उसके बाद बात होगी ब्राज़ील की. ब्राज़ील में एक जांच कमिटी की रिपोर्ट लीक हो गई है. ये कमिटी कोरोना में सरकार की लापरवाही की जांच कर रही थी. लीक रिपोर्ट से पता चला है कि कमिटी ने ब्राज़ील के राष्ट्रपति जाएर बोल्सोनारो पर ‘सामूहिक नरसंहार’ का मुकदमा चलाने की पेशकश की है. ब्राज़ील में कोरोना से मरनेवालों की संख्या छह लाख के पार पहुंच चुकी है. इसमें बड़ा हाथ बोल्सोनारो की बदइंतज़ामी, बड़बोलेपन और जहालत का रहा है. लीक हुई रिपोर्ट में और क्या-क्या लिखा है? राष्ट्रपति बोल्सोनारो पर किस तरह के आरोप लगे हैं? इस रिपोर्ट का बोल्सोनोरो के भविष्य पर क्या असर पड़ सकता है? लेकिन पहले बात हेती की. पापा डॉक के शासन ने क्या बदला? साल 1957 की बात है. हेती में फ़्रांस्वा डुवालिए नाम का एक डॉक्टर सत्ता में आया. लोग उसे प्यार से पापा डॉक भी कहते थे. उसकी एक खासियत थी. वो इतिहास का जानकार था और अतीत से सबक लेना उसे अच्छी तरह से आता था.पापा डॉक से पहले हेती में 34 राष्ट्रपति हुए थे. उनमें से सिर्फ़ छह अपना कार्यकाल पूरा कर पाए. बाकियों की या तो हत्या हो गई या उनका तख़्तापलट कर दिया गया. हैती की अश्वेत क्रांति के प्रणेता जैक डेसली को बीच सड़क पर काट दिया गया था. बाद में उनका मांस सुअरों को खिला दिया गया था.
ऐसी नौबत न आए, इसके लिए ज़रूरी था कि पूरा मज़मून ही बदल डालो. पापा डॉक ने सबसे पहले अपनी सुरक्षा में लगे सैनिकों को हटा दिया. उसने अपनी पर्सनल आर्मी बनाई. इसका नाम रखा गया, टोनटोन मकूत. इसमें हत्यारों, चोर-लुटेरों और ठगों को भर्ती किया गया. वे पापा डॉक के प्रति वफ़ादारी की शपथ लेते थे. जो पापा डॉक का विरोध करता, ये लोग उनका गला रेत कर सड़क पर फेंंक देते.

टोनटोन मकूत साधारण लिबास में रहते. उनकी कमर में हमेशा पिस्टल ठूंसी रहती. उन्हें हैती में कुछ भी करने का अधिकार मिला था. टोनटोन मकूत को सैलरी नहीं मिलती थी. पैसों के लिए वो लूटपाट, मर्डर, किडनैपिंग पर निर्भर थे. उन्हें इसकी पूरी छूट थी. हेती में टोनटोन मकूत को छूने की हिम्मत किसी में नहीं थी. टोनटोन मकूत कितने शक्तिशाली थे, इसका एक उदाहरण सुनिए. एक बार हुआ ये कि हेती में ब्रिटेन के राजदूत गेरार्ड कोल स्मिथ पापा डॉक के घर पहुंचे. पहले तो उन्हें काफी देर तक इंतज़ार कराया गया. फिर उन्हें पापा डॉक ने मिलने के लिए बुलाया. दुआ-सलाम के बाद ब्रिटिश राजदूत ने दबी ज़ुबान में कहा,
मिस्टर प्रेसिडेंट, टोनटोन मकूत पर लगाम कसने की ज़रूरत है. वे हमारे लोगों से ज़बरदस्ती लूटपाट कर रहे हैं.पापा डॉक ने ये सुनकर कहा,
आप जाइए, हम करते हैं प्रबंध.प्रबंध हुआ. अगले दिन ब्रिटिश दूतावास में एक नोटिस गिरा. राजदूत को कहा गया, हमारा-आपका साथ यहीं पर खत्म होता है. अब आपका यहां रहना ठीक नहीं. पापा डॉक का आदेश था कि ब्रिटिश दूतावास को खाली कर दिया जाए. राजदूत को देश से निकालकर दूतावास पर ताला लगा दिया गया.

