लोकसभा चुनाव 2024 के साथ ही आंध्र प्रदेश में विधानसभा के चुनाव भी हुए थे. वहां सत्ताधारी वाई एस आर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) को बुरी तरह शिकस्त मिली. सरकार बनी NDA गठबंधन में शामिल तेलुगु देशम पार्टी (TDP) की. आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव में NDA ने 175 में से 164 सीटें जीती हैं. इसमें चंद्रबाबू नायडू की TDP को 135, पवन कल्याण की जनसेना को 21 और भाजपा को 8 सीटें मिली हैं. 2019 से सत्ता का सुख भोग रही जगन मोहन रेड्डी की YSRCP पार्टी को केवल 11 सीटें मिलीं.
चुनावी रिश्ता तोड़ लेने के बाद भी जगन मोहन रेड्डी को क्यों नहीं भूल सकती BJP?
Andhra Pradesh की पार्टी YSRCP ने कहा है कि मोदी सरकार को ये बात ध्यान में रखनी चाहिए कि भविष्य में NDA को जगन मोहन रेड्डी की जरूरत भी पड़ेगी. आखिर YSRCP ने ऐसा क्यों कहा? क्या BJP को चंद्रबाबू नायडू के साथ-साथ उनके विरोधी जगन मोहन रेड्डी का भी ध्यान रखना पड़ेगा? इसके पीछे का गणित क्या है?

राज्य की 25 लोकसभा सीटों में से NDA ने 21 सीटों पर जीत दर्ज की. इनमें TDP ने 16, भाजपा ने 3 और जनसेना पार्टी ने 2 सीटें जीतीं. जबकि YSRCP को 4 सीटें मिलीं. लोकसभा चुनाव के नतीजों में NDA गठबंधन में TDP दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है, उसकी वजह से नरेंद्र मोदी की इस बार सरकार बनी है. ये भी साफ़ है कि मोदी सरकार अगर चलनी है तो उसे TDP को साथ रखना ही होगा. लेकिन, हाल ही में TDP की धुर विरोधी पार्टी YSRCP का एक बयान आया. बयान में मोदी सरकार के नाम एक संदेश था.

YSRCP के राज्यसभा सांसद वी विजयसाई रेड्डी ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इसमें उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को ये बात ध्यान में रखनी चाहिए कि हमारी भी पार्टी के पास 15 सांसद हैं. 11 राज्य सभा के और 4 लोकसभा के. भविष्य में BJP को हमारी भी जरूरत पड़ेगी. NDA को कोई भी बिल राज्य सभा में पास करवाने के लिए YSRCP के सांसदों का समर्थन चाहिए होगा.
YSRCP ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है. इनमें कहा गया है कि BJP के बाद NDA में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी TDP ने हालिया चुनाव के दौरान आंध्र प्रदेश में कई जगह हिंसा की. इस मामले पर सरकार को ध्यान देना चाहिए. पत्र में लिखा है, 'BJP को हमारी इस कंप्लेन पर ध्यान देना होगा, क्योंकि हमारे सांसदों की संख्या TDP की संख्या से सिर्फ एक कम है.'
YSRCP के प्रमुख और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने भी 14 जून को कुछ ऐसे ही बात बोली. उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं की एक मीटिंग में कहा कि उनकी पार्टी राज्य और राष्ट्र के हितों को ध्यान में रखते हुए मुद्दों के हिसाब से राज्य सभा और लोकसभा में किसी भी पक्ष को समर्थन देगी. जगन ने भी NDA गठबंधन को याद दिलाया कि उनकी पार्टी के संसद में 15 सांसद हैं और इस लिहाज से केंद्र की राजनीति में वो अभी भी मजबूत स्थिति में है.
क्या BJP को जगन के पीछे दौड़ना पड़ेगा?BJP के लिहाज से देखें तो लोकसभा में स्थिति अभी उसके माकूल है. उसके नेतृत्व वाले NDA गठबंधन के पास निचले सदन में कुल 543 में से 293 सीटें हैं. वहीं विपक्षी INDIA गठबंधन के पास 234 सीटें हैं. लेकिन संसद के ऊपरी सदन राज्य सभा में मोदी सरकार का मामला थोड़ा डांवाडोल है. यानी NDA के पास यहां बहुमत नहीं है.
राज्य सभा में आंकड़ों की बात करें तो कुल 245 सदस्यों वाले सदन में बहुमत के लिए किसी भी पार्टी के पास 123 सदस्यों का समर्थन होना चाहिए. राज्यसभा में INDIA गठबंधन के मौजूदा सांसदों की संख्या 80 है. इन 80 सांसदों में 26 सांसद कांग्रेस पार्टी के हैं और तृणमूल कांग्रेस के 13 सदस्य हैं. आम आदमी पार्टी और डीएमके के राज्यसभा सांसदों की संख्या 10-10 है. इसी तरह मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के 5-5 सदस्य हैं. ये सभी INDIA का हिस्सा हैं.

