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आज रात नजर आएगा 'अलग तरह का चांद', पूरा साइंस हमसे समझ लीजिए!

Super Blue Moon: हम जानते हैं चांद, हमारी धरती का चक्कर एक अंडाकर पथ पर लगाता है. ऐसे में जाहिर सी बात है, कभी ये दूर होता है और कभी पास. इसी से Super moon का मामला जुड़ा है. पर ये Blue moon का क्या चक्कर है?

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पिछले साल सुपर ब्लू मून के दौरान ली गई तस्वीर (Credit: AP)

एक अंग्रेजी मुहावरा है, ‘Once in a blue moon’. माने जो चीज कभी-कभार हो, रेयर हो या दुर्लभ हो. जैसे उधार लेने के बाद कोई दोस्त बिन मांगे पैसा लौटा दे. खैर, अब ऐसा ही एक दुर्लभ चांद, आज, 19 अगस्त की रात देखा जा सकेगा. चांद, जो 'सुपरमून' भी है और 'ब्लू' भी. दोनों मिलाकर सुपर ब्लू मून है (Super Blue Moon). अब इस एक ‘नीले’ चांद के साथ दो सवाल आते हैं- पहला, ये ‘सुपरमून’ (Super Moon) क्या है? दूसरा ये ‘ब्लू मून’(Blue Moon) क्या बला है? समझते हैं.

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अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक, 19 अगस्त  सोमवार और मंगलवार के बीच की रात को यह अनोखा चांद देखा जा सकेगा. यह चांद करीब तीन दिनों तक पूरा सा लगेगा. जो कि ‘Super moon’ होगा. यह शब्द एस्ट्रोलॉजर रिचर्ड नोल्ले (astrologer Richard Nolle) ने साल 1979 में सुझाया था.

हम जानते हैं कि चांद, हमारी धरती का चक्कर एक अंडाकर पथ पर लगाता है. ऐसे में जाहिर सी बात है, कभी ये दूर होता है और कभी पास. इसी से Super moon का मामला जुड़ा है.

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दरअसल यह वो चांद होता है, जो आम दिनों के मुकाबले धरती के ज्यादा पास होता है. पास है तो साल के बाकी दिनों के मुकाबले, या कहें रातों के मुकाबले, इस रात का चांद ज्यादा बड़ा और चमकीला भी लगता है. जब सुपरमून बनता है, तो आम दिनों के मुकाबले चांद 14 फीदसी ज्यादा बड़ा दिख सकता है.

ब्लू मून का चांद नीला होता है?

पहले बता के सस्पेंस खत्म कर देते हैं कि ये वाला चांद नीला नहीं दिखाई देगा. अंग्रेजी में 'ब्लू मून' शब्द के इस्तेमाल का पहला रिकार्ड साल 1528 में मिलता है. अब ये शब्द निकला कहां से? इस पर भी कई कयास लगाए जाते हैं.

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बताया जाता है कि इसकी शुरुआत एक पुराने अंग्रेजी मुहावरे से हुई, जो था ‘बिट्रेयर मून’ (betrayer Moon). हिंदी में अनुवाद करें तो ‘धोखेबाज चांद.’ काहे कि इस चांद की वजह से ईसाइयों के ईस्टर त्यौहार की डेट फिक्स करने में गलती हो जाया करती थी. एक और कयास है कि कभी धूल की वजह से किसी रात चांद नीला सा लगा होगा, तब इसका ये नाम रख दिया गया होगा.

बहरहाल, वजह जो भी हो नासा की मानें तो 1940 के दशक के बाद से, जब कभी कभार एक ही महीने में दो बार पूरा चांद होता है, तो इसे भी ‘ब्लू मून’ कहा जाता है. दरअसल, चांद का साइकल पूरा होता है 29.5 दिन में. तो कभी जब महीने के एकदम शुरुआत में पूरा चांद हो और फिर से उसी महीने के आखिर में पूरा चांद दिख जाए, तो इसे ब्लू मून कहते हैं.

आमतौर पर यह हर दो या तीन साल में हो सकता है. वहीं पिछले साल 30-31 अगस्त के बीच की रात को भी सुपर ब्लू मून था. जब एक ही महीने में दो बार पूरा चांद दिखा था.

लेकिन ये आज वाला ब्लू मून तो एक ही महीने का दूसरा पूरा चांद नहीं है. तो फिर ये कैसे ब्लू मून? दरअसल ये सीजनल ब्लू मून है. मामला ये है कि जब एक ही सीजन में चार पूरे चांद हों, तब तीसरे पूरे चांद को ब्लू मून कहा जाता है. 

कुल मिलाकर कहें तो आमतौर पर जितनी बार पूरा चांद रहता है, उसके इतर अगर पूरा चांद नजर आए, तो इसे ब्लू मून की संज्ञा दी जाती है. 

और जब सुपर मून और ब्लू मून का संगम एक ही रोज़ हो तो इसे सुपर ब्लू मून कह देते हैं.

वैसे जितनी बार पूरा चांद होता है, उसमें 25 फीसद सुपर मून हो सकते हैं. पर सिर्फ 4 फीसद पूरे चांद ब्लू मून होते हैं.

बाकी परिभाषा और आंकड़े छोड़िए, नासा के मुताबिक अगला सुपर ब्लू मून साल 2037 में देखने मिलेगा, तो आज रात ये मौका मत छोड़िएगा.

वीडियो: पृथ्वी के कितने करीब आ पहुंचा चांद? इतनी चमक के पीछे का ये रहा पूरा ज्ञान

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