30 सालों से सब्जी बेच रहा बाप
सब्जी की दुकान चलाते हुए हरिशंकर शाह को 30 साल हो गए. इन 30 सालों में भी उनकी हालत में कुछ खास सुधार नहीं हुआ. अब भी उस मोहद्दीपुर फ्लाइओवर के नीचे सब्जी की दुकान है, जिसे हरिशंकर शाह और उमेश चलाते हैं. अब भी उनका परिवार सर्वोदयनगर के बिछिया वाले टूटे-फूटे घर में ही रहता है. लेकिन इन 30 सालों में एक बदलाव हुआ है और ये बदलाव हुआ है हरिशंकर के बड़े बेटे रमेश शाह की वजह से.
सब्जी की दुकान चलाता था, खोल लिया मॉल

रमेश शाह परिवार के साथ इसी मकान में रहता था. साथियों की गिरफ्तारी के बाद वो फरार हो गया था. Photo : NBT
रमेश शाह ने हाई स्कूल तक की पढ़ाई की और पिता की दुकान पर कुछ दिनों तक सब्जी बेची. इसके बाद उसने एक अलग ठेला लगा लिया और सब्जी बेचनी शुरू की. लेकिन 2013 में उसने सब्जी बेचनी छोड़ दी और गोरखपुर में प्रॉपर्टी डीलिंग करने लगा. डीलिंग भी सामान्य सी थी और ये काम वो जुलाई 2017 तक करता रहा. उसने दो शादियां की थीं. पहली पत्नी रमेश शाह के मां-बाप के साथ बिछिया वाले टूटे-फूटे घर में ही रहती थी. वहीं इसकी दूसरी पत्नी किराए के मकान में रहती थी. रमेश शाह खुद दोनों ही जगहों पर रहता था. उसकी दूसरी पत्नी से एक बेटा है, जिसका नाम है सत्यम. 31 अगस्त 2017 को उसने बेटे सत्यम के नाम पर गोरखपुर में असुरन इलाके में बीआरडी रोड पर सत्यम मार्ट नाम से दो मंजिला शॉपिंग मॉल खोल लिया. इस मॉल का किराया हर महीने एक लाख रुपये था. इसके अलावा उसने दुकान में 10 कर्मचारी रख रखे थे, जिन्हें वह हर महीने तन्ख्वाह दे रहा था. लेकिन वह रहता अपने उसी बिछिया वाले टूटे-फूटे घर में ही था. उसकी पत्नी भी उसी घर में रहती थी, इसकी वजह से गोरखपुर में वो किसी की निगाह में नहीं आ पाया था. उसके पिता हरिशंकर शाह, मां, भाई और पत्नी किसी को भी पता नहीं लगा कि उसके पास इतना पैसा कहां से आ गया. न घरवालों ने रमेश से कभी पूछा और न रमेश ने कभी घरवालों को बताया. पैसे आ रहे थे और घर चल रहा था. मार्च 2018 तक सब कुछ रमेश शाह के मुताबिक चलता रहा. उसका सत्यम मार्ट भी और उसका कारोबार भी. अचानक 24 मार्च 2018 से रमेश शाह की ये दुकान बंद हो गई और इसके पीछे जो वजह सामने आई, उसपर अब भी लोगों को यकीन करना मुश्किल हो रहा है. वजह ये है कि एटीएस के मुताबिक रमेश शाह एक आतंकवादी है, जिसे पाकिस्तान से पैसे मिलते थे.
कैसे खुला पूरा मामला

रमेश शाह का सत्यम मार्ट जो अब बंद हो चुका है.
24 मार्च 2018 को उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश की एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड ने उत्तर प्रदेश के रहने वाले प्रतापगढ़ के संजय सरोज, नीरज मिश्र, लखनऊ के साहिल मसीह, मध्यप्रदेश के रीवा का शंकर सिंह, बिहार के गोपालगंज का मुकेश प्रसाद, कुशीनगर के पडरौना का मुशर्रफ अंसारी उर्फ निखिल राय, आजमगढ़ का सुशील राय उर्फ अंकुर राय, गोरखपुर के खोराबार का दयानंद यादव और इसके साथ ही दो सगे भाइयों नसीम अहमद और अरशद नईम को गिरफ्तार किया था. इनके पास से 52 लाख रुपये, छह स्वाइप मशीनें, मैग्नेटिक कार्ड रीडर और बड़ी संख्या में एटीएम कार्ड मिले थे. मुशर्रफ और मुकेश के पास से डायरी, पासबुक, लैपटॉप और फोन भी मिले थे. इनसे पूछताछ के दौरान पता चला कि ये सभी लोग पाकिस्तान के लिए भारत से पैसे जुटाते हैं, जिनका मास्टर माइंड रमेश शाह है. इसका खुलासा होने के तुरंत बाद ही रमेश शाह गोरखपुर से फरार हो गया था और इसी के साथ उसका खोला गया शॉपिंग मॉल भी बंद हो गया.
कैसे काम करता था शाह और उसका नेटवर्क

