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जिस जैश-ए-मोहम्मद को मिसाइल मारकर इंडिया ने तबाह किया, ये है उसकी गंदी कहानी!

जैश-ए-मोहम्मद की कहानी क्या है? कैसे प्लेन हाईजैकिंग ने पूरा गेम पलट दिया?

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वो जैश, जिसके ऑफिस में उसके बम से भी बड़ा गड्ढा हो गया

पाकिस्तान में भारत ने 9 स्पॉट्स पर टारगेटेड हमले (India attack on Pakistan) किये. पूरे ऑपरेशन का नाम दिया - ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor). आशय साफ - पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) का बदला लिया गया.

लिस्ट में 9 जगहों के नाम आए, जिस नाम पर सबसे अधिक चर्चा हुई, वो है बहावलपुर. खबरों के मुताबिक, बहावलपुर है आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का मुख्य बेस. यहां है मदरसे और ट्रेनिंग सेंटर, जहां जैश अपने आतंकी खड़े करता है. भारत ने मिसाइल दागे, और बहावलपुर में बारूद और धुआं भर गए.

ऐसे में आइए जानते हैं कि इस जैश-ए-मोहम्मद की कहानी क्या है? और कहानी की नींव पड़ती है साल 1979 में. इस साल पाकिस्तान के पड़ोसी देश अफ़ग़ानिस्तान में एक युद्ध शुरू हुआ. सोवियत संघ की सेना और अफ़ग़ानिस्तान के मुजाहिद लड़ाकों के बीच. इसे कहा गया सोवियत अफ़ग़ान युद्ध. दस सालों तक ये युद्ध चलता रहा, और जाकर खत्म हुआ साल 1989 में. इसमें अमेरिका ने इस्लामिक चरमपंथी समूहों को बड़ी मात्रा में आर्थिक और सैनिक मदद दी थी. तालिबान और अन्य चरमपंथी समूहों के फलने-फूलने का रास्ता खुला.

ऐसा ही चरमपंथी समूह था 'हरकत-उल-मुजाहिदीन' उर्फ HUM. ये अफगानिस्तान में सक्रिय संगठन 'हरकत-उल-जिहाद' से टूटकर बना था. अफ़ग़ान युद्ध खत्म होने के बाद HUM बहुत सक्रिय हुआ. उसने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में अपनी गतिविधि शुरू कर दी. लिहाजा भारतीय सेना ने HUM के ढांचे की तोड़ाई चालू की. साल 1994 आते-आते HUM का अस्तित्व खतरे में आ गया. क्योंकि इसके बड़े सरगना अरेस्ट कर लिए गए थे. फरवरी 1994 में HUM के सेक्रेटरी मौलाना मसूद अज़हर और अन्य नेताओं को पकड़कर जेल में डाल दिया गया.

प्लेन का अपहरण और जैश की पैदाइश

अब  HUM को खुद को जिंदा करना था. लिहाजा उन्हें अपने नेताओं को जेल से छुड़ाना था. इसलिए HUM के लोगों ने दिसंबर 1999 में काठमांडू से दिल्ली आ रही इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC814 का अपहरण कर लिया. फ्लाइट को अगवा करके HUM के लोग तालिबान के कंट्रोल वाले अफ़ग़ानिस्तान के कंदहार ले गए. उन्होंने यात्रियों को छोड़ने के एवज में मौलाना मसूद अज़हर और अन्य सरगनाओं के रिहाई की मांग की. भारत को मजबूर होकर इन आतंकियों को रिहा करना पड़ा.

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कंदहार प्लेन हाईजैक की एक तस्वीर

मसूद अज़हर वापिस पाकिस्तान गया. लेकिन वहां जाते ही वो 'हरकत-उल-मुजाहिदीन' से अलग हो गया. साल 2000 में उसने अपना अलग ग्रुप बनाया. नाम - जैश-ए-मोहम्मद. अर्थ - मुहम्मद की सेना.

जैश के बड़े हमले

पहला बड़ा हमला किया अक्टूबर 2001 में. जम्मू-कश्मीर की विधानसभा पर. इस हमले में 38 लोगों की जान गई.

फिर दिसंबर 2001 में लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर देश की संसद पर हमला किया. इस हमले में हमारे 8 जवान शहीद हुए.

