आज है 04 दिसंबर. ये तारीख़ जुड़ी है एक ताजपोशी से. तीन साल के बच्चे की ताजपोशी. जो आठ साल का हुआ, तो उसकी मां को ज़हर देकर मार डाला गया. वो बच्चा देश का राजा था, लेकिन उसे भरपेट खाना तक नहीं मिलता था. जब वो सोचने-समझने लायक हुआ, तब उसने ऐसा तांडव मचाया कि उसके नाम में हमेशा के लिए ‘टेरिबल’ (खौफ़नाक) शब्द जुड़ गया.ये कहानी है इवान वासिलियेविच चतुर्थ. उसे दुनिया ‘इवान द टेरिबल’ के नाम से भी जानती है. उसके पिता का नाम था वासिली तृतीय. वो मॉस्को के राजा थे. वंश का नाम था रुरिक. ये कौन थे? ये जानने के लिए हमें थोड़ा पीछे जाना होगा.

वासिली तृतीय.
ऐसे बना रूस
डेनमार्क, स्वीडन और नॉर्वे. ये तीनों देश मिलकर स्कैंडिनेविया कहलाते हैं. आठवीं सदी की बात है. यहां के राजाओं ने एक मिलिटरी कैंपेन शुरू किया. वे नदियों के किनारे चलते थे. वहां बसी बस्तियों में लूटपाट मचाते हुए आगे बढ़ते जाते थे. इन राजाओं को पश्चिम में ‘वाइकिंग्स’ कहा जाता था. जबकि पूरब में आकर ये ‘वारंगियन’ कहलाए.
उस दौरान रूस अलग-अलग कबीलों में बिखरा हुआ था. जब वारंगियन वहां पहुंचे, तब कबीलों ने राजकुमार रुरिक से एक गुज़ारिश की. वे बोले,
‘आपकी ताक़त के सामने हम नहीं टिक सकते. हम आपकी अधीनता स्वीकार करते हैं. आप इन बिखरे कबीलों को एक कर दीजिए’.राजकुमार रुरिक ने बात मान ली. 862 ईस्वी में रुरिक वंश की स्थापना हुई. यहां रहनेवालों को ‘रुस’ का नाम मिला. इसी के आधार पर देश का नाम ‘रूस’ पड़ा.
राजा, जिसे भरपेट खाना तक नहीं मिलता था
ये तो हुआ रुरिक वंश का इंट्रो. अब अपनी कहानी पर लौटते हैं. वासिली तृतीय का शासन बड़ा मज़बूत था. अंदर से भी और बाहर भी. उन्होंने अपने पिता इवान द ग्रेट के परचम को कायम रखा था. लेकिन फिर एक अनहोनी हुई. एक दिन शिकार खेलते समय उनकी जांघ में दर्द शुरू हुआ. इसका इलाज नहीं हो सका. 3 दिसंबर, 1533 को उनकी मौत हो गई.

इवान द टेरिबल.
उस समय इवान चतुर्थ की उम्र थी, मात्र तीन साल. 4 दिसंबर को उसको अपने पिता की गद्दी पर बिठा दिया गया. इवान चतुर्थ मॉस्को का राजा बन गया. उसकी उम्र कम थी, इसलिए उसकी मां ‘ग्लिंसकाया’ ने उसके नाम से शासन चलाया. लेकिन पांच बरस बाद ही मां का साया भी उठ गया. कहा जाता है कि कुलीनों ने साज़िश के तहत, ज़हर खिलाकर उसकी मां को मारा था. उसने ये घटना याद रखी थी और आगे चलकर इसका बदला भी लिया.
रूस का पहला ज़ार
मां की मौत के बाद उसका जीना और मुहाल हो गया था. जिन लोगों को इवान चतुर्थ की देख-रेख में रखा गया था, वो उसे भरपेट खाना तक नहीं देते थे. उसे मारा-पीटा भी जाता था. दुत्कार की तो आदत पड़ गई थी. ये सब एक राजा के साथ हो रहा था. इस वजह से इवान चतुर्थ उखड़ गया. वो गुस्सैल हो गया. उसका मूड अचानक बदल जाता था. इसका नतीजा बाद में पूरे रूस को भुगतना पड़ा.
फिर 1547 का साल आया. मॉस्को में ज़ारशाही की स्थापना हुई. इवान चतुर्थ पहला ज़ार बना. ये शब्द लैटिन भाषा के ‘सीजर’ से लिया गया था. जिसका मतलब होता है ‘सम्राट’. ज़ारशाही रूस में 1917 की बोल्शेविक क्रांति तक कायम रही.
ज़ारशाही तो अगले 370 सालों तक कायम रही. लेकिन रुरिक वंश नहीं. वहां पतन की शुरुआत हो चुकी थी. वजह, इवान चतुर्थ का गुस्सा.