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मिलिए धोनी से 24 साल सीनियर 'कैप्टन कूल' से

इस शख्स की शेन वॉर्न से अदावत रही. एक बार वॉर्न ने उसके मोटापे का सरेआम मजाक उड़ाया और कहा- लगता है कि वह भेड़ निगल गया है.

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श्रीलंका का पहला और 100वां टेस्ट खेलने वाला पहला शख्स
टीम इंडिया के वनडे कप्तान महेंद्र सिंह धोनी 'कैप्टन कूल' कहलाते हैं. लेकिन उनसे पहले इंटरनेशनल क्रिकेट में एक 'कैप्टन कूल' और था, जो टेस्ट डेब्यू के लिहाज से धोनी से 24 साल सीनियर था. जिस साल धोनी पैदा हुए थे, उस साल इस 'कैप्टन कूल' ने अपना टेस्ट डेब्यू किया और फिर 19 साल तक क्रिकेट खेला.
यह शख्स है श्रीलंका के पूर्व क्रिकेट कप्तान अर्जुन रणतुंगा. वह 1988 में पहली बार श्रीलंकाई टीम के कप्तान बने और फिर 11 साल तक इसकी कमान संभाली. 1996 में उन्हीं की अगुवाई में श्रीलंका ने पहला वर्ल्ड कप जीता. मैदान पर रणतुंगा की मौजूदगी ज्यादातर सौम्य ही रहती थी. वह कम बोलने वाले कप्तानों में से थे. लिहाजा कमेंटेटर्स उन्हें 'कैप्टन' कूल कहने लगे.
अर्जुन लड़ाकू और एग्रेसिव कप्तान नहीं माने जाते थे, लेकिन वह इतने कूल भी नहीं थे. एक इंडियन टीवी शो में शेखर सुमन से उनकी बातचीत इस तरह थी:
शेखर सुमन: कप्तान के लिहाज से आप बहुत कूल लगते हैं. क्या इसीलिए आपको 'कैप्टन कूल' कहा जाता है? रणतुंगा: हां शायद. लेकिन कभी कभी मैं भी थोड़ा बहुत गरम हो जाता हूं. शेखर: तो क्या करते हैं, लोगों को अपने बैट से पीटते हैं? रणतुंगा: नहीं ऐसा नहीं. बैट वाले तरीके से नहीं, दूसरे तरीके से. (ठहाका लगता है) शेखर: आपको गुस्सा जल्दी आता है? रणतुंगा: जब क्रिकेट खेलना शुरू किया था, तब जल्दी आता था. लेकिन अनुभव आने के साथ गुस्सा जाता गया.
शेखर के शो में अर्जुन.
शेखर के शो में अर्जुन.

रणतुंगा मजाक करने में भी कम नहीं थे. शेखर सुमन ने उनसे पूछा कि आपने मूंछें क्यों रख ली हैं? इस पर रणतुंगा ने बड़ी गंभीरता से कहा कि मेरा क्यूट फेस है तो इसे बदलता रहता हूं. 18 साल तक एक जैसा दिखते हुए तो क्रिकेट नहीं खेल सकता ना.
रणतुंगा की पर्सनैलिटी ऐसी थी कि ज्यादा लोड नहीं लेते थे. मैदान पर भी और बाहर भी. सुस्त फील्डिंग के लिए बदनाम रहे. इसी शो में जब उनसे फील्डिंग के बारे में पूछा गया तो बोले मैं प्रिफर करता हूं बॉल मेरे पास न ही आए.
लेकिन रणतुंगा का एक दूसरा रूप भी है, जिसमें गांगुली मार्का कैप्टन का एक अंश नजर आता है. किस्सा ये है कि श्रीलंकाई टीम के मीडिया मैनेजर ब्रायन थॉमस ने स्टीव वॉ से बातचीत में ये तोहमत लगाई कि ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर स्लेजिंग में बहुत आगे होते हैं. इस पर वॉ का जवाब दिलचस्प था. उन्होंने कहा, 'अर्जुन रणतुंगा दुनिया का सबसे बुरा स्लेजर है, दोस्त. एक रणतुंगा अकेला ऑस्ट्रेलिया के 11 खिलाड़ियों पर भारी है. तुम काहे की शिकायत कर रहे हो?'
Arjuna RANATUNGA with trophy
ले आए अन्ना. वर्ल्ड कप ले आए.


