भारतीय वायुसेना के लिए पांचवींं पीढ़ी के डीप-पेनेट्रेशन एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के एक्ज़ीक्यूशन मॉडल (Execution Model) को मंजूरी मिल गई है. एक्ज़ीक्यूशन मॉडल का मतलब है कि जो मॉडल तैयार किया गया है, वो फाइनल है. यानी अब इसी मॉडल को ‘एक्ज़ीक्यूट’ माने इसपर काम शुरू किया जाएगा. इस स्टेल्थ फाइटर जेट के सर्विस में शामिल होते ही भारत चौथा ऐसा देश बन जाएगा जिसके पास स्वदेशी तौर पर बने हुए स्टेल्थ फाइटर जेट्स होंगे. वर्तमान में, केवल तीन देश अमेरिका (F-22 Raptor और F-35 Lightning), चीन (J-20) और रूस (Su-57) पांचवींं पीढ़ी के स्टेल्थ फाइटर एयरक्राफ्ट संचालित करते हैं.
पाकिस्तान से टेंशन के बीच भारत के 'स्टेल्थ' फाइटर AMCA का डिजाइन तैयार, उड़ान की पहली तारीख ये है
AMCA के सर्विस में शामिल होते ही भारत चौथा ऐसा देश बन जाएगा जिसके पास स्वदेशी तौर पर बने हुए Stealth Fighter Jets होंगे. वर्तमान में, केवल तीन देश अमेरिका (F-22 Raptor और F-35 Lightning), चीन (J-20) और रूस (Su-57) पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ फाइटर एयरक्राफ्ट संचालित करते हैं.

एयरो इंडिया (Aero India 2025) के दौरान रशियन जेट Su-57 और अमेरिकन जेट F-35 ने खूब सुर्खियां बटोरीं. दोनों की तस्वीरों और रील्स ने सोशल मीडिया के अल्गोरिदम में जगह बनाई. चूंकि दोनों ही पांचवीं पीढ़ी के जहाज हैं, इस वजह से भारत के फाइटर जेट्स की फ्लीट भी चर्चा में आई. और चर्चा में आया भारत का पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर एडवांस मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (Advance Multirole Combat Aircraft-AMCA). हैं. तो समझते हैं कि भारत के इस ड्रीम प्रोजेक्ट की क्या स्थिति है? क्योंकि स्क्वाड्रन की घटती संख्या और पुराने हो रहे विमानों के बीच अगर भारत को रेस में बने रहना है तो उसे इस प्रोजेक्ट में निश्चित तौर पर तेजी लानी होगी.

AMCA का पूरा नाम एडवांस मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट है. प्लान के मुताबिक ये एक 5th जेनरेशन, स्टेल्थ टेक्नोलॉजी से लैस विमान होगा. एयरो इंडिया 2025 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और रक्षा मंत्रालय की एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) ने इसका एक फुल स्केल डिजाइन प्रस्तुत किया. इससे उम्मीदें जागीं कि आने वाले दशक में एयरफोर्स को अपना स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी का विमान मिल सकता है. अब इसी फुल स्केल मॉडल को रक्षा मंत्रालय की मंजूरी मिल गई है. अब आगे इसपर काम शुरू किया जाएगा. ये बात अलग है कि इस प्रोजेक्ट को शुरू हुए एक दशक से अधिक समय बीत चुका है.
भारत के 5th जेनरेशन विमान की नींव पड़ी थी 2008 में. 2005 में अमेरिका ने अपने सबसे उन्नत 5th जेनरेशन विमान, F-22 रैप्टर को अपना सेना में शामिल किया. तब हर तरफ इस विमान की चर्चा थी. अब अमेरिका ने 5th जेनरेशन विमान बनाया तो रूस का ध्यान भी नई पीढ़ी के विमानों की ओर गया. 2007-08 में रूस ने भारत के साथ मिलकर एक साझा प्रोग्राम शुरू किया. इस प्रोग्राम में भारत की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और रूस के सुखोई कॉर्पोरेशन (Sukhoi Corporation) को मिलकर इंडियन एयरफोर्स (IAF) के लिए एक 5th जेनरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट (FGFA) बनाना था. इस प्रोजेक्ट को भी यही नाम Fifth Generation Fighter Aircraft- FGFA नाम दिया गया.

