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लाल किले से मणिपुर हिंसा पर बोले PM मोदी, विपक्ष ने घेरा

कांग्रेस अध्यक्ष खरगे बोले अगले साल PM मोदी लाल किले पर नहीं अपने घर पर झंडा फहराएंगे.

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लाल किले से PM मोदी ने किया 2024 के चुनाव का जिक्र, विपक्ष भड़का (फोटो: पीटीआई )

लाल किले से अपने दूसरे कार्यकाल के आखिरी भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने 2024 के चुनाव की लकीर खींच दी है. अपने डेढ़ घंटे के भाषण में पीएम मोदी ने हर उस मुद्दे को छूने की कोशिश की जिसे विपक्ष चुनाव में उठा सकता है या सरकार चुनाव में भुना सकती है. बात मणिपुर से शुरू हुई और 2024 के स्वंतत्रा दिवस तक गई. पीएम मोदी ने विपक्ष को बिना नाम लिए घेरा भी और अपनी सरकार के कामों का बखान भी किया.

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लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर जब प्रधानमंत्री मोदी चर्चा के अंत में जवाब दे रहे थे. तो विपक्ष उन्हें घेर रहा था कि एक घंटे से ज्यादा देर का भाषण हो गया लेकिन मणिपुर का उन्होंने जिक्र भी नहीं किया. आज लाल किले से प्रधानमंत्री ने जब भाषण शुरू किया तो पहली बात मणिपुर की हुई. उन्होंने कहा कि पूरा देश मणिपुर के साथ है. पीएम ने शांति की अपील भी की. उन्होंने कहा कि शांति से ही समस्या का समाधान निकाला जा सकता है.

मणिपुर के बाद प्रधानमंत्री ने देश में तकनीकि की तरक्की की बात की. उन्होंने देश के युवाओं की तारीफ की. उनका कहना था कि आज स्टार्ट अप इकोसिस्टम की दुनिया में भारत विश्व के तीन पहले देशों में शुमार है. और इसके लिए पीएम ने देश के युवाओं को सूत्रधार बताया. लेकिन यहां उन्होंने एक अहम पहलू की ओर ध्यान दिलाया. प्रधानमंत्री का कहना था कि इस सफलता में बड़े शहरों के ही नहीं, छोटे-छोटे शहरों के युवाओं की भी अहम भागीदारी है. दरअसल, पीएम मोदी यहां उस नज़रिए को रेखांकित कर रहे थे कि टेकनॉलजी की बात को सिर्फ दिल्ली, मुंबई या बैंगलौर जैसे मेट्रो सिटीज़ तक ही सीमित नहीं किया जा सकता. वैसे तो इस धारणा की वजह भी है. Google, Facebook, TCS, WIPRO, ORACLE, जैसी देश-विदेश की बड़ी IT कंपनियों को दफ्तर बड़े शहरों में ही हैं. नौकरियों के लिए युवाओं को इन्हीं शहरों में आना पड़ता है.

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प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कोरोना काल को भी याद किया. उन्होंने दावा किया कि कोरोना काल में दुनिया की सप्लाई चेन बर्बाद हो गई थी. बड़ी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव था. लेकिन ऐसी परिस्थितियों में भी मानवीय संवेदनाओं को छोड़ा नहीं जा सकता. प्रधानमंत्री के आज के भाषण को सुनेंगे तो एक नई बात आपको मिलेगी. जनता से अपना संवाद स्थापित करने में पीएम मोदी अपना लोहा मनवा चुके हैं. और अब उनके भाषण में 'भाइयों और बहनों' की जगह 'मेरे परिवारजनों' ने ले ली है.  

पीएम ने देश की अर्थव्यवस्था पर भी बात की. हाल में देश की अर्थव्यवस्था दुनिया के शीर्ष पांच देशों में शुमार हुई. यहां अर्थव्यवस्था जब हम कह रहे हैं तो Total GDP की बात हो रही है. इसका मतलब ऐसा बिलकुल नहीं है कि देश में गरीबी और भुखमरी खत्म हो गई है. देश की पर कैपिट इनकम यानी प्रति व्यक्ति आय सालाना 2 लाख रुपए ही है. यानी 20 हजार से भी कम. और ये आंकड़ा तब है जब देश में अमीरों और गरीबों के बीच भयानक आर्थिक असमानता है.

बहरहाल, प्रधानमंत्री ने आज कहा कि आज हम शीर्ष पांच देशों में शामिल हैं. लेकिन आने वाले सालों में जल्द ही तीन बड़ी अर्थवस्थाओं में भी भारत का नाम होगा. उनका कहा था कि अगर इमानदारी से काम किया जाए तो देश के गरीबों तक लाभ पहुंचाया जा सकता है. और इसी दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि वो लालकिले की प्रचीर से 10 सालों का हिसाब देने की बात भी कही. अर्थव्यवस्था पर अपनी बात कहते हुए पीएम मोदी ने कहा कि देश में साढ़े 13 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं. इसके लिए उन्होंने अपनी सरकार की योजनाओं के योगदान को भी गिनवा दिया. लेकिन इसके बाद उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर नया ऐलान कर दिया. सरकार इस साल विश्वकर्मा योजना लॉन्च करने जा रही है.