बेबी डॉक देश छोड़कर भागा 1971 में पापा डॉक की मौत हो गई. अगले 15 सालों तक उसके बेटे बेबी डॉक का शासन चला. उस दौरान भी टोनटोन मकूत का कहर बरकरार रहा. 1986 में बेबी डॉक के ख़िलाफ़ विद्रोह शुरू हुआ. कुर्सी पर मंडरा रहे ख़तरे के बीच वो देश छोड़कर भाग गया. बेबी डॉक की फरारी के बाद टोनटोन मकूत को भंग कर दिया गया. टोनटोन मकूत भंग ज़रूर हुआ था, लेकिन इससे जुड़े लोगों की दिनचर्या में रत्तीभर का फ़र्क़ नहीं आया. इसमें शामिल लोगों ने अपना पुराना पेशा जारी रखा था. इनमें से कुछ सेना के साथ जुड़ गए. कुछ पॉलिटिकल पार्टियों के लठैत के तौर पर काम करने लगे. जबकि कुछ लोगों ने अपना गैंग बना लिया.

गैंग्स हेती में समानांतर सरकार चला रहे हेती में पापा डॉक ने अपने पीछे जो विरासत छोड़ी, उसका असर आज तक कायम है. हेती के अलग-अलग इलाकों में गैंग्स का क़ब्ज़ा है. उनका पूरा आधार अपराध से होने वाली कमाई पर टिका है. ये गैंग्स ग़रीब और अमीर में कोई भेदभाव नहीं करते. जिन इलाकों पर इनका क़ब्ज़ा होता है, वहां वे बुनियादी सुविधाओं के लिए टैक्स वसूलते हैं. जैसे- बस स्टॉप, बिजली-पानी, दुकान लगाने आदि. अमीरों से वे प्रोटेक्शन मनी लेते हैं. जो लोग प्रोटेक्शन मनी देने से मना करते हैं, उन्हें या तो किडनैप कर लिया जाता है या उनकी हत्या हो जाती है. सरकारी या प्राइवेट संस्थाओं से इनका हफ़्ता बंधा होता है. सरकार और अधिकारियों को इनका पूरा कच्चा-चिट्ठा पता है, लेकिन उनमें कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं बची है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, ये गैंग खुलेआम अपना धंधा चलाते हैं. फिरौती मांगते समय वे किसी भी तरह की सेफ़्टी नहीं बरतते. फिरौती लेते वक़्त गैंग के सदस्य अपना चेहरा तक नहीं ढकते. उन्हें इस बात का कोई डर नहीं होता कि उनकी पहचान हो जाएगी. कुल जमा बात ये है कि गैंग्स हेती में समानांतर सरकार चला रहे हैं.

अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि ऐसा क्यों है? हेती में क्रिमिनल गैंग्स इतने ताक़तवर क्यों होते जा रहे हैं? इसकी दो मुख्य वजहें है-
# पहला, मज़बूत लीडरशिप की कमी. हेती लंबे समय से राजनैतिक अस्थिरता का सामना कर रहा है. जो कोई सत्ता में आता है, उसका फ़ोकस जनता की भलाई से ज़्यादा अपने फ़ायदे पर होता है. राजनेता और पुलिस-प्रशासन इन गैंग्स से हाथ मिला लेते हैं. जो कोई इन अपराधों की शिकायत करता है, उसी की जान ख़तरे में पड़ जाती है. क्योंकि पीड़ितों के रक्षक पहले ही अपराधियों के साथ मिले हुए होते हैं.
जुलाई 2021 में कुछ अज्ञात लोगों ने राष्ट्रपति जोवेनल मोइज़ के घर में घुसकर उनकी हत्या कर दी थी. मोइज़ ने अप्रैल में गैंग्स पर सख़्त कार्रवाई करने की बात कही थी. राष्ट्रपति की हत्या के बाद से हेती में अस्थायी सरकार चल रही है. पिछले नौ महीनों में हेती में 600 से अधिक किडनैपिंग की घटनाएं दर्ज़ की गईं है. पिछले साल इसी अवधि में 231 मामले सामने आए थे.

