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कानपुर की मनोहर कहानियां: शोभा के नाम रिंकू गुप्ता का प्रेम पत्र

हम तुमको खुश रखेंगे. विकास अगरवाल नहीं. कितना भी अंग्रेजी बोल ले, काम तो कॉल सेंटर में ही करता है.

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फोटो - thelallantop
nikhilनिखिल सचान के बारे में अफवाह है कि उनका इंट्रो लिखने के बाद सरग में थ्री बीएचके फ्लैट पक्का हो जाता है. निखिल राइटर्स की उस पीढी से आते हैं, जिनके जीवन परिचय में मेवालाल साहित्य सम्मान से सम्मानित टाइप्स इंट्रो की घंटा जरूरत नहीं पड़ती. आईआईटी-आईआईएम वाले हैं. कानपुर को अपनी शर्ट की ऊपर वाली जेब में लेके चलते हैं. कहते हैं इससे दिल अपनी औकात में रहता है. हर शनिवार, कानपुर की मनोहर कहानी सुनाने की रस्म को बाकायदे कायम रखते हुए छठवीं कहानी सुना रहे हैं.

Kanpur Manohar Kahaniyan छठवीं किस्त: शोभा के नाम, रिंकू गुप्ता का प्रेम पत्र 

ॐ श्री गणेशाय नमः

प्यारी शोभा, यहां सब कुछ कुशल मंगल से हैं, आशा करते हैं कि तुम्हारे वहां भी सब कुछ कुशल मंगल ही होगा. आगे समाचार यह है कि हम तुम्हारे प्रेम में पगला के, ये वाला ख़त भी अपने खून से लिख रहे हैं, पिछले चार ख़त भी खून से लिखे थे पर शायद तुमने उसे लाल रंग के जेल पेन की स्याही समझ लिया. इस मर्तबा बताना जरूरी था क्योंकि तुम तो हमारे प्यार को नोटिस ही नहीं कर रही हो और हमें यहां खून से ख़त लिख-लिख के कमज़ोरी चढ़ गई है. दोस्त अलग डरा रहे हैं कि टिटनेस हो जाएगा. लेकिन हमें परवाह नहीं शोभा. इससे ज्यादा खून तो कानपुर में मच्छर ही चूस लेते हैं. डेंगू, चिकनगुनिया क्या टिटनेस से कम जहर बीमारी है ? शोभा, तुम बस हमारे किसी एक प्रेम पत्र का जवाब तो दे दो. जब से तुम्हारे प्रेम में पड़े हैं दुकानदारी में एकदम मन नहीं लगता है. कल रिन साबुन और व्हील के वाशिंग पाउडर का हिसाब गड़बड़ा गया तो पिता जी ने हमें कूट दिया. कहिते हैं कि बनिया आदमी को प्यार करना है तो बहीखाता से करे, फुटकर, चवन्नी अठन्नी से करे. उस पर जब मम्मी ने कहा कि तुम्हें इस उमर में बाप से लप्पड़ खाना शोभा देता है? तो मम्मी कसम हमारी रुलाई छूट गई. शोभा, ऐसा लगता है हर जगह तुम्हारा ही ज़िक्र हो रहा है.
हम तुमको हमेशा ख़ुश रखेंगे. विकास अगरवाल का चक्कर छोड़ दो वो तुमको कतई ख़ुश नहीं रख पाएगा. कितना भी अंग्रेजी बोल ले, काम तो कॉल सेंटर में ही करता है. चाल चलन भी ठीक नहीं है, एक नंबर का लौंडियाबाज लड़का है. अक्सर सिफी के इंटरनेट कैफे जाके बंद वाले केबिन में बैठकर बीस रुपया घंटा का इंटरनेट करता है. रोज़ शाम पीपीएन कॉलेज और शीलिंग हाउस के बाहर तफ़री काटने जाता है. अब ये तो सबको पता है कि वहां की लडकियां कित्ती छोटी स्कर्ट पहनती हैं.
हमें अंग्रेज़ी भले नहीं आती लेकिन करेक्टर के सच्चे हैं और किसी के नौकर नहीं हैं, हमारी ख़ुद की दुकान है, हमसे शादी करके रानी की तरह रहोगी, दुकान से जितना जी चाहे फ़्री में क्रीम, शैम्पू, पाउडर इस्तेमाल करना, दाल, चावल, शक्कर, चाय, दूध, परचून की कभी कमी नहीं रहेगी. घर में जनरेटर है, तीन फेस से बिजली लगी है, ख़ुद की अस्सी फुट गहरी बोरिंग खुदी है, बाप की तबियत अक्सर ख़राब रहती है और हम घर के अकेले लड़के हैं. शादी कर लोगी तो हमाए साथ स्वरुप नगर में आराम से रहोगी, अभी बर्रा दो में रहती हो, वहां कितनी किचकिच है. जगह जगह भैंस के चट्टे खुल गए हैं और नाला अलग महकता है. अभी हाजी मुश्ताक सोलंकी स्वरुप नगर से विधायक हो जाएंगे तो छेत्र का विकास और बम्पर हो जाएगा. शोभा आख़िर में बस यही कहना चाहते हैं कि प्यार किया नहीं जाता, हो जाता है. और तुमसे मिलकर न जाने क्यों और भी कुछ याद आता है. याद तेरी आएगी, मुझको बड़ा सताएगी, जिद ये झूठी तेरी, मेरी जान लेके जाएगी. बस इतना समझ लो कि तुम्हारे बिना रहना दुस्वार हो गया है. या तो जेड स्क्वायर मॉल आकर हमसे मिल लो, या फिर हमें सल्फास की गोली ख़रीद कर दे दो, घर में फिनाइल है, पर क्या पता फिनाइल पीने से जान निकले न निकले, ख़ाली झाग छोड़ के बिहोश हो जाएं. इसी के साथ चिट्ठी रख रहे हैं. कलाई पिरा रही है, कमज़ोरी लग रही है. उत्तर की आस में.

विशाल गुप्ता (रिंकू)


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