NDA की बात करें तो इस समय राज्य सभा में उसके सांसद 117 हैं. वहीं राज्य सभा में कुल 33 सांसद ऐसे भी हैं जो न तो NDA के समर्थन में हैं और ना ही INDIA के. इनमें बीजू जनता दल (BJD) के नौ और YSRCP के 11 सांसद भी शामिल हैं. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो BJD को अभी-अभी BJP ने उड़ीसा में बुरी तरह हराया है, दोनों अब राज्य में धुर विरोधी हैं. यानी कहानी कुछ ऐसी बन गई है कि अब NDA को राज्य सभा में BJD का समर्थन मिलना मुश्किल है. ऐसे में उसे जगन मोहन रेड्डी के समर्थन की जरूरत पड़ेगी.
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होतीआंकड़े देखें तो NDA गठबंधन राज्य सभा में महज छह सीटों से बहुमत से पीछे है. माना जा रहा है कि ये कमी भी जल्द पूरी हो जाएगी. इसकी वजह जल्द होने वाला राज्य सभा का उप चुनाव है. राज्य सभा की 10 सीटों पर ये चुनाव होंगे. ये सीटें 10 राज्य सभा सदस्यों के हाल ही में लोकसभा चुनाव जीतने से खाली हुई हैं. माना जा रहा है कि BJP इनमें से 6 सीटें जीत लेगी. इसके बाद राज्य सभा में 5 और सदस्य भी आने हैं, जिन्हें नॉमिनेट किया जाएगा, यानी कुछ समय बाद बहुमत का आंकड़ा NDA गठबंधन के पास होगा. लेकिन अगर YSRCP का साथ रहा तो NDA और मजबूत होगा. वो किसी भी बिल के पास होने लेकर ज्यादा आश्वस्त रहेगा.
ये भी पढ़ें:- मोहन भागवत के कड़े शब्द, क्या BJP और RSS के बीच सब ठीक चल रहा है?
YSRCP ने मोदी गवर्नमेंट का खूब साथ दिया!बीते पांच सालों के दौरान कई बार ऐसे मौके आए जब जगन मोहन रेड्डी की पार्टी YSRCP ने NDA गठबंधन का कंधा ऊपरी सदन में मजबूत किया. 2019 में कश्मीर से धारा-370 हटाने पर आए बिल पर YSRCP ने मोदी गवर्नमेंट का खुला सपोर्ट किया. नागरिकता संशोधन बिल (CAA) पर भी BJP को YSRCP का साथ मिला. विवादों में रहे कृषि कानूनों को भी जगन की पार्टी ने सपोर्ट दिया था. पिछले राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में भी YSRCP के सांसद NDA के साथ खड़े दिखे थे. दिल्ली सर्विस बिल, जिसका INDIA गठबंधन ने पुरजोर विरोध किया था, उसे लेकर भी जगन मोहन रेड्डी ने NDA का साथ दिया था.
वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: ये मांग मानेंगे पीएम मोदी? नायडू ने मांगी बड़ी चीज, नीतीश के नेता UCC, Agniveer पर क्या बोले?