# दूसरी वजह है, ग़रीबी और आर्थिक संकट. हेती में भ्रष्टाचार चरम पर है. विदेशों से आने वाली मदद नेताओं के निजी अकाउंट में जाती रही है. इसके अलावा, ग़रीब और अमीर के बीच की खाई भी लगातार बढ़ रही है. कोरोना महामारी और दूसरी प्राकृतिक आपदाओं के कारण महंगाई बढ़ी है. रोजगार के अवसर कम हुए हैं. युवाओं के पास कमाने का कोई साधन नहीं है. इस वजह से गैंग्स में लगातार नए लोग शामिल हो रहे हैं. इसे रोकने में सरकार पूरी तरह से विफ़ल रही है. आज हेती की चर्चा क्यों? दरअसल, 16 अक्टूबर को ‘400 मवोज़ो’ नाम के एक गैंग ने 17 विदेशी नागरिकों को किडनैप कर लिया है. इनमें से 16 लोग अमेरिका के हैं, जबकि एक कनाडा का नागरिक है. किडनैप हुए लोगों में पांच नाबालिग बच्चे भी हैं. सबसे छोटे बच्चे की उम्र दो साल की बताई जा रही है. ये सभी लोग हेती की राजधानी पोर्ट ओ-प्रिंस के पास स्थित एक अनाथालय से वापस लौट रहे थे. 400 मवोज़ो कौन हैं? ‘400 मवोज़ो’ का शाब्दिक अर्थ होता है, 400 नौसिखिये लोग. इस गैंग में डेढ़ सौ से अधिक सदस्य हैं. ये राजधानी के आधे से अधिक इलाकों को कंट्रोल करता है. 2021 में हेती में हुई कुल किडनैपिंग में से 80 फीसदी में इसी गैंग का हाथ रहा है. ये ग्रुप अपना डर कायम करने के लिए हत्या और बलात्कार की घटनाओं में भी शामिल रहा है.
एक समय तक मवोज़ो 400 कार चोरी के लिए कुख़्यात थे. लेकिन बाद में उन्होंने अपने काम का अंदाज़ बदल दिया. आपराधिक गिरोहों के बीच एक बात पर सहमति रही है कि वे चर्च में दख़ल नहीं देंगे. उनके लिए ये लाल रेखा की तरह है. लेकिन मवोज़ो 400 ऐसे किसी बंधन को स्वीकार नहीं करता. इस गैंग ने पादरियों और चर्च से जुड़े लोगों को भी नहीं बख़्शा है.

मवोज़ो 400 का सरगना विल्सन जोसेफ़ है. एक साल पहले ही पुलिस ने उसके ख़िलाफ़ वॉरंट निकाल दिया था. उसके नाम से वॉन्टेड वाले पोस्टर देशभर में चिपकाए गए. इस बीच विल्सन वीडियोज़ में प्रकट होता रहा है. इनमें वो अपने गैंग के कारनामों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता रहा है.

अप्रैल 2021 में इस गैंग ने पांच पादरियों और दो नन को किडनैप किया था. इनमें से दो फ़्रेंच नागरिक थे. हेती के कैथोलिक स्कूल और यूनिवर्सिटीज़ इस घटना के विरोध में हड़ताल पर चले गए थे. तीन हफ़्ते तक चले समझौते के बाद उनकी रिहाई हुई. दोनों पक्षों ने फिरौती की रकम पर कोई जानकारी नहीं दी. हालांकि, रिपोर्ट्स बताते हैं कि उन्हें छुड़ाने के लिए लगभग आठ करोड़ रुपये दिए गए थे. किडनैप हुए लोगों को छुड़ाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? अमेरिका ने कहा है कि इन लोगों की रिहाई सरकार की प्राथमिकता में है. अमेरिकी एजेंसियां हेती की सरकार के संपर्क में हैं. एफ़बीआई की एक टीम भी हेती पहुंच गई है. ये टीम वहां आगे की कार्रवाई में मदद करेगी. कनाडा सरकार भी अपने नागरिक को बचाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है. 400 मवोज़ो की लीडरशिप में दूसरे नंबर पर मौजूद जोली जर्माइन एक साल से जेल में बंद है. हेती के अधिकारी उसके जरिए समझौते का रास्ता तलाश रहे हैं.

