मध्य प्रदेश का पन्ना ज़िला. हीरों की खदानों के लिए बड़ा फेमस है. इन खदानों ने कइयों को लखपति, करोड़पति बनाया है. अभी-अभी यहां रहने वाले पप्पू यादव नाम के एक आदमी भी लखपति बन गए हैं. पेशे से किसान हैं, लेकिन हीरे के लिए खुदाई करते रहते थे. 20 जुलाई की शाम उनकी मेहनत रंग लाई. करीब 50 लाख रुपए की कीमत वाला 10.69 कैरेट का हीरा हाथ लगा, वो भी जेम क्वालिटी का. हालांकि जो भी पैसा पप्पू को मिलेगा, वो उन्हें अपने आठ साथियों के बीच बांटना होगा. क्योंकि इन साथियों के साथ मिलकर ही उन्होंने हीरा खोजा है.
मध्य प्रदेश में पन्ना के पप्पू यादव को 50 लाख का हीरा मिला, लेकिन क्या ये पैसे उन्हें मिलेंगे?
पन्ना में कोई भी हीरे की खुदाई कैसे करने लग जाता है, प्रोसेस समझिए.

खैर, पप्पू की खबर सामने आई, तो लोगों ने कहा कि किस्मत पलट गई, हीरे की तरह चमक गई. लेकिन क्या वाकई पैसे पप्पू को मिलेंगे? मिलेंगे तो कब? और पप्पू ने खदान का जुगाड़ कैसे कर लिया? और ये जेम क्वालिटी क्या होती है? सारे सवालों के जवाब एक-एक कर जानते हैं.
दीपक 'इंडिया टुडे' से जुड़े हैं. पन्ना में ही रहते हैं. उन्होंने बताया कि भारत का कोई भी नागरिक पन्ना की उथली हीरा खदानों में खुदाई कर सकता है. दरअसल, पन्ना में दो तरह की हीरा खदाने हैं- एक गहरी और दूसरी उथली.
गहरी खदानें
यहां कई फीट तक खुदाई की जा सकती है. रास्ते में कोई चट्टान जैसी अड़चन नहीं आती. अक्सर ऐसी खदानों में कोई बड़ी कंपनी सरकार से लाइसेंस लेकर खुदाई करती है. पन्ना में NMDC कंपनी कई सौ फुट की खुदाई कर चुकी है. ये गहरी खदान का एक उदाहरण है.
उथली खदानें
ऐसी ज़मीन में खुदाई करना, जो आपको 10 से 12 फीट के नीचे जाने ही नहीं देती. यानी करीब 12 फीट के बाद मोटा-चौड़ा सॉलिड सा पत्थर या चट्टान मिल जाते हैं, जिनके आगे खोदना नामुमकिन होता है. ऐसी खदानें कोई भी व्यक्ति सरकार से लीज़ पर कुछ समय के लिए हासिल कर सकता है.

खुदाई से मिलने वाले कंकड़ों को धोता मज़दूर. (फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट)
उथली खदान पाने की प्रोसेस क्या है?
मध्य प्रदेश सरकार का एक विभाग है- खनिज संसाधन विभाग (Mineral Resources Department). ये राज्य में खनिज से जुड़े काम-काज देखता है. इसके तहत आता है पन्ना का हीरा कार्यालय. इसी कार्यालय से शुरुआत होती है उथली खदानों को पट्टे पर देने की.
लोग ये जानते हैं कि पन्ना के किन हिस्सों में उन्हें हीरा मिल सकता है. वो एक ज़मीन के एक छोटे हिस्से को चुनते हैं, करीब 8 फीट गुणा 8 फीट के हिस्से को. और फिर हीरा कार्यालय में आवेदन देते हैं. महज़ 200 रुपए के चालान के साथ. आवेदन देने का मतलब ही यही है कि वो सरकार से उस ज़मीन पर हीरे की खुदाई करने की परमिशन लेना चाहते हैं. कार्यालय को अगर आवेदन ठीक-ठाक लगता है, तो एक साल के लिए वो ज़मीन पट्टे पर दे दी जाती है.

इस तरह के पानी के गड्ढे उथली खदान के पास बनाकर कंकड़ों को धोया जाता है. (फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट)
इसके बाद जिसे वो ज़मीन मिली है, उस पर निर्भर करता है कि वो कैसे खुदाई करेगा. वो चाहे तो खुद करे, या कुछ मज़दूर लगवाए. या अगर वो व्यक्ति खुद मज़दूरी करता है, तो साथियों के साथ करवाए या जिस भी तरीके से. ये फैसला पूरी तरह उस व्यक्ति के हाथ में है.
कितनी खुदाई करने पर हीरा मिलता है?
ये ज़रूरी नहीं कि हर किसी को हीरा मिल जाए. कई बार कई लोग निराश हुए हैं. कई बार खुश. सामान्य तौर पर आठ-दस फुट तक ज़मीन खोदने के बाद मिट्टी के साथ-साथ छोटे-छोटे कंकड़-पत्थर वाली लेयर आती है. इसे चाल कहते हैं. इन्हीं कंकड़-पत्थरों में कहीं हीरा छिपा होता है. पप्पू बताते हैं,
"वो मिट्टी निकालकर हमें उसे धोना पड़ता है. फिर जैसे गेहूं को बीना जाता है न, वैसे ही उस पूरी चाल को फैलाकर बीना जाता है. डायमंड होता है, तो वो अपनी चमक की वजह से अलग पहचान आ जाता है. खदान के पास ही गड्ढा बनवाया जाता है, तीन बाई तीन का या चार बाई चार का, उसी में पानी भरकर मिट्टी डालकर उसे छाना जाता है. ऐसा करके हम मिट्टी से कंकड़ को अलग करते हैं. फिर कंकड़ को ज़मीन में फैलाते हैं. ज़मीन में करीब एक घंटे बाद पानी सूख जाता है, फिर उसे बीना जाता है. अगर हीरा होगा उसमें, तो अपनी चमक की वजह से दिख जाएगा."

