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अच्छा बताइए 'कॉमरेड' क्या होता है?

क्या होता है जब मिलेनियल युवा इस सवाल से टकराता है?

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पीयूष पांडे टीवी पत्रकार हैं. व्यंग्यकार हैं. किताबें भी लिखी हैं, हाल ही में आई ‘धंधे मातरम’. पीयूष जी अब हमारे-आपके लिए भी लिख रहे हैं. पाठक उन्हें ‘लौंझड़’ नाम की इस सीरीज में पढ़ रहे हैं. लेफ्ट (वामपंथ) क्रांति के ज़रिए समाज को बदलने की बात करता है. लेकिन जिस समाज को वो बदलना चाहता है, वो लेफ्ट लगभग पूरी तरह कटा हुआ है. लौंझड़ की इस किस्त में पीयूष बता रहे हैं क्या होता है जब 2017 का 'युवा' इस सवाल से टकराता है कि कॉमरेड होता क्या है?


कॉमरेड खुश थे. विपक्ष की बैठक में राष्ट्रपति पद का दावेदार चुन लिया था. उनकी भी सुनी गई थी, तो वह और ज़्यादा खुश थे. राष्ट्रपति के लिए विपक्ष का कैंडिडेट चुने जाने भर से कॉमरेड को लगा कि उनके 'अच्छे दिन' आ गए हैं क्योंकि चार दिन पहले तक तो विपक्ष का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुना जाना ही मुश्किल लग रहा था.
खैर, खुशी के माहौल में कॉमरेड को दिल्ली के एक जाने-माने कॉलेज में भाषण के लिए आमंत्रित किया गया. उन्हें लगा कि यह अच्छा मौका है देश के युवाओं को बताने के लिए कि विपक्ष का राष्ट्रपति पद का दावेदार क्यों सत्ता पक्ष के कैंडिडेट से बेहतर है और राष्ट्रपति पद की इस जंग में लेफ्ट की क्या भूमिका है?
चूंकि इनविटेशन कॉलेज की तरफ से आया था तो कॉमरेड को विश्वास हो गया कि वामपंथ का सूर्य अभी अस्त नहीं हुआ है. चूंकि कॉलेज से बुलावा आया था तो कॉमरेड को उम्मीद जागी कि कुछ नए रिक्रूटमेंट भी हो जाएंगे. कॉमरेड इस भावी उपलब्धि को लेकर मन ही मन मुस्कुराने लगे. मुस्कुराते-मुस्कुराते वह उस ऑडिटोरियम में पहुंचे, जहां कुछ छात्रों को नंबर काटने की धमकी देकर कॉलेज के अध्यापकों ने जबरन बैठाया हुआ था. कुछ छात्र इस ज़ोर जबरदस्ती को वामपंथ की नोंक पर अपहरण की संज्ञा दे रहे थे. लेकिन, कॉमरेड खुश थे. उनकी खुशी इस बात को लेकर नहीं थी कि पिज्जा-बर्गर के इस युग में भी करीब दो दर्जन छात्र वामपंथ पर उनका भाषण सुनने के लिए इकट्ठा थे बल्कि उनकी खुशी इस बात को लेकर थी कि उन्हें सुनने वाले सभी बच्चे थे. चूंकि, वाम दलों में युवा नेता ही 60-65 के आसपास का होता है, इसलिए 18-20 साल के छात्र बच्चे ही थे.
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अभी कॉमरेड चंद दिन पहले ही पार्टी कांग्रेस में हिस्सा लेने गए थे तो वहां कई 'युवा' नेता खांस रहे थे, किसी 'युवा' को दमा था, कई 'युवाओं को शुगर की बीमारी थी, कोई 'युवा' नाना बनने की वजह से बीच में ही महासम्मेलन छोड़ कर घर गया था. कुल मिलाकर 'युवा' होश में थे किंतु जोश के विषय में सही-सही नहीं कहा जा सकता था. वहां मौजूद कुछ 'युवाओं' का मानना था कि कार्यक्रम में रिवाइटल का स्टॉल नहीं है, इसलिए युवा परेशान हैं.
बहरहाल, कॉलेज पहुंचकर कॉमरेड खुश थे. दिल्ली में जेएनयू के अलावा किसी और कॉलेज से बुलावा भी इस खुशी की एक वजह था. इसी खुशी में उन्होंने भाषण देने के लिए माइक का कान मरोड़ा. और मरोड़ते ही उन्होंने छात्रों के बीच एक सवाल उछाल दिया.
