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सिलेंडर पर लिखे इस नंबर का क्या मतलब होता है?

LPG की एक्स्पायरी डेट नहीं बताता है सिलेंडर पर लिखा नंबर, उससे ज्यादा काम का है

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गैस सिलेंडर पर लिखे इस नंबर को लेकर भ्रामक जानकारी फेसबुक पर फेल रही है.
आपके घर में गैस वाला सिलेंडर होगा. लेकिन आपने उसे गौर से नहीं देखा होगा. आज देखिएगा.
LPG सिलेंडर के ऊपर एक गोल चक्का टाइप होता है. लोहे का. जिसको पकड़कर आप सिलेंडर उठाते हैं. इसके नीचे तीन लोहे की पट्टियां होती हैं. लाल रंग की. ये सिलेंडर को उस गोल चक्के से जोड़ती हैं. इसके ऊपर कभी गौर किया है आपने? नहीं, तो कीजिए. इसके ऊपर कुछ नंबर लिखे होते हैं. कुछ संख्या सी गुदी होती है. बड़ा फॉन्ट होता है. देखेंगे, तो आराम से दिख जाएंगी. ये संख्या क्या है? कभी सोचा है क्या आपने? जैसे तेल, साबुन, क्रीम वगैरह पर उसके खराब होने की तारीख, यानी एक्सपायरी डेट लिखी होती है, वैसे ही ये सिलेंडर के खराब होने की तारीख होती है क्या? कि इसके बाद उस सिलेंडर का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए?
सोशल मीडिया कह रहा है, गैस एक्सपायर हो जाती है सोशल मीडिया हमें बहुत ज्ञान देता है. इन दिनों सोशल मीडिया पर ये खूब चल रहा है. लोग लिख रहे हैं कि इन तीन पट्टियों पर उस सिलेंडर के खराब होने की तारीख लिखी होती है. जिसके बारे में आम तौर पर लोगों को पता नहीं होता. ये जो नंबर होता है, उसका फॉर्मेट कुछ इस तरह है- C 18. B 20. इस तरह का. 18 तो संख्या है, समझ आती है. मगर ये C और B से क्या समझें? तो लोग लिख रहे हैं कि गैस वाला डिपार्टमेंट साल को कुछ हिस्सों में बांट देता है. गिनती की सहूलियत के लिए. इसको ऐसे समझिए. साल में होते हैं 12 महीने. अब इसको हिस्सों में बांट लेते हैं. मतलब, जैसे क्वॉर्टर में. साल को चार हिस्सों में बांटें, तो ये बंटवारा कुछ इस तरह करेंगे- A, B, C, D. हर हिस्से में तीन महीने. कुल मिलाकर 12 महीने. तो इस हिसाब से C 18 का मतलब हुआ कि 2018 का तीसरा क्वॉर्टर. यानी जुलाई से सितंबर तक. फेसबुक पर चल रहे मैसेज के मुताबिक इसके बाद सिलेंडर एक्स्पायर हो जाएगा. फेसबुक के मैसेज बताते हैं कि उसके बाद इसका इस्तेमाल करना खतरनाक हो सकता है और ये फट भी सकता है. मैसेज में अपील की जाती है कि जब गैसवाला आपके घर सिलेंडर देने आए तो उस पट्टी पर गुदे नंबर को जरूर देख लें. और एक्सपायरी डेट वाला सिलेंडर न लें.
ऐसी भ्रामक जानकारी कुछ वेबसाइट्स दे रही हैं.
ऐसी भ्रामक जानकारी कुछ वेबसाइट्स दे रही हैं.

क्या ये सच्ची बात है? क्या सच में सिलेंडर का भी एक्सपायरी डेट होता है?
सिलेंडर पर लिखे इन नंबरों का असल में क्या मतलब है? गैस सिलेंडर पर लिखे नंबर से जुड़ी जो बातें फेसबुक पर चल रही हैं, वो थोड़ी भ्रामक हैं. LPG सिलेंडर पर जो C 18 या B 20 टाइप का नंबर लिखा होता है, वो 2018 का तीसरा क्वॉर्टर या 2020 का दूसरा क्वॉर्टर होता है. A, B, C और D साल के चार क्वॉर्टर (तिमाही) के लिए होते हैं. A होगा- जनवरी से मार्च. B होगा- अप्रैल से जून. C होगा- जुलाई से सितंबर. D होगा- अक्टूबर से दिसंबर. इसके बाद लिखा नंबर साल के लिए होता है.
लेकिन ये नंबर गैस की एक्सपायरी डेट नहीं होती. ये नंबर इसलिए होता है कि इस टाइम में सिलेंडर को फुल चेकिंग के लिए भेजा जाना होता है. आप चाहें तो वो नंबर देख लें, लेकिन आप से पहले गैस सिलेंडर कंपनी ही वो नंबर देख चुकी होती है. इस बात की गुंजाइश न के बराबर है कि आपको बीते वक्त की तारीख वाला कोई सिलेंडर मिले.
ऐसी भ्रामक जानकारी फेसबुक पर शेयर हो रही है.
ऐसी भ्रामक जानकारी फेसबुक पर शेयर हो रही है.

