यकीन जानिए-वो तो 1000-2000 एकड़ जमीन पर कब्जा कर रखा है तो काम चल रहा है, वरना चुनाव के बाद कैश तो बचा ही नहीं. फिर, कर्नाटक में ही हमारे बड़े भाई जनार्दन रेड्डी ने बिना विधायक हुए, बिना मंत्री हुए जिस तरह बेटी की शादी में 500 करोड़ रुपए खर्च कर डाले-उसने दबाव बहुत बढ़ा दिया है. मेरी बीवी भी ज़िद पाले बैठी है कि बेटी की शादी में 250 करोड़ से कम खर्च किया तो अम्मा को घर बुला लूंगी और तुम्हारी छाती पर मूंग दलूंगी.

एक घोड़े के साथ मोदी जी. इस तस्वीर का आर्टिकल से कोई संबंध नहीं है.
मैं और मेरे जैसे कई विधायक ये रिस्क नहीं ले सकते. लेकिन क्या करुं? अभी तक कोई प्रस्ताव आपकी तरफ से मुझे नहीं मिला. माना कि आपको किला फतह करने के लिए सिर्फ 15-20 घोड़े चाहिए लेकिन बाजार में हर घोड़े को बराबर माना जाना चाहिए. हर घोड़े को निरपेक्ष भाव से देखा जाना चाहिए. कई घोड़े सदैव बिकने को तैयार रहते हैं, लेकिन उन्हें कभी कोई प्रस्ताव ही नहीं मिलता. इस चक्कर में उन पर 'ईमानदार' होने का टैग लग जाता है, और फिर उन्हें भविष्य में सिर्फ इसलिए कोई प्रस्ताव नहीं मिलता कि ईमानदार घोड़े का राजनीति में क्या काम !
मेरा स्पष्ट मानना है कि अगर मंडी सजती है तो हर घोड़े को बिकने का हक मिलना चाहिए. घोड़ा अगर बालिग है या कहें कि घोड़े में लंगड़ी लड़ाने की हिम्मत है तो उसे बिकने का मौका मिलना ही चाहिए. राजनीतिक मंडी में बिकना हर घोड़े का जन्मसिद्ध अधिकार है, और कोई पार्टी उससे यह हक नहीं छीन सकती.
मैं जानता हूं कि घोड़ों की खरीद-बिक्री खुलकर सामने आएगी तो आप पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लग सकता है. लेकिन-जिस लोकतंत्र की 1118384747 बार हत्या पहले ही हो चुकी है- उस लोकतंत्र की आप कैसे हत्या कर सकते हैं? फिर लोकतंत्र की कभी लाश भी नहीं मिली तो हत्या का आरोप सिद्ध नहीं हो सकता. मेरा मानना है कि ऐसे चिरकुटई भरे आरोपों से घबराने का मतलब नहीं है. खेल हमेशा खुलकर होना चाहिए. वैसे, मैं जानता हूं कि आप तो आरोपों से क्या ही घबराएंगे. जब आप आईपीसी की धारा में बाकायदा हत्या के आरोप लगने पर नहीं घबराए तो लोकतंत्र की हत्या के आरोप से क्या घबराएंगे.
मैं फिर आपसे विनम्र गुजारिश कर रहा हूं कि मुझे खरीदें. मेरी बोली लगाएं. आजकल न बिकना गलत है, न बोली लगना. आईपीएल की मंडी सजती है तो धोनी और कोहली को भी बिकते देखा है हमने. बाजारवाद में बिकना ही अंतिम सत्य है. साबुन-शैंपू हो या घोड़ा या नेता-सबका महत्व बिकने से ही हैं. प्लीज-मेरे महत्व को खारिज मत कीजिए। मुझे खरीद लीजिए...मुझे खऱीद लीजिए...
-बिकने को तैयार एक सेवक
नोट-ये गुजारिश भरा खत कन्नड़ में लिखा गया है। खाकसार ने सिर्फ ट्रांसलेट किया है :)
ये भी पढ़ें:
अगर 100 करोड़ का एक विधायक पड़ेगा तो बीजेपी के लिए कर्नाटक में सबसे सस्ता सौदा क्या है?
जस्टिस दीपक मिश्रा की पूरी कहानी, जिन्होंने आधी रात को 'कर्नाटक सर्कस' के लिए कोर्ट खुलवाई
येदियुरप्पा के साथ वो तो नहीं होगा जो पहले दो बार हो चुका है?
Live: येदियुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनकर रहेंगे - सुप्रीम कोर्ट
क्या कर्नाटक में राज्यपाल वजुभाई ने देवेगौड़ा से पुराना वाला बदला ले लिया है?
120 कमरे बुक, 100 करोड़ का ऑफर, और क्या-क्या होगा कर्नाटक में सरकार बनाने के चक्कर में?