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दिल्ली के लुटियंस जोन का वो बंगला, जिससे निकले दो-दो 'एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर'

लुटियंस जोन का हर बंगला कुछ कहता है.

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सांकेतिक तस्वीर. साभार-PTI
दिल्ली के लुटियंस जोन के बंगलों से जुड़े किस्से बड़े मजेदार हैं. एक से बढ़कर एक. कोई शख्स ऊंचा पद पाकर भी छोटे बंगले में ही जमा रहा, किसी ने अपने बंगले का मेन गेट ही हटवा दिया. कोई बंगला बन गया 'भुतहा', तो किसी बंगले से निकले दो-दो 'एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर'.
लुटियंस जोन में बंगलों की नंबरिंग ऑड और ईवन में होती है. मतलब रोड के एक तरफ 1, 3, 5, 7, 9.. नंबर के बंगले और दूसरी तरफ 2, 4, 6, 8... नंबर के बंगले. देखिए पूरा किस्सा.
किस-किस टाइप के बंगले
टाइप 8 बंगला
ये सबसे उच्च श्रेणी का माना जाता है. आमतौर पर यह तीन एकड़ (थोड़ा कम-ज्यादा भी) का होता है. टाइप 8 का मतलब, इन बंगलों की मुख्य बिल्डिंग में 8 कमरों (5 बेडरूम, 1 हॉल, 1 बड़ा डाइनिंग रूम और एक स्टडी रूम) का होना है. इसके अलावा कैम्पस में एक बैठकखाना और बैकसाइड (कैम्पस के अंदर ) में एक सर्वेन्ट क्वार्टर भी होता है. आम तौर पर टाइप 8 बंगला कैबिनेट मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, पूर्व प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति/उपराष्ट्रपति (अथवा इनके जीवित पत्नी/पति) और वरिष्ठतम नेताओं को आवंटित किया जाता है. टाइप 8 बंगले जनपथ, त्यागराज मार्ग, कृष्णमेनन मार्ग, अकबर रोड, सफदरजंग रोड, मोतीलाल नेहरू मार्ग और तुगलक रोड पर हैं.
7 लोधी इस्टेट के बंगले 4 बेडरुम के होते हैं. तस्वीर में किसी एक बंगले का मेन गेट नजर आ रहा है. साभार-PTI
7 लोधी इस्टेट के बंगले 4 बेडरूम के होते हैं. तस्वीर में किसी एक बंगले का मेन गेट नजर आ रहा है. साभार-PTI

टाइप 7 बंगला
इसके बाद टाइप 7 बंगला का नंबर आता है. इसका रकबा एक से डेढ़ एकड़ के बीच होता है. इसमें टाइप 8 बंगलों की तुलना में एक बेडरूम कम ( 4 बेडरूम) होता है. ऐसे बंगले अशोका रोड, लोधी इस्टेट, कुशक रोड, कैनिंग लेन, तुगलक लेन आदि में हैं. इस प्रकार के बंगले अक्सर राज्य मंत्रियों, दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीशों, कम से कम पांच मर्तबा सांसद रहे व्यक्तियों को आवंटित होता है. राहुल गांधी जिस तुगलक लेन के बंगले में रहते हैं, वह टाइप 7 ही है.
(टाइप 7 कैटेगरी के लोधी इस्टेट के 27 नंबर बंगला को अमर सिंह के कारण फाइव स्टार बंगला कहा जाता था. 2014 में मोदी सरकार बनने पर, क्योंकि तब अमर सिंह सांसद नहीं थे, कई नेताओं की इस बंगले पर नजर थी. लेकिन अंततः बाजी हाथ लगी राज्यमंत्री बने गिरिराज सिंह के. अब गिरिराज सिंह प्रमोशन पाकर कैबिनेट मंत्री बने हुए हैं, लेकिन तब भी वे बड़े बंगले में जाने की बजाए 27 लोधी इस्टेट में ही जमे हुए हैं.
कई बार कुछ बाध्यताओं, अंधविश्वासों या सादगी पसंद होने के कारण कई बड़े नेता और कैबिनेट मिनिस्टर भी छोटे बंगले में रहना पसंद करते हैं, जबकि कई बार राज्यमंत्री स्तर के लोग भी अपने जुगाड़ से टाइप 8 बंगला अलॉट करवा लेते हैं.
जॉर्ज ने अपने बंगले का गेट निकलवा दिया था
दिल्ली के 3 कृष्ण मेनन मार्ग के बंगले में जॉर्ज फर्नांडिस रहा करते थे. उनके ठीक पड़ोस में CJI का बंगला है. जॉर्ज के बंगले के ठीक सामने (2 कृष्ण मेनन मार्ग) तब के गृहमंत्री एसबी चव्हाण रहा करते थे. चूंकि जॉर्ज ने अपने बंगले का गेट निकलवा दिया था, इसलिए उस रोड पर रहने वाले सभी VVIPs को अपनी सुरक्षा का खतरा रहता था. इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास से साउथ ब्लॉक स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय तक जाने के लिए पीएम नरसिंह राव का काफिला भी उधर से ही गुजरता था. इसलिए कई बार सुरक्षा एजेंसियों ने जॉर्ज से अपना गेट लगवाने की अपील की, लेकिन जॉर्ज नहीं माने. अंततः एसपीजी को झख मारकर प्रधानमंत्री का रूट बदलना पड़ा था.
इन्दिरा गांधी बतौर प्रधानमंत्री जिस आवास (1 सफदरजंग रोड) में रहती थीं, उसमें कभी चीफ जस्टिस रहा करते थे. इसी बंगले में इंदिरा गांधी को गोली मारी गई थी.
लुटियंस जोन के एक बंगले की सांकेतिक तस्वीर. साभार-PTI
लुटियंस जोन के एक बंगले की तस्वीर. साभार-PTI

