
विद्या बालन वाली 'बेगम जान' की असलियत कुछ और ही है
फिल्म में सब कुछ सच्ची घटना से प्रेरित है. कहानी है देश की आज़ादी के वक़्त की.

फोटो - thelallantop
बेग़म जान. अमिताभ बच्चन की आवाज़. घूमता हुआ सिक्का. लगान की याद. और विद्या बालन. बेग़म जान के ट्रेलर का निचोड़ ऐसा निकलता है. ट्रेलर शुरू होता है और एक सिक्का घूमना शुरू करता है. पीछे बड़े बच्चन साहब की आवाज़ आती है. "अगस्त 1947." लगान जब शुरू होती है तो ऐसे ही अमिताभ बच्चन कहते हैं, "सन 1893. चम्पानेर." खैर, मालूम चलता है कि सब कुछ सच्ची घटना से प्रेरित है. कहानी है देश की आज़ादी के वक़्त की. तब जब पाकिस्तान अलग देश बन रहा था. कुछ सेक्स वर्कर्स हैं. एक बड़े से घर में रहती हैं. कोठा कहते हैं. फ़रमान आया कि उनके कोठे को खाली करवाना पड़ेगा. क्यूंकि आदेश के अनुसार उनके घर के बीचों-बीच से वो लकीर जाएगी जो हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बॉर्डर को परिभाषित कर रही थी और उस कोठे को दोनों देशों में कर देने वाली थी. लड़ाई यही थी. उस कोठे में रहने वाली सेक्स वर्कर्स और उनकी मुखिया की ज़िद. मुखिया यानी बेग़म जान. उसकी ज़िद कि वो अपना घर नहीं छोड़ कर जाएगी. इस दौरान तमाम फैक्टर्स आते हैं. सरकारी आदेश. सरकारी जिरह. सरकारी अफ़सरों के गैर-सरकारी दोस्त. फ़िल्म में दिखाई दे रही हैं विद्या बालन और नसीरुद्दीन शाह. साथ में हैं आशीष विद्यार्थी, रजित कपूर और चंकी पांडे. रजित कपूर अगर याद नहीं हैं तो आपको अपना मुंह धोने की ज़रुरत है. रजित कपूर यानी ब्योमकेश बख्शी. डीडी वन वाले.
फ़िल्म को बनाया है सृजीत मुखर्जी ने. सृजीत बंगाली सिनेमा के डायरेक्टर हैं और उन्हें उनकी फ़िल्म राजकाहिनी के बाद से खूब वाहवाही मिली और लोगों ने उन्हें काफी सीरियसली लेना शुरू किया. अब बात आती है राजकाहिनी की. राजकाहिनी असल में वो फ़िल्म है जिसे हिंदी में सृजीत 'बेग़म जान' के नाम से बना रहे हैं. बंगाली वर्ज़न में बेग़म जान के रोल में थीं रितुपर्ना सेनगुप्ता. दोनों फ़िल्मों के ट्रेलर के बारे में काफी बातें की जा रही हैं. उन्हें कम्पेयर किया जा रहा है. उनके बीच की समानताओं के बारे में कहा जा रहा है. समझना ये चाहिए कि दोनों फिल्मों के डायरेक्टर और राइटर एक ही हैं. दोनों की कहानी में कोई भी फेरबदल नहीं है. ऐसे में ट्रेलर का काफी हद तक एक जैसा होना कोई बड़ी बात नहीं है. फ़्रेम्स में इस कदर समानता उनकी अपनी सोच का नतीजा होगी. और इसके लिए उन्हें उनकी सोच के साथ ही छोड़ देना चाहिए. हिंदी ट्रेलर में अमिताभ बच्चन के वॉइस ओवर के मुक़ाबले अगर बंगाली ट्रेलर में चलता रबीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा 'भारत भाग्य विधाता' अलग ही मूड सेट करता है. ये 'भारत भाग्य विधाता' टैगोर के लिखे राष्ट्रगान का एक एक्सटेंशन है. 'बेग़म जान' में कहीं पंजाबी जुबान भी सुनने को मिलती है. ऐसे में फ़िल्म में 'भारत भाग्य विधाता' सुनाई देना ज़्यादती मालूम देगा. राजकाहिनी का ट्रेलर: https://www.youtube.com/watch?v=ru4G6EwhK9k बेग़म जान का ट्रेलर: https://www.youtube.com/watch?v=rhmT2nfc6ko ये भी पढ़ेंः सहवाग और गुरमेहर दोनों को सबसे सही जवाब इस आदमी ने दिया है केरल में लेफ्ट के कार्यकर्ताओं ने 3 RSS के लोगों को घेर कर मारा आरएसएस के कार्यालय पर फेंका गया बम एक पादरी गर्ल्स के जींस पहनने से इतने उत्तेजित हैं कि उन्हें डुबोकर मार देना चाहते हैं जसपाल भट्टी के 10 ज़िंदादिल किस्से