धोने के बाद कंकड़ों को ऐसे सुखाया जाता है. (फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट)
हीरा तो मिल गया, अब क्या?
दीपक ने बताया कि हीरा मिलने के बाद फिर हीरा कार्यालय जाना होता है. उस चमकदार हीरे को लेकर. अधिकारी और हीरे के पारखी लोग उसे देखते हैं. उसका रंग, साइज़, आकार और वज़न के हिसाब से उसकी क्वालिटी तय की जाती है. हर तीन महीने में हीरा कार्यालय में इकट्ठा हुए हीरों की नीलामी होती है. सूरत, मुंबई, दिल्ली और पन्ना के भी कई व्यापारी इसमें शामिल होते हैं. नीलामी के लिए मौजूद सभी हीरों को देखते हैं. फिर एक-एक करके बोली लगाते हैं. जिस हीरे पर जो व्यापारी सबसे ज्यादा बोली लगाता है, वो उसे पा लेता है.
अब पप्पू के हीरे की कीमत तो 50 लाख आंकी गई है, लेकिन ये नीलामी की शुरुआत होने की बेसिक कीमत नहीं है. इससे थोड़ी कम कीमत पर नीलामी शुरू होगी, जो 50 लाख या उससे ज्यादा तक पहुंचेगी. और अगर कोई भी व्यापारी 50 लाख तक नहीं पहुंचेगा, तो फिर पप्पू पर निर्भर करेगा कि वो उसे उस खास नीलामी में बेचना चाहता है या नहीं. वो चाहे, तो 50 लाख से कम दाम में बेचने दे या फिर अगली नीलाम तक इंतज़ार करे.
ज़रूरी सवाल, पप्पू को पैसे मिलेंगे या नहीं?
इसका जवाब जानने के लिए, दीपक, पप्पू समेत पन्ना में हीरा खोजने का काम करने वाले दो-तीन अन्य लोगों से 'दी लल्लनटॉप' ने बात की. सभी ने जवाब दिया कि पैसे मिल जाते हैं.
प्रोसेस ये है कि नीलामी में जो व्यापारी हीरा खरीदता है, उसे 24 घंटे से लेकर दो दिन के अंदर करीब 20 फीसदी रकम हीरा कार्यालय में जमा करानी होती है. फिर एक महीने के अंदर बाकी 80 फीसदी रकम देनी होती है. जब व्यापारी ये पैसे दे देता है, तो इसमें से 88 फीसदी पैसा हीरा खोजने वाले को मिलता है. 12 फीसदी पैसा रॉयल्टी और टेक्स के तौर पर काटा जाता है.
जैसे अगर पप्पू का हीरा नीलामी में 50 लाख में बिकेगा, तो छह लाख रुपए कटकर उसे 44 लाख रुपए मिलेंगे.

कंकड़ों में से हीरे को खोजता एक व्यक्ति. (फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट)
हीरे की क्वालिटी कैसे पता करते हैं?
विकास चौरसिया पन्ना में ही रहते हैं, हीरा व्यापारी हैं और कई बार इन्होंने भी उथली खदानों से हीरा निकाला है. उन्होंने बताया,
"कार्यालय में हीरा पारखी होता है, वो क्वालिटी के बारे में बताता है. ज्यादातर हीरे का रंग, आकार देखा जाता है. ये भी देखा जाता है कि किस तरह के गहनों में उसका इस्तेमाल हो सकता है. रंग की बात करें, तो अगर किसी हीरे का रंग एकदम सफेद है, तो उसे जेम क्वालिटी का हीरा कहते हैं. ब्राउन, पीला, काला इन रंग के हीरे भी मिलते हैं. डार्क पीले रंग का मिलना काफी सामान्य है. सबसे महंगा जेम क्वालिटी का होता है.
आकार की बात करें, तो अगर कोई काटने वाला हीरा हो, तो उसकी कीमत कम होती है. गोल हो तो सबसे ज्यादा होती है, थोड़ा फैंसी जैसे- चपटा या लंबा हो, तो उसका पैसा भी कम मिलता है. अगर कोई हीरा बनने के बाद एक कैरेट आता है, तो उसका पैसा अच्छा मिलता है. अगर एक कैरेट से अंदर आए, तो पैसा कम मिलता है. जितना साइज़ मिले, उतना पैसा बढ़ता है."
पप्पू को मिलने वाला हीरा जेम क्वालिटी का है. वज़न में 10.69 कैरेट का है, ज़ाहिर सी बात है कि क्वालिटी बहुत अच्छी है.
आखिरी में पन्ना के बारे में एक और बात. हमारे एक साथी करीब एक साल पहले पन्ना गए थे. उन्होंने बताया कि वहां पर रहने वाले हीरे की खुदाई को एक काम की तरह देखते हैं. कई लोग जो खेती करते हैं, वक्त निकालकर हीरे के लिए ज़मीन की खुदाई भी करते रहते हैं. गांव-गांव में इस तरह लोग खुदाई करते देखे जा सकते हैं.
वीडियो देखें: खदान में हीरा पाने वाले मोतीलाल का जीना मुश्किल क्यों हो गया है?