करीना कपूर और सैफ अली खान ने अपने बेटे का नाम जहांगीर रखा, और सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने बवाल शुरू कर दिया. (फोटो- करीना कपूर के इंस्टा हैंडल से और विकीपीडिया से )
करीना कपूर और सैफ अली खान के घर फरवरी 2021 में दूसरे बेटे ने जन्म लिया. सभी को जानने की पड़ गई कि भई उसका नाम क्या है. करीना कपूर के पप्पा और बच्चे के नाना रणधीर कपूर ने बताया, सब उसे 'जेह' कहके बुलाते हैं. करीना भी इसी नाम से अपने छोटे बेटे को बुलाते सुनी गईं, लेकिन हाल ही में उन्होंने अपने दूसरे बेटे के पूरे नाम की जानकारी दी. फिर क्या था, बवाल शुरू हो गया. काहे? आइए बताते हैं.
नाम में क्या रक्खा है?
जहांगीर. वो मुगल शासक जिसने अपने पिता अकबर के बाद हिंदुस्तान में मुगल सल्तनत की ज़मीन और मजबूत की. कला और संस्कृति में बहुत काम कराया. लेकिन हम आज आपको इतिहास के जहांगीर नहीं, बल्कि वर्तमान के जहांगीर का किस्सा सुनाएंगे. असल में इस जहांगीर का किस्सा अभी शुरू ही हुआ है, क्योंकि इनका जन्म ही फरवरी 2021 में हुआ है. हम बात कर रहे हैं सैफ अली खान और करीना कपूर खान के बेटे की. प्रेग्नेंसी के अनुभव पर लिखी अपनी किताब के लॉन्च के दौरान हाल ही में करीना कपूर ने अपने छोटे बेटे का नाम जगजाहिर किया. नाम है जहांगीर. फिर क्या था, सोशल मीडिया पर बवाल शुरू हो गया. लोगों ने हल्ला काट दिया. हल्ले से एक बात समझ में आई कि शेक्सपियर चचा का 'नाम में क्या रक्खा है' वाला डायलॉग इतना भी सटीक नहीं हैं.
जहांगीर पर बवाल करने वाले क्या बोले?
सोशल मीडिया पर जहांगीर नाम पर गुस्सा जताने वालों ने कई तरह के लॉजिक पेश किए. लोग इसे हिंदू विरोधी बताने लगे. एक व्यक्ति ने ट्वीट किया-
"तैमूर और जहांगीर सिर्फ नाम नहीं हैं बल्कि हिंदुओं के मुंह पर तमाचा है. वो अपने बच्चों का नाम कलाम और इरफान भी रख सकते थे."
एक और यूजर ने लिखा-
"तैमूर एक आतंकवादी था जिसने लाखों हिंदुओं को मारा. जहांगीर ने 16 जून 1606 में सिखों के पांचवें गुरु अर्जन देव जी को इसलिए मार दिया क्योंकि वो गुरुनानक देव जी की शिक्षा को आगे बढ़ाने से रोकने पर नहीं माने."
किसी और ने कहा कि-
"करीना कपूर अपने बेटे का नाम कलाम, इरफान, ज़ाकिर या कुछ भी रख सकती थीं. लेकिन क्यों तैमूर और जहांगीर? यह हिंदू और सिखों को नीचा दिखाने की सोची-समझी साजिश है."
लेकिन इन 'जहांगीर' से तो दिक्कत नहीं है! ट्विटर पर करीना कपूर और सैफ अली खान को ट्रोल करने वाले भूल गए कि देश में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि किसी ने अपना नाम जहांगीर रखा हो. आइए कुछ नाम आपको याद दिलाते हैं. पहला नाम उनका है जो देश के ऐसे बिजनेसमैन थे कि हम गर्व से उनका नाम लेते हैं. हम बात कर रहे हैं जेआरडी टाटा की. इनका पूरा नाम था - जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा. न हमको इनसे परहेज है और न इनकी कंपनी से. चाय से लेकर कार तक सब पर छाया है ब्रैंड टाटा. इस बात का जिक्र संगीता नाम की यूजर भी अपने ट्वीट में करती हैं. वो लिखती हैं-
"जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा, अब तक इन्हें इस नाम से कोई दिक्कत नहीं थी. लेकिन जैसे ही फिल्मी कपल ने अपने बच्चे का नाम रखा, पहाड़ टूट पड़ा."
अब बात एक और जहांगीर की. इनका नाम सांइस की दुनिया में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है. खासतौर पर भारत में इन्हें एक अग्रणी साइंटिस्ट का दर्जा प्राप्त है. नाम है होमी जहांगीर भाभा. एटॉमिक साइंटिस्ट होमी जहांगीर भाभा ही वो शख्स थे, जिन्होंने भारत के एटॉमिक प्रोग्राम की नींव रखी थी. पुनीत शर्मा ने ट्वीट किया-
कहने का मतलब ये कि किसी नाम को किसी शख्सियत से जोड़कर ही क्यों देखा जाए. दुनिया में मुगल शासक जहांगीर के अलावा भी कई जहांगीर हुए हैं. क्या कोई उनके बारे में सोचकर नाम न रखा सकता? फिर किसी शख्स के जिंदगी भर के किए धरे को उसके नाम से ही क्यों जोड़ा जाए? अगर एक आसाराम या राम रहीम जेल में अपने गुनाहों की सज़ा काट रहा है तो क्या लोग अपने बच्चों का नाम आसाराम या राम और रहीम रखना बंद कर दें?
अब जहांगीर नाम का अर्थ भी जान लीजिए
जिस नाम को लेकर इतना हल्ला हो रहा है, उसका मतलब भी जान लीजिए. असली बात वही है. जहांगीर फारसी भाषा का एक शब्द है. इसका अर्थ है- पूरी दुनिया को जीतने वाला या विश्वविजेता. अब कौन अपने बेटे का नाम विश्वविजेता नहीं रखना चाहेगा, फिर चाहे फारसी में ही क्यों न हो. वैसे जहांगीर नाम का एक गहना भी होता है. हथेली के पिछले भाग पर पहने जाने वाले इस गहने के आगे पांचों उंगलियों में पहनने के लिए पांच अंगूठियां लगी रहती हैं. तो बात का लब्बोलुआब ये कि बच्चे का नाम क्या रखना है, इसका पहला हक उसके माता-पिता का है. कोई ये तय करने वाला कौन होता है कि माता-पिता अपने बच्चे का नाम क्या रखें. हम खुशकिस्मत हैं कि हमारे देश में कोई खास नाम चुनने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जाता. छोटे शहरों और गांवों में बाबर से लेकर औरंगजेब तक हर तरह के नाम रखे जाते हैं, शायद ही इन पर कभी बवाल होता है. सिलेब्रिटीज अक्सर अपनी शोहरत की वजह से निशाने पर रहते हैं. साल 2016 में अपने पहले बच्चे के जन्म के बाद भी करीना कपूर और सैफ अली खान ट्रोल्स के निशाने पर रहे थे. कारण था कि उन्होंने अपने बेटे का नाम तैमूर रखा था. इस घटना के बाद सैफ अली खान ने एक पते की बात कही थी -
बीते हुए कल को आज के लेंस से नहीं देखना चाहिए. एक नाम से कुछ फर्क नहीं पड़ता. सम्राट अशोक और सिकंदर का नाम भी हिंसा से जोड़ा जाता है लेकिन फिर भी लोग ये नाम रखते हैं.