 6 रायसीना रोड का बंगला 
1996 में लोकसभा में विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी 6, रायसीना रोड के बंगले में रहा करते थे. जब वे 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने, तब इस बंगले पर गृहमंत्री मुरली मनोहर जोशी ने कब्जा जमाया. 13 दिन के कार्यकाल के बाद जब अटल जी के नाम के आगे पूर्व प्रधानमंत्री लग गया, तब वे 7, सफदरजंग रोड में शिफ्ट हो गए. फिर 1998 में दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद जब वे 7, RCR में गए, तब उनके सफदरजंग रोड के बंगले पर प्रमोद महाजन ने कब्जा जमाया. शायद दोनों (जोशी और महाजन) को उस समय अटल जी के बंगले से तरक्की की कोई संभावना नजर आई हो. महाजन जीवनभर इस बंगले में रहे.
सबसे ज्यादा बार सांसद रहे माननीय ने फ्लैट में रहना चुना
सबसे ज्यादा बार सांसद बनने का रिकॉर्ड कामरेड इन्द्रजीत गुप्त के नाम है. उन्होंने 11 लोकसभा चुनाव जीते. लेकिन वे हमेशा वेस्टर्न कोर्ट के एक छोटे से फ्लैट में ही रहे. 1996 में जब वे संयुक्त मोर्चा सरकार में देश के गृहमंत्री बने, तब सचिवालय के अधिकारी और कर्मचारी उनका सामान एक बड़े टाइप 8 बंगले में शिफ्ट करने के लिए ट्रक लेकर वेस्टर्न कोर्ट पहुंचे. जब उन्होंने यह नजारा देखा, तो उन्होंने बड़े बंगले में शिफ्ट होने से साफ इनकार कर दिया. बतौर गृहमंत्री भी वह उसी छोटे से फ्लैट में रहे.
भारतीय राजनीति में उनकी इतनी प्रतिष्ठा थी कि एक समय (कई लोकसभाओं के गठन के वक्त) 'प्रोटेम स्पीकर' का मतलब ही इन्द्रजीत गुप्त हो गया था. माना जाता है कि यह उनकी ही जिद थी कि अगर लालू यादव चारा घोटाले में आत्मसमर्पण नहीं करते, तो दानापुर कैंट से लालू की गिरफ्तारी के लिए सेना भेज दी जाए.
7 RCR का बंगला. तस्वरी साभार- PTI
7 RCR का एक बंगला. तस्वरी साभार- PTI

