अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) की एक खासियत है. वो जिस देश से खुश होते हैं, उसे सबसे पहले अपना F-35 फाइटर जेट देने की पेशकश करते हैं. ट्रंप के भीतर एक बिजनेसमैन तो है ही, साथ ही वो अपने देश की डिफेंस कंपनियों का भी ध्यान रखना जानते हैं. लेकिन F-35 की जो 'अजेय' छवि गढ़ने की कोशिश की जाती है, क्या वो वाकई में वैसा है? इसका सीधा जवाब है नहीं. क्योंकि निश्चित तौर पर F-35 एक बहुत ही उन्नत प्रणाली है, लेकिन इंसान की बनाई हर मशीन में हमेशा सुधार की गुंजाइश होती है. साल 2025 में ही जनवरी से अगस्त के बीच दो F-35 क्रैश हो चुके हैं. ऐसे में अमेरिका के यूरोपीय सहयोगी और दोस्त भी अब F-35 की जगह अपने खुद के स्टेल्थ फाइटर (Stealth Fighter) पर फोकस कर रहे हैं. यानी प्रेसिडेंट ट्रंप F-35 न खरीदने पर इंडिया से तो मुंह फुलाए बैठे हैं, लेकिन उनके अपने यूरोप (FGFA Programm) के दोस्त और साउथ कोरिया (KF-21 Boramae) जैसे देश भी अब F-35 लेने की जगह खुद के फाइटर जेट प्रोग्राम में निवेश कर रहे हैं. तो जानते हैं कि कौन से हैं ये प्रोग्राम और कैसे ये F-35 की अजेय न होने के बात को पुख्ता करते हैं.
इंडिया ने F-35 नहीं खरीदा तो मुंह फुलाए बैठे हैं ट्रंप, लेकिन उसके सहयोगी भी F-35 पर भरोसा नहीं कर रहे
President Donald Trump F-35 न खरीदने पर इंडिया से तो मुंह फुलाए बैठे हैं, लेकिन उनके अपने यूरोप (FGFA Program) के दोस्त और साउथ कोरिया (KF-21 Boramae) जैसे देश भी अब F-35 लेने की जगह खुद के फाइटर जेट प्रोग्राम में निवेश कर रहे हैं.


फाइटर जेट्स; आज की तारीख में दुनिया में कहीं भी जंग हो, पलड़ा उसी का भारी रहता है जिसके पास एयर पावर या यूं कहें की हवाई ताकत है. और मॉडर्न वॉरफेयर में हवाई ताकत का सबसे बड़ा पर्याय हैं युद्धक विमान या फाइटर प्लेन. अलग-अलग मिशंस को ध्यान में रखते हुए कई तरह के विमान मसलन बॉम्बर, डीप स्ट्राइक, एयर सुपीरियॉरिटी और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर वाले विमान इस्तेमाल किए जाते हैं. लेकिन भारत के संदर्भ में देखें तो फिलहाल जरूरत गैप को भरने की भी है.

इंडियन एयरफोर्स फिलहाल फाइटर जेट्स की घटती संख्या से जूझ रही है. जंग की स्थिति में भारत लड़ तो सकता है, लेकिन इतने बड़े देश के पास अपने हितों को सुरक्षित करने के लिए उन्नत हथियार जरूरी हैं. इसी कड़ी में भारत होना पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर जेट AMCA बना रहा है. भारत की इस जरूरत को वैश्विक ताकतें भी देख और समझ रही हैं. अमेरिका जहां भारत को Lockheed Martin F-35 बेचना चाहता है, वहीं रूस ने भी भारत को Suokhoi Su-57 ऑफर किया है.