उस समय तक रूस का Su-57 कई ट्रायल पार कर चुका था. तो प्लान यही था कि भारत के लिए भी Su-57 के प्लेटफॉर्म पर ही FGFA को डेवलप किया जाए. इसके लिए Su-57 में 40 से अधिक बदलाव किए जाने थे. इसका भारतीय वर्जन ट्विन सीटर यानी 2 सीट्स वाला होना था. इसमें एक सीट पायलट के लिए और दूसरी सीट वेपन ऑपरेटर (Weapon Operator) के लिए बनाई जानी थी. पायलट का काम विमान को उड़ाना था वहीं वेपन ऑपरेटर का काम हथियार लॉन्च करना होता है. एयरफोर्स की भाषा में वेपन ऑपरेटर को Wizzo निकनेम से भी पुकारा जाता है. तकनीकी दिक्कतों और देरी की वजह से भारत ने 2018 में खुद को FGFA प्रोजेक्ट से अलग कर लिया. इसके बाद से भारत का पूरा ध्यान उसके AMCA प्रोग्राम पर शिफ्ट हो गया.
CCS की मंजूरीAMCA प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारना कितना व्यवहारिक है, इसकी स्टडी के लिए तत्कालीन UPA सरकार ने 90 करोड़ का फंड अलॉट किया. आगे चलकर इसमें 447 करोड़ रुपये और अलॉट किए गए. पर बावजूद इसके, प्रोजेक्ट की रफ्तार में कोई खास तेजी देखने को नहीं मिली. फिर कोविड का दौर आया और लगभग सभी प्रोजेक्ट्स एकदम से ठप पड़ गए. आखिरकार, साल 2024 में सरकार का ध्यान फिर से AMCA पर गया. वजह, पड़ोसी देश चीन ने अपने 5वीं पीढ़ी के J-20 के बाद एक और विमान J-35 को भी दुनिया के सामने रखा.
भारत के सामने समस्या बस विमानों की पीढ़ी में पिछड़ना ही नहीं है. भारत के कुल विमानों की संख्या भी लगातार घट रही है. भारत के पास 42 स्क्वाड्रन होने चाहिए पर भारतीय वायुसेना इस समय मात्र 31 स्क्वाड्रन के साथ ऑपरेट कर रही है. ऐसे में किसी संघर्ष या जंग की स्थिति में भारत को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. मिग और जगुआर विमान काफी पुराने हो चुके हैं. उनके रिप्लेसमेंट के तौर पर लाए गए तेजस विमानों की डिलीवरी में लगातार हो रही देरी भी भारत के लिए चिंता का विषय है.

ऐसे में AMCA को वापस पटरी पर लाने के लिए सरकार जागी और मार्च 2024 में कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने AMCA की डिजाइनिंग को हरी झंडी दे दी. साथ ही मोदी सरकार ने इसके लिए 15 हजार करोड़ रुपये का फंड भी दिया जिससे AMCA प्रोजेक्ट को रफ्तार दी जा सके. अगले महीने यानी अप्रैल 2024 में इसके फुल स्केल मॉडल पर काम शुरू हुआ. आखिरकार, फरवरी 2024 में एयरो इंडिया के दौरान AMCA का एक फुल स्केल मॉडल प्रदर्शित किया गया.
स्टेल्थपांचवींं पीढ़ी के विमानों का सबसे मुख्य फीचर है स्टेल्थ तकनीक. माने ऐसी तकनीक जिससे प्लेन किसी रडार की पकड़ में न आए. क्या होती है ये तकनीक, इसे भी समझ लेते हैं. आपने अगर बैटमैन सीरीज़ की मूवीज़ देखी हैं तो आपको एक सीन याद दिलाते हैं. इसमें बैटमैन हॉन्ग-कॉन्ग जाकर लाओ नामक एक मुजरिम को पकड़ कर लाता है. अब चूंकि लाओ को जहाज से लाना था इसलिए ब्रूस वेन यानी बैटमैन ने ऐसे पायलट्स को हायर किया जो रडार से बचकर प्लेन उड़ाने में माहिर थे. अगर बैटमैन के पास ऐसे जहाज होते जो स्टेल्थ तकनीक से लैस होते तो पायलट हायर करने का खर्च बच जाता. पर वो ब्रूस वेन था इसलिए उसे पैसे की कमी नहीं थी. किसी देश को अगर किसी दुश्मन देश में चुपके से घुसना हो, जासूसी करनी हो तो उसे चाहिए ऐसी तकनीक जिससे कितना भी उड़ो, कोई देख न पाए. और यही आवश्यकता जननी बनी स्टेल्थ तकनीक के आविष्कार की.

