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कहानी 'मनी हाइस्ट' वाली नैरोबी की, जिन्होंने कभी इंडियन लड़की का किरदार करके धूम मचा दी थी

जानिए क्या है नैरोबी उर्फ़ अल्बा फ्लोरेस का इंडियन कनेक्शन और कौन है उनका फेवरेट को-स्टार?

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पूरी कहानी अल्बा फ्लोरेस की.
'मनी हाइस्ट' की नैरोबी. मोस्ट लवेबल करैक्टर. 'मनी हाइस्ट' के बाकी कैरेक्टर्स के चाहने वाले और ना चाहने वाले दोनों ही बराबर मात्रा में हैं. लेकिन नैरोबी 'मनी हाइस्ट' की इकलौती ऐसी करैक्टर है, जिसे सब प्यार करते हैं. मतलब सब ही. नैरोबी फ़नी है, स्वीट है, लेकिन सशक्त है. जब बर्लिन को चित कर नैरोबी कहती है, 'LET THE MATRIARCHY BEGIN', अलग ही रोमांच आ जाता है. नैरोबी इतनी पॉपुलर हुईं कि पॉप स्टार बैड बनी ने भी अपने म्यूजिक वीडियो में उनका ज़िक्र किया. लल्लनटॉप पर 'मनी हाइस्ट' स्पेशल वीक चल रहा है. जिसमें हम आपको 'मनी हाइस्ट के एक्टर्स की रियल कहानी सुना रहे हैं. इसी क्रम में आज हम आपको सुनाएंगे मोस्ट फेवरेट नैरोबी का रोल प्ले करने वाली अल्बा फ्लोरेस के जीवन के किस्से. उनकी आर्ट लिगेसी से लेकर उनके इंडियन कनेक्शन तक, सब चीजों से कराएंगे आपको रूबरू. #दादी, पिता, आंटियां सब आर्टिस्ट अल्बा गोंज़ालिज़ विला उर्फ अल्बा फ्लोरेस. अल्बा आर्टिस्ट फैमिली से आती हैं. फ्लोरेस फैमिली पिछली तीन जनरेशन से एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री का हिस्सा रही है. अल्बा की दादी लोला फ्लोरेस सिंगर, एक्टर और डांसर थीं. दुनिया लोला फ्लोरेस को 'ला फाराओना' के नाम से जानती थी. लोला फ्लोरेस बहुत बड़ा नाम थीं. इतना बड़ा कि स्पेन के कई शहरों में उनकी मूर्तियां लगी हुई हैं. 2016 में गूगल ने लोला के जन्मदिन पर डूडल बना कर उन्हें ट्रिब्यूट भी दिया था.
लोला के तीन बच्चे हुए. एक बेटा एंटोनियो और दो बेटियां लोलिटा एंड रोसारियो. तीनों उन्हीं की तरह आर्टिस्ट बने. रोसारियो सिंगर बनीं और भविष्य में उन्होंने ग्रैमी अवार्ड भी जीता. वहीं लोलिटा सिंगर और एक्टर बनीं. और एंटोनियो सांग राइटर और एक्टर बने. एंटोनियो ने एना विला नाम की थिएटर प्रोड्यूसर से शादी की. दोनों की एक बेटी हुई अल्बा फ्लोरेस. नीचे वीडियो में आप बाल अल्बा को अपने पिता के साथ देख सकते हैं.
# पिता के लिखे गाने को गाया 2005 में अल्बा का एक्टिंग करियर शुरू हुआ. 'एल कैलेंटिटो' नाम की फ़िल्म से अल्बा ने डेब्यू किया. लेकिन फ़िल्म खास नहीं चली. 2008 में अल्बा ने टीवी पर खाता खोला. अपनी फैमिली की तरह अल्बा भी मल्टी-टैलेंटेड हैं. उन्होंने 2009 में अपने ही पिता के गाने को फ़िल्म में गाया था. फ़िल्म, टीवी के साथ-साथ अल्बा थिएटर में भी एक्टिव रहती हैं. शूटिंग से समय निकाल वो अक्सर प्ले करती रहती हैं.
अल्बा फ्लोरेस.
अल्बा फ्लोरेस.

