The Lallantop

कालीन से निकली मिस्र की सबसे ताकतवार रानी, जिस पर सीरीज बनी तो बवाल कट गया

नेटफ्लिक्स पर 'क्वीन क्लियोपेट्रा' नाम की सीरीज आने वाली है. ये मिस्र की रानी क्लियोपेट्रा की कहानी पर बनाई गई है. लेकिन रिलीज से पहले ही सीरीज पर विवाद हो गया है.

Advertisement
post-main-image
क्लियोपेट्रा की कहानी इतनी पुरानी है कि इसके कई हिस्से मिथक बन चुके हैं(तस्वीर- Queen Cleopatra के ट्रेलर से स्क्रीनशॉट/Wikimedia Commons)

नेटफ्लिक्स पर 10 मई को 'क्वीन क्लियोपेट्रा' नाम की एक सीरीज आने वाली है (Queen Cleopatra Series Controversy). ये मिस्र की रानी क्लियोपेट्रा की कहानी पर बनाई गई है. लेकिन रिलीज से पहले ही सीरीज पर विवाद शुरू हो गया है. गुरुवार, 27 अप्रैल को मिस्र के पुरावशेष मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि क्लियोपेट्रा गोरी थीं. हालांकि सीरीज में क्लियोपेट्रा के किरदार को ब्लैक अफ्रीकी के रूप में दिखाया गया है.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

इससे पहले मिस्र के एक वकील मोहम्मद अल सेमारी ने नेटफ्लिक्स पर मुकदमा दायर किया था. दलील है कि ये सीरीज मिस्र की पहचान को खत्म करने का एक षड्यंत्र है. सीरीज बनाने वालों पर इतिहास को बदलने के आरोप लग रहे हैं. इससे जुड़ी एक ऑनलाइन याचिका में 40 हजार से ज्यादा साइन हो चुके हैं. सीरीज को बैन करने की मांग की जा रही है.

जानते हैं मिस्र के इतिहास के सबसे ताकतवर शासकों में से एक क्लियोपेट्रा की कहानी के बारे में...

Advertisement

हरकारा संदेश लेकर दौड़ा चला आ रहा है. ‘मिस्र की रानी को रोम के राजा का सलाम’. रोम यानी संसार का सबसे ताकतवर राज्य. रोम का सम्राट चाहे तो क्या नहीं दे सकता. लेकिन जिस रानी के नाम ये संदेश है. उसमें अब किसी राज की चाह नहीं बची है. राजशी पोशाक में तैयार होकर रानी कमरे में दाखिल होती है. एक नज़र अपने मुलाज़िम को देखती है. मुलाज़िम की नज़र कहीं और है. पास में एक सांप रेंग रहा है. रानी उसे फन से पकड़ लेती है. और उसके दांत अपने स्तन में गड़ा देती है. (death of Cleopatra) उसके अंतिम शब्द क्या थे, पता नहीं. लेकिन शेक्सपियर अपने एक नाटक में उसके मुंह से कहलवाते हैं,

“मेरा लबादा लेकर आओ, ताज को सर पर रख दो. मुझमें असीम हसरतें भरी हैं. लेकिन अब नहीं. मिस्र के अंगूर अब मेरे होंठों को गीला नहीं करेंगे”.

ये अंत था उस रानी का, जिसे दुनिया की सबसे सुन्दर स्त्री माना जाता है. जिसके बारे में मिथक चलते हैं कि वो 700 गधों के दूध से नहाती थी. मिस्र की अंतिम फैरोआ, जिसने 21 साल तक मिस्र पर शासन किया. क्लियोपेट्रा. (Cleopatra)

Advertisement
Cleopatra
क्लियोपेट्रा को 9 भाषाओं का ज्ञान था और वह एक चतुर नेता थीं (तस्वीर- pixabay)

सिकंदर का शहर 

आगे काफी अजीब-अजीब नाम आएंगे. इसलिए मामले को आसान बनाने के लिए थोड़ा इस कहानी के पात्रों और थिएटर को समझ लेते हैं. रोमन साम्राज्य का नाम तो आपने सुना होगा. ईसा से दो सदी पूर्व रोम गणतंत्र हुआ करता था. इस दौर में यहां कई गृहयुद्ध हुए. युद्धों के बाद जो सबसे बड़ा नाम उभरा, वो था जूलियस सीजर(Julius Caesar) का. जैसा कि शेक्सपियर के नाटक में दर्ज है. सीजर की हत्या हुई. सीजर के बाद रोम में दो नामों का जलवा रहा. मार्क एंटनी और ऑक्टेवियन सीजर. रोम के बाद अब थोड़ा पड़ोस में चलिए. यहां एक और राज्य था. नील नदी का वरदान- मिस्र. अंग्रेज़ी में कहें तो ईजिप्ट.

