं. पूजा-पाठ, औषधियां और बाहरी उपचार. औषधियां खाने को दी जाती हैं. या इन्हें जलाकर इन्हेलेशन कराया जाता है. अब टेलीफोन पर सब नहीं बताया जा सकता. मेरी 450 पेज की किताब है - आयुर्वेदीय भूतविद्या विवेचन. इस किताब में सब डीटेल लिखी हैं.

इसे बीके द्विवेदी ने लिखा है और चौखंबा प्रकाशन ने छापा है.
ज्ञान बांटने से फैलता है. अगर किसी ज्ञान को बचाकर रखा जाएगा तो वो लुप्त हो जाएगा. हम चाहते हैं कि भूत विद्या को ज़्यादा लोग जानें. भूत विद्या एक साइंटिफिक नज़रिया है.
भूत विद्या के बारे में आप हमें तीन-चार लाइन बताइए. जो आप कोर्स इंट्रोडक्शन में बच्चों को बताते हैं.
अलग-अलग प्रकार की मानसिक विक्रतियां हैं. पहले सुश्रुत ने आठ बताईं. चरक ने आठ प्रकार बताए. फिर आगे चलकर 20 टाइप के रोग पता चले. आगे और प्रकार पता चलते गए. अभी हमें 28 प्रकार मालूम हैं. इस हिसाब डॉक्टर देखेगा और मरीज़ का इलाज किया जाता है.
किसी में सिर्फ पूजा-पाठ से काम हो जाता है. किसी में औषधि दी जाती है. किसी में रत्न धारण किए जाते हैं. किस रोगी को कौन-सा इलाज करना है ये चिकित्सक तय करता है.

बहुत सारे लोगों को आयुर्वेद के नाम पर सिर्फ नीम तुलसी पता होती है.
आप कह रहे हैं ये साइंटिफिक तरीके हैं. क्या इनसे पक्का इलाज हो जाता है? झाड़-फूंक और भूत विद्या में क्या अंतर है?
बहुत अंतर है. पहले मरीज़ आए तो. फिर डॉक्टर उसके रोग की पहचान करेगा. पता किया जाएगा कि ये कोई मानसिक रोग है भी या नहीं. 90 % केस में तो लोग फिज़िकल प्रॉब्लम में झाड़-फूंक कराने चले जाते हैं. कोई महिला मालन्यूट्रीशन्ड होती है और उसे चुड़ैल मान लिया जाता है. हम चाहते हैं कि लोग आएं तो. बीमारी का पता तो चले.
डायग्नोसिस के क्या तरीके होते हैं? कोई एग्ज़ाम्पल दीजिए. कैसे पता किया जाता है कि क्या बीमारी है?
जो विद्या हम 6 महीने पढ़ाते हैं, वो हम आपको 6 मिनट में फोन पर कैसे बता दें.
जैसे ज़ुकाम में खांसी आती है, छींक आती है, कफ आता है. ऐसे ही आप बता दीजिए कोई रोग लक्षण.
इस तरह के हर एक रोग के बीस-बीस लक्षण होते हैं. मेरी उस किताब में ये सभी चीज़ें आपको डीटेल में मिल जाएंगी. और आप अगर इंट्रेस्टेड हैं तो आइए फेस-टू-फेस बात करते हैं.

शुश्रुत और चरक. आयुर्वेद के दो सबसे बड़े नाम. (सोर्स - विकिमीडिया)
फेस-टू-फेस बात तो पता नहीं कब होगी. फिलहाल हमें इस कोर्स के बारे में इतनी ही बातें पता चलीं और हमने ये आपको बताईं.
तो बात ऐसी है कि भूत विद्या भूत-प्रेत वाला कोर्स नहीं है. लेकिन इस कोर्स की साइंटिफिक मेथड अब भी डाउटफुल हैं. हमें एक्सट्रीम में चीज़ों नहीं देखना चाहिए - भूतविद्या सुना और मज़ाक उड़ाने निकल पड़े. हमें अंधा विश्वास भी नहीं होना चाहिए - आयुर्वेद में है तो सही ही होगा. और झूठ से तो बिलकुल ही दूर होना चाहिए. जैसे कि ये एक झूठ है कि BHU में भूत भगाने वाला एक कोर्स पढ़ाया जा रहा है.
वीडियो - बीएचयू के मुस्लिम संस्कृत प्रॉफेसर फिरोज़ खान ने विरोध के बाद ये बड़ा कदम उठा लिया है