जनक नहीं था भगवान राम के ससुर का असली नाम!
भगवान राम के ससुर यानी मां सीता के पिता राजा जनक का असली नाम जनक नहीं था. क्या था उनका असली नाम, हम बताते हैं.

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राजा इक्ष्वाकु का बेटा राजा निमि एक यज्ञ कराना चाहता था. यज्ञ करवाने के लिए उसने चूज किया ऋषि वसिष्ठ को. वसिष्ठ ने कहा भैया हमको तो इंद्र ने एक यज्ञ के लिए आलरेडी बुक कर रखा है. तुम थोड़ी ठंड रखो. उनका करवाकर तुम्हारे पास पहुंचते हैं, तत्काल का टिकस लेकर. लेकिन निमि को बहुत जल्दी मच रही थी. उन्होंने बुलाया दूसरे ऋषियों को और यज्ञ शुरू कर दिया. वसिष्ठ ने आकर देखा कि यहां तो पहले से ही माहौल जम चुका है. उन्होंने निमि को शाप दिया कि अभी खड़े-खड़े निमि का शरीर खत्म हो जायेगा. निमि ने पलटकर कहा: तुमको ऋषि जी बहुत घमंड है अपने ऊपर. तुम हमारे धरम के बीच आ रहे हो. जाओ तुम्हारा भी शरीर खत्म हो जाएगा ऑन द स्पॉट. निमि और वसिष्ठ दोनों ने अपना शरीर छोड़ दिया. वसिष्ठ ने बाद में मित्रावरुण और उर्वशी का बेटा बनकर जनम लिया. निमि का यज्ञ जब पूरा हुआ, देवता लोग आए. तब निमि के चेलों ने देवताओं से कहा प्लीज इन्हें जिंदा कर दीजिए. पर निमि की आत्मा ने कहा शरीर में तो सौ कमियां होती हैं, हम ऐसे ही ठीक हैं. निमि के बाद धरती पर राजा ही नहीं बचा. तब देवताओं ने निमि के शरीर को मथा और उससे निकले जनक. उनका दूसरा नाम हुआ विदेह, क्योंकि वो एक बेजान देह से पैदा हुए थे. और तीसरा नाम रखा गया मिथिल क्योंकि शरीर के मथने से पैदा हुए थे. इसी वजह से जनक के देश का नाम हो गया मिथिला. निमि के वंश के सारे राजा मिथिल, जनक या विदेह कहलाए जिसमें सीता जी के पापा भी शामिल थे. सीता के पापा का असली नाम था सीरध्वज, क्योंकि सिर (हल) के अगले भाग (ध्वज) से उन्हें सीता जी मिलीं थीं. निमि: राजा इक्ष्वाकु का बेटा स्रोत: श्रीमद्भागवत पुराण, नौवां स्कंध, तेरहवां अध्याय