क्या अब बिना हॉलमार्क वाले गहनों की बिक्री पूरी तरह बंद हो जाएगी?
हॉलमार्क के बारे में आपके हर सवाल का जवाब
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देश में हॉलमार्क का चलन करीब दो दशक पुराना है, लेकिन अभी तक यह अनिवार्य नहीं था (सांकेतिक तस्वीर-साभार पीटीआई)
सोने की शुद्धता की गारंटी देने वाला हॉलमार्क अब सख्ती से लागू होने की दिशा में एक कदम और बढ़ गया है . बुधवार 1 दिसंबर से लागू नियमों के तहत अब देश के 256 जिलों में सिर्फ हॉलमार्क जूलरी ही बिकेगी और सिर्फ बीआईएस रजिस्टर्ड जूलर ही इसे बेचेंगे. वैसे तो भारत में हॉलमार्क ने वर्षों पहले दस्तक दे दी थी, लेकिन इसे अनिवार्य करने की कवायद पिछले साल ही शुरू हुई है. हालांकि अब भी 40 लाख रुपये से कम टर्नओवर वाले जूलर्स पर इसे अनिवार्य नहीं किया गया है, इससे इस मुहिम के सफल होने को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. यहां हम आपके लिए हॉलमार्किंग से जुड़े उन तमाम सवालों के जवाब दे रहे हैं, जो आपके जेहन में तैर रहे होंगे.
क्या है हॉलमार्क ?
यह सोने की शुद्धता का एक सरकारी पैमाना है, जिसकी निगरानी और संचालन ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) करता है. इसके तहत देश में बिकने वाले सोने के गहनों और अन्य आइटमों पर तीन तरह के निशान होंगे. ये निशान इस बात की तस्दीक करेंगे कि सोना कितने प्रतिशत शुद्ध है. इसे बेचने वाला जूलर रजिस्टर्ड या लाइसेंसी है, जिसे आसानी से ट्रेस किया जा सकता है. और सबसे बढ़कर यह कि आपके हर गहने का अपना एक पहचान नंबर होगा.
कैसे करें पहचान ?
हॉलमार्क के तहत जूलरी पर अभी तक चार तरह के निशान लगते आ रहे थे- BIS का निशान, फिटनेस नंबर, हॉलमार्क सेंटर का निशान और जूलरी आउटलेट का नंबर. लेकिन जल्द ही सभी जूलरी पर सिर्फ तीन तरह के निशान दिखेंगे-BIS के निशान और फिटनेस नंबर के अलावा छह अंकों का अल्फा-नमेरिक (अक्षर और संख्या दोनों) हॉलमार्क यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर (HUID) दर्ज होगा.
फिटनेस नंबर क्या है ?
हॉलमार्क जूलरी में दूसरे निशान के तौर पर आपको 916, 750 या 585 जैसी संख्याएं दिखेंगी. असल में यही आपकी जूलरी में सोने की शुद्धता को दर्शाता है. 916 का मतबल है कि यह जूलरी 22 कैरेट सोने की है, 750 का मतलब 18 कैरेट और 585 का मतलब 14 कैरेट है.
22 कैरेट में कितना सोना ?
सबसे शुद्ध यानी 99.9% प्योर गोल्ड 24 कैरेट का होता है, लेकिन यह इतना कठोर होता है कि इससे गहने नहीं बनाए जा सकते. इसके लिए सोने में दूसरे धातु या कुछ खास एलॉय मिलाए जाते हैं. हॉलमार्किंग केवल 22, 18 और 14 कैरेट सोने की होने जा रही है. 22 कैरेट का मतलब है कि गहने में सोने की मात्रा 91.6% है. 18 कैरेट का मतलब है 75% शुद्धता और 14 कैरेट यानी 58.30% शुद्धता.
क्या है HUID ?
यह नए हॉलमार्क सिस्टम की जान है. जैसे आपका अपना पैनकार्ड और आधार नंबर होता है, वैसे ही अब गहनों की एक-एक पीस का अपना पहचान नंबर होगा, जिसे नाम दिया गया है- हॉलमार्क यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर.