# इंडियन कनेक्शन सबसे पहले ये तस्वीर देखिए.
अल्बा फ्लोरेस एज़ शामिरा.
अल्बा फ्लोरेस एज़ शामिरा.


चौंक गए! क्या कोई कह सकता है तस्वीर में दिख रही लड़की इंडियन नहीं बल्कि स्पैनिश है. 2013 में अल्बा ने स्पैनिश टीवी पर रिलीज़ हुई विसेंटे फैरर की बायोपिक में एक आंध्र प्रदेश की रहने वाले महिला का किरदार निभाया था. विसेंटे एक समाजसेवी थे जिन्होंने साउथ इंडिया में बहुत सालों तक समाज सेवा का काम किया था. लिहाज़ा उनकी बायोपिक बिना इंडिया को दिखाए पूरी नहीं हो सकती थी. इसी वजह से फ़िल्म में कुछ इंडियन एक्टर्स लिए गए थे. लेकिन अल्बा ने इतनी बेहतरी से शमीरा नाम की लड़की का रोल प्ले किया कि कोई समझ ही नहीं पाया लड़की स्पेनिश है या इंडियन. इस फ़िल्म की शूटिंग अनंतपुर इंडिया में ही हुई थी. फ़िल्म के लिए अल्बा ने तेलुगु भी सीखी थी.
#नैरोबी किरदार लिखा ही गया अल्बा को देख के 2015 में अल्बा ने 'विस अ विस' नाम का टीवी शो साइन किया. इस शो के क्रिएटर थे एलेक्स पिना. एलेक्स अपने अगले शो 'ला कासा द पापेल' की तैयारी भी कर रहे थे. अल्बा को देख एलेक्स के दिमाग में एक सवाल कौंधा कि प्रोफेसर की गैंग में सिर्फ़ एक ही लडक़ी है टोक्यो. ये सही नहीं बैठेगा. एलेक्स ने अल्बा से पूछा कि क्या वो उनके अगले शो में काम करना चाहेंगी. अगर वो हां करेंगी तो वो उनके लिए नया करैक्टर लिखेंगे. अल्बा ने हां कर दी. शो की बाकी कास्ट जहां दर्जनों ऑडिशन देकर सिलेक्ट हुई थी, वहीं एलेक्स ने नैरोबी का किरदार अल्बा को ध्यान में रखकर ही लिखा था. अल्बा ने बाकियों की तरह कोई ऑडिशन भी नहीं दिया. वाक़ई में यहां दाद एलेक्स पिना की देनी चाहिए जिन्होंने पूरी परख से नैरोबी करैक्टर एकदम अल्बा को ध्यान में रख कर लिखा और पोट्रे करवाया.
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देखने में सीधी-साधी लगती... अंदर से कितनी तेज़ है.

#पिता लिखकर गए हैं गाना अल्बा 9 साल की थीं जब जनके पिता का देहांत हुआ. अल्बा के पिता एंटोनियो फ्लोरेस ने ने उनके लिए एक गाना भी बनाया था. जिसका टाइटल उन्हीं के नाम पर था 'अल्बा'. #हां थोड़ा दर्द हुआ... सिनेमा और दुख.
'हम आपके हैं कौन' में जब भाभी सीढ़ियों से 'लो चली मैं' गाते-गाते जब गिरी थीं तब हुआ था पहली बार दुख. फिर 'ग़जनी' में संजय के सामने जब कल्पना को मारा गया, तब हुआ दूसरी बार दुख. फ़िर जब उस गंडीया ने नैरोबी को मारा, तब हुआ तीसरी बार दुख. भयंकर दुख. कसम से सैलरी ज़्यादा होती तो टीवी फोड़ देता उस दिन. ख़ैर राइटर्स की कौम का तो काम ही यही है. पहले एक करैक्टर इतना लवेबल रचो कि जनता प्यार में पड़ जाए. फ़िर सही वक्त पर उसे मारकर जनता के जज़्बात निचोड़ लो. 'मनी हाइस्ट' के डायरेक्टर ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया था कि क्यों उन्होंने नैरोबी को मारा. बोले,
"नैरोबी गैंग की भावनाएं दर्शाती थी. आखिरी सीज़न में नैरोबी के लिए मुश्किल रहता क्योंकि इस बार सीधे आमने-सामने की लड़ाई थी. नैरोबी एक अलग किरदार थी. एक ऐसा किरदार जो सीधी मुठभेड़ के लिए नहीं बना था."
सिर्फ आप और हम ही नहीं, अल्बा को भी नैरोबी का मरना पसंद नहीं आया था. अल्बा ने इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें लगा था नैरोबी कभी नहीं मारी जाएगी. नैरोबी का मारा जाना 'मनी हाइस्ट' के लिए बहुत नुकसानदेह भी साबित हो सकता है. अल्बा ने कहा वो चाहती थीं कि नैरोबी अगर थोड़ा हीरोइकली मरती, तो भी जंचता. इंटरव्यू के अंत में अल्बा ने कहा कि वो शो शूट करते-करते थक गई थीं. उन्हें आराम की ज़रूरत थी. इसलिए वो लिबेरटेड फील कर रही हैं.