"अच्छा बताइए, कॉमरेड कौन हैं."
मोबाइल पर कैंडीक्रश खेलते कुछ छात्रों के कान कॉमरेड शब्द सुनते ही खड़े हो गए. जबकि व्हाट्सअप पर मैसेज भेजती हुईं कुछ छात्राओं को समझ ही नहीं आया कि यह किस प्राणी का नाम है? लेकिन, हर कक्षा में एक-दो ज्ञानी छात्र होते हैं. या कम से कम ऐसे छात्र होते हैं, जो खुद को ज्ञानी समझते हैं. तो खुद को ज्ञानी समझने वाले ऐसे ही एक ज्ञानी छात्र ने जवाब दिया.
"सर, काम यानी शांति से रेड मारने वाले अधिकारी को कामरेड कहा जाता है. मोदी सरकार में इनकी नियुक्ति विशेष तौर पर हो रही है क्योंकि सभी मंत्रियों को शांति से रेड मारकर धरा जा रहा है."
इस जवाब को सुनते ही कॉमरेड गश खाकर गिरने की स्थिति में आ गए. जैसे-तैसे संभाला और कहा- "नहीं बच्चों वामपंथी विचारधारा में विश्वास करने वाले को कॉमरेड कहा जाता है. कॉमरेड होना फ़क्र की बात है."
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कॉमरेड इससे पहले कुछ कहते कि एक छात्रा, जो फिल्म इंडस्ट्री को उपकृत करने के उद्देश्य से इस संसार में आई थी या कम से कम उसका श्रृंगार चीख चीखकर यही गवाही दे रहा था, ने उछलते हुए एक सवाल कॉमरेड की तरफ उछाल दिया.
"जी सर, कल मैंने पढ़ा था अखबार में. कल जब फिल्म सप्लीमेंट फुलटू टाइम्स मुझे नहीं मिल रहा था तो मैंने गलती से मेन पेज उठा लिया था. उसमें आपकी पार्टी के एक प्रोग्राम की न्यूज थी सर. लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि आपकी पार्टी क्या कांग्रेस से टूटकर अलग हुई थी."
कॉमरेड चकराए और बोले- "क्यों"?
छात्रा ने जवाब दिया-"सर, उसमें लिखा था कि 'पार्टी कांग्रेस' की तैयारियों से नेता खुश नजर आए."
अब कॉमरेड का पारा चढ़ने लगा लेकिन सुंदर लड़की की एक मासूम सी मुस्कुराहट बड़े-बड़े गुस्सैलों का पारा ठंडा कर देती है तो कॉमरेड ने भी अपनी जेब में बंद मुट्ठी से संयम को टटोला और फिर मुट्ठी में कैद कर लिया. फिर बोले,
"देखो बच्चों इस देश को कॉमरेड की जरुरत है. बाज़ारवाद की आंधी में जिस तरह एक नए वर्ग संघर्ष ने जन्म लिया है, उसके बाद सिवाय क्रांति के कुछ और नहीं चाहिए. आज सामाजिक सरोकार जिस तरह हाशिए पर डाल दिए गए हैं और सर्वहारा वर्ग के लिए दो जून की रोटी का सवाल इस कदर बड़ा हो गया है कि वो माउत्से तुंग को याद करते हुए जंगल-जमीन की लड़ाई लड़ते हुए बंदूक हाथ में थामने को बेकरार है. उसके बाद हमें यह बात समझनी होगी कि एक नई क्रांति की ज़रूरत है, और इस क्रांति के लिए नए कॉमरेड चाहिए. हम शेर हैं और शेरों की तरह हमें लड़ना होगा...."
इससे पहले कॉमरेड पूरा ज्ञान दे पाते, एक छात्र ने सीधा सवाल कर डाला-"कॉमरेड शेर हैं तो अब देश में 44 ही बचे होंगे.... चलिए, जितने बचे होंगे, वे शेर ही होंगे. आपने कहा है तो हम अभी कॉमरेड हो जाते हैं. बताइए अपना फेसबुक और टि्वटर हैंडल या व्हाटसएप नंबर. हम सब अभी फेसबुक पेज लाइक कर देते हैं. टि्वटर पर आपको फॉलो कर लेते हैं और व्हाट्सएप पर मैसेजिंग शुरु कर देते हैं. हो जाएंगे कॉमरेड."
रूस कम्युनिस्टों का मक्का है. वहां की एक कम्युनिस्ट रैली (फोटोःरॉयटर्स)
रूस कम्युनिस्टों का मक्का है. वहां की एक कम्युनिस्ट रैली (फोटोःरॉयटर्स)


