
छठवीं किस्त: शोभा के नाम, रिंकू गुप्ता का प्रेम पत्र
ॐ श्री गणेशाय नमः
ॐ श्री गणेशाय नमः
हम तुमको हमेशा ख़ुश रखेंगे. विकास अगरवाल का चक्कर छोड़ दो वो तुमको कतई ख़ुश नहीं रख पाएगा. कितना भी अंग्रेजी बोल ले, काम तो कॉल सेंटर में ही करता है. चाल चलन भी ठीक नहीं है, एक नंबर का लौंडियाबाज लड़का है. अक्सर सिफी के इंटरनेट कैफे जाके बंद वाले केबिन में बैठकर बीस रुपया घंटा का इंटरनेट करता है. रोज़ शाम पीपीएन कॉलेज और शीलिंग हाउस के बाहर तफ़री काटने जाता है. अब ये तो सबको पता है कि वहां की लडकियां कित्ती छोटी स्कर्ट पहनती हैं.हमें अंग्रेज़ी भले नहीं आती लेकिन करेक्टर के सच्चे हैं और किसी के नौकर नहीं हैं, हमारी ख़ुद की दुकान है, हमसे शादी करके रानी की तरह रहोगी, दुकान से जितना जी चाहे फ़्री में क्रीम, शैम्पू, पाउडर इस्तेमाल करना, दाल, चावल, शक्कर, चाय, दूध, परचून की कभी कमी नहीं रहेगी. घर में जनरेटर है, तीन फेस से बिजली लगी है, ख़ुद की अस्सी फुट गहरी बोरिंग खुदी है, बाप की तबियत अक्सर ख़राब रहती है और हम घर के अकेले लड़के हैं. शादी कर लोगी तो हमाए साथ स्वरुप नगर में आराम से रहोगी, अभी बर्रा दो में रहती हो, वहां कितनी किचकिच है. जगह जगह भैंस के चट्टे खुल गए हैं और नाला अलग महकता है. अभी हाजी मुश्ताक सोलंकी स्वरुप नगर से विधायक हो जाएंगे तो छेत्र का विकास और बम्पर हो जाएगा. शोभा आख़िर में बस यही कहना चाहते हैं कि प्यार किया नहीं जाता, हो जाता है. और तुमसे मिलकर न जाने क्यों और भी कुछ याद आता है. याद तेरी आएगी, मुझको बड़ा सताएगी, जिद ये झूठी तेरी, मेरी जान लेके जाएगी. बस इतना समझ लो कि तुम्हारे बिना रहना दुस्वार हो गया है. या तो जेड स्क्वायर मॉल आकर हमसे मिल लो, या फिर हमें सल्फास की गोली ख़रीद कर दे दो, घर में फिनाइल है, पर क्या पता फिनाइल पीने से जान निकले न निकले, ख़ाली झाग छोड़ के बिहोश हो जाएं. इसी के साथ चिट्ठी रख रहे हैं. कलाई पिरा रही है, कमज़ोरी लग रही है. उत्तर की आस में.
विशाल गुप्ता (रिंकू)