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ऐसे मुश्किल समय में किसी की मौत पर ताबूत उठाकर नाचते हुए ये लोग कौन हैं?

इनका वीडियो खूब वायरल हो रहा है.

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चकाचक सूट और जूतों में सजे हुए ये डांसर्स किसी की भी मौत पर विदाई देने के लिए किराए पर बुलाए जाते हैं. इनका डांस बेहद साधा हुआ होता है, और लोग रूमाल और हाथ हिलाते हुए मरने वाले को अलविदा कहते हैं. (तस्वीर: बीबीसी अफ्रीका/यूट्यूब)
एक मीम इन दिनों बहुत वायरल हो रहा है. इसमें एक ताबूत को कंधे पर लेकर नाचते हुए लोग दिखाई दे रहे हैं. लगभग सभी मीम्स वीडियो फॉर्मेट में हैं. और बैकग्राउंड में गाना बज रहा है. पहले आप वो वीडियो देख लीजिए, फिर आप फट से समझ जाएंगे कि हम किस मीम की बात कर रहे हैं. देख लिया? बेसिकली किसी भी ऐसी सिचुएशन में, जहां काम उल्टा पड़ जा रहा है, वहां पर ये मीम लगाकर दिखाया जा रहा है कि बेट्टा तुम तो गिये. एक्सीडेंट से पहले, गिरने-पड़ने से पहले. धमाके से पहले. इसे देख लिया, हंस लिए. लेकिन आखिर ये वीडियो है कहां से, जो लोग मीम में इस्तेमाल कर रहे हैं. और इसके साथ लोग नाच क्यों रहे हैं? इतने सूट-बूट में सज-धजकर वो भी? वीडियो में नज़र आ रहे ताबूत उठाने वाले लोग घाना के हैं. इनको डांसिंग पॉलबियरर्स (Dancing Pallbearers) कहा जाता है. पॉल (Pall) शब्द का मतलब होता है ताबूत, या फिर कफ़न का कपड़ा. बियरर्स का मतलब उठाने वले. तो ताबूत उठाने वाले हुए पॉलबियरर्स. इन लोगों को किराए पर बुलाया जाता है. पैसे देकर. आइडिया इसके पीछे ये है कि मृत व्यक्ति को धूमधाम से विदाई दी जाए. उनके घरवाले उनके आखिरी सफ़र को थोड़ा बेहतर बना सकें. ये सभी डांसर एक जैसे कपड़े और जूते पहनते हैं. इन पर BBC अफ्रीका ने स्टोरी की थी, जिसके फुटेज मीम्स में इस्तेमाल हो रहे हैं. इसके अलावा 2015 में एक वीडियो यूट्यूब पर अपलोड हुआ था. जिसमें इनका डांस दिखाया गया था. वीडियो पुराना है. लेकिन अचानक से बहुत पॉपुलर हुआ है. मीम बनने के बाद. इसमें बहुत बड़ा हाथ इसके बैकग्राउंड में चल रहे गाने का भी है. इस गाने का नाम है एस्ट्रोनोमिया. टोनी इगी और वाइसटोन नाम के आर्टिस्ट्स ने ये गाना बनाया है. 2010 में रिलीज हुआ था. पूरा गाना चाहें तो यहां देख सकते हैं. हाल में कोरोनावायरस के फैलते हुए केसेज को लेकर भी इस मीम का इस्तेमाल हुआ है. अधिकतर मीम्स ऐसा दिखाते हैं कि जैसे ही कोई छींकता है, वैसे ही इन नाचते हुए लोगों का वीडियो चलना शुरू हो जाता है. मतलब जैसा हमने आपको ऊपर बताया, ‘बेट्टा तू तो गियो’ वाली सेन्स में. इसे डार्क ह्यूमर की श्रेणी में रखा जाएगा. डार्क ह्यूमर के बहाने मौत एक डरावनी चीज है. दुख देने वाली. उसके अलावा और भी कई चीज़ें हैं. जिन पर बात करना टैबू हो सकता है. या किसी के लिए पीड़ा देने वाला हो सकता है. जैसे यहूदियों का नरसंहार. या गुलामी के काल में अश्वेत लोगों का रूई चुनना. इस तरह की बातें बेहद संवेदनशील मुद्दा हैं. फिर भी उसे हल्का-फुल्का करने के लिए जोक मारे जाते हैं. इसे ही ब्लैक कॉमेडी या डार्क ह्यूमर कहते हैं. मृत व्यक्ति को लेकर नाचते लोगों का इस्तेमाल हंसने- हंसाने के लिए करना भी एक तरह से डार्क ह्यूमर ही है. लेकिन पॉपुलर हो रहा है. इंडिया कनेक्शन भारत के भी कई हिस्सों में मरने वालों को धूमधाम से विदाई दी जाती है. नाचना-गाना भले न होता हो. लेकिन अगर मरने वाले की उम्र काफी होती है, तो ये मानते हैं कि वो एक भरपूर ज़िन्दगी जी कर गए. इसमें दुखी होने वाली कोई बात नहीं. ऐसे में मरने वाले की अर्थी को सज़ा-धजा कर बाजे-गाजे के साथ अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाता है. बिहार के कुछ हिस्सों में ऐसी अर्थी के नीचे से बच्चों को निकलने के लिए कहा जाता है. शव यात्रा में लोग पैसे लुटाते हैं. कई बार इन लुटाए हुए पैसों में छेद करके भी बच्चों को पहना देते हैं. ये सब इसलिए किया जाता है ताकि मरने वाले की तरह उनकी भी उम्र लम्बी हो, और वो भी एक भरपूर जीवन जिएं. मुश्किल हालत में हंसने-हंसाने वाला कॉन्टेंट थोड़ी राहत दे जाता है. ख़ास तौर पर जब हर तरफ ऐसी खबरें पढ़ने को मिल रही हों, जिनसे दिल बैठ जाए. अब डार्क ह्यूमर ही सही, लेकिन ये मीम्स लोगों के बीच बेहद पॉपुलर हो रहे हैं.
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