The Lallantop

पापा की दूसरी शादी पर बेटी का खुला खत

आज पापा की शादी है और मैं बहुत खुश हूं.

post-main-image
सांकेतिक फोटो
दो साल से हमारी ज़िंदगी कहीं अटकी हुई है. हम यानी मैं, पापा और भाई. 1 मार्च, ये तारीख हम चार की ज़िंदगी में बहुत अहमियत रखती थी. हम चार यानी मैं, पापा, भाई और मां. इस तारीख को 1991 में पापा और मां की शादी हुई थी. ठीक इसी तारीख को 2015 में मां दुनिया छोड़कर चली गईं. बीमार रहती थीं. लेकिन दिल कहता है कि कुछ साल और रह सकती थीं. पापा उनसे बहुत प्यार करते थे. दवाइयों के कारण चिड़चिड़ी रहती थी मां. फिर भी पूरे घर को संभालतीं. पापा उनके साथ मिलकर घर का बराबर का काम करतेे. मां चिल्ला भी देतीं तो चुप-चाप सुन लेते. पापा को हमेशा याद रहता था कि मां दिल की मरीज़ हैं. इतने प्यारे दिन वो सोते-सोते भगवान के पास चली गईं. इन 20 सालों में मैंने पापा की आंखों में एक आंसू तक नहीं देखा था. लेकिन पिछले दो सालों से पता है कि वो अकेले मैं रोज़ रोते हैं. मुझसे इस बारे में ज़्यादा बातें शेयर नहीं करते. शायद डरते हैं कि मैं उदास हो जाऊंगी. क्योंकि यही डर उन्हें लेकर मेरे दिल मैं भी रहता है. मेरी ज़िंदगी में कोई है. जिससे मैं ये बातें कह पाती हूं. मेरी उम्र का है. हमउम्र हमारा दर्द समझ जाते हैं. वो भी समझ जाता है. लेकिन पापा किसके साथ बांटेंगे अपने गम या वो छोटी-छोटी खुशियां जो हम बस अपने जीवनसाथी के साथ बांटते हैं? कहने को 22-24 साल के बच्चों के पिता हैं पापा, लेकिन उम्र तो महज़ 47 ही है न. इन्हीं कुछ खयालों में मेरे दिन कटते थे. लेकिन ज़िंदगी वहीं अटकी थी. फिर एक रोज़ पापा ने वॉट्सएेप पर एक फोटो भेजी. बताया सरकारी टीचर हैं. तलाकशुदा हैं. कोई बच्चा नहीं है. अकेले रहती हैं. हां पापा अपनी शादी की बात कर रहे थे. मेरा दिल टूट गया. एेसे-कैसे मेरी मां की जगह किसी और को दे देंगे? फिर मैंने भी उस समय कह दिया, 'पापा आपको जो सही लगता है, कर लीजिए.' फिर सोचा, गलत क्या है इसमें? मां अपनी ज़िंदगी जीकर चली गईं. हम ज़िंदगी भर चाहें जितना रो लें. वो वापस नहीं आएंगी. उनकी यादों के अलावा हमारे पास उनका है क्या? आने वाले जितने भी 35-40 साल हैं पापा के पास, उनको दुख-दर्द बांटने वाली मिल जाएंगी. जिस भी कारण से उनका तलाक हुआ हो, अब उन्हें भी कोई प्यार करने वाला मिल जाएगा. जिससे दो लोगों की अटकी हुई ज़िंदगी चल पड़े, वो रास्ता कभी गलत नहीं हो सकता. मां हमेशा हमारे दिल में रहेंगी. हमारे दिल में हर इंसान की अलग-अलग अहमियत होती है. किसी को भी कोई रीप्लेस नहीं कर सकता. ये बात मुझे मेरे हमउम्र ने समझाई. लोगों का काम है कहना, वो बातें बनाएंगे ही. इंसान को अपनी नज़र में सही होना चाहिए, वरना लोग तो भगवान से भी दुखी हैं. आज पापा की शादी है और मैं बहुत खुश हूं.
ये भी पढ़ेंः

बच्चों को सेक्स, पीरियड्स के बारे में नहीं बताएंगे, तो वो लड़कियों को चरित्रहीन ही समझेंगे

65 रिटायर्ड IAS ने लिखी है सरकार को कोंचने वाली चिट्ठी

एक भड़का हुआ इंटरनेट यूजर सबकी तरफ से कुछ कह रहा है