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यहां पीएम मोदी की एक और बात का जिक्र करना जरूरी है. उन्होंने महंगाई की भी बात की. उन्होंने कहा कि पहले कोरोना और फिर यूक्रेन-रूस युद्ध ने पूरी दुनिया में एक नई मुसीबत पैदा कर दी. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया को महंगाई ने जकड़ लिया है. उन्होंने कहा हम भी बाकी देशों की तरह कई तरह के सामान और सुविधाएं आयात करते हैं. और इसी के साथ हम महंगाई भी आयात कर लेते हैं. हालांकि प्रधानमंत्री ने दावा किया कि महंगाई के मामले में हमारे देश की स्थिति बाकी देशों से बेहतर है.

हालांकि जब प्रधानमंत्री महंगाई पर काबू पाने की बात कह रहे थे. तब महंगाई दर पर भी हमे नज़र डालनी चाहिए. खुदरा महंगाई 15 महीनों के अधिकतम स्तर पर पहुंच चुकी है. जुलाई में रीटेल इन्फ्लेशन 7.44 फीसदी रहा. और इसकी बड़ी वजह हमारे आपके खाने की थाली से जुड़ी है. टमाटर के दाम महीने भर से ज्यादा से सुर्खियों में बने हुए हैं. सब्जियों के दाम सुनकर मध्यम वर्गीय परिवार भी दाल रोटी तक खुद को सीमित करने पर मजबूर हो रहे हैं. हालांकि दाल भी कोई सस्ती नहीं है. लेकिन सब्जियों का हाल कुछ ऐसा है कि मंडी जाने पर आपका बटुआ खाली हो जाएगा लेकिन थैला नहीं भरता. और यही इस बार की महंगाई दर में सामने भी आया.

लौटते हैं प्रधानमंत्री के भाषण पर. उन्होंने देश की सुरक्षा और सेना पर भी बात की. पीएम ने कहा कि देश में बम धमाके कम हुए है. आतंकी हमलों में काफी कमी आई है. उन्होंने कहा कि देश की सीमाएं सुरक्षित हैं और अब लोगों में सुरक्षा की भावना है.

इसके बाद प्रधानमंत्री ने देश की महिलाओं की सराहना की. उन्होंने कहा कि अब  women led development हमारे देश को आगे लेकर जाएगा. पीएम मोदी ने इसके बाद एक-एक करके अलग-अलग क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी के कसीदे पढ़े.

UPA के दूसरे कार्यकाल में सरकार सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार के मामलों पर घिरी. 2G, कोयला घोटाला, कॉमनवेल्थ घोटाला. मनमोहन सरकार के लिए नासूर बन गए थे. इनमें से कितने मामले सिद्ध हुए, कितने नहीं, इस पर अलग से चर्चा हो सकती है. लेकिन आम आदमी पार्टी रही हो या भारतीय जनता पार्टी. सबने कांग्रेस को सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार पर घेरा. और इसका फायदा चुनावों में दिखा भी. और यही वजह है कि 2024 चुनाव से पहले लाल किले से अपने इस कार्यकाल के आखिरी भाषण में पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार का मुद्दा एक बार फिर उठाया. उन्होंने कहा कि देश को सबसे ज्यादा नुकसान तीन वजहों से हुआ है. भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण. आप समझ सकते हैं कि मोदी का इशारा किसकी तरफ था.

और अंत में प्रधानमंत्री ने लाल किले से ये बता दिया कि अगले लोकसभा चुनाव में वो ही चेहरा होंगे. इसका जिक्र उन्होंने कुछ दिन पहले दिल्ली के प्रगति मैदान में भी किया था. 2024 में देश में आम चुनाव हैं. मोदी ने कहा कि ये उनके दूसरे कार्यकाल का आखिरी भाषण है और अगली साल वो एक बार फिर लाल किले से भाषण देंगे.

नरेंद्र मोदी का भाषण तो आपने सुन लिया. लाज़मी है, विपक्ष की प्रतिक्रियाएं. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री पर तंज़ किया कि प्रधानमंत्री अगले साल झंडा तो फहराएंगे. लेकिन लालक़िले से नहीं, अपने आवास से. खरगे को लेकर एक ख़बर आज और चली. प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान खरगे की ग़ैर-मौजूदगी. वीडियो चलीं, जिसमें पहली सफ़ में खरगे की खाली कुर्सी दिख रही है.

