
ये 28 अप्रैल, 2017 को पाकिस्तान के अखबार 'द डॉन' की वेबसाइट पर लगी एक खबर है. इसमें TTP आतंकी एहसानुल्लाह के हवाले से बताया गया है कि भारत और अफगानिस्तान की एजेंसियां पाकिस्तान विरोधी आतंकी संगठनों को मदद दे रही हैं. एहसानुल्लाह ने खुद सरेंडर किया था. क्यों न माना जाए कि पाकिस्तान उसे भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर रहा है?
क्या हुआ था पेशावर में? 16 दिसंबर, 2014. पेशावर के आर्मी स्कूल में दोपहर के खाने की छुट्टी हुई. बच्चों ने खाना खाया. खेले-कूदे. फिर क्लास में वापस चले गए. टीचर्स भी अपनी-अपनी क्लास में पहुंचकर बच्चों को पढ़ा रहे थे. तभी गोलीबारी की आवाज सुनाई दी. सात हमलावर स्कूल की दीवार पर लगी कटीली तारें काटकर सीढ़ियों के सहारे अंदर घुस आए थे. उन्होंने खास जैकेट्स पहनी हुई थीं, जिनमें बम बंधा था. उन्होंने अंधाधुंध गोलियां चलाईं. क्लास दर क्लास घुसकर वो गोलियां चलाते रहे. बच्चों को मारते रहे. थोड़ी देर में पाकिस्तानी सेना के कमांडोज वहां पहुंच गए. तकरीबन आठ घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद सातों हमलावरों को मार गिराया गया. जब लाशों की गिनती हुई, तो उनमें 141 बच्चे थे. मारे गए बच्चों में ज्यादातर 12 से 16 साल के बीच थे. बाकी आठ और लोग थे. उनमें स्कूल के प्रिंसिपल, क्लर्क और कुछ टीचर्स भी शामिल थे.
हमारे लोगों ने स्कूल पर हमला किया और सेना के लोगों के बच्चों को मारा. वो आम नागरिक नहीं थे. आर्मीवालों के बच्चों थे. हमने मारने से पहले उनकी पहचान पूछी. ये लोग हमेशा हमारे निशाने पर रहेंगे. हम उन्हें गलियों में, बाजारों में, हर जगह मारेंगे.इस हमले से करीब छह महीने पहले पाकिस्तान ने ऑपरेशन ज़र्ब-ए-अज़्ब शुरू किया था. इसमें खास निशाने पर था TTP और उससे जुड़े आतंकी संगठन. 2007 से ही पाकिस्तान में बम धमाके रोजमर्रा की बात हो गए थे. पाकिस्तान ने बहुत मजबूर होकर इनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की. पेशावर आर्मी स्कूल पर हुआ हमला TTP का बदला थी.

जब अफगानिस्तान सेना ने मुल्ला फजलुल्लाह को मारा, तब पाकिस्तान में कइयों ने खुशी जताई. क्योंकि यही फजलुल्लाह पेशावर आर्मी स्कूल पर हुए हमले का मास्टरमाइंड था. ये वहाज़त काजमी का ट्वीट है. वहाज़त पाकिस्तान के बड़े पत्रकार हैं.
बच्चों को टारगेट करने की पहली घटना नहीं थी ये पेशावर में जो हुआ, बहुत बुरा हुआ. लेकिन ये पहली बार नहीं था, जब पाकिस्तान में बच्चों को निशाना बनाया गया था. ग्लोबल कोलेशन टू प्रॉटेक्ट एजुकेशन फ्रॉम अटैक नाम की एक संस्था है. इसकी एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2009 से 2012 के बीच पाकिस्तान में तकरीबन 838 स्कूलों को टारगेट किया गया. पेशावर हमला चूंकि बहुत बड़ा था, इसलिए ये सुर्खियों में आया. पूरी दुनिया तक पहुंचा. बस पाकिस्तान नहीं, पूरी दुनिया के लोग सहम गए.

ये गोरखपुर के एक छोटे से स्कूल के बच्चे हैं. बड़ों ने उन्हें बताया कि पाकिस्तान के एक स्कूल में उनके ही जैसे मासूम बच्चे आतंकवादियों के हाथों मार दिए गए. ये बच्चे उनकी रूह की शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं.