"लेकिन, अभी पार्टी फेसबुक या टि्वटर पर ज़्यादा एक्टिव नहीं है." कॉमरेड ने थोड़ा धीरे से जवाब दिया.
"क्या??'', बच्चों के मुख से एक साथ निकला. बिन फेसबुक-टि्वटर पर एक्टिव हुए कैसी पार्टी. एक छात्र ने स्मार्टफोन पर पार्टियों के पेज को टटोला और धीरे से बुदबुदाया, "सर, फेसबुक पर बस ढाई लाख लाइक्स. और टि्वटर पर सिर्फ 70 हजार. इतने तो मेरे घर आने वाली कामवाली के पेज पर हैं. ज़रूर आपकी अभी नई पार्टी बनी होगी. तभी फेसबुक-टि्वटर-यूट्यूब कुछ है नहीं और नए बच्चे चाहिए, जो फ्री में काम करें. हद है यार. बिना तैयारी के पार्टी बना डालते हैं. और फिर इन्हें चाहिए कॉमरेड."
कॉमरेड अब थोड़ा झिझके क्योंकि सोशल मीडिया तो आज की जरुरत है. उन्होंने जवाब देने की कोशिश की और बोले, "बच्चों सोशल मीडिया आज की ज़रूरत है. इससे इंकार नहीं. हम लोगों ने पार्टी कांग्रेस में तय किया है कि हम लोग जल्दी ही सोशल मीडिया पर कायदे से उपस्थिति दर्ज कराएंगे."
"हांय! उपस्थिति दर्ज कराएंगे का क्या मतलब है सर? उपस्थिति दर्ज कराने से क्या होगा? बाकी पार्टियों के फेसबुक पेज पर दस-दस करोड़ मेंबर हो चले हैं और आप कह रहे हैं कि उपस्थिति दर्ज कराएंगे. तो हो लिया काम. और एक बात बताइए कि आपकी पार्टी क्या कांग्रेस से टूट कर निकली है. मेरी जीके अच्छी है. हाल फिलहाल तो कांग्रेस में कोई टूट हुई नहीं है तो यह पार्टी कांग्रेस में आपने कैसे तय कर लिया?"
कॉमरेड अब बौखलाने की सीमा तक आ गए. लेकिन बोले, "पार्टी कांग्रेस यानी पार्टी का महासम्मलेन."
"यह क्या मज़ाक है सर... महासम्मेलन यानी पार्टी कांग्रेस! महासमिति को आप पार्टी बीजेपी कह देंगे. ये क्या गड़बड़ है? ऐसे यूथ कंफ्यूज़ हो जाएगा सर. आज का यूथ पहले ही बहुत कंफ्यूज है सर. कॉलेज में किस लड़की को गर्लफ्रेंड बनाए, यह कंफ्यूज़न है. कॉलेज से निकले तो कौन सा कोर्स करे, ये कंफ्यूज़न है. नौकरी है नहीं तो नौकरी कैसे पाई जाए, ये कंफ्यूज़न है. शादी गर्लफ्रेंड से कैसे हो और हो तो उसके बाप को कैसे पटाया जाए और अपने बाप को कैसे समझाया जाए, इस पर विकट कंफ्यूज़न है. वॉट्सऐप पर रोज़ ऐसा कौन सा नया जोक भेजा जाए दोस्तों को कि लगे कोई मारू काम किया है, ये कंफ्यूज़न है. नए जोक ढूंढने में बड़ी मशक्कत होती है और काफी कंफ्यूज़न होता है नए पुराने के बीच भेद करने में. मार्केट में किस मोबाइल पर कौन सा ऑफर सबसे अच्छा है, इसे लेकर घनघोर कंफ्यूजन होता है. वोट डालने जाओ तो फिर कंफ्यूजन है कि किस पार्टी ने कौन सी बेस्ट डील दी है. यानी क्या फ्री वाई फाई ज़रूरी है या फ्री लैपटॉप. कौन सा यूथ लीडर बेस्ट है, इस पर भी कंफ्यूजन." एक सांस में सारे कंफ्यूज़न को गिनाते हुए छात्र ने कॉमरेड की तरफ देखा.
cpim.org से साभार
cpim.org से साभार


कॉमरेड अब घबराए हुए थे. कुछ बोलते, इससे पहले ही छात्र ने फिर सवाल दागा, "अच्छा ये बताइए आपकी पार्टी में यूथ लीडर कौन है."
"वो.....वो हमारी पार्टी का यूथ लीडर है....मिस्टर......"
'"अरे मिस्टर वगैरह छोड़िए. क्या ऐज है उनकी."
"वो.....करीब 70 के हुए हैं अभी."
70 सुनते ही क्लास खाली हो गई. सन्नाटा बिना एंट्री पास के सीधे पसर गया. पसर क्या गया-औंधा लोट गया. कॉमरेड सिर्फ एक गिलास पानी और क्रांति के महान विचार के साथ खड़े रह गए. बिन कॉमरेड क्रांति कैसे होगी या क्रांति के लिए अब कॉमरेड की ज़रूरत ही नहीं.
कॉमरेड अब खुद कंफ्यूज थे.


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