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113 एनकाउंटर करने वाले प्रदीप शर्मा कौन हैं, जिन्हें उम्रकैद की सजा हुई है

सौ से अधिक एनकाउंटर करने वाले Mumbai Police के पूर्व अधिकारी Pradeep Sharma को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.

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प्रदीप शर्मा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)

प्रदीप शर्मा (Pradeep Sharma). मुंबई पुलिस के एक पूर्व पुलिस अधिकारी. कभी अखबारों की सुर्खियों में छाए रहे. 113 एनकाउंटर किए. फिर पुलिस की नौकरी छोड़ी और राजनीति में भी हाथ आजमाया. अब बॉम्बे हाई कोर्ट ने शर्मा को उम्रकैद की सजा सुनाई है. 2006 में रामनारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया के फर्जी एनकाउंटर मामले में उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. लखन कथित तौर पर गैंगस्टर छोटा राजन का करीबी था. इस आर्टिकल में जानेंगे कि 100 से अधिक पुलिस एनकाउंटर में शामिल होने वाले प्रदीप शर्मा उम्रकैद की सजा तक पहुंचे कैसे.

मूल रूप से प्रदीप शर्मा उत्तर प्रदेश के आगरा के रहने वाले हैं. प्रदीप के पिता अंग्रेजी के प्रोफेसर थे और महाराष्ट्र के धुले में एक कॉलेज में नौकरी करते थे. परिवार को भी वहीं बुला लिया और फिर वहीं बस गए. प्रदीप शर्मा की पढ़ाई-लिखाई धुले में ही हुई. 1983 में उनका चयन महाराष्ट्र पुलिस सेवा में हो गया. पहली पोस्टिंग मिली मुंबई के माहिम पुलिस स्टेशन में. कुछ समय बाद उन्हें जुहू में बॉम्बे पुलिस की स्पेशल ब्रांच में तैनात किया गया. 

1990 के दशक में बंबई (आज की मुंबई) में अंडरवर्ल्ड का बोलबाला था. सरकार ने उन अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए एक स्पेशल टीम बनाई. जिसमें प्रदीप शर्मा समेत मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच के कुछ चुनिंदा अफसरों को शामिल किया गया. इसके बाद ये टीम अंडरवर्ल्ड से जुड़े लोगों से निपटने में जुट गई. इस टीम ने कई एनकाउंटर किए. इस टीम और टीम में शामिल पुलिस अधिकारियों को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहा जाने लगा.

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प्रदीप शर्मा का नाम अखबारों की सुर्खियों में छपने लगा. कहते हैं कि प्रदीप शर्मा के नाम का असर अंडरवर्ल्ड पर दिखने लगा था. पुलिस विभाग में भी प्रदीप का रुतबा बढ़ गया. उन्हें तरक्की देकर मुंबई पुलिस की क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट में सीनियर इंस्पेक्टर बना दिया गया. तब तक उन्हें पुलिस सेवा में 25 साल हो चुके थे. उनके नाम 113 अपराधियों के एनकाउंटर दर्ज थे. उन्होंने कई आतंकियों को भी ढेर किया था. अंडरवर्ल्ड के सबसे बड़े डॉन दाऊद इब्राहिम के भाई इकबाल कास्कर को भी प्रदीप ने ही गिरफ्तार किया था.

26/11 के मुंबई हमले में शहीद हुए विजय सालसकर क्राइम ब्रांच में प्रदीप शर्मा के साथ काम करते थे. सुभाष माकडवाला और अंडरवर्ल्ड डॉन रवि पुजारी के गुरु श्रीकांत मामा के एनकाउंटर में ये दोनों पुलिस वाले शामिल थे. इसके कुछ समय बाद शर्मा को क्राइम ब्रांच से एंटी नारकोटिक्स सेल में तैनात कर दिया गया था.

नौकरी चली गई

फिर आया साल 2006 जब शर्मा की परेशानी बढ़ी. एक पुलिस एनकाउंटर में उन्होंने अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के कथित गुर्गे रामनारायण गुप्ता को मार गिराया. इस मामले की जांच हुई. जांच में पता चला कि एनकाउंटर फर्जी था. शर्मा विवादों में घिर गए. उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. सुनवाई चली. अदालत ने शर्मा को दोषी करार दिया और साढ़े 3 साल कैद की सजा सुनाई. मुश्किलें और बढ़ीं. महाराष्ट्र सरकार ने उनको साल 2008 में पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया. 

2013 में इस मामले में कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था. 4 साल वो विभाग में वापसी के लिए जद्दोजेहद करते रहे. साल 2017 में उन्हें महाराष्ट्र पुलिस सेवा में वापस ले लिया गया. अब इसी मामले में शर्मा को बॉम्बे हाई कोर्ट ने उम्रकैद की सुनाई है. 

