जेन ऑस्टेन. नॉवेल की दुनिया के सबसे बड़े नामों में से एक.
जेन ऑस्टेन ब्रिटेन से आती थीं. ये जब लिख रही थीं, यानी आज से लगभग 250 साल पहले, उस समय इंगलैंड में मर्दों का बोलबाला था. भाईसाब, वर्ड्सवर्थ, बायरन और कोलरिज जैसे बड़े-बड़े कवियों का दौर था वो. स्कूल में अगर थोड़ी-बहुत अंग्रेजी भी पढ़ी है, तो इन कवियों को जरूर पढ़ा होगा.

ये वो समय था जब गद्य लिखने का इतना चलन नहीं था. कविताओं को ही साहित्य माना जाता था. कविताओं के पहले प्ले लिखे गए थे. शेक्सपियर वगैरह तो पता होगा न? और प्ले के भी बहुत, बहुत-बहुत पहले एपिक लिखे जाते थे. यानी महाकाव्य. अपने महाभारत और रामायण की तरह. एपिक हों, या प्ले. इनके हीरो कोई फेमस लोग होते थे. राजा-रानी और भगवानों की कहानियां लिखी जाती थीं. या बाइबल की कहानियों को लोग सरल भाषा में पढ़ते. कोई भी ऐसा साहित्य नहीं था, जो आम लोगों पर लिखा गया हो. उनके जीवन, उनकी छोटी-बड़ी खुशियों, उनकी मोहब्बत, शादियां, बच्चे, नौकरी, कंगाली जैसी चीजों के लिए साहित्य में कोई जगह नहीं थी.
फिर आया नॉवेल का दौर. हालांकि दुनिया की सबसे पुराने नॉवेल 17वीं शताब्दी में ही लिखे जा चुके थे. पर खुद को मेनस्ट्रीम साहित्य की तरह एस्टेब्लिश नहीं कर पाए थे. जब जेन ऑस्टेन ने लिखना शुरू किया, नॉवेल कम ही लोग लिखते थे. और औरतें लिखें, ये तो भूल ही जाओ. इंगलैंड के सख्त समाज में भला औरतों को इतनी छूट कहां थी. तो जेन ऑस्टेन और इनके बाद आने वाली कई औरत राइटर्स ने नकली नामों के साथ लिखना शुरू किया. कभी औरत, तो कभी पुरुष का नाम. जेन ऑस्टेन बिना किसी नाम के लिखती थीं. 
ये वही समय था, जब प्रिंट नया-नया आया था. किताबें अब छप सकती थीं. पहले जेन की किताबें उनके परिवार, दोस्तों तक गईं. फिर कुछ बड़े लोगों के बीच चर्चा का मैटर बनीं. और आने वाले समय में जेन के नॉवेल्स घर-घर पहुंच गए. और इन्हें पढ़ने वाले चश्मा चढ़ाए, बड़ी-बड़ी डिग्री पाए पुरुष कम ही थे. औरतें थीं. घरेलू, सीधी-साधी औरतें. जो इन नॉवेल्स में लिखे शब्दों को अपनी जिंदगी से जोड़कर देख पाती थीं. उन्हें ऐसा लगता, जैसे उनकी संवेदनाओं को आवाज मिल रही हो. उस वक़्त के लोग नॉवेल पढ़ने वालों को देख मुंह बनाते. ठीक उसी तरह जैसे रुश्दी को पढ़ने वाले चेतन भगत को पढ़ने वालों को देख बनाते हैं. और चेतन भगत को पढ़ने वाले मनोहर कहानियों को पढ़ने वालों को देखकर बनाते हैं. ऐसा माना जाता कि नॉवेल एक आसान सा साहित्य है. तो घर बैठी औरतें इसे पढ़कर अपना समय बिता लें. अकादमिक लिहाज से नॉवेल को कोई पूछता भी नहीं था.

जेन के पापा ऊन के व्यापारी थे. मतलब किसी राजे-महाराजों के खानदान से नहीं आते थे. जेन ने भी बचपन से कोई राजसी ठाठ नहीं देखे. पिता जो कुछ भी बने, अपनी मेहनत से बने.
और वैसे भी कविता कहना तो अमीर लोगों का काम हुआ करता था. जैसे हमारे यहां होते थे राजकवि, उसी तरह. गरीब आदमी तो मेहनत करता, रोटी जुगाड़ता. इसलिए नॉवेल मिडिल और लोअर क्लास के लोगों का साहित्य बना. घर-घर पहुंचा, क्लासरूम तक भले ही न पहुंच पाया. 
जेन के खूब भाई-बहन थे. उनकी सबसे अच्छी सहेली उनकी बहन कसांड्रा थीं. दोनों बहनें एक उम्र के बाद पढ़ नहीं पाईं. घर वालों के पास इतने पैसे ही नहीं थे कि सभी बच्चों को पढ़ा सकें. जेन ने जो भी पढ़ा, पापा की लाइब्रेरी से पढ़ा. और ऐसा पढ़ा, कि खुद लिखने लग गईं. पापा का बड़ा सपोर्ट रहता था. बेटियों को लिखने के लिए महंगे कागज़ लाकर दिया करते थे.
ऑस्टेन जब 20 साल की थीं, उनके पड़ोसी के भतीजे टॉम से उन्हें प्यार हुआ. कसांड्रा को लिखी चिट्ठियों में जेन जिक्र भी करती हैं, किस तरह दोनों एक दूसरे को लेकर पगलाए रहते थे. लेकिन न जेन के परिवार के पैसे थे, न टॉम के. और शादी का मतलब तो बस अमीर घरों में रिश्ता जोड़ना था. इसलिए टॉम और जेन को घरवालों ने दूर कर दिया. और जेन ताउम्र कुंवारी रहीं. 
उनकी नॉवेल्स उनकी जिंदगी के बहुत करीब रहीं. प्राइड एंड प्रेज्यूडिस पढ़ी है? अबे वही वाली जिस पर ऐश्वर्या राय वाली फिल्म भी आई थी. ब्राइड एंड प्रेज्यूडिस के नाम से. लोगों ने इसे खूब पढ़ा. खूब सराहा. आज अगर आप उस किताब को पढ़ें, तो शायद बॉलीवुड रोमैंस जैसी लगे. पर उस दौर में किसी लड़की का शादी जैसे मुद्दों पर लिखना बड़ी बात थी. प्राइड एंड प्रेज्यूडिस में जेन ने लिखा है कि उससे ही शादी करो जिससे प्यार हो. इसलिए नहीं कि लड़का अमीर है. आने वाले उपन्यासकारों ने जेन से खूब प्रेरणा ली. और खूब फिल्में बनाईं. इसके अलावा इनके सबसे पढ़े जाने वाले नॉवेल्स रहे हैं: सेंस एंड सेंसिबिलिटी, मैन्सफील्ड पार्क और एमा.
जेन के जीवन पर ऐन हैथवे की एक बहुत सही पिक्चर भी है-- बिकमिंग जेन. न देखी हो, तो देख लो. और जेन के नॉवेल्स पर, या उससे इंस्पायर होते हुए 50 से भी ज्यादा फिल्में और टीवी सीरीज बनी हैं. अब आया समझ में कि हम इतना बड़ा आर्टिकल क्यों लिख गए.
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