वहीं, कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने ट्विटर पर प्रधानमंत्री के भाषण पर कांग्रेस की आधिकारिक प्रतिक्रिया जारी की. कहा कि नरेंद्र मोदी का भाषण, पीड़ितों की पीड़ा को स्वीकार करने और देश को एक साथ लाने के बजाय उनके ख़ुद के बारे में था. आत्ममुग्दता के आरोपों के साथ कांग्रेस ने ये भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने झूठ, अतिशयोक्ति और अस्पष्ट वादों से भरा हुआ बेतुका चुनावी भाषण दिया है.

कांग्रेस का आधिकारिक वर्ज़न तो बता दिया. आप सोच रहे होंगे, राहुल गांधी ने क्या कहा? राहुल गांधी ने ट्वीट किया है. अविश्वास प्रस्ताव के दौरान उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने भारत माता की हत्या की है. इसके बाद बहुत बवाल भी हुआ था. आज राहुल का बयान उसी बयान को जस्टिफ़ाई करने जैसा रहा. लिखा,

"मेरी भारत माता - ज़मीन का टुकड़ा-भर नहीं, कुछ धारणाओं का गुच्छा-भर भी नहीं है. बल्कि हर एक भारतीय की आवाज़ है."

पूरे स्टेटमेंट में उन्होंने मणिपुर, भारत जोड़ो समेत वहीं बातें थीं, जो संसद वाले भाषण में थी. बाक़ी विपक्ष का क्या हाल है? राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव ने कहा कि ये मोदी का आख़िरी भाषण है. 2024 में टीम इंडिया लाल क़िले से झंडा फहराएगी. नरेंद्र मोदी के भाषण से भाइयों-बहनों गया, तो परिवारजनों की एंट्री हुई. हालांकि, परिवारवाद का पुराना नारा वैसे ही बुलंद रहा. टीम इंडिया के नाइट वॉचमैन- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी आज अपने भाषण में मणिपुर का ज़िक्र किया. कहा मणिपुर और नूह की हिंसा से किसको फायदा हो रहा है? और इन घटनाओं के साथ भारत विश्वगुरु कैसे बनेगा?

सत्ता से विपक्ष तक, किसने-क्या कहा, हमने आपको बता दिया. जाते-जाते जश्न-ए-आज़ादी के मुबारक़ मौक़े पर हम आपका ध्यान एक मारक संवाद की ओर दिलाना चाहते हैं. ये संवाद है, अमित मसुरकर की फ़िल्म 'न्यूटन' से. आपने देखी होगी. न देखी हो, तो ज़रूर देखिए. राजकुमार राव, पंकज त्रिपाठी, अंजलि पाटिल, रघुवीर यादव, संजय मिश्रा. सब लल्लनटॉप कलाकार. इसी फ़िल्म में एक संवाद है, राजकुमार राव के किरदार न्यूटन कुमार और इलेक्शन इंस्ट्रक्टर बने संजय मिश्रा के बीच.

क्या बात हो रही है? संजय का किरदार न्यूटन से पूछता है कि (आइज़ैक) न्यूटन ने दुनिया कैसे बदली? छूटते ही न्यूटन बोलता है, 'ग्रैविटी, ऑप्टिक्स'. इसके बाद संजय का किरदार एक बहुत ही इंट्रेस्टिंग बात बोलता है. कहता है,

“न्यूटन ने ज़मीन-आसमान, सबका फ़र्क़ मिटा दिया. न्यूटन से पहले लोगों को लगता था कि ज़मीन का क़ानून अलग है, आसमान का अलग. चर्च का क़ानून अलग होता है, मंदिर का अलग. राजाओं के लिए अलग क़ानून, हम जैसे लोगों के लिए कुछ अलग.. लेकिन फिर न्यूटन ने एक ही झटके में ये साबित कर दिया कि ये ग़लत है. कुदरत के सामने सब बराबर हैं. क्या राजा, क्या भिखारी.” 

न्यूटन ने दुनिया की जिस कल्पना की इबारत लिखी, बाद में डेमोक्रेसीज़ ने उसे ही अपनाया - किसी ने पहले, किसी ने बाद में - कि पॉलिटिकल पार्टिसिपेशन में सब बराबर हैं. दुनिया में.. देश में.. दो लोग कितने भी अलग हो सकते हैं, लेकिन हमारे लोकतंत्र में आज़ादी के दिन से ही सब बराबर हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों, राहुल गांधी हों, हम हों या आप. सबका वोट एक. लेफ़्ट विचारधारा से प्रभावित हों, राइट से हों या ए-पॉलिटिकल, लोकतंत्र में ख़ुद को अभिव्यक्त करने का माप एक. और बराबरी जितनी अधिकार में है, उतनी ही कर्तव्य में हो - ये हमारी और आपकी ज़िम्मेदारी है.

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