HUID का फायदा ?
यह सरकार और कस्टमर दोनों के लिए फायदेमंद है. आपके लिए तो इतना ही फायदा है कि आपके गहने पर शुद्धता की मुहर लगी होगी और यूनीक आईडी के चलते आप एक-एक गहने को सैकड़ों गहनों के ढेर में भी ढूंढ निकालेंगे. किसी के खोए या चोरी हुए गहनों की रिकवरी भी आसान होगी. लेकिन सरकार के नजरिए से फायदे बेशुमार हैं. वह देश में सोने की पूरी सप्लाई चेन पर नजर रख सकेगी. किसी गहने के बनने और बिक्री से लेकर रीसेल तक पर नजर का मतलब है, सोने की तस्करी और अवैध बिक्री की लगाम कसेगी. सरकार को बड़े पैमाने पर रेवेन्यू मिलेगा. सोने की ब्लैक-मार्केटिंग मुश्किल हो जाएगी.
पता चलेगा गोल्ड स्टॉक ?
आज की तारीख में खुद सरकार को नहीं पता कि देश में सोने का कितना भंडार है. मोटे आंकड़े और अनुमान कुछ बड़े मंदिरों में रखे सोना और आरबीआई के स्टॉक तक घुमफिरकर रह जाते हैं. यही वजह है कि गोल्ड मॉनेटाइजेशन जैसी कई स्कीमें बहुत कामयाब नहीं रहीं. लेकिन जब सिर्फ HUID वाला सोना ही बिकने लगेगा तो कुछ समय बाद यह आकलन करना भी आसान हो जाएगा कि देश में कहां-कहां कितना सोना है. स्वर्ण भंडार के सही आकलन के बाद सरकार इसे अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में लाने के लिए प्रभावी नीतियां भी बना सकेगी.
प्योरिटी की कितनी गारंटी ?
सौ फीसदी तो नहीं लेकिन बहुत हद तक यह सुनिश्चित करता है कि जो सोना आपने खरीदा है, उसमें शुद्ध सोने की मात्रा कितनी है. अगर बाद में सोना अशुद्ध पाया गया तो बीआईएस जैसी एजेंसियों में शिकायत करना या हर्जाना लेना आसान होगा. दोषी जूलर के खिलाफ कार्रवाई भी हो सकेगी. बीआईएस तो यहां तक दावा करता है कि ग्राहक को अशुद्ध सोने के मूल्य से दोगुना चुकाया जाएगा.
क्या बेचने पर पूरा दाम मिलेगा?
यह एक भ्रांति है कि हॉलमार्क वाले सोने के गहने बेचने पर पूरा दाम मिलेगा. आप जान लें कि बीआईएस ने हॉलमार्किंग के जरिए सिर्फ गहने में सोने की मात्रा या शुद्धता तय की है. वह खरीद-बिक्री में कोई भागीदार नहीं है. पहले जब आप पुराने गहने बेचने जाते थे तो जूलर उसकी डिजाइन में अलॉय और दूसरे तरह की कटौती लगाकर आपको 20-30% तक कम मूल्य देता था. यह चलन रुकेगा, कहना मुश्किल है. इतना जरूर है कि कैरेट स्पष्ट होने के चलते आप मार्केट में बेहतर बार्गेन कर पाएंगे. बिना हॉलमार्क वाले गहनों की बिक्री में जूलर जो शुद्धता और दाम बताता है, आप उसे मानने और स्वीकार करने के लिए मजबूर होते हैं.
पुराने गहनों का क्या होगा ?
आपके घर में पड़े पुराने गहनों की बिक्री या उसकी वैल्यू पर हॉलमार्किंग का कोई असर नहीं होगा. आप चाहें तो इन गहनों को बेच सकते हैं, लेकिन हॉलमार्क्ड नहीं होने के चलते उसकी वैल्यू पर संशय बना ही रहेगा. खरीदने वाला जूलर तय करेगा कि उसका मूल्य क्या होगा. आप ज्यादा से ज्यादा किसी लैब या टेस्ट सेंटर से जांच कराकर शुद्धता का प्रतिशत तय कर सकते हैं और उसी आधार पर मूल्य की मांग कर सकते हैं। लेकिन पुराने गहने खरीदने वाला जूलर जब उन्हें गलाकर नए गहने बनाएगा तब उसे हॉलमार्किंग अनिवार्य रूप से करानी होगी.
