कैसे चुने जाते हैं मनोनीत सदस्य
राज्यसभा में अधिकतम 250 सदस्य हो सकते हैं. इनमें से 238 सदस्य अलग-अलग राज्यों के प्रतिनिधि के रूप में चुनकर आते हैं. फिलहाल राज्यसभा में सांसदों की संख्या 245 है. जिनमें से 233 राज्यों के प्रतिनिधि हैं. और बाकी के 12 सदस्यों को राष्ट्रपति अपनी तरफ से मनोनीत करते हैं. संविधान का अनुच्छेद 80 राष्ट्रपति को राज्यसभा में सदस्य मनोनीत करने का अधिकार देता है. इसके तहत उन्हें प्रधानमंत्री सलाह देते हैं. एक तरह से प्रधानमंत्री के कहने पर ही राष्ट्रपति किसी सदस्य को मनोनीत करते हैं.
आसान भाषा में कहें तो मनोनीत सदस्य वे होते हैं जिनके लिए चुनाव नहीं होते. ये किसी राजनीतिक दल से नहीं आते हैं. हालांकि राज्यसभा में जाने के बाद किसी दल में जा सकते हैं.

राज्य सभा संसद का ऊपरी सदस्य है. इसमें अभी 245 सदस्य हैं.
किन क्षेत्रों से चुने जाते हैं मनोनीत सदस्य
साहित्य, विज्ञान, कला, सामाजिक सेवा, खेल जगत में बेहतरीन काम करने वाले लोगों को राज्यसभा में मनोनीत किया जाता है. राज्यसभा की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार 1952 से अब तक 137 लोग मनोनीत सदस्य के रूप में राज्यसभा पहुंचे हैं
. रंजन गोगोई 138वें मनोनीत सदस्य होंगे.
1952 में सबसे पहले इन 12 लोगों के मनोनीत किया गया था-
डॉ. जाकिर हुसैन (शिक्षाविद) डॉ. कालिदास नाग (इतिहासकार) डॉ. राधा कुमुद मुखर्जी (इतिहासकार) मैथिलीशरण गुप्त (कवि) काकासाहेब कालेलकर (लेखक) सत्येंद्र नाथ बोस (वैज्ञानिक) एनआर मल्कानी (सामाजिक कार्यकर्ता) रुकमणि देवी अरुंदले (क्लासिकल डांसर) डॉ. जेएम कुमारप्पा (गांधीवादी विद्वान और अध्यापक) डॉ. अल्लादी कृष्णास्वामी (कानूनी विद्वान) पृथ्वीराज कपूर (अभिनेता) मेजर जनरल एसएस सोखे (मेडिकल साइंटिस्ट)
मनोनीत सदस्यों के अधिकार और सुविधाएं
मनोनीत सदस्यों को चुने गए सदस्यों के बराबर ही अधिकार मिलते हैं. वे सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेते हैं, चर्चा में बोल सकते हैं. बिल पास करने की प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं. बिल के पक्ष या विपक्ष में वोट कर सकते हैं. हालांकि वे राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं कर सकते. लेकिन उपराष्ट्रपति को चुनने के लिए वोट डाल सकते हैं. इसी तरह बाकी सांसदों की तरह ही उन्हें भत्ता और आवास मिलता है. मनोनीत सदस्यों को अपनी संपत्ति की जानकारी नहीं देनी पड़ती.

राकेश सिन्हा, सुब्रमण्यम स्वामी, नरेंद्र जाधव और स्वप्न दासगुप्ता. (घड़ी के चलने की दिशा में)
क्या किसी राजनीतिक दल में जा सकते हैं मनोनीत सांसद
आमतौर पर मनोनीत सांसद सत्ताधारी दल के नजदीक ही माने जाते हैं. लेकिन इनका किसी दल के साथ होना जरूरी नहीं. कोई मनोनीत सदस्य राज्यसभा में जाने के बाद किसी दल में शामिल होने का फैसला छह महीने के अंदर ले सकता है. जैसे 2018 में राकेश सिन्हा, राम सकाल, सोनल मानसिंह, स्वप्न दासगुप्ता, सुब्रमण्यम स्वामी और नरेंद्र जाधव मनोनीत सांसद के रूप में राज्यसभा में गए थे. इनमें से सिन्हा और स्वामी बीजेपी में शामिल हो गए थे. वहीं नरेंद्र जाधव ने किसी पार्टी को नहीं चुना.
मशहूर हस्तियां जो मनोनीत राज्यसभा सांसद बनीं-
हरिवंशराय बच्चन (कवि) हबीब तनवीर (साहित्यकार) नरगिस दत्त (अभिनेत्री) खुशवंत सिंह (लेखक/ पत्रकार) एमएफ हुसैन (पेंटर) आरके नारायण (साहित्यकार) पंडित रविशंकर (संगीतकार) मृणाल सेन (फिल्मकार) शबाना आजनी (अभिनेत्री) कुलदीप नैयर (पत्रकार) नाना देशमुख (सामाजिक कार्यकर्ता) लता मंगेशकर (गायिका) फली एस नरीमन (वकील) बिमल जालान (अर्थशास्त्री) दारा सिंह (खिलाड़ी, अभिनेता) हेमा मालिनी (अभिनेत्री) जावेद अख्तर (कवि) सचिन तेंदुलकर (खिलाड़ी) नवजोत सिंह सिद्धू (खिलाड़ी) राम जेठमलानी (वकील) रूपा गांगुली (अभिनेत्री) एमसी मैरीकोम (खिलाड़ी)
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