किसी जहाज को डिटेक्ट करने के लिए रडार का इस्तेमाल किया जाता है. रडार एक सिम्पल कान्सेप्ट पर काम करता है. इस कान्सेप्ट को इंसानों से काफ़ी पहले चमगादड़ इस्तेमाल कर रहे हैं. रडार दरअसल लगातार हवा में या पानी में तरंगें छोड़ता है. अगर ये तरंगें किसी चीज से टकराती हैं तो रडार अपने ऑपरेटर को बताता है कि ये आगे क्या है? उसका आकार क्या है? वो चीज कितनी बड़ी है? और किस तरह की चीज है? पर स्टेल्थ तकनीक इस रडार के साथ कर देती है एक प्रैंक. अगर आपने गौर से देखा होगा तो अधिकतर जहाज गोलाकार टाइप के शेप में दिखते हैं जबकि स्टेल्थ जहाजों में सतह एकदम फ्लैट होती है. साथ ही इसके कोने भी काफ़ी तीखे या शार्प होते हैं. इन कोनों और सतह की वजह से ये जहाज आसानी से रडार की तरंगों को दूसरी दिशा में भेज देते हैं. इसके अलावा स्टेल्थ तकनीक से लैस जहाज रडार की तरंगों को सोख लेते हैं. इन जहाजों पर एक ऐसा मैटेरियल इस्तेमाल किया जाता है जो रडार की तरंगों को सोखने की क्षमता रखता है. सोखने के बाद ये जहाज गर्मी के रूप में उन तरंगों को वापस निकाल देते हैं.

60 के दशक की बात है. फिज़िक्स के एक सोवियत विद्वान Pyotr Ufimtsev ने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों मसलन रडार की तरंगों को डाइवर्ट करने वाले एक मॉडल पर काम शुरु किया. Pyotr दरअसल ये अध्ययन कर रहे थे कि 2D और 3D सतह पर अगर ये तरंगें पड़ें तो ये किस तरह से फैलती हैं. उनका काम तत्कालीन USSR में पब्लिश भी हुआ पर कभी उनके रिसर्च पर कोई प्रैक्टिकल काम नहीं किया गया. पर कुछ समय बाद इस पेपर पर नज़र पड़ी डिफेंस कॉन्ट्रैक्टर Lockheed की. Lockheed ने उनकी पूरी रिसर्च को अंग्रेजी में ट्रांसलेट किया. और Pyotr की रिसर्च को आज मॉडर्न स्टेल्थ तकनीक का जनक माना जाता है. Lockheed ने Pyotr Ufimtsev के काम का भरपूर इस्तेमाल किया क्यूंकि ये तो तय था कि एक स्पेशल शेप देने से विमान को रडार पर लोकेट करना मुश्किल हो जाता है. और इस तरह अस्तित्व में आई स्टेल्थ टेक्नोलॉजी जो समय के साथ और भी उन्नत होती गई.
एयरो इंडिया 2025फरवरी 2025. बेंगलुरू में एशिया के सबसे बड़े एयर शो, एयरो इंडिया 2025 का आयोजन हुआ. अमेरिका और रूस से आए 5th जेनरेशन विमान F-35 Lightning और Sukhoi Su-57 ने इसमें हिस्सा लिया. इस एयर शो में भारतीय वायुसेना के विमानों ने भी अपना दम दिखाया. भारतीय पायलट्स और उनके हुनर नेे खूब तारीफें हुईं. पर सवाल खड़ा हुआ कि आखिर भारत के बेड़े में पांचवीं पीढ़ी का विमान कब शामिल होगा? हालांकि इस दौरान पहली बार AMCA का एक फुल स्केल मॉडल सामने आया और उम्मीद जगी कि अब जल्द ही भारत को अपना खुद का 5th जेनरेशन स्टेल्थ विमान मिल जाएगा. तो जानते हैं कि भारत के इस फाइटर जेट में क्या फीचर्स हो सकते हैं?
- AMCA एक पांचवींं पीढ़ी का विमान होगा इसलिए ये स्टेल्थ फीचर से लैस होगा.
- AMCA बनने के बाद इसका मार्क 2 वर्जन भी आएगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबित मार्क 2 वर्जन को 5.5 जेनरेशन विमान की तरह डेवलप किया जाएगा.