लेकिन अर्जुन का इसे देखने का नजरिया अलग था. उन्होंने कहा, 'हम जानते हैं कि ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी स्लेजिंग करते हैं. 1995 में जब हम ऑस्ट्रेलिया गए तो हमने 'जैसे को तैसा' की नीति अपनाई. तय किया कि जो स्लेजिंग करेगा, पलटकर उसे भी जवाब दिया जाएगा. फिर मालूम हुआ कि कंगारू खिलाड़ी स्लेजिंग में तो माहिर हैं, पर स्लेजिंग झेल नहीं पाते. वे इसके आदी नहीं थे और ज्यादा अहम बात ये है कि उन्होंने हमसे इसकी उम्मीद नहीं की थी.'
https://www.youtube.com/watch?v=AAC6LofdyXo
रणतुंगा पर मुथैया मुरलीधरन का जरूरत से ज्यादा पक्ष लेने का भी आरोप लगता है. ऐसा ही एक किस्सा है 1999 में एडीलेड का. ऑसी अंपायर रॉस इमर्सन ने मुथैया की एक गेंद को 'नो बॉल' करार दिया तो कप्तान रणतुंगा नाराज हो गए. वह अंपायर से उलझ गए और विरोध जताने के लिए अपनी टीम को लेकर मैदान से बाहर चले गए.
आप अंपायर हैं, हम आपका इज्जत करते हैं. हम कैप्टन हैं आपको भी हमारा इज्जत करना चाहिए.
आप अंपायर हैं, हम आपकी इज्जत करते हैं. हम कैप्टन हैं आपको भी हमारी इज्जत करनी चाहिए.

रणतुंगा अपने वजन और फिटनेस की वजह से भी खूब निशाने पर रहे. लंबी पारियों के दौरान वह फिटनेस का हवाला देकर खुद के लिए रनर मंगवा लिया करते थे. जो विपक्षी टीम के कप्तान को बिल्कुल पसंद नहीं आता था.
क्रिकेट के मैदान पर रणतुंगा की अदावत ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज लेगी शेन वॉर्न से रही और ये मैदान के बाहर तक गई. दोनों एक दूसरे को सख्त नापसंद करते थे. 1996 वर्ल्ड कप के दौरान रणतुंगा ने वॉर्न को 'ओवररेटेड' कह दिया. इसके बाद हुए एक मैच में वॉर्न ने रणतुंगा को फ्लिपर फेंकनी चाही, लेकिन वह फुलटॉस हो गई और रणतुंगा ने उस पर छक्का जड़ दिया.
https://www.youtube.com/watch?v=rH0edm4vL40
रिटायरमेट के बाद भी ये दुश्मनी कम नहीं हुई. 2005 में वॉर्न ने रणतुंगा के वजन का सरेआम मजाक उड़ाया और कहा- लगता है कि वह भेड़ निगल गया है.
ARJUNA RANATUNGA
अपना गांगुली भी लगाता था ऐसा चश्मा.


2008 में वॉर्न ने 'सेंचुरी' नाम से किताब लिखी और इसमें दुनिया के 100 बेस्ट टेस्ट खिलाड़ियों की लिस्ट बनाई. इसमें 93वां नाम रणतुंगा का था. किताब रिलीज होने के बाद वॉर्न ने कहा, 'मैं उन्हें 101वें नंबर पर खिसका पाता तो मुझे खुशी होती. मैं सच में ऐसा करना चाहता था. लेकिन सच यही है कि रणतुंगा ने क्रिकेट के नक्शे पर श्रीलंका को जगह दिलाई है. और आप जानते हैं? भीतर से मैं भी चुपचाप ये मानता हूं कि क्रिकेटर के तौर पर वह बढ़िया है.'
अब तो भैया बड़े आदमी बन गए हैं. फोटो: रॉयटर्स
अब तो भैया बड़े आदमी बन गए हैं.                                                                                                                      फोटो: रॉयटर्स


क्रिकेट के बाद रणतुंगा राजनीति में अपनी पारी खेल रहे हैं. वह श्रीलंका सरकार में शिपिंग और बंदरगाह मंत्रालय संभाल रहे हैं.

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