अभी ऐसा माना जा रहा था कि पनीरसेल्वम आराम से कुर्सी खाली कर देंगे. और शशिकला मुख्यमंत्री बन जाएंगी. पार्टी की जनरल सेक्रेटरी शशिकला ने अभी पनीरसेल्वम को पार्टी ट्रेजरार के पद से हटा दिया था. पर एक इंटरव्यू में पनीर ने पार्टी के ऐसे लोगों पर जबर्दस्त प्रहार किया. पार्टी में दी गई अपनी सेवा के बारे में खुल के बोला. जयललिता के अपने ऊपर किये गये भरोसे के बारे में बोला. 2002 में जब जयललिता को गद्दी छोड़नी पड़ी थी तब पनीरसेल्वम ही मुख्यमंत्री बने थे. और जया के आने के बाद तुरंत अपनी पोजीशन में चले गए.
फिर 2014-15 में जब जयललिता जेल गईं तब पनीरसेल्वम को ही दुबारा मुख्यमंत्री बनाया गया था. जयललिता ने पार्टी के कार्यकर्ताओं से कहा था कि अगर काम करना है और नाम बनाना है तो पनीरसेल्वम से सीखना. और जब जयललिता की मौत हुई तो पनीरसेल्वम को ही सत्ता में बैठाया गया. पर जयललिता की करीबी रही शशिकला के समर्थकों ने बीते दिनों में माहौल पलट दिया. ऐसा लगा कि पनीरसेल्वम हमेशा नाइस गॉय ही बने रह जाएंगे.
पर आखिरी क्षणों में जबर्दस्त मानसिक मजबूती का परिचय देते हुए पनीरसेल्वम ने अपनी नाइस गॉय वाली छवि को ही कुछ यूं पलट दिया कि विरोधी त्राहिमाम करने लगे.
पनीरसेल्वम ने कहा, "2001 से लेकर अब तक मैंने पार्टी के हर पद पर जीतोड़ काम किया है. अम्मा का मुझमें बहुत भरोसा था. पार्टी के डेढ़ लाख कार्यकर्ताओं ने इसे देखा है. मेरी मेहनत और अनुशासन को. मैंने कोई पद किसी से कभी नहीं मांगा. अम्मा ने ही मुझे हर पद दिया है. अगर मैं भरोसे के लायक नहीं रहता तो, मुझे वो कोई पद क्यों देतीं. मंगलवार को मरीना बीच पर हुए कॉन्फ्रेंस में भी मैंने बस 10 प्रतिशत बातें ही कहीं. सारा नहीं बोला था. बता हूं कि 75 दिनों तक मैं अम्मा से मिलने गया था हॉस्पिटल में. पर मुझे एक बार भी मिलने नहीं दिया गया. ऐसे माहौल में शशिकला को क्या जल्दी थी मुख्यमंत्री बनने की. मैं तो हैरान हूं. मैं ये भी क्लियर कर दूं कि मैं भाजपा से नहीं मिला हूं."

IANS
पनीरसेल्वम की इस बात के बाद जयललिता की मौत को लेकर हो रही कॉन्सपीरेसी थ्योरीज को एक नई ताकत मिली है. लोगों को लगने लगा है कि जरूर कुछ गड़बड़ हुई है.
अभी कुछ बातें हुई हैं..अचानक से पनीरसेल्वम की इमेज उस बलिदानी की तरह हो गई है जो मुसीबत के वक्त चट्टान बनकर खड़ा हो जाता है पर खुशियों में दूर कहीं काम देख रहा होता है. जनता के इमोशंस के लिए ये बड़ी चीज होती है. राजनीति में शासकों को दो भाग में बांटा भी गया है. शेर और लोमड़ी. शेर वाले ताकत के दम पर सत्ता हासिल करते हैं, लोमड़ी वाले चालाकी के दम पर. पर ये भी होता है कि दोनों एक-दूसरे को वक्त -बेवक्त हटा के सत्ता लेते रहते हैं.
पनीरसेल्वम ने चेन्नई के पुलिस कमिश्नर जॉर्ज को हटा कर संजय अरोड़ा को बनाने का निर्णय लिया है. ये एकदम से राजनीतिक मूव लग रहा है.
वहीं तमिलनाडु के गवर्नर विद्यासागर राव चेन्नई पहुंच चुके हैं. पर वो पहले पनीरसेल्वम से ही मिलेंगे. उसके बाद ही शशिकला से मिलेंगे. ज्यादातर विधायक शशिकला के साथ हैं. पर गवर्नर ने दोनों लोगों को कहा है कि दस से ज्यादा लोगों को लेकर मत आइएगा.
सुबह की खबर थी कि 100 से ऊपर विधायकों को कहीं किसी अज्ञात जगह पर ले जाया गया है. ये स्थिति खतरनाक होती है. डेमोक्रेसी के लिए.
पर पनीरसेल्वम के लिए अप्रत्याशित रूप से और जगहों से सपोर्ट आ रहा है. कमल हासन ने इनके सपोर्ट में ट्वीट किये हैं. इंटरव्यू दिया है. इनके साथ बाकी एक्टर भी बोल रहे हैं. जनता भी प्रदर्शन कर रही है कि पनीरसेल्वम को ही मुख्यमंत्री रखा जाए.
पनीरसेल्वम ने शशिकला का एक लेटर भी पढ़ा, जो कि उन्होंने 2012 में लिखा था. उस वक्त जयललिता ने शशिकला को पार्टी से बाहर कर दिया था. लेटर कुछ यूं थाः
मैं अपने सपनों में भी अक्का (बड़ी बहन) को धोखा नहीं दे सकती. 24 सालों से मैं उनके साथ उनके घर में रह रही हूं. पार्टी या सरकार में कुछ पोस्ट लेने की मेरी कोई इच्छा नहीं है. मैंने अक्का को अपनी पूरी जिंदगी समर्पित की है. मैं पूरी जिंदगी उनकी सेवा करूंगी. पोएस गार्डन से बाहर आने के बाद ही मुझे पता चला कि मेरे रिश्तेदार मेरी जयललिता के साथ नजदीकियों का नाजायज फायदा उठा रहे थे. मेरा कोई रोल नहीं है उसमें. ऐसा कोई भी रिश्तेदार मेरे लिए मायने नहीं रखता है.अब इस लेटर के पढ़ने के बाद ये शशिकला के खिलाफ इमोशन बन रहे हैं. पर विधायकों ने प्रक्रिया जटिल बना दी है.
पनीरसेल्वम की कहानी
14 जनवरी 1951 को पनीरसेल्वम का जन्म हुआ था. तमिलनाडु के पेरियाकुलम में. उथमपलयम से उन्होंने बीए किया. किसानी भी करते थे. पर एक दोस्त ने इनको पॉलिटिक्स में धकेल दिया. शुरुआत हुई DMK से. 1969 में इसके कार्यकर्ता बन गये. ये ग्रासरुट के कार्यकर्ता थे. म्युनिसपैलिटी और विधानसभा के चुनावों में घर-घर जाकर प्रचार करने वाले. 1973 में जब MGR ने AIADMK बना ली तब ये उसमें चले गए. एकदम फाउंडर मेंबर के अंदाज में. कभी किसी पोस्ट को लेकर इन्होंने अपनी मंशा जाहिर नहीं की.
1970 में पनीरसेल्वम ने थेनी में चाय की एक दुकान लगाई. बाद में उन्होंने इसे अपने भाई को दे दिया. उन्होंने इसका नाम 'रोजी कैंटीन' कर दिया.