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मणिपुर हिंसा के डेढ़ साल तक इस्तीफा नहीं देने वाले बीरेन सिंह ने अब क्यों छोड़ा सीएम पद?

एन बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. लेकिन अगले स्थायी इंतज़ाम तक उनसे पद पर बने रहने का आग्रह किया. यानी बीरेन सिंह अब सूबे के कार्यकारी सीएम के तौर पर जाने जाएंगे.

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मणिपुर के सीएम एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे की पूरी कहानी. (तस्वीर-इंडिया टुडे)

नोंगथोमबाम बीरेन सिंह, उर्फ एन बीरेन सिंह ने कल यानी 9 फरवरी को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. 9 फरवरी को एक चार्टर्ड प्लेन से बीरेन सिंह दिल्ली पहुंचे. गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा से मुलाकात की. वापिस अपने राज्य की राजधानी इम्फाल पहुंचे. राज्यपाल अजय भल्ला से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंप दिया. राज्यपाल ने इस्तीफा तो स्वीकार कर लिया. लेकिन अगले स्थायी इंतज़ाम तक बीरेन सिंह से पद पर बने रहने का आग्रह किया. यानी बीरेन सिंह अब सूबे के कार्यकारी सीएम के तौर पर जाने जाएंगे.

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ये कैसे हुआ?

30 जून, 2023 को बीरेन सिंह अपने समर्थकों के साथ राजभवन जा रहे थे. वो हाथ में अपना इस्तीफानामा थामे हुए थे. उन पर इल्जाम लग रहे थे कि वो राज्य में मई 2023 से चल रही हिंसा को रोक नहीं पा रहे हैं. विपक्षी उनका इस्तीफा मांग रहे थे. तो इस दिन अपने विरोधियों को चुप कराने के लिए बीरेन सिंह पैदल ही राजभवन की ओर निकले. आवास पर ही वो मैतेई महिलाओं के समूह से घिर गए थे. ये महिलाएं उन्हें इस्तीफा देने से रोक रही थीं. नारे लगा रही थीं. और आखिर में किसी महिला ने बीरेन सिंह के हाथ से उनका इस्तीफानामा छीनकर फाड़ दिया. अब जब जरूरी कागज ही फट गया, तो इस्तीफा देने के का प्लान कैंसल हो गया.

सीएम अपने घर चले गए. टिप्पणीकारों ने कहा कि ये बीरेन सिंह का ‘विशुद्ध पॉलिटिकल ड्रामा’ था. मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच मई 2023 से लगातार हिंसा जारी है. महीने गिनें तो अब तक 21 महीने हो गए हैं. हजारों लोगों के विस्थापन और दर्जनों मौतों के बीच बीरेन सिंह की सरकार की आलोचना हो रही थी. ऐसे में सवाल वाजिब है कि हिंसा संभालने में नाकाम बीरेन सिंह ने तब इस्तीफा नहीं दिया. तो एक दिन अचानक उनका मन कैसे बदल गया? कैसे वो इस्तीफा लेकर टहलने के बजाय, चुपचाप राजभवन चले गए? और उन्हें इस बार ड्रामा करने का मौका नहीं मिला?

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पहले मणिपुर विधानसभा का नंबर गेम समझ लेते हैं

विधानसभा सदस्यों की कुल संख्या - 60
भाजपा के 37 विधायक
जद (यू) के 1
नागा पीपुल्स फ्रंट के 5

जबकि विपक्ष में:

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नेशनल पीपुल्स पार्टी - 7 
कांग्रेस - 5
कुकी पीपुल्स एलायंस - 2
निर्दलीय - 3

अब कहानी जानिए

3 फरवरी 2025 - इस दिन भाजपा नेता, और मणिपुर ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री युमनाम खेमचंद सिंह नई दिल्ली पहुंचे. खेमचंद सिंह बीरेन सिंह के धुर विरोधी माने जाते हैं. उनकी दिल्ली में भाजपा नेतृत्व के साथ मीटिंग हुई. इसमें खेमचंद सिंह ने चेतावनी दी कि यदि मुख्यमंत्री को नहीं बदला गया तो सरकार गिर सकती है.

4 फरवरी 2025 - ऐसी ही कुछ चेतावनी राज्यपाल अजय भल्ला ने दी. उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और सूचना दी कि विधानसभा के 10 फरवरी से शुरू होने वाले सत्र में बड़ा फेरबदल हो सकता है. दरअसल इस समय विपक्षी खेमा, विधानसभा में बीरेन सिंह की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा था. कहने को तो विपक्ष के पास नंबर कम था, लेकिन अंदरखाने में हुई घटनाओं ने इस नंबर गेम को पलट दिया था.