सिलेंडर और पलंग का मामला एक जैसा है उस टाइम में सिलेंडरों की जांच होती है. वो इस्तेमाल के लिए सुरक्षित हैं या नहीं, ये देखा जाता है. कहीं से फूट तो नहीं गए. गैस का प्रेशर झेल सकते हैं या नहीं. वगैरह वगैरह देखते हैं. ये जांच समय-समय पर होती रहती है. हर जांच के बाद अगली जांच की तारीख सिलेंडर पर लिख दी जाती है. ताकि कोई चूक न हो. वो समय आने पर सिलेंडर को रिफिल न करके जांच के लिए भेज दिया जाए. ये गैस की एक्सपायरी डेट नहीं है. इसकी कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती. ऐसे ही जैसे आपके घर में रखे पलंग की कोई एक्सपायरी नहीं होती. जब तक चल रहा है, चल रहा है. कोई टूट-फूट हो जाए, तो इसकी मरम्मत हो सकती है. ये नहीं कि तीन या पांच महीने तक इस्तेमाल कर लीजिए, उसके बाद यूज करना छोड़ दीजिए. ऐसी चीजों की कोई एक्सपायरी नहीं होती. चलने को सालों-साल चल सकती हैं.
पूरी जांच के बाद ही आपके पास पहुंचता है सिलेंडर जहां तक सिलेंडरों की जांच का सवाल है, तो आपके घर से खाली होकर सिलेंडर डिस्ट्रिब्यूटर के पास पहुंचता है. वहां से उसे आगे भेजा जाता है. उसके अंदर गैस भरवाने के लिए. बोटलिंग प्लांट पर. वहां पर सिलेंडर में LPG भरने से पहले उसकी जांच की जाती है. कि कहीं कोई दिक्कत तो नहीं सिलेंडर में. हालत तो ठीक है उसकी. वगैरह वगैरह. वहां पट्टियों पर लिखी वो तारीख भी देखी जाती है. जिन सिलेंडरों की जांच वाली तारीख आ गई होती है, उन्हें अलग कर दिया जाता है. उन्हें आगे जांच के लिए भेज दिया जाता है. गैस भरने के बाद भी हर सिलेंडर की जांच की जाती है. उसका वजन कितना है, सिलेंडर में मजबूती है कि नहीं, सब ठोक-बजाकर देखा जाता है. पूरी तसल्ली के बाद ही भरे हुए सिलेंडर को आगे डिस्ट्रिब्यूटर तक भेजा जाता है. जहां से वो हम तक पहुंचता है. बाकी बात रही गैस वगैरह लीक होने की, तो जब भी आपको ऐसा लगे कि आपका सिलेंडर लीक हो रहा है, तो आप गैस एजेंसी फोन करके शिकायत कर सकते हैं. गैस एजेंसी वाले आएंगे और जांच करेंगे. ठीक हुआ तो सही है, वरना सिलेंडर बदलकर देंगे.
कैसे बनते हैं, कैसे होती है टेस्टिंग LPG सिलेंडर को BIS 3196 मानक के हिसाब से बनाया जाता है. इन्हें वही कंपनियां बना सकती हैं, जिन्हें BIS लाइसेंस के साथ चीफ कंट्रोलर ऑफ एक्स्प्लोसिव (CCOE) से अप्रूवल मिला हो. बनने के दौरान हर लेवल पर टेस्ट होते हैं. सिलेंडर को बांटने से पहले ये टेस्ट BIS कोड्स ऐंड गैस सिलेंडर रूल्स, 2004 के हिसाब से होते हैं. सारे नए सिलेंडर 10 साल बाद बड़ी टेस्टिंग के लिए भेजे जाते हैं. उसके बाद 5 साल बाद उनकी वैसी ही टेस्टिंग होती है. ये टेस्टिंग गैस सिलेंडर रूल्स 2004 के तहत CCOE से अप्रूव एजेंसी ही करती हैं. गैस सिलेंडर को फिर से तभी सर्कुलेशन में लाया जाता है, जब वो प्रेशर टेस्ट पास कर लें.
सोशल मीडिया की अफवाहों पर ध्यान मत दीजिए सारी कहानी आपको पता चल गई. नियम क्या है, प्रोसेस क्या है, ये सब बता दिया. नंबर का क्या खेल है, ये भी बता दिया. अब आपको पता है कि वो नंबर सिलेंडर की एक्सपायरी डेट नहीं बताता. बल्कि उसकी अगली जांच की तारीख क्या है, ये जानकारी देता है. तो सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रही अफवाह पर ध्यान मत दीजिए. वो सच नहीं है.


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