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तीन मुख्यमंत्रियों को जेल भेजने वाले 'जायंट किलर' सरयू राय की कहानी

इनके आगे न बीजेपी टिकी न महागठबंधन की तिकड़ी.

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रघुबर दास की ही सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे सरयू राय. 17 नवंबर को अपने पड़ से इस्तीफा दिया, और सिलिंडर चुनाव चिह्न के साथ निर्दलीय चुनाव लड़ने उतरे. जमशेदपुर ईस्ट से जीत गए हैं. (तस्वीर: PTI/The Lallantop )
झारखंड विधानसभा चुनाव. झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद मिलकर चुनाव लड़ा. और अब सूबे में गठबंधन की सरकार बनने जा रही है. इस गठबंधन ने खासकर झामुमो ने ' झारखंड में बीजेपी दोबारा' के नारे को ध्वस्त कर दिया. लेकिन इस चुनाव में एक नेता ऐसा निकला जिसके आगे न गठबंधन की तिकड़ी टिक पाई और न मुख्यमंत्री रघुबर दास. बात हो रही है सरयू राय की. जिन्होंने मुख्यमंत्री को जमशेदपुर ईस्ट सीट पर हराया है. वही सीट जिसके लिए लोग कह रहे थे कि भई झारखंड में चुनाव तो बस यहीं हो रहा है.
इस सीट पर मुकाबला था कांग्रेस के गौरव वल्लभ. वही जिन्होंने संबित पात्रा से ट्रिलियन के ज़ीरो पूछ लिये थे. बीजेपी के रघुबर दास और सरयू राय का. राय ने इस सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था.
Raghubar Das 700 रघुबर दास और सरयू राय के बीच की तनातनी आज की नहीं, डेढ़ दशक पुरानी है. (तस्वीर: Twitter)

कौन हैं ये सरयू राय?
1951 में जन्म हुआ. बिहार के शाहबाद जिले में. बारहवीं तक की पढ़ाई गांव में हुई. फिर साइंस कॉलेज पटना से फिजिक्स में BSc की डिग्री ली. उसके बाद उसमें मास्टर्स भी किया. 2005 में पहली बार MLA बने थे. जमशेदपुर वेस्ट सीट से. उससे पहले 6 साल (1998-2004) तक वो बिहार में MLC रहे. यानी विधान परिषद के सदस्य.  2014 में फिर से जमशेदपुर वेस्ट से जीते, और विधायक बने. रघुबर दास की सरकार में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री बने. लेकिन रघुबर दास से उनकी बनी नहीं कभी, ऐसा जानकार कहते हैं.
2005-06 की बात है. रघुबर दास जब नगर विकास मंत्री हुआ करते थे, तब उन्होंने रांची के एक प्रोजेक्ट का ठेका दिया था. ये सिंगापुर की कंपनी थी. विधानसभा में सरयू राय मौजूद थे. उन्होंने जांच की, और कह दिया, कंपनी को गलत दिया गया ठेका. उस समय झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा थे. रिपोर्ट उनके पास भी गई. बस, रघुबर दास को बात खल गई.
Saryu Rai 2 सरयू राय ने बताया कि किस तरह उनके लिए रघुबर दास की कैबिनेट में रहना मुश्किल था. (तस्वीर: The Lallantop)

रघुबर नहीं चाहते थे कि सरयू मंत्री बनें
दी लल्लनटॉप से ख़ास बातचीत में उन्होंने बताया था कि पांच साल जब वो झारखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे, तब उन्हें रोज शर्मिंदगी झेलनी पड़ती थी. जिस तरह से फैसले लिए जा रहे थे, उससे वो सहमत नहीं थे. ये चीज़ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी बताई थी. त्यागपत्र देना चाहते थे. बताया कि रघुबर दास नहीं चाहते थे कि उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया जाए. लेकिन प्रधानमंत्री और केंद्र की तरफ से दबाव डालकर उन्हें रखा गया. उसके बाद भी रघुबर दास के ऊपर उन्होंने आरोप लगाए कि तामझाम पर कुछ ज्यादा खर्च किया गया. काम करने के तरीके पर भी आपत्ति रही. उन्होंने तो यहां तक कह दिया, कि रघुबर दास एक ऐसा दाग हैं जिनको न तो मोदी डिटर्जेंट साफ़ नहीं कर सकते हैं, और न ही शाह की लॉन्ड्री.
बीजेपी टालमटोल करने लगी तो सीधे सीएम को दे दी चुनौती
अबकी बार टिकट मिलने की जब बात हुई, तो सरयू राय को लगा टालमटोल हो रही है. इसके बाद उन्होंने सीधा मोर्चा खोल दिया. रघुबर दास के खिलाफ. कहा- निर्दलीय लड़ेंगे और जीत कर दिखा देंगे. ये भी कहा कि रघुबर दास के कई घोटालों के दस्तावेज हैं उनके पास. सबकी पोल-पट्टी खोली जाएगी. और ये बात जानी हुई है कि जहां भ्रष्टाचार को लेकर बात आती है, सरयू राय का नाम जायंट किलर फेमस है. सरयू राय जमशेदपुर पश्चिम से पूर्व की तरफ आ गए, और ताल ठोंक कर रघुबर दास को चुनौती दे दी.

तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को जेल भेजने वाले सरयू राय
बिहार का चारा घोटाला सरयू राय ने ही उघाड़ा था. और ये बात 1994 की है. मामला आगे बढ़ा तो जांच CBI के पास गई. इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव भी फंसे. उनको जेल हुई. तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके जगन्नाथ मिश्र भी इसी मामले में जेल गए. यही नहीं रुके सरयू राय. झारखंड के मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के राज में लौह अयस्क की खदानें अलॉट की गई थीं. इसमें आठ हजार करोड़ के घोटाले का पर्दाफ़ाश किया सरयू राय ने. मधु कोड़ा को भी जेल हुई.
सरयू राय चुनाव प्रचार के दौरान भी लगातार इस नारे को दोहराते रहे हैं, 'तीन को जेल भिजवाया अब चौथे की बारी है.'  इंडिया टुडे से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा था, ‘लगता है मेरी नियति में चौथे सीएम को भी जेल भेजना लिखा है.’


वीडियो: भाजपा से बागी हुए सरयू राय ने कहा, 'पीएम मोदी को बताया था कि कैबिनेट मीटिंग में मुझे शर्मिंदगी झेलनी पड़ती थी'

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