कुकी समुदाय से आने वाले भाजपा विधायकों, और कुछ मैतेई समुदाय के भाजपा विधायकों ने बीते कुछ मौकों पर नाराजगी ज़ाहिर की थी. 18 अक्टूबर, 2024 को 19 भाजपा विधायकों ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर सीएम को हटाने की मांग भी कर दी थी.

ऐसे में यदि विपक्षी खेमा अविश्वास प्रस्ताव लाता, तो बीरेन सिंह की कुर्सी जाना लगभग तय था. सीएम बीरेन सिंह खतरे को भांप भी गए थे. तभी 31 दिसंबर, 2024 को मीडिया से बात करते हुए बीरेन सिंह ने राज्य की जनता से माफी भी मांगी थी. लेकिन इस खतरे का असल परिमाण समझ आया फरवरी 2025 के पहले हफ्ते में. जब मणिपुर विधानसभा स्पीकर थोकचोम सत्यब्रत सिंह दिल्ली आए. 

सत्यब्रत सिंह खुद बीरेन सिंह के आलोचक माने जाते रहे हैं. उन्होंने जेपी नड्डा से मुलाकात की. सूचना दी कि बजट सत्र में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने वाला है. इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित लिज़ मैथ्यू और सुकृता बरुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मीटिंग में भाजपा अध्यक्ष ने सत्यब्रत सिंह से पूछा कि क्या अविश्वास प्रस्ताव को रोका जा सकता है? जवाब में स्पीकर ने असमर्थता जताई.

बीरेन सिंह इन खतरों को भांप गए थे. इसलिए 5 फरवरी को अपने कुछ मंत्रियों के साथ वे भागे-भागे दिल्ली पहुंचे. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, गृह मंत्री अमित शाह से मीटिंग का समय मांगा. लेकिन समय नहीं मिला. इसलिए बीरेन सिंह अपने मंत्रियों के साथ प्रयागराज में महाकुंभ स्नान करके वापिस चले गए.

7 फरवरी - मणिपुर कांग्रेस ने तमाम कयासबाज़ियों पर विराम लगा दिया. कहा कि वो 10 फरवरी को वो विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने वाले हैं. 

8 फरवरी - एक तरफ दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आ रहे थे. और एक और बीरेन सिंह के फोन की घंटी घनघना रही थी. ये फोन भाजपा शीर्ष नेतृत्व से था. संदेशा साफ - दिल्ली आइए. इसी दिन दिल्ली एयरपोर्ट पर बीरेन सिंह का चार्टर्ड प्लेन उतरा. मीटिंग मुकर्रर हुई 9 फरवरी को. दो घंटे चली वार्ता. और बीरेन सिंह का इस्तीफा पक्का.

लेकिन कारण क्या है कि जो भाजपा लंबे समय तक बीरेन सिंह को बचा रही थी. वो एक झटके में उन्हें कुर्सी से हटाने के लिए तैयार हो गई? सूत्रों के मुताबिक, बीते कुछ वक्त से बीरेन सिंह की साख में गिरावट आई है. 

इसका एक बड़ा कारण है कि एक ऑडियो टेप. 48 मिनट की ये क्लिप अगस्त 2024 में वायरल हुई. कहा गया कि ये ऑडियो मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह का है. इस असत्यापित टेप को हम आपको सुना नहीं सकते हैं. लेकिन कुछ कॉन्टेंट बताते हैं.

ऑडियो के एक हिस्से में शख्स कहता है - जब अमित शाह आए तो उन्होंने पूछा, बीरेन जी, तुम बम मारता है? और उस दिन के बाद से गृह मंत्री ने बम का इस्तेमाल करने से मना कर दिया. उन्होंने ऑर्डर दिए की बम का इस्तेमाल नहीं करना है. 

फिर इसके आगे वो कहते हैं- "होई, छुपके से करना है, ओपन में नहीं करना है." यानी ऑडियो वाला शख्स डीजीपी से ये कह रहा था कि बम का इस्तेमाल चुपके से करना है. खुले तौर पर नहीं.