- मार्क 1 के इंजन के मुकाबले मार्क 2 वेरिएंट में ज्यादा शक्तिशाली इंजन लगाया जाएगा.
- इस विमान में इंटर्नल फ्यूल टैंक और इंटर्नल वेपन बे (Weapon Bay) होगा जिससे इसके रडार पर दिखने की संभावना में कमी आएगी.
- AMCA को इस तरह बनाया जा रहा है जिससे ये ‘लॉयल विंगमैन’ या ‘स्मार्ट विंगमैन’ के प्लेटफॉर्म पर भी काम कर सके.
- इस विमान के साइड में एयर इंटेक बनाए जाएंगे जिससे टर्बोफैंस को छुपाया जा सके. इससे विमान को रडार की पकड़ में आने से बचाया जा सकेगा. रडार पर दिखने का सबसे बड़ा कारण फाइटर जेट्स में लगे ये टर्बोफैंस ही होते हैं. ये हीट माने गर्मी छोड़ते हैं जिससे रडार इन्हें डिटेक्ट कर लेता है.
- AMCA अधिकतम 24 टन माने 24 हजार किलो का वजन लेकर टेक-ऑफ कर सकेगा.
- AMCA को एयर-टू-एयर, एयर-टू-ग्राउंड मिसाइल्स और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (रडार जाम करना, कम्युनिकेशन ध्वस्त करना) जैसे मिशंस में इस्तेमाल किया जाएगा.
- यह फाइटर जेट 2 इंजनों से लैस होगा जिसके साथ 2 आफ्टरबर्नर होेंगे.
- इस जेट की सर्विस सीलिंग 60 हजार फीट होगी. माने ये विमान 60 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है.
- AMCA मैक 1.8 से मैक 2.15 (1 Mach में 1234.8 किलोमीटर प्रति घंटा) की रफ्तार पर उड़ान भर सकेगा. हालांकि विमान की असली रफ्तार क्या होगी, ये विमान के पूरी तरह बनने के बाद ही सामने आएगा.
AMCA से जुड़ी हालिया अपडेट्स देखें तो समझ में आता है कि रेस में बने रहने के लिए भारत ने कुछ समय से इस प्रोजेक्ट पर ध्यान देना शुरू हुआ है. अमेरिकन कंपनी GE Aerospace से F-414 इंजन के लिए बातचीत जारी है. पर सबकुछ होने के बाद भी जो सबसे बड़ी समस्या है, वो है प्रोडक्शन और डिलीवरी में देरी. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के पास इस क्षेत्र में अनुभव तो काफी है, पर तेजस विमान के मामले में HAL के ट्रैक रिकॉर्ड और प्रोडक्शन लाइन में धीमेपन को ध्यान में रखते हुए सरकार किसी प्राइवेट कंपनी से भी कोलैब के ऑप्शन तलाश रही थी.
लेकिन अब एक्ज़ीक्यूशन मॉडल को मिली मंजूरी के साथ ये साफ है कि इस प्रोजेक्ट में प्राइवेट प्लेयर्स की भी एंट्री होगी. इससे प्रोजेक्ट को रफ्तार मिलने की उम्मीद है. HAL और एक प्राइवेट फर्म जॉइंट वेंचर के तहत AMCA का निर्माण कर सकते हैं. इसके अलावा प्राइवेट फर्म को आगे के डेवलपमेंट का काम भी दिया जा सकता है.
अगर सब समय पर रहा तो आने वाले समय में इंडियन एयरफोर्स 125 AMCA विमानों का ऑर्डर दे सकती है. वर्तमान टाइमलाइन को देखें तो इस विमान की के पहले प्रोटोटाइप की उड़ान 2026-27 तक देखने को मिल सकती हैं. AMCA के प्रोजेक्ट डायरेक्टर कृष्ण राजेंद्र नीली के मुताबिक प्रोटोटाइप सफल होते ही विमान की पहली उड़ान पर काम शुरू कर दिया जाएगा. फर्स्ट फ्लाइट या पहली उड़ान 2028 तक प्रस्तावित है. अगर सबकुछ ट्रैक पर समय के मुताबिक रहा तो 2033-34 तक AMCA को एयरफोर्स में शामिल किया जा सकेगा. अगर सरकार पूरी तरह से इस पर फोकस करती है, या कोई डेडलाइन तय करती है तो AMCA की उड़ान और भी जल्दी देखने को मिल सकती है.
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