भारत ने दबाव डाला, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र संघ और अमरीकी सरकार के स्टेट डिपार्टमेंट ने इसे प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया. पाकिस्तान पर दबाव बना. उन्होंने भी इसे प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया. मसूद अज़हर को नजरबंद करने का ढोंग रचा गया. लेकिन जैश बौखला गया था. मार्च 2002 से लेकर सितंबर 2002 तक जैश ने इस्लामाबाद, कराची,मुरी, बहावलपुर में फ़िदायीन हमलों की झड़ी लगा दी. प्रतिबंध लगने के बाद जैश में दो टुकड़े हो गए. पहला टुकड़ा खुद्दाम-उल-इस्लाम. इसका नेतृत्व मसूद अज़हर कर रहा था. दूसरा टुकड़ा था तहरीक-उल-फुरकान. इसका नेतृव अब्दुल्लाह शाह मजहर कर रहा था. 2003 में पाकिस्तानी सरकार ने खुद्दाम-उल-इस्लाम और तहरीक-उल-फुरकान पर भी बैन लगा दिया. इसके बाद अज़हर ने अपने संगठन का नाम बदलकर 'अल-रहमत ट्रस्ट' रख दिया. इस बैन से खार खाए अज़हर ने परवेज मुशर्रफ को भी नहीं बख्शा. 14 और 25 दिसंबर 2003 में पाकिस्तानी राष्ट्रपति मुशर्रफ पर इस संगठन ने जानलेवा हमला करवाया.

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मौलाना मसूद अज़हर

पाकिस्तानी सरकार ने बौखलाहट में जैश के गुर्गों को उठाना और बंद करना शुरू कर दिया. जैश थोड़ा दबना शुरू हुआ. उसने पाकिस्तान से करार किया  - अब मुल्क के अंदर कोई गतिविधि नहीं होगी. हमेशा से ISI के दबाव में रहने वाली पाकिस्तान सरकार ये शर्त मान गई.

साल 2009 में खबर आई कि इस संगठन ने पकिस्तान के बहावलपुर में साढ़े छह एकड़ में अपना बड़ा-सा कॉम्प्लेक्स बना लिया है. इसमें मस्जिद, मदरसा और एक ट्रेनिंग सेंटर था. जहां आतंकियों को ट्रेनिंग दी जाती थी. धीरे-धीरे ये कॉम्प्लेक्स जैश के मुख्यालय में बदल गया. ये वही मुख्यालय है, जिस पर 7 मई के दिन मिसाइल्स फायर की गई. बहरहाल, जैश, पाकिस्तान में शांति से बैठ तो गया था. लेकिन उसके दहशत की जमीन भारत में बनी रही.

जनवरी 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले में भी जैश का हाथ था, जिसमें हमारे 7 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे

सितंबर 2016 में उड़ी सेक्टर में मौजूद भारतीय सेना की ब्रिगेड कमांड पर 19  सैन्य अधिकारियों की जान लेने में भी जैश का नाम आया था

वहीं फरवरी 2019 में पुलवामा में 40 सीआरपीएफ अधिकारियों की जान लेने में भी जैश का ही नाम सामने आया था

पुलवामा हमले के 12 दिनों बाद जब भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद आतंकी संगठनों के लॉन्चपैड तबाह किये थे, तो सबसे अधिक नुकसान जैश को ही नुकसान उठाना पड़ा था.

आपको मालूम ही है कि मौलाना मसूद अज़हर जैश का संस्थापक है. हालांकि अब वो इस संगठन के लिए परदे के पीछे से काम करता है. फिलहाल मसूद अज़हर का भाई अब्दुल रऊफ असगर इस संगठन का सरगना है. रऊफ 1999 में इंडियन एयरलाइन्स की फ्लाइट-814 के अपहरणकर्ताओं में से एक था.

और अब नई खबरें हैं. 7 मई को हुए इंडिया के स्ट्राइक में मसूद अज़हर के परिवार के दस लोग खाक़ हो गए.

वीडियो: जैश-ए-मोहम्मद के जिस मदरसे में हमला हुआ, वहा पढ़ने वाले लड़के ने क्या बताया?