बिना हॉलमार्क बिक्री बंद हो पाएगी ?
इसमें एक पेच है, जो पूरी मुहिम पर पानी फेर सकता है. सरकार एक तरफ कह रही है कि केवल बीआईएस रजिस्टर्ड जूलर ही हॉलमार्क जूलरी बेच सकेंगे और बिना हॉलमार्क बिक्री होगी ही नहीं. दूसरी तरफ 40 लाख रुपये से कम टर्नओवर वाले जूलर्स को हॉलमार्क की अनिवार्यता से छूट दी गई है. जानकारों का कहना है कि इन छोटे जूलर्स की आड़ में बिना हॉलमार्क वाली जूलरी की बिक्री जारी रह सकती है.
छोटे जूलर्स को छूट क्यों ?
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल और दूसरी शीर्ष संस्थाओं के मोटे अनुमान के मुताबिक देश में 4-5 लाख जूलर हैं, जबकि हकीकत कूछ और है. ट्रेड एसोसिएशंस की मानें तो गली मोहल्ले के छोटे-छोटे जूलर्स को जोड़कर यह तादाद अनुमान से कई गुना ज्यादा हो सकती है. ऐसे में सभी पर हॉलमार्किंग लागू करने का मतलब है लाखों कारोबारियों को नाराज करना. ऐसे में 40 लाख से कम टर्नओवर वालों को इसके दायरे से बाहर रखना एक राजनीतिक मजबूरी वाला कदम है. कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार आगे चलकर इन पर धीरे-धीरे शिकंजा कसेगी.
और किसे मिली है छूट ?
सोने के फाउंटेन पेन और कुछ विशेष तरह की जूलरी जैसे कुंदन, पोल्की, जड़ाऊ को अनिवार्य हॉलमार्किंग से छूट मिली हुई है। इसके अलावा एक्सपोर्ट या एक्सपोर्ट के मकसद से इम्पोर्ट किए जाने वाले सोने पर भी कुछ शर्तों के साथ रियायत दी गई है। घरेलू या अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रदर्शनी में जाने वाला सोना या एक कारोबारी से दूसरे कारोबारी (बी2बी) को होने वाली खरीद-बिक्री के सोने पर भी हॉलमार्क अनिवार्य नहीं है।
कितने जूलर हैं लाइसेंसी ?
वर्षों से हॉलमार्किंग के प्रचार के बावजूद जमीनी हकीकत यह है कि देश में अब तक हॉलमार्क सेंटर्स की तादाद लगभग 1000 ही है, जबकि बीआईएस रजिस्टर्ड या हॉलमार्क लाइसेंसी जूलर्स की संख्या तकरीबन 1 लाख 30 हजार है. इसमें भी अधिकांश जूलर हाल ही में जुड़े हैं.
प्योरिटी टेस्ट कहां कराएं ?
कोई भी व्यक्ति अपने गहने की जांच बीआईएस रजिस्टर्ड लैब, टेस्ट या असेइंग सेंटर्स पर करा सकता है. अगर आपको अपनी हॉलमार्क जूलरी की शुद्धता पर शक है तो अपने शहर के बड़े बाजारों में जाकर किसी जूलर से ऐसे सेंटर्स का पता पूछ सकते हैं. दिल्ली में आप सोने के किसी एक पीस गहने की जांच मात्र 30-50 रुपये में करा सकते हैं.
चांदी की हॉलमार्किंग भी होगी?
फिलहाल चांदी के गहनों की हॉलमार्किंग नहीं हो रही, लेकिन चांदी के दूसरे साजो-सामान की हॉलमार्किंग पर काम चल रहा है. सरकार की बार यह संकेत दे चुकी है कि आगे चलकर चांदी के गहने भी इसके दायरे में आ सकते हैं.
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