मेरी नजर में ऐसा कोई शख्स नहीं गुजरा जिसे इस घटना के बारे में मालूम चला हो और उसे तकलीफ न हुई हो. ऐसे न जाने कितने मेसेज शेयर किए गए.
भारत में लोगों ने क्या किया? 2016 में पाकिस्तान की कुल आबादी सवा 19 करोड़ से कुछ ज्यादा थी. इस वक्त भारत की आबादी 132 करोड़ के ऊपर थी. आबादी के लिहाज से गिनेंगे, तो पेशावर स्कूल अटैक में मरे बच्चों के लिए हिंदुस्तान में ज्यादा मातम पसरा था. किसी खास मौके पर फेसबुक और ट्विटर की अपनी डीपी बदलना फिर भी आम है. पेशावर अटैक के बाद वॉट्सऐप तक पर लोगों ने उन बच्चों के लिए शोक मनाते हुए डीपी में पाकिस्तान का झंडा लगा लिया था. यूपी, बिहार के कस्बाई स्कूलों तक में उन बच्चों के लिए शोक मनाया गया था. कोई लाश ही होगा, जिसको फर्क नहीं पड़ा होगा.

दारूल उलूम हक्कानिया ने अफगान-सोवियत युद्ध के समय ऐलान किया कि सोवियत से जंग हर मुसलमान का फर्ज है. मुल्ला अख्तर मंसूर, असीम उमर, जलालुद्दीन हक्कानी, मुल्ला उमर जैसे कुख्यात आतंकवादी इस दारुल उलूम हक्कानिया के प्रॉडेक्ट हैं. इमरान सरकार ने इसी के लिए खास फंड जारी किया था. ये पाकिस्तान के ट्रिब्यून अखबार में छपे एक ब्लॉग पीस का स्क्रीनशॉट है.
इमरान खान खुद तालिबान को सपोर्ट करते हैं पाकिस्तान के नए वजीर-ए-आजम हैं इमरान खान. 2016 में इनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने खैबर-पख्तूनख्वा में दारुल उलूम हक्कानिया को 30 करोड़ रुपये का फंड दिया. ये मौलाना समीउल हक़ की संस्था है. ये आदमी अफगान तालिबान का कट्टर समर्थक है और खुद को 'तालिबान का पिता' कहता है. कई नामी-गिरामी आतंकवादी संगठन इससे जुड़े हुए हैं.
पाकिस्तान चुनाव से पहले हरकत-उल-मुजाहिदीन नाम के एक आतंकवादी संगठन ने इमरान की पार्टी PTI को समर्थन देने का ऐलान किया था. इसके सरगना मौलाना फजल उर रहमान खलील की एक तस्वीर भी आई थी इमरान के साथ. PTI ने उनके सपोर्ट पर काफी खुशी भी जताई थी. अमेरिका के मुताबिक, ये खलील ओसामा बिन लादेन के अल-कायदा से जुड़ा हुआ है. भारत और अफगानिस्तान में आतंकवाद को शह देता है. आतंकवाद पर इमरान इतने नर्म हैं कि उन्हें लोग 'तालिबान खान' कहकर पुकारते हैं. और यही इमरान खान तालिबानियों के हाथों किए गए पेशावर आर्मी स्कूल का इल्जाम भारत पर लगा रहे हैं! पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव के ऊपर भी केस चलाया और अपने पक्षपाती मिलिटरी कोर्ट्स के बहाने भारत पर इल्जाम लगाए. अगर वो अपने आरोपों को रत्तीभर भी गंभीरता देना चाहता है तो उसे सबसे पहले आतंकवादियों को सपोर्ट देना रोकना होगा. फिर अपनी न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष और भरोसेमंद बनानी होगी. ऐसे तो चाहो जितने इल्जाम लगाओ, कुछ नहीं बिगड़ना.
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मेरठ में लव जिहाद के नाम पर यूपी पुलिस ने लड़की के बाल खींचे, थप्पड़ मारे