ऑपरेशन सिंदूर अभी ज्यादा पुरानी बात नहीं हुई. आपको याद होगा कि कैसे पाकिस्तान ड्रोन्स की मदद से भारत के सैनिक और नागरिक ठिकानों को निशाना बनाता था और कैसे भारत का एयर डिफेंस सिस्टम, उनमें से ज्यादातर को हवा में ही तबाह कर देते थे. मगर अब एक ऐसी तकनीक आ गई है, जिसके बाद खुद ड्रोन ही ड्रोन के दुश्मन बन जाएंगे. बोले तो- ‘एंटी ड्रोन ड्रोन’ या फिर शिकारी ड्रोन
ड्रोन का बदला ड्रोन ही लेगा, एयर डिफेंस सिस्टम की जरूरत ही नहीं पड़ेगी
Sky Hunter - The Anti-Drone Drone: 72 घंटे उड़ने वाला यह शिकारी ड्रोन एंटी-ड्रोन सिस्टम की दुनिया में क्रांति ला रहा है. रडार से दुश्मन को खोजता है और बाज की तरह झपटकर हवा में ही खत्म कर देता है.

कल्पना कीजिए, एक दुश्मन ड्रोन आपके इलाके में घुसता है-बिना आहट, बिना शोर के. अचानक आसमान से एक और ड्रोन बाज की तरह झपटता है, टारगेट को पकड़ता है और सेकंडों में उसे हवा में ही खत्म कर देता है. ये कोई फिल्मी सीन नहीं, बल्कि 21वीं सदी की रियल वॉर टेक्नोलॉजी है.
इस ‘बाज’ की तरह झपटने वाला असली शिकारी है नई पीढ़ी का एंटी-ड्रोन सिस्टम, जिसे अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और नीदरलैंड की टेक कंपनियों ने मिलकर तैयार किया है.
NATO के मुताबिक यह एक ड्रोन के आकार का एंटी-ड्रोन हथियार है, यानी शिकारी भी ड्रोन और शिकार भी ड्रोन. ऐसी कई खूबियां हैं जो इसे घातक बनाती हैं
- इसकी उड़ान क्षमता 72 घंटे (3 दिन) तक लगातार है.
- 5 किलोमीटर की रेंज में कोई भी दुश्मन ड्रोन इसके रडार से नहीं बच सकता.
- ये हाई-स्पीड इंटरसेप्टर सिस्टम से लैस है-एक बार दुश्मन को लॉक किया तो बचने का कोई रास्ता नहीं.
ये एंटी ड्रोन ऑटोमेटिक रिटर्न फीचर के साथ आता है, यानी मिशन खत्म होते ही ये खुद बेस पर लौट आता है.
तकनीक जो दुश्मन की सांसें रोक देEU C-UAS Roadmap Report 2023 के मुताबिक इस सिस्टम में सिर्फ ताकत ही नहीं, अद्भुत स्मार्ट टेक्नोलॉजी भी है. जिन्हें देखकर डिफेंस एक्सपर्ट बेहद उत्साहित हैं. पूरी जानकारी तो पब्लिक प्लेटफॉर्म पर नहीं है, मगर जो खूबियां सामने आ रही हैं, उनमें से कुछ इस तरह हैं-
ड्रोन डिटेक्शन रडार: यह रेडियो तरंगों के ज़रिए आसमान में मौजूद किसी भी अनचाही वस्तु का पता लगाता है.
नेट गन सिस्टम: टारगेट को फिजिकली पकड़ने के लिए.
साइबर टेकओवर: दुश्मन ड्रोन के कंट्रोल को हैक कर उसे अपने कब्जे में ले सकता है.
AI कैमरा और सेंसर: जो न सिर्फ पहचान करते हैं, बल्कि वर्गीकृत भी करते हैं-ये केवल टोही ड्रोन है या हथियारबंद.
युद्ध की बदलती दुनिया में नई ज़रूरतरूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर भारत-पाक संघर्ष तक, ड्रोन युद्धों की तस्वीर बदल रहे हैं. अब सिर्फ ताकत नहीं, तकनीकी होशियारी से ही जीत तय होती है. इसी का नतीजा है कि दुनिया भर में ऐसे एंटी-यूएएस (Unmanned Aerial System) सिस्टम की मांग तेजी से बढ़ रही है.
कहां और कैसे होगा इस्तेमाल?ये सिस्टम एक नहीं बल्कि कई उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. जैसे कि-
- सैन्य ठिकानों की सुरक्षा
- बॉर्डर इलाकों में निगरानी
- भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में आतंकी हमलों से बचाव
- VVIP सुरक्षा
इसकी अगली पीढ़ी में स्वार्म डिफेंस तकनीक पर भी काम चल रहा है. जिसके तैयार हो जाने का मतलब है कि कई शिकारी ड्रोन मिलकर पूरे दुश्मन ड्रोन दल को खत्म कर सकें.
"जंग अब बंदूक से नहीं, टेक्नोलॉजी से लड़ी जाती है."यह बाज की तरह झपटने वाला एंटी-ड्रोन सिस्टम भविष्य के युद्धों में निर्णायक भूमिका निभा सकता है. अगर कोई ड्रोन आपकी सुरक्षा में सेंध लगाने की कोशिश करता है, तो याद रखिए-अब एक शिकारी आसमान में पहले से मौजूद है.
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