मोरारजी का बंगला, जिसमें इंदिरा गांधी रहती थीं
50, 60 और 70 के दशक में विभिन्न मंत्रालयों में मंत्री, उपप्रधानमंत्री और संगठन कांग्रेस के शीर्ष नेता के तौर पर मोरारजी देसाई 9 त्यागराज मार्ग के बंगले में रहते थे. जब वे प्रधानमंत्री बने, तब इन्दिरा गांधी सफदरजंग रोड वाला सरकारी आवास छोड़ ही नहीं रही थीं. खैर, इन्दिरा गांधी ने सफदरजंग रोड का बंगला खाली किया और मोरारजी देसाई उसमें शिफ्ट हुए. बाद में उनके त्यागराज मार्ग के बंगले में अलग-अलग समय पर हरिकिशोर सिंह और उमा भारती रहे. वर्तमान में यह NGT चीफ (राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के मुखिया, जो सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज होते हैं) को आवंटित कर दिया गया.
राजीव गांधी के समय से प्रधानमंत्री आवास रहे 7 RCR में काफी बाद में 1 RCR को भी जोड़ा गया. नरसिंह राव के जमाने में 1 RCR में मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह रहा करते थे. तब दिल्ली के मीडिया सर्कल के गलियारों में यह चटखारे लेकर कहा जाता था, 'अर्जुन सिंह के लिए अब सिर्फ दीवार फांदना बाकी रह गया है.'
'युवा तुर्क' चंद्रशेखर का बंगला
साउथ एवेन्यू लेन में एक छोटा-सा बंगला है- 3 साउथ एवेन्यू लेन. चंद्रशेखर यहां जीवनभर रहे. युवा तुर्क, पार्टी अध्यक्ष, प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री, सर्वश्रेष्ठ सांसद- उनकी पोजिशन कुछ भी रही हो, लेकिन उनका पता कभी नहीं बदला. उन्होंने भी कभी इन्द्रजीत गुप्त की तरह टाइप 8 बंगले की चाहत नहीं दिखाई. प्रधानमंत्री बनते ही उन्हें 7 RCR सुपुर्द कर दिया गया, लेकिन वे उसमें रहने कभी नहीं गए. वे भोंडसी आश्रम में ही रहना पसंद करते थे. साउथ ब्लॉक या 3 साउथ एवेन्यू लेन में अक्सर कैबिनेट या अन्य मीटिंग अटेंड कर लिया करते थे. इसी बंगले में जेपी के साथ उनकी चर्चित मीटिंग हुई थी, जिसमें लगभग 100 सांसदों के पहुंचने से हंगामा मच गया था.
इसी बंगले के सामने 1989 में राम जेठमलानी के साथ बदसलूकी हुई थी. साउथ एवेन्यू लेन में चंद्रशेखर के निकटतम पड़ोसी गुलाम नबी आजाद (5 साउथ एवेन्यू लेन) ने भी कभी बड़े बंगले की चाहत नहीं दिखाई.
10 जनपथ का बंगला. तस्वीर- PTI
10 जनपथ का बंगला. तस्वीर- PTI

10 जनपथ का 'भुतहा बंगला'
10 जनपथ के बंगले को कभी 'भूतहा बंगला' कहा जाता था, लेकिन एक समय (UPA सरकार के 10 वर्षों के दौरान) यह देश का सबसे महत्वपूर्ण पता हुआ करता था. इस बंगले में कभी इन्दिरा गांधी के ताकतवर प्रिंसिपल सेक्रेटरी एलके झा रहा करते थे. बाद में इसमें राजीव गांधी सरकार के विदेश राज्यमंत्री केके तिवारी (बक्सर वाले, जिन्हें सेंट किट्स कांड के षड्यंत्रकारियों में से एक माना जाता है) रहा करते थे. बाद में यह बंगला कांग्रेस मुख्यालय का हिस्सा बना दिया गया और कांग्रेस के यूथ विंग के दफ्तर को इसमें शिफ्ट कर दिया गया. 1989 में जब राजीव गांधी चुनाव हार गए, तब बतौर नेता प्रतिपक्ष वह इस बंगले में शिफ्ट हो गए.
मोतीलाल नेहरू मार्ग के एक बंगले को वास्तुविद बेहद शानदार बंगला मानते हैं. इस बंगले में रहने वाले दो लोग (नरसिंह राव और गुजराल) सीधे इस बंगले से निकलकर 'एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' बने हैं.