सामूहिक अपहरण की इस घटना ने इतना तो साफ़ कर दिया है कि हेती में कोई भी सुरक्षित नहीं है. हेती की लीडरशिप इससे निपटने में असमर्थ साबित हो रही है. हालिया मामला उनके दायित्व और उनकी शक्ति का लिटमस टेस्ट है. फ़ेल होने की स्थिति में सरकार का अस्तित्व ख़तरे में पड़ सकता है.
हेती के चैप्टर को यहीं पर विराम देते हैं. अब चलते हैं ब्राज़ील की तरफ़. ब्राजील में क्यो हो रहा है? ब्राज़ील कोरोना से होने वाली मौतों के मामले में दूसरे नंबर पर है. यहां छह लाख से अधिक लोग कोरोना का शिकार हो चुके हैं. कोरोना के ख़िलाफ़ सरकार के रेस्पॉन्स की जांच के लिए ब्राज़ील की सेनेट ने एक कमिटी बनाई थी. इस कमिटी ने मई 2021 में काम शुरू किया. छह महीने बाद उनकी रिपोर्ट का पहला ड्राफ़्ट बाहर आया है. इस रिपोर्ट को तैयार करने के दौरान कमिटी ने हज़ारों सरकारी दस्तावेज़ों को खंगाला और 60 से अधिक सरकारी अधिकारियों से पूछताछ की. इनमें कई पूर्व मंत्री भी शामिल थे. जिन्हें बोल्सोनारो ने निजी खुन्नस के चलते बर्ख़ास्त कर दिया था. कमिटी की 12 सौ पन्नों की रिपोर्ट में क्या-क्या है? इस रिपोर्ट में सरकार की लापरवाही और बदइंतज़ामी को उजागर किया गया है. इसमें कहा गया है कि शुरुआती असफ़लता के बावजूद सरकार ने सावधानी नहीं बरती. अगर शुरुआती चरण में ही वैक्सीन की खरीद की गई होती तो कम से कम 95 हज़ार लोगों की जान बचाई जा सकती थी. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि राष्ट्रपति बोल्सोनारो ‘हर्ड इम्युनिटी’ पर भरोसा करते रहे, जबकि ये कहीं पर भी साबित नहीं हुआ था. इसमें ये भी लिखा है कि कोरोना महामारी के दौरान सरकार की ग़लतियों के लिए राष्ट्रपति बोल्सोनारो ज़िम्मेदार हैं. उन्होंने अपने ही स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाहों का ठीक से पालन नहीं किया. बोल्सोनारो ने बिना प्रमाण के दवाओं का भी प्रचार किया. उनका ये रवैया हज़ारों लोगों के लिए घातक साबित हुआ. जाएर बोल्सोनारो लंबे समय तक मास्क लगाने से बचते रहे थे. महामारी के बीच में उन्होंने बड़ी-बड़ी रैलियां आयोजित कीं थी. उन्होंने अभी तक वैक्सीन भी नहीं लगाई है.

कमिटी ने उनके ऊपर 13 चार्जेज़ लगाने का प्रस्ताव दिया है. इनमें से एक प्रस्ताव ‘सामूहिक नरसंहार’ का मुकदमा चलाने से जुड़ा है. सेनेट की कमिटी ने बोल्सोनारो के अलावा 68 और लोगों पर मुकदमा चलाने की बात कही है. इनमें बोल्सोनारो के तीन बेटे भी शामिल हैं. राष्ट्रपति बोल्सोनारो ने जांच को ‘मज़ाक’ बताया है. उन्होंने कहा है कि ये राजनीति से प्रेरित है. क्या राष्ट्रपति पर नरसंहार का मुकदमा चलेगा? इसकी संभावना बेहद कम है. इस रिपोर्ट पर सेनेट कमीशन अगले हफ़्ते वोट करेगा. अभी भी इस रिपोर्ट में बदलाव की संभावना है. फ़ाइनल रिपोर्ट आने के बाद कमिटी इसे प्रॉसीक्यूटर जनरल के पास भेजेगी. प्रस्ताव पर अमल करने का ज़िम्मा उनके पास है. ब्राज़ील में प्रॉसीक्यूटर जनरल की नियुक्ति राष्ट्रपति ही करते हैं. बोल्सोनारो के द्वारा नियुक्त व्यक्ति उनके ख़िलाफ़ हो जाए, इसकी उम्मीद ना के बराबर है.
हालांकि, इतना तो तय है कि आने वाले चुनाव में इसका असर ज़रूर होगा. अगले साल अक्टूबर में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने वाले हैं. बोल्सोनारो के ख़िलाफ़ लगातार विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. लोग उनसे इस्तीफ़े की मांग कर रहे हैं. अगर ये गुस्सा चुनाव तक कायम रहा तो बोल्सोनारो के लिए दोबारा चुनाव जीतना मुश्किल हो जाएगा. सेनेट की रिपोर्ट इस संभावना को विस्तार दे रही है.