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कैसे एक कलाकार ने बिना चवन्नी लिए बहुत बड़े ब्रांड को दिवालिया होने से बचा लिया

आज बात Ray-Ban कंपनी के तकरीबन दिवालिया होने और फिर प्रीमियम कंपनी बनने की. बात ये भी होगी कि कैसे एक ऐक्टर ने बिना चवन्नी लिए कंपनी का उद्धार कर दिया.

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Ray-Ban के पीछे टॉम क्रूज

Fighter में Hrithik Roshan और Deepika Padukone, दबंग में हुड़ दबंग-दबंग करते सलमान खान, वीर-जारा वाले शाहरुख और मिशन इम्पॉसिबल में लगभग इम्पॉसिबल एक्शन करते Tom Cruise में आखिर कोई समानता हो सकती है क्या. किरदारों में नहीं लेकिन समानता है इनके स्टाइलिश चश्मे में. सिर्फ ये नहीं बल्कि तकरीबन हर किरदार फिल्मों से लेकर निजी जीवन में भी इनको पहने नजर आता है. इस डिजाइन का नाम है Aviator. फेमस करने वाली कंपनी Ray-Ban. आज की तारीख में भले अरबों का कारोबार हो लेकिन कई सालों पहले दिवालिया होने की कगार पर थी. लेकिन फिर एक फिलम स्टार ने गेम बदल दिया.

आज बात उसी Ray-Ban कंपनी के तकरीबन दिवालिया होने और फिर प्रीमियम कंपनी बनने की. बात ये भी होगी कि कैसे एक एक्टर ने बिना चवन्नी लिए कंपनी का उद्धार कर दिया.

शुरू से शुरू करते हैं

1936 में Bausch & Lomb ने Ray-Ban कंपनी की स्थापना की थी. हालांकि कंपनी बनने के पीछे हाथ था अमेरिकी वायु-सेना के कर्नल John A. Macready का. दरअसल कर्नल साब को एयर फोर्स के विमान उड़ाने वाले पायलटों की चिंता थी. होता ये था कि उस समय पायलट जो सनग्लास पहनते थे वो अधिक ऊंचाई पर जाते ही बेकार हो जाते थे. ग्लास में फॉग आ जाता और फिर उनको देखने में दिक्कत होती थी.

दिक्कत का माकूल इलाज ढूंढा Macready साब और Bausch & Lomb ने. नतीजा 1936 में आया प्लास्टिक फ्रेम और ग्रीन लेंस वाला नया सन-ग्लास. इसमें थी "Anti-Glare" कोटिंग जो फॉग जमने नहीं देती थी. नाम के पीछे भी यही वजह थी. Ray मतलब किरण और Ban मतलब रोकना. नए फ्रेम अल्ट्रा वॉयलट किरणों को रोक देता था. दो साल के भीतर ही फ्रेम प्लास्टिक से मेटल का हो गया और ग्लास भी Impact-resistant हो गए. ये क्वालिटी आज भी कायम है क्योंकि Ray-Ban सनग्लासेस गिरने पर भी आसानी से टूटते नहीं है. मेटल फ्रेम वाली डिजाइन को Aviator कहा गया. कंपनी के बाद के सालों में Wayfarer, Erika, Echelon जैसे डिजाइन भी बनाए.

Free A woman in sunglasses holding a dog on the beach Stock Photo
सांकेतिक तस्वीर 
अब मध्य में आ जाते हैं

सब ठीक था मगर साल 1980 आते-आते कंपनी खस्ता हाल हो गई थी. साल के हजार पीस भी नहीं बिक रहे थे. कंपनी पर दिवालिया होने का खतरा था. और इससे बचने का कोई उपाय भी नहीं था. तभी कुछ ऐसा हुआ जिसने कंपनी को एक छोटी राहत दे दी. इस साल रिलीज हुई हॉलीवुड स्टार Tom Cruise की Risky Business. फिल्म में टॉम ने Ray-Ban के Wayfarer सनग्लास पहने. हालांकि टॉम ने इसके लिए कोई पैसा नहीं लिया. लेते भी कैसे क्योंकि कंपनी के पास होने भी तो चाहिए. कहें कि बस पसंद थे सो पहन लिए. 

How a pants-free Tom Cruise rescued Ray-Ban | CBC Radio
Risky Business में टॉम 

Risky Business के बाद कंपनी के उस मॉडल की बिक्री बहुत बढ़ गई. मगर असल जलवा हुआ इसके तीन साल बाद. साल 1986 में Tom Cruise ने अपनी फिलम Top Gun में कंपनी के Aviator ग्लास पहने. वैसे तो वो पूरी फिलम में इनको पहने नजर आते हैं मगर रनवे वाले सीन ने तो कमाल ही कर दिया. वही जिसमें रनवे के बगल में टॉम अपनी बाइक पर होते हैं. ये वही सीन है जिसे भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से एक विज्ञापन से आजकल खूब जोड़ा जाता है.

टॉप गन 1983 में टॉम 

Top Gun और Tom Cruise ने Aviator को लोकप्रिय नहीं बल्कि भयंकर लोकप्रिय बना दिया. कंपनी इस फिल्म की रिलीज के पहले जहां इस मॉडल के 2 लाख मॉडल साल के सेल करती थी वहीं फिल्म रिलीज के बाद ये आंकड़ा 45 लाख पहुंच गया था. टॉम का Ray-Ban प्रेम आज भी रत्ती भर कम नहीं हुआ है. 2022 में आई Top Gun Maverick में भी वो इनको पहने नजर आए. साल 2013 में Star Trek: Into Darkness के प्रीमियर में जब एक रिपोर्टर ने उनसे पूछा. क्या ये 3D ग्लास हैं. 

टॉम का जवाब था  "No, man. These are Ray-Bans.” 

आखिर में क्या हुआ

Tom Cruise की बदौलत कंपनी ने पीछे मुड़कर देखा ही नहीं. कारोबार सिर्फ आगे बढ़ा. इतना बड़ा हुआ कि साल 1999 में Bausch & Lomb ने Ray-Ban को 640 मिलियन डॉलर में Luxottica ग्रुप को बेच दिया. तब के हिसाब से गुणा-गणित करें तो मोटा-माटी 2600 करोड़ रुपये. बात करें Luxottica ग्रुप की तो सनग्लास के कारोबार की सबसे बड़ी कंपनी. ये इटालियन कंपनी Ray-Ban · ‎Essilor, Oakleys जैसे ब्रांड का मालिकाना हक रखती है. आज की तारीख में Ray-Ban सनग्लासेस से लेकर नॉर्मल फ्रेम तो बनाती है. इसके साथ फ़ेसबुक के साथ मिलकर AI बेस्ड Meta-Ray-Ban भी बना रही. 

अब दो बातें और जान लीजिए: Ray-Ban शायद दुनिया में सबसे ज्यादा डुप्लिकेट होने वाला ब्रांड है. इसका मॉडल चौराहे पर 100 रुपये में भी मिल जाएगा तो जनरल स्टोर पर 1000 रुपये में. हालांकि असली वाले की कीमत भारत में 6-7 हजार से स्टार्ट होती है. 

दूसरा आजकल इनको सनग्लास नहीं बल्कि ‘शेड्स’ कहते हैं. ऐसा हमें हमारी इनहाउस फैशन गुरु गरिमा बुधानी ने बताया है.  

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