ऑडियो में मौजूद शख्स कुकी समुदाय के खिलाफ नफरत से भरा दिखता है. वो कहता है कि नक्शा देखने पर रोने का मन करता है. नागा मूल निवासियों की संख्या नहीं बढ़ी. इम्फाल, नगरम, तांगखुल आदि इलाकों में भी गांव नहीं बढ़े. कुकी लोग बढ़ते जा रहे हैं. उनके गांव फ़ैलते जा रहे हैं. सचिवालय में भी कुकी भर गए हैं. कोटे से वो IAS/IPS बन रहे हैं. मैतेई कहीं नहीं दिखते.

इस ऑडियो के एक हिस्से में कथित तौर पर बीरेन सिंह कहते हैं कि दो महिलाओं को इस तरह निर्वस्त्र कर घुमाने के मामले से मैतेई समुदाय बुरी तरह शर्मिंदा हुआ. कम से कम कोई ग्रुप बाहर आता और कहता कि हम ही वो थे जिसने उन्हें बचाया था. हम ये पूछ सकते हैं कि सबूत कहां है जिससे ये प्रूफ हो कि बलात्कार हुआ? कोई बचाने का क्रेडिट लेने भी नहीं आया.

टेप को इस दावे के साथ पत्रकारों को भेजा गया कि हिंसा रोकने में बीरेन सिंह असमर्थ ही नहीं रहे, बल्कि उन्होंने इस हिंसा को भड़काने की दिशा में भी काम किया. ये टेप सामने आया तो कुकी समुदाय के 10 विधायकों ने 21 अगस्त, 2024 को एक स्टेटमेंट जारी किया. उन्होंने कहा कि ऑडियो में आवाज बीरेन सिंह की ही है.

हालांकि बीरेन सिंह और उनके समर्थकों ने इसे नकारा और कहा कि इसे Artificial Intelligence की मदद से बनाया गया है. संस्था Kuki Organisation For Human Rights Trust ने एक स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा दी. 3 फरवरी, 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय फॉरेंसिक साइंसेज लैबोरेटरी (CFSL) को ऑडियो टेप की जांच करने का आदेश दिया. कोर्ट ने सरकार से इस रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में 24 मार्च, 2025 तक जमा करने को कहा.

याचिकाकर्ताओं ने Truth labs forensic services नामक गैरसंस्कारी संस्था की रिपोर्ट का जिक्र किया. इस संस्था ने बीरेन सिंह के सार्वजनिक भाषणों के नमूनों की तुलना से यह 93% संभावना पाई गई कि लीक हुए टेप में आवाज उन्हीं की थी. लेकिन ये टेप आने के बाद बवाल बढ़ चुका था. भाजपा विधायकों ने खुलेआम बीरेन सिंह के विरोध में बयान देना शुरू कर दिया. और इस्तीफे की मांग भी कर डाली थी. जानकारों का मानना है कि इस वजह से बीरेन सिंह के पक्ष में स्थितियां और खराब हुईं.

ये तो बीरेन सिंह के जाने की कहानी हो गई. मणिपुर में अब क्या होगा? नया सीएम कौन हो सकता है? ऐसे देखें तो तीन नाम चल रहे हैं. और इनमें से दो नाम वो हैं - जिन्होंने भाजपा लीडरशिप से मीटिंग की. यानी युमनाम खेमचंद सिंह और थोकचोम सत्यब्रत सिंह.

और तीसरा नाम है - थोंगम बिस्वजीत सिंह का. जो इस समय सरकार में पर्यावरण, वन, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा, कृषि और विज्ञान मंत्री हैं. खबरें बताती हैं कि खेमचंद सिंह और बिस्वजीत सिंह साल 2022 में सीएम बनने की लाइन में थे. लेकिन बीरेन सिंह बाजी मार ले गए थे.

एक संभावना ये भी है कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगे. पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि बीरेन सिंह के नाम पर भाजपा के अधिकांश विधायकों को राजी करना ज्यादा आसान था. नए सीएम के नाम पर ऐसी सहमति मिलेगी या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है. 

वहीं कुकी संगठनों ने डिमांड भी की है कि मुख्यमंत्री नियुक्त न कर, राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए. Committee on Tribal Unity (CoTU) ने भी ऐसी ही डिमांड सामने रखी है. कारण गिनाया है कि चूंकि नए मुख्यमंत्री को मणिपुर के मैतेई बहुल घाटी के इलाके से चुना जाएगा. तो उनका रुख बीरेन सिंह से अलग नहीं होगा.

वीडियो: "मणिपुर की पुलिस मैतेई पुलिस..." इस बयान पर विवाद, राज्य की पुलिस ने जवाब दिया

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