फरवरी का महीना था. साल था 1967. दूरदर्शन पर एक कॉन्टेस्ट चल रहा था. उसमें सवाल आया "रामायण में भगवान की माता का नाम क्या था?" सारे पार्टिसिपेंट गच्चा खा गए. कोई बता नहीं पाया. टाइम्स ऑफ इंडिया के दफ्तर में कॉमिक्स का डिपार्टमेंट देखने वाला एक आदमी ये सब देख रहा था. उकताहट से भर गया. अपने देश के फ्यूचर को ऐसे पंगु होता देखना बर्दाश्त नहीं हो रहा था. उसने फैसला किया कि अपनी क्रिएटिविटी से वो इस पीढ़ी को सामान्य ज्ञान और नैतिक शिक्षा पढ़ाएगा. वो भी फुल मनोरंजन देकर, बिना बोर किए. नौकरी छोड़ दी और रची अमर चित्र कथा. इस कार्टूनिस्ट का नाम था अनंत पई. बच्चों के बीच ऐसे फेमस हुए कि अंकल पई बन गए. अब से 15-20 साल पहले भारत में वो माहौल था जब बच्चों के पास मनोरंजन के लिए कॉमिक्स सबसे ऊपर थीं. क्योंकि उनको टीचर्स और पेरेंट्स से छिपाने की जरूरत नहीं पड़ती थी. नागराज, डोगा, शक्ति, परमाणु, सुपर कमांडो ध्रुव, भोगाल, मोटू पतलू सब ऐसे नहीं थे जिनसे घर वाले खार खाएं. इसलिए ये कॉमिक्स किराए पर चलती थीं. इन सबको रास्ता दिया अनंत पई ने. उन्होंने ऐसा रास्ता खोला जो इन सुपर हीरोज की शक्ल में स्कूली बस्तों में जाता था. हर शाम इनकी अदल बदल होती थी दोस्तों से. इसलिए अमर चित्र कथा से पहले बात उसके पापा अनंत पापा की. जिसको भारत का वॉट डिजनी कहा जाता था.

भारत में अंग्रेजों का राज था. टीपू सुल्तान का मैसूर कब का उनके कब्जे में आ चुका था. वहां की राजधानी हुआ करती थी कारकला. वहीं 17 सितंबर 1929 को वेंकटराय और सुशीला के घर पैदा हुए अनंत पई. पढ़ाई में अव्वल थे तो इंजीनियरिंग कर ली. तब इसके बारे में ये नहीं कहते थे कि "बहुत स्कोप है." फिर भी कर ली लेकिन करियर जर्नलिज्म में बनाया. अब बात दुनिया भर में 8 लाख 86 हजार कॉपीज़ की महा सेलिंग वाली अमर चित्र कथा की. अमर चित्र कथा में रामायण से शुरू होकर भारत में फैली लगभग सारी माइथॉलजी, एपिक, इतिहास की कहानियां इसमें आ गईं. भारत के उन बच्चों को जो अपनी परंपरा और संस्कृति से अनजान थे उनको उससे रूबरू कराने का लक्ष्य था.
अमर चित्र कथा दरअसल शुरू सन 65 में ही हो गई थी. वो भी कन्नड़ में. इसका आइडिया बैंगलोर के एक सेल्समैन ने दिया था जिसका नाम था जीके अनंत राम. इंगलिश में अमर चित्र कथा के नाम से 11वां अंक निकला, बाकी 10 कन्नड़ में थे. फिर इस आइडिया पर अनंत पई का हाथ लगा तो भयंकर चमक गया. उन्होंने प्रोफेशनल राइटर्स की टीम खड़ी की. जिसमें खास थे मार्गी शास्त्री, सुब्बा राव, दिवरानी मित्रा, कमला चंद्रकांत वगैरह. इन सबके साथ एडिटिंग और स्टोरी पर काम करते थे अनंत पई, तब इतने ऊंचे तक ये मुहिम पहुंच सकी.
जब नई नई कॉमिक्स शुरू हुई तो टीम लंबी थी, बजट कम. सपने की उड़ान लंबी थी, पंख छोटे. इसलिए शुरुआती कॉमिक्स में रंग बहुत कम थे. सिर्फ पीला, नीला और हरा. हालांकि आगे जाकर प्रॉब्लम सॉल्व हो गई. फिर जो शुरू हुई तो जातक कथा, पंचतंत्र, रामायण, महाभारत, अकबर बीरबल सबको लपेट लिया. थोड़ी कंट्रोवर्सी भी हुई. कहा गया कि इसमें हमारे पुराने स्टीरियो टाइप जारी रखे गए हैं जिनमें हीरो गोरा चिट्टा और राक्षस या विलेन काला रहता था. कभी ब्राह्मणवादी कल्चर को बढ़ावा देते. लेकिन इन आलोचनाओं के बाद भी अमर चित्र कथा की पापुलरिटी घटने की बजाय बढ़ती रही. दुनिया जब डिजिटल होने लगी तो अमर चित्र कथा भी हुई. 2007 में नए कलेवर ACK मीडिया के रूप में आया. 2008 में इसकी वेबसाइट भी लॉन्च हो गई. 24 फरवरी को 2011 में अंकल पई की हार्ट अटैक से डेथ हो गई थी. अब अंकल पई इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनका सपना रहती दुनिया तक रहेगा.
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