इसमें कोई दो राय नहीं कि F-35 एक उन्नत स्टेल्थ विमान है. लेकिन पूरी तस्वीर वैसी है नहीं जैसा दिखता है. दरअसल ये वो विमान है जिसे इतिहास का सबसे महंगा डिफेंस प्रोजेक्ट माना जाता है. इसके डेवलपमेंट के दौरान अमेरिका के 9 सहयोगी इसके साथ जुड़े थे. यूरोप के वो देश जुड़े तो अब भी हैं, लेकिन साथ ही वो खुद के स्टेल्थ फाइटर प्रोग्राम पर भी काम कर रहे हैं जिससे रक्षा के क्षेत्र में वो आत्मनिर्भर हो सकें. तो सबसे पहले जानते हैं साउथ कोरिया के विमान KF-21 के बारे में.
KF-21 Boramae Fighter Jetकई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि भारत ने साउथ कोरिया के KF-21 Boramae Fighter जेट में दिलचस्पी दिखाई है. भारत 'बैक चैनल्स' से किन देशों से संपर्क में है ये तो अध्ययन का विषय है, लेकिन साउथ कोरिया का अमेरिका से दूर होकर खुद के जेट में निवेश करना और फिर उसके एक्सपोर्ट पर भी विचार करना ये दिखाता है कि अब उन्नत हथियारों का बाजार पहले से कहीं ज्यादा फैल रहा है. तो समझते हैं, क्या है इस विमान की खासियत.
ये एक मल्टीरोल माने कई तरह के मिशंस को अंजाम देने में सक्षम फाइटर जेट है जस कोरियन एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज़ ने बनाया है. ये एक हल्का और स्टेल्थ फीचर्स से लैस जेट है. साल 2026 से इसे साउथ कोरिया अपनी वायुसेना में इंडक्ट करना शुरू कर देगा. इस जेट के कुक्सह फीचर्स पर नजर डालें तो
- लंबाई: 55 फीट
- ऊंचाई: 15.5 फीट
- टेक-ऑफ वजन: 25,600 किलोग्राम
- स्पीड: लगभग मैक 2
- रेंज: 1 हजार किलोमीटर
- हथियार: वेपन बे में 10 हार्ड पॉइंट्स हैं जहां 5 एयर-टू-एयर और 5 एयर-टू-ग्राउंड मिसाइल्स लगाई जा सकती हैं. साथ ही इसमें एंटी शिप मिसाइल का भी ऑप्शन है. इसके अलावा इसमें एक 'वल्कन' तोप लगी है जो 480 राउंड प्रति मिनट तक फायर कर सकती है.

अगर भारत ये विमान खरीदता है तो उसे कॉस्ट यानी बजट के लिहाज से फायदा हो सकता है क्योंकि अनुमान है कि इसकी कीमत अमेरिकन F-35 और रूस के Su-57, दोनों से कम होगी. और इसकी डिलीवरी भी 2026 से शुरू होनी है. ऐसे में अगर भारत ये डील साइन करता है तो जेट की शुरुआती असेंबली लाइन से ही उसके लिए जेट बनने लगेंगे जो संभवतः 2028 तक इंडक्ट किए जा सकेंगे. एक बात और है कि भारत और साउथ कोरिया के संबंध अच्छे हैं. ऐसे में अगर ये डील होती है तो भारत साउथ कोरिया से विमान के सोर्स कोड की मांग कर सकता है जिससे वो KF-21 में अपने स्वदेशी सिस्टम्स जैसे उत्तम रडार, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम्स और अस्त्र या ब्रह्मोस जैसी मिसाइल्स लगा सकता है. ये एक 4.5 जेनरेशन का फाइटर जेट है जिसमें कुछ हद तक स्टेल्थ फीचर्स भी हैं, इसलिए ये भारत को एक नई ताकत दे सकता है.

लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इस विमान की डील में सब चंगा ही है. इसमें लगा अमेरिकन इंजन डिलीवरी लेट होने का कारण बन सकता है. वजह, इसमें उसी GE Aerospace का इंजन है, जिसकी डिलीवरी में देरी की वजह से भारत का तेजस विमान एयरफोर्स को मिलने में देरी हो रही है. अमेरिकन सिस्टम्स लगे होने की वजह से साउथ कोरिया को भी इसे बेचने से पहले अमेरिकन मंजूरी चाहिए होगी. और तो और भारत के पास अभी तक फ्रेंच, ब्रिटिश और रूसी विमान हैं. KF-21 के आने से इंफ्रास्ट्रक्चर, मेंटेनेन्स, रिपेयर और ओवरहॉल के लिए अलग से व्यवस्था करनी होगी जो कि रूसी या फ्रेंच विमान खरीदने पर नहीं होगी.
इटली, जापान और ब्रिटेन का GCAP विमानभारत को इटली, जापान और ब्रिटेन के एक साझा विमान प्रोजेक्ट ग्लोबल कॉम्बैट एयर प्रोग्राम (Global Combat Air Programme - GCAP) से जुड़ने का ऑफर मिला है. ये एक ऐसा प्रोजेक्ट है जिसका उद्देश्य एक छठवीं पीढ़ी (6th Gen Fighter Aircraft) को डेवलप करना है. इस जेनरेशन का एक भी एयरक्राफ्ट ऑपरेशनल तौर पर मौजूद नहीं है. चीन ने दावा तो किया है कि उसने J-36 नाम का 6th जेनरेशन एयरक्राफ्ट बना लिया है. लेकिन, ये खबर बस दावे और कुछ तस्वीरों तक ही सीमित है. ऐसे में भारत को मिले इस ऑफर को काफी अहम माना जा रहा है.
GCAP की खासियतभारत के विरोधी, चीन और पाकिस्तान में उन्नत लड़ाकू विमानों का डेवलपमेंट या अधिग्रहण जारी है. रिपोर्ट्स के अनुसार चीन अब दो स्टेल्थ लड़ाकू विमानों को ऑपरेट करने के लिए तैयार है. खबरें ये भी हैं कि पाकिस्तान, चीन से J-35 स्टेल्थ विमान खरीदेगा. इस लिहाज से भारत के लिए ये प्रोग्राम और भी अहम हो जाता है. ये विमान स्टेल्थ तकनीक के अलावा और भी कई उन्नत फीचर्स से लैस होगा. तो समझते हैं कि इस एयरक्राफ्ट में क्या खासियत हो सकती है?
- डायरेक्ट एनर्जी वेपन: ये ऐसे हथियार हैं जो हमला करने के लिए बारूद का नहीं बल्कि एनर्जी का इस्तेमाल करते हैं. ये ऊर्जा को हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं. इससे मिलते-जुलते हथियार को ‘स्टार वॉर्स’ मूवी में दिखाया गया था.
- ऑगमेंटेड रिएलिटी कॉकपिट: जेट में इस तरह के कॉकपिट का इस्तेमाल उपकरणों को कम करने लिए किया जाता है. फिजिकल कंट्रोल्स की जगह इसमें पायलट के हेलमेट के माध्यम से हेड अप डिस्प्ले पर सारी जानकारी दिखती है. फिजिकल कंट्रोल्स न होने से विमान का वजन कम होता है.
- बायोमेट्रिक और साइको-एनालिस्ट: इस सिस्टम का काम है उड़ान के दौरान पायलट को तनाव, भ्रम, जी-फोर्स, हाइपोक्सिया जैसी दिक्कतों की पहचान और हवा में रहने के दौरान पायलट के स्वास्थ्य निगरानी करना. उड़ान के दौरान जी-फोर्स लगने से पायलट को चक्कर आना, ऑक्सीजन की कमी से हाथ-पैर फूलना, तत्काल वजन बढ़ने जैसी दिक्कत आ सकती है.
- लॉयल विंगमैन: इस कॉन्सेप्ट में एक पूरा जंगी जहाजों का बेड़ा जिसे स्क्वाड्रन कहते हैं उसमें सिर्फ एक ही जहाज ऐसा होगा जिसे कोई इंसान उड़ाएगा. