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श्यामक डावर : जिसने बॉलीवुड से लेकर हमारे घरों में होने वाले डांस को बदल दिया

जिसने माधुरी दीक्षित के डांस को और भी निखार दिया. आज बड्डे है.

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फोटो - thelallantop
फ़िल्म ताल. गाना 'कहीं आग लगे लग जाए'. ऐश्वर्या राय नाच रही है. पीछे कुछ लड़के हैं. आम भाषा में बैकग्राउंड डांसर. नाच रहे हैं. उन्हीं लड़कों में एक चेहरा. बेहद मासूम. बचकाना. सालों बाद फ़िल्म 'दिल मांगे मोर' में वही चेहरा नाच रहा था. सबसे आगे. गाना - 'गुस्ताख दिल तेरे लिए'. और क्या नाचा. रेट्रो थीम में सफ़ेद कोट और काली कमीज़-पैंट में नाचता हुआ शाहिद कपूर. वही जो कभी ताल के उस गाने में पीछे नाच रहा था. आज फ़िल्म का हीरो था. पंकज कपूर का बेटा. किसी फ़िल्म में बैकग्राउंड डांसर? क्यूं नहीं? उस वक़्त डांस सीख रहा था. उससे जिसने पूरे बॉलीवुड को नाचना-सिखाया. जिसने अपना डांस का स्टाइल बना लिया. जिसने ऋतिक को धूम अगेन सिखाया तो स्कूल के लड़के उस डांस की नकल करके मठाधीश बनने लगे. वो एकमात्र ऐसा समय था, जब स्कूल में गिटार बजाने वाले लड़के से ज़्यादा धूम अगेन वाला डांस करने वाले लड़के, लड़कियों को इम्प्रेस कर लेते थे. श्यामक डावर. गुजराती बोलने वाला पारसी. 'दिल तो पागल है' में जब चटख हरी घास पर बारिश में माधुरी दीक्षित नाचती दिखती है तो सचमुच आवाज़ आती है जो कहती है "ऐसे मौसम में तुम भी कुछ कहो, तुम भी कुछ करो, खड़े हो क्यूं गुमसुम?" 'दिल तो पागल है' वो फिल्म जिसने श्यामक को नेशनल अवॉर्ड दिलवाया. माधुरी इससे पहले भी नाचीं थीं. 'तू शायर है, मैं तेरी शायरी' हो या फिर 'हमको आज कल है इंतज़ार, कोई आके लेके प्यार...' माधुरी दीक्षित ने जब डांस किया, नाचने वालों को सचमुच अपना आंगन टेढ़ा लगने लगा. मगर 'घोड़े जैसी चाल, हाथी जैसी दुम' जैसे 'बचकाने' शब्दों पर नीली ड्रेस में हरी शर्ट पहने इकतारा बजाते, बच्चों से घिरे शाहरुख़ के साथ नाचती माधुरी किसी मंदिर पर उकेरी मूरत सी मालूम देती हैं. उसे उस पत्थर पर उकेरने वाला श्यामक डावर. वही जिसने शाहिद कपूर को उस गाने में ऐश्वर्या राय के पीछे कहीं किसी कोने में खड़ा कर दिया था. शाहिद श्यामक डावर से ही डांस सीखते थे. उनके डांस की तारीफ़ की जाए तो शाहिद हमेशा अपने गुरु श्यामक को क्रेडिट देते हैं. https://www.youtube.com/watch?v=7xuCUblLdV8 श्यामक. अपने नानी के घर पहुंच कर सीधे उनके घर पर पियानो पर बैठ जाते थे. अपने भाई के साथ घंटों पियानो बजाते थे. वो पियानो जिसे आज वो कहते हैं कि वो कचरा बजाते थे. लेकिन सात साल की उम्र में वो उसमें मशगूल रहते थे. खुद की धुनें बनाना, गाने बनाना, जो हो सकता था सब कुछ. उस वक़्त नाचने से कोई वास्ता ही नहीं था. बड़े भाई के साथ फ़िल्में देखना एक रेगुलर काम था. फ़िल्म से वापस आकर घंटों बंद कमरे में श्यामक और उनके बड़े भाई उस फिल्म के सीन्स की नक़ल करते. श्यामक ये काम मुख्यतः करते थे. और सब कुछ करने के बाद उनका आखिरी सेंटेंस यही होता था - 'एक दिन में इंटरनेशनल लेवल पर जाऊंगा.' और श्यामक मेलबर्न में और दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स को कोरियोग्राफ़ करते हैं. साथ ही मिशन इम्पॉसिबल 4 के लिए एक डांस सीक्वेंस को भी कोरियोग्राफ़ किया. द केथेड्रल ऐंड जॉन कॉनन सीनियर स्कूल में पढ़े श्यामक का स्टेज से पहला सामना हुआ जब वो एक नाटक में काम कर रहे थे. अपने स्कूल के नाटक में. रोल था एक कुत्ते का. टोटो नाम का कुत्ता. पूरे ऐक्ट में सिर्फ़ भौंकना था. श्यामक जो अपने कमरे में सुपरस्टार था. जब उसके उम्र के बच्चे खेल रहे होते थे तो वो उसी जगह पर एक प्लेटफ़ॉर्म पर बैठ, हाथ में एक खाली कोका कोला की बोतल लिए बिली जोएल बने हुए होते थे. कट टू फ्यूचर. गौरी. श्यामक की स्टूडेंट. डांस सीखने आती थी. कहती थी बॉलीवुड में ट्राई करो. वहां कोरियोग्राफ़ करो. श्यामक को अपना काम काफी वेस्टर्न लगता था. उन्हें लगता था कि उनका काम बॉलीवुड के लिए नहीं है. गौरी यानी गौरी खान. शाहरुख़ खान की बीवी. शाहरुख़ अपनी बीवी को लेने आता, तो श्यामक से फ़िल्मों में आने को कहता. श्यामक के मना करने पर उन्हें कोसता. और फिर श्यामक ने 'दिल तो पागल है' के लिए एक गाना कोरियोग्राफ़ किया. और फिर उसी फिल्म में दूसरा. फिर पूरी फ़िल्म. और उसी फ़िल्म में उन्हें मिला नेशनल अवॉर्ड. shiamak श्यामक शुरुआती दिनों में तमाम जगहों पर घूमे. विदेशों में. वहां की स्टाइल्स सीखीं. हर तरह की. उन्हें अपने साथ इंडिया में लाये. फिल्मों में उन्हें इस्तेमाल किया. श्यामक असल में लंदन गए थे ऐक्टिंग वर्कशॉप्स करने. वॉइस वर्कशॉप्स भी. और इसी बीच में एक क्लास दिखी तो घुस गए. वो डांस क्लास थी. और वहां से उन्हें तमाम डांस के बारे में मालूम चला, जिसे वो सीखते रहे. और वहां उन्हें कोरियोग्राफी के बारे में विस्तार से मालूम चला. और वहां से नींव पड़ी श्यामक डावर इंस्टिट्यूट. सात स्टूडेंट्स के साथ शुरू हुई एक क्लास आज हिंदुस्तान में डांस का पर्याय बन चुकी है. वो वक़्त तब था, जब जैज़ स्टाइल की समझ किसी को नहीं थी. बस जहाज की थी. मगर आज जैज़ डांस का गुरु है श्यामक. इसी डांस क्लास के फैलने पर उसमें आने वाली एक स्टूडेंट थीं गौरी खान. आगे चलकर शाहिद कपूर, वरुण धवन, सुशांत सिंह राजपूत श्यामक के चेले बने. इतने सारे सालों में श्यामक फ़िल्म पर फ़िल्म करते आ रहे हैं. इस पूरे दौरान ले गयी-ले गयी से शुरू हुई नर्वसनेस आज उनके कॉन्फिडेंस में बदल चुकी है. मगर इसी बीच में हर फ़िल्म में कुछ नया करने की धुन भी सवार रही है. जो कि काफी ज़रूरी भी है. डांस के मामले में आप हर बार एक ही चीज नहीं परोस सकते. और डांस गुरु होते हुए श्यामक इस बात को बखूबी जानते भी हैं. और श्यामक इस पर अपनी जीत पा चुके हैं. श्यामक के बाद फ़िल्म का डांस कल्चर बदल गया. कॉस्ट्यूम से लेकर लाइटिंग और डांस मूव्स तक श्यामक की कारीगरी रहती थी. और इसी ने उन्हें एक ट्रेंडसेटर बना दिया. आज आप फ़िल्म में जो भी गानों के दौरान टीम-टाम दिखता है, श्यामक की ही कारस्तानी है. श्यामक डावर. बॉलीवुड का डांस गुरु. जिसने बोरिंग डांस रूटीन को नॉर्थ अमेरिकन डांस स्टाइल से बदल दिया. जिसने उन्हें नाचना सिखाया जिनके नाच को देख लोग उन्हें अपना गुरु मान लेते हैं, उनका गुरु. जिसके डांस स्कूल में जाना मिडल क्लास बच्चों के लिए अपनी क्लास में अपना भौकाल बनाने का जरिया होता था. श्यामक डावर यानी वो जिसने डांस को स्पिरिचुएलिटी से जोड़ा. जो नचाता है. और हमारे हीरो नाचते हैं. फिर चाहे धूम अगेन हो या कहीं आग लगे, लग जाए. ऋतिक रोशन हों या ऐश्वर्या राय. https://youtu.be/Mya-GMWHULM?t=6m54s

आज बड्डे है.