मिस्र रोम का वसाल स्टेट था. नील नदी के कारण यहां खूब धन धान्य पैदा होता था. और इसका एक बड़ा हिस्सा रोम के पास जाता था. टैक्स के रूप में. मिस्र की राजधानी थी, अलेक्सेंड्रिया. इस शहर की स्थापना सिकंदर ने की थी. सिंकंदर की सेना में एक जनरल हुआ करते थे, टॉलेमी.  सिकंदर के बाद उन्हें मिस्र का शासक बनाया गया. बाद में ये लोग फैरोआ कहलाए.

इतना जान लेने के बाद आप लगभग सारे मुख्य किरदारों के रूबरू हो जाते हैं. सिवाए एक के. क्लियोपेट्रा, जो इस कहानी की मुख्य नायिका है. क्लियोपेट्रा का जन्म ईसा मसीह के जन्म से 70 साल पहले हुआ था. चूंकि बात ईसा पूर्व की हो रही है, इसलिए नोट करिएगा. हमारे लिए ईसा पूर्व 50 साल ईसा पूर्व 70 साल से ज्यादा नजदीक है. एक और नजदीकी का खयाल रखिएगा. ये वो दौर था जब भाई-बहन की शादी करवा दी जाती थी. क्लियोपेट्रा के साथ भी ऐसा ही हुआ. उसकी शादी उसके भाई के साथ करा दी गई. अपने पिता की तरह जिसका नाम भी टॉलेमी था. दोनों साथ मिलकर राज चलाने लगे.

कालीन से निकली मलिका 

कुछ लोगों को 21 वीं सदी में ये बर्दाश्त नहीं कि एक महिला शासन चलाए, तो तब के हाल का अंदाज़ा आप लगा सकते हैं. क्लियोपेट्रा हालांकि कोई आम लड़की नहीं थी. अलेक्सेंड्रिया में तब दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी हुआ करती थी. इसी में उसका पूरा जीवन बीता. उसने 9 भाषाएं सीखीं और प्लेटो, सुकरात जैसे महान दार्शनिकों को पढ़ा. नतीजा हुआ कि क्लियोपेट्रा के पति को उससे ख़तरा महसूस होने लगा. क्लियोपेट्रा को देश निकाला दे दिया गया.

Julius Caesar
जूलियस सीजर की हत्या (तस्वीर- wikimedia commons)

क्लियोपेट्रा के जाने से टॉलेमी का रास्ता साफ़ हो चुका था. हालांकि बेचारे की किस्मत ऐसी कि जल्द ही उसके सामने एक बहुत बड़ा संकट आ खड़ा हुआ. रोम में वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी. आमने-सामने थे, जूलियस सीजर और पॉम्पे. पॉम्पे की हालत ख़राब हुई तो वो मिस्र जा पहुंचा. सीजर के दुश्मन टॉलेमी के घर में. टॉलेमी को लगा, अब शामत आ गई. वो सीजर की नाराजगी मोल लेने का खतरा नहीं उठा सकता था. इसलिए उसने पॉम्पे को पास बुलाकर मरवा डाला. पॉम्पे का कटा सिर उसने सीजर के पास भिजवाया. उसे लगा सीजर खुश होगा. लेकिन इस क्रूरता से उल्टा सीजर नाराज हो गया. क्लियोपेट्रा दूर बैठी ये सब देख रही थी. उसे लगा अपना हक़ हासिल करने का इससे बढ़िया मौका नहीं मिलेगा. वो सीधे सीजर से मिलने पहुंची. नजारा देखिए.

सीजर अपने दरबार में बैठा है. बाहर खड़े हैं दरबान. दरबान के पास आता है एक कालीनवाला. कहता है, दुनिया के सबसे महान जनरल के लिए मैंने एक कालीन बनवाया है. दरबान कहते हैं दिखाओ. कालीनवाला इंकार कर देता है. कालीन सिर्फ सीजर के सामने खुलेगा. दरबान तैयार हो जाते हैं. सीजर के आगे कालीन बिछाया गया तो पता चला अंदर कुछ और भी था. जो कालीन से भी बेशकीमती था. अंदर क्लियोपेट्रा छुपी हई थी. ये उसकी सीजर तक पहुंचने की तरकीब थी. जो कामयाब हो गई थी.