रमेश शाह भारत से पैसे पाकिस्तान भेजता था और वहां से पैसे फिर भारत में आते थे, जिसे आतंकवाद फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था.
पाकिस्तान हमेशा से भारत में टेरर फंडिंग करता रहता है. इसके कई तरीके होते हैं. पाकिस्तान में बैठे आतंकियों ने मोबाइल ऐप के जरिए भारत में लॉटरी का लालच दिया. लोग लालच में आ गए और लॉचरी में पैसे लगाने लगे. ये पैसे अलग-अलग खाते में आते थे, जिसे रमेश शाह केकक जरिए पाकित्सान भेज दिया जाता था. वहां से ये पैसा एक बार फिर से भारत में आता था, जिसका इस्तेमाल आतंकी वारदात, कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं, नार्थ ईस्ट और कर्नाटक में उपद्रवियों की फंडिंग के लिए किया जाता था. पैसा कब और किसको भेजना है, इसकी जिम्मेदारी रमेश शाह की ही होती थी. वो इंटरनेट कॉल के जरिए पाकिस्तान के संपर्क में रहता था, जिसकी वजह से सुरक्षा एजेंसियों को कुछ भी पता नहीं चल पाता था. एटीएस के मुताबिक टेरर फंडिंग का ये पूरा नेटवर्क पाकिस्तान, नेपाल और कतर तक फैला है. रमेश शाह ने इस लॉटरी के जरिए करीब एक करोड़ रुपये पाकिस्तान भेजे हैं, जिसका इस्तेमाल भारत में आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया गया है. एटीएस के मुताबिक पाकिस्तान में इस पूरे वारदात को अंजाम देने वाला संगठन लश्कर-ए-तैयबा है, जिससे रमेश शाह सीधे तौर पर जुड़ा हुआ था.
फेसबुक पर ऐक्टिव रहा है रमेश शाह

रमेश ने अपने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि मेहनत सीढ़ियों की तरह होती है और किस्मत लिफ्ट की तरह. लिफ्ट किसी भी वक्त बंद हो सकती है, लेकिन सीढ़ियां हमेशा ऊंचाई पर ले जाती हैं. लेकिन अब उसकी लिफ्ट भी बंद हो गई हैं और उसे ऊंचाई पर चढ़ाने वाली सीढ़ियों ने ही उसे गर्त में पहुंचा दिया है.
रमेश शाह फेसबुक पर भी खासा ऐक्टिव रहा है. वो फेसबुक पर चलने वाले ऐप्स भी इस्तेमाल करता रहा है. आखिरी बार 22 मार्च को उसने फेसबुक पर अपडेट किया था, जिसमें वो फेसबुक ऐप के जरिए अपने लिए सुटेबल डॉयलॉग तलाश रहा था. फेसबुक पर उसके 1,121 दोस्त हैं, जिनमें गोरखपुर के कई बड़े नाम भी शामिल हैं. इसके अलावा उसने सत्यम मार्ट के नाम से फेसबुक पेज भी बना रखा है. सत्यम मार्ट के उद्घाटन की भी खूब सारी फोटोज उसने फेसबुक पर डाल रखी हैं. इसके अलावा फेसबुक पर उसने नवरात्रि की शुभकामनाएं भी दी हैं.
जाकिर नाईक को सुनकर बन गया आतंकी

एटीएस के मुताबिक जाकिर के वीडियो सुनकर रमेश शाह आतंकी राह पर आगे बढ़ता चला गया.
एटीएस के दावे के मुताबिक रमेश शाह यू-ट्यूब पर जाकिर नाईक के वीडियो देखकर इतना प्रभावित हो गया कि वो आतंकी गतिविधियों से जुड़ गया. अब पुलिस और एटीएस गोरखपुर में रमेश शाह के करीबियों का ठिकाना तलाश रही है. वहीं रमेश के माता-पिता हरिशंकर शाह और सुशीला का कहना है कि रमेश शाह से उनकी आखिरी मुलाकात 26 मार्च 2018 को हुई थी. 24 मार्च को एटीएस ने रमेश शाह के साथियों को गिरफ्तार किया था. इसके बाद से ही एटीएस को रमेश की तलाश थी. लेकिन रमेश 26 मार्च की दोपहर में अपने घर गया था और अपने पिता हरिशंकर शाह से दिल्ली में एक शादी में शामिल होने के लिए कहकर निकला था. उसके बाद से ही वो पुणे चला गया था. 19 जून को एटीएस उसे गिरफ्तार कर सकी है और अब उससे लखनऊ में लगातार पूछताछ की जा रही है.
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