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IIT के लिए ड्रॉप लेने की सोच रहे हो तो ये सलाह पढ़ ल्यो

क्या ड्रॉप लेना वाकई एक अच्छा आइडिया है?

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27 अप्रैल को जेईई मेन्स 2017 का रिज़ल्ट आया. लगभग 2.2 लाख स्टूडेंट्स जेईई एडवांस्ड एग्ज़ाम के लिए सेलेक्ट हुए. लेकिन लगभग पांच गुना बच्चे ऐसे थे, जो सेलेक्ट नहीं हुए. इनका आईआईटी या एनआईटी में पढ़ने का सपना इस साल पूरा नहीं होने वाला. इन बच्चों के पास अभी कुछ और ऑपशन हैं- स्टेट एंट्रेंस एग्ज़ाम और वो प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज जो अपना अलग एग्ज़ाम लेते हैं. इन्हीं बच्चों में से कई ऐसे भी होंगे जिन्हें लग रह होगा कि इस साल ड्रॉप करके उन्हें अगले साल आईआईटी या एनआईटी मिल जाएगा. पर क्या ड्रॉप लेना एक अच्छा आइडिया है? सोच कर देखिए. क्या कुछ सोच सकते हैं, हम बता रहे हैंः #1. ऐसे कई कॉलेज हैं जो प्लेसमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में आईआईटी से कम नहीं हैं. बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड साइंस(BITS) और वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी(VIT) उनमें से एक हैं. इन कॉलेज के स्टूडेंट्स को भी काफी अच्छा एक्सपोज़र और बढ़िया नौकरी मिलती है. बस इनकी फीस थोड़ी ज़्यादा है. अगर वो आपके बजट में हो, तो आप ड्रॉप की जगह इनमें एडमिशन लेने के बारे में सोच सकते हैं. याद रखें कि आप में प्रतिभा हो तो आप किसी भी कॉलेज से पढ़ाई करें, सक्सेस ज़रूर मिलेगी. #2. ज़्यादातर बच्चे बोर्ड और जेईई के पेपर की तैयारियों का बोझ एक साथ नहीं झेल पाते. बोर्ड और जेईई के सिलेबस के बीच अक्सर बैलेंस नहीं बन पाता. तो हमें लगता है कि ड्रॉप के दौरान पूरा ध्यान जेईई की तैयारी में लगाएंगे. लेकिन याद रखें, ड्रॉप के दौरान आप पूरा सिलेबस रिपीट करेंगे. और इसमें मज़ा ढूंढने से भी नहीं मिलता है. तगड़ा डेडिकेशन चाहिए. साथ ही फिज़िक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स इन तीनों सब्जेक्ट में इंटरेस्ट होना बहुत ज़रूरी है. अगर आपको पूरा यकीन है कि आप एक साल के ड्रॉप के दौरान टिक कर पढ़ लेंगे और जेईई फोड्डालेंगे, तो ड्रॉप लेने की सोचिए. #3. किसी के कहने पर ड्रॉप न लें. ये सोच कर ड्रॉप ले लेंगे कि रिश्तेदार और पड़ोसियों का मुंह बंद हो जाएगा तो रुक जाएं. इनकी कांय-कांय आप कभी बंद नहीं कर सकते. ऊपर से अगर आप ऐसे इंसान हैं जिसे लोगों की बातें लग जाती हैं, तो आपको इस बात के लिए तैयार रहना होगा कि एक साल बाद ये सब फिर हो सकता है. आईआईटी/एनआईटी में शर्तिया एडमिशन नहीं मिलता, कॉम्पिटीशन बहुत है. आंकड़ों के मुताबिक 6 में से एक ही स्टूडेंट ऐसा होता है जिसने ड्रॉप लिया हो और उसका जेईई क्लियर हुआ हो. आप चूके तो फिर वही होगा जिससे परेशान होकर ड्रॉप लिया था. ड्रॉप अापका अपना फैसला होना चाहिए जिसे आपको पूरे होश में लेना चाहिए. #4. इतना सोच ही रहे हैं तो थोड़ा कपार इसमें भी लगाएं कि आपको इंजीनियरिंग ही करनी है कि नहीं. खासकर अगर आप आठवीं से (या केजी से ही!) जेईई की तैयारी में लगे हों. हो सकता है कि आपने नाना प्रकार के करियर ऑप्शन्स को कभी भाव ही न दिया हो. या आपके अंदर कोई पैशन दबा हो सकता है जिसे ढाल कर आप अपना करियर बना सकते हों, अपनी शर्तों पर. हमारे न्यूज़ रूम में सारे धुरंधर इंजीनियर हैं. इतना मोटिवेशन काफी है न? 

और ज़्यादा मोटिवेशन के लिए गूगल पर  'कॉलेज ड्रॉपआउट्स हू मेड इट बिग' सर्च करें. बहुतायत में मिलेगा. 


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