'इट टू ब्रूटस' 

सीजर पहली ही नजर में क्लियोपेट्रा को दिल दे बैठा. ऐसे प्रसंगों के कारण ही ये मिथक बना कि ‘क्लियोपेट्रा दुनिया की सबसे सुन्दर औरत है’. हालांकि रोमन इतिहासकारों की राय इससे जुदा है. उस दौर के लेखक प्लूटार्क के अनुसार क्लियोपेट्रा दिखने में सामान्य थी. लेकिन हां, उसकी आवाज में कुछ ऐसा जादू था कि लोग उसके मुरीद हो जाते थे. इसके अलावा पढ़ी लिखी तो वो थी ही. विद्वान लड़की से कौन इम्प्रेस न होता. सीजर तो ऐसा मुरीद हुआ कि सेना लेकर मिस्र पहुंच गया. और टॉलेमी को हटाकर क्लियोपेट्रा को मिस्र का फैरोआ बना दिया. सीजर के रोम लौटने के कुछ वक्त बाद क्लियोपेट्रा ने एक औलाद को जन्म दिया. उसे नाम दिया, सीजेरियॉन. बताना जरूरी नहीं कि ये किसकी औलाद थी. सीजर और क्लियोपेट्रा की लव स्टोरी लम्बी चली. हालांकि सीजर ने उससे शादी नहीं की. कारण- रोम के लोग बाहर की लड़की से शादी नहीं करते थे. इसके बाद भी सीजर ने अपने प्यार का इजहार करते हुए क्लियोपेट्रा के नाम पर एक मंदिर बनाया. सोने की बनी क्लियोपेट्रा की एक आदमकद मूर्ति इस मंदिर में लगाई गई.

Cleopatra
मार्क एंटनी के पास जाती  क्लियोपेट्रा (तस्वीर- wikimedia commons)

सब कुछ बढ़िया चल रहा था. फिर ईसा से 44 साल पहले कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे रोम को हिलाकर रख दिया. ब्रूटस का धोखा. सीजर की हत्या. इस घटनाक्रम से आप परिचित होंगे. नहीं हैं तो तारीख में पहले हम ये कहानी सुना चुके हैं. लिंक आपको डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा. सीजर की हत्या से एक और सिविल वॉर शुरू हो गया. इस युद्ध में दो पाले थे. एक तरफ से सीजर के दुश्मन और एक तरफ उसके दोस्त. दोस्तों में दो नाम प्रमुख थे, मार्क एंटनी (Mark Antony) और ऑक्टेवियन (Octavian) सीजर. दोनों ने युद्ध जीता और रोम को आधा-आधा बांट लिया. शांति कायम हुई. लेकिन ज्यादा दिन तक टिकी नहीं. ऑक्टेवियन खुद को सीजर का उत्तराधिकारी मानता था. चाहता था वो पूरे रोम का राजा बने. उसकी महत्कांक्षा से उसके और एंटनी के बीच तनाव पैदा हुआ. और रोम पर एक बाद फिर युद्ध के काले बादल मंडराने लगे. इन काले बादलों की छाया से मिस्र भी दूर नहीं था. क्लियोपेट्रा के लिए अब जरूरी था कि वो एंटनी या ऑक्टेवियन में से किसी एक का पाला चुने.

उसने एंटनी को चुना. मिस्र की खूबसूरत रानी और एक रोमन जनरल आमने-सामने आए. इतिहास एक बार फिर खुद को दोहरा रहा था. नाव में सवार होकर क्लियोपेट्रा एंटनी से मिलने पहुंची. नाव भी ऐसी-वैसी नहीं, सोने की. उसके अलग-बगल चल रहे सेवक क्यूपिड का वेश धरे हुए थे. क्यूपिड यानी कामदेव. जो प्रेम का बाण लिए चलता है. ये बाण उस रोज़ बिलकुल निशाने पर लगा. एंटनी क्लियोपेट्रा के प्रेम में घायल हो गया. इस कदर कि उसने अपनी पत्नी को भी त्याग दिया. और क्लियोपेट्रा के साथ अलेक्सेंड्रिया चला गया. यहां रहते हुए उसने रोम के दुश्मनों के खिलाफ कई युद्ध लड़े और हर लड़ाई में क्लियोपेट्रा ने उसका साथ दिया. धन से भी और बल से भी. इन युद्धों में कई बार उसे जीत मिली लेकिन एक हार ने उसका काम बिगाड़ दिया. 

क्लियोपेट्रा भारत आने वाली थी? 