शर्मा पर लखन भैया को नवी मुंबई के वाशी में उसके घर से किडनैप करने, गोली मारने और पूरे क्राइम को एक एनकाउंटर के रूप में दिखाने का आरोप था. 19 मार्च 2023 को जस्टिस रेवती मोहित डेरे और जस्टिस गौरी गोडसे की पीठ ने ये फैसला सुनाया. पीठ ने माना कि ट्रायल कोर्ट का फैसला 'गलत' और 'अस्थिर' था. ट्रायल कोर्ट ने प्रदीप शर्मा के खिलाफ मौजूद सबूतों को नजरअंदाज कर दिया था. हाई कोर्ट ने कहा कि कानून के रखवालों को वर्दीधारी अपराधियों की तरह काम करने की इजाजत नहीं दी जा सकती.

शर्मा पर अंडरवर्ल्ड के साथ मिलीभगत के आरोप भी लगे थे. 

राजनीति में भी आजमाया हाथ

साल 2019 में प्रदीप शर्मा ने अचानक ही पुलिस सेवा से VRS ले लिया था. इसके बाद उन्होंने राजनीति का रुख किया और शिवसेना की सदस्यता ले ली. शिवसेना ने प्रदीप शर्मा को मुंबई की नालासोपारा सीट से विधानसभा चुनाव में उतारा. लेकिन वो चुनाव हार गए. उन्हें बहुजन विकास अघाड़ी के उम्मीदवार क्षितिज ठाकुर ने मात दे दी. प्रदीप शर्मा ने 35 साल पुलिस में काम किया. इस दौरान उन्होंने सुर्खियां भी बटोरी और विवादों में भी रहे. अब प्रदीप शर्मा अपनी NGO चलाते हैं. अगर प्रदीप शर्मा 2019 में VRS नहीं लेते, तो मई 2020 में महाराष्ट्र पुलिस से उनका रिटायरमेंट होता.

इसके बाद 17 जून 2021 को एंटीलिया और मनसुख मर्डर केस में नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (NIA) ने शर्मा को गिरफ्तार कर लिया. ये मामला 25 फरवरी 2021 का था. मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटक से भरी एक स्कॉर्पियो बरामद हुई थी. इसमें 20 जिलेटिन की छड़ें और एक धमकी भरा नोट मिला था. इस घटना के बाद एक और नाम सामने आया- मनसुख हिरेन का. 

मनसुख हिरेन मुंबई से सटे ठाणे जिला में गाड़ियों के स्पेयर पार्ट्स का बिजनेस चलाते थे. और ठाणे के डॉ आंबेडकर रोड पर स्थित विकास पाम्स नाम की सोसाइटी में रहते थे. एंटीलिया के पास 25 फरवरी को जिस कार में विस्फोटक और धमकी भरा पत्र मिला था, जो मनसुख की ही थी. इस मामले में मुंबई पुलिस ने मनसुख से कई बार घंटों तक पूछताछ की थी. हिरेन ने दावा किया था कि कार उनकी ही है लेकिन घटना से एक हफ्ते पहले वह चोरी हो गई थी. 

इस मामले में पेच उस समय आया जब 5 मार्च 2021 को मनसुख हिरेन का शव ठाणे में कलवा क्रीक में मिला. हिरेन की पत्नी ने दावा किया कि उनके पति ने उस कार को पिछले साल नवंबर में सचिन वझे नाम के शख्स को दी थी और उन्होंने फरवरी के पहले हफ्ते में ये कार लौटाई थी.

प्रदीप शर्मा जांच एजेंसी के रडार पर कैसे आए?

बताया जा रहा है कि मनसुख के मर्डर से कुछ दिन पहले सचिन वझे और एक शख्स के बीच अंधेरी इलाके में एक बैठक हुई थी. प्रदीप शर्मा भी इसी इलाके में रहते हैं. जांच एजेंसी को आशंका थी कि मीटिंग सचिन वझे और शर्मा के बीच हुई थी. इसके अलावा एक CCTV फुटेज में सचिन वझे और विनायक शिंदे बांद्रा वर्ली सी लिंक पर कार में बैठे दिखे थे. एजेंसी ने माना कि ये दोनों अंधेरी में शर्मा से मिलने ही जा रहे थे. क्योंकि मनसुख हिरेन को जिस नंबर से कॉल कर बुलाया गया, उसका आखिरी लोकेशन भी अंधेरी का जेबी नगर था. इस मामले की जांच NIA कर रही थी. NIA ने अदालत में बताया कि मनसुख की हत्या में प्रदीप शर्मा का भी हाथ था.

वीडियो: अम्बानी एंटीलिया केस में मुंबई के टॉप कॉप रहे प्रदीप शर्मा NIA के शिकंजे में कैसे आ गए?