हुआ ये कि एक हमले के दौरान एंटनी दुश्मन की सीमा में काफी अंदर घुस आया. पीछे सप्लाई लाइन यानी रसद पहुंचाने वाली लाइन कमजोर हो गई. दुश्मन के जोरदार हमले के चलते एंटनी को सेना समेत पीछे हटना पड़ा. एंटनी के लिए ये हार शर्मिंदगी से भरी थी. और जल्द ही उसको इस हार का एक बड़ा खामियाज़ा भी भुगतना पड़ा. रोम में ऑक्टेवियन ने एंटनी के खिलाफ प्रोपोगेंडा चलाया, ‘महान एंटनी अब कमजोर हो चला है. वो रोम की रक्षा नहीं कर सकता”. उसने ऐसी बातें फैलाई कि विदेशी औरत के चक्कर में एंटनी ने रोम को ताक पर रख दिया है. विदेशी औरत यानी क्लियोपेट्रा. एंटनी ने सुलह की कोशिश की. लेकिन ऑक्टेवियन हरगिज़ राजी न था. मौका देखकर उसने मिस्र पर हमला कर दिया. ईसा से 31 साल पहले एंटनी और ऑक्टेवियन के बीच एक भयंकर जंग शुरू हुई.

लड़ाई बराबर की होती लेकिन फिर एंटनी के जनरल, जो रोमन पहचान रखते थे, बगावत पर आ गए. बगावत का कारण थी, क्लियोपेट्रा. उनके गुस्से का एक कारण ये भी था कि एंटनी ने अपनी पहली पत्नी को छोड़ दिया है. बीच जंग में वो जाकर ऑक्टेवियन से मिल गए. एंटनी कमजोर हो चुका था. हालांकि क्लियोपेट्रा उसके साथ थी. दोनों की सेनाएं पानी के जहाजों में सवार होकर जंग में उतर गई. वही हुआ जो होना था. एंटनी की हार हुई. यहां पर एक दिलचस्प ट्रिविया ये भी जानिए कि इस हार के बाद एंटनी और क्लियोपेट्रा ने भारत भागने का प्लान बनाया था. लेकिन उनके जहाजों को जला दिया गया. और ये प्लान फेल हो गया. ये जानकारी हमें पीपल ट्री नाम की वेबसाइट में अक्षय चव्हाण के लेख से मिली है. अक्षय लिखते हैं,  

“उस दौर में दक्षिण भारत के बड़े हिस्से में सातवाहन वंश का राज था. उनके रोम से बड़े अच्छे ट्रेड रिश्ते थे. रोमन इतिहासकार प्लिनी द एल्डर ने एक जगह भारत को “दुनिया का सोने का भंडार” लिखा है."

Cleopatra and Octavian
क्लियोपेट्रा मिस्र पर शासन करने वाली अंतिम फैरोआ थीं (तस्वीर- wikimedia commons)

अंतिम फैरोआ की मौत 

जंग में जीत के साथ ही ऑक्टेवियन मिस्र में दाखिल हुआ. एंटनी ने गुलामी की जिंदगी जीने से मौत को चुनना बेहतर समझा. वहीं क्लियोपेट्रा को कैद में डाल दिया गया. क्लियोपेट्रा के प्रेमी की मौत हो चुकी थी. उसे अंदेशा था कि ऑक्टेवियन उसे रोम भेज देगा. और वहां सड़कों पर उसकी परेड कराई जाएगी. इस जिल्लत से बेहतर था कि मौत को गले लगा ले. उसने यही तय किया. एक रोज़ मौका पाकर उसने अपने कमरे में कुछ अंजीर मंगवाए. अंजीर के बर्तन में सांप छुपाए हुए थे. कहते हैं क्लियोपेट्रा ने सांप से खुद को कटवाकर अपनी जान ले ली. हालांकि ये बात कितनी प्रामाणिक है, इसका पक्का पता नहीं लेकिन इतना तय है कि उसकी मौत किसी ज़हर से हुई थी.

क्लियोपेट्रा सिर्फ 39 साल तक जिन्दा रही. उसने 21 साल तक मिस्त्र पर राज किया. इस दौरान मिस्र खूब फैला फूला. कोई दुश्मन उस पर आक्रमण नहीं कर पाया. यहां तक कि अकाल और बाढ़ के वक्त भी मिस्र की जनता को किसी चीज की कमी नहीं हुई. इसके बावजूद क्लियोपेट्रा का जिक्र आता है तो बात होती है उसकी खूबसूरती की. या फिर एक चालाक औरत के रूप में उसका बखान किया जाता है. जिसने सत्ता पाने के लिए दूसरे मर्दों को रिझाया और अपने भाइयों को मरवा डाला.

यही कहानी एक राजा की होती और होती क्या, अधिकतर राजाओं की कहानियां इसी से मिलती -जुलती हैं, लेकिन उन्हें महा प्रतापी राजा बताया जाता है. उनकी कीर्ति के चर्चे होते हैं. क्या करें हिपोक्रेसी की सीमा होती है. लेकिन जहालत की कोई सीमा नहीं होती.

वीडियो: तारीख़: फ़र्ज़ी बाबाओं की पोल खोलने वाला सबसे बड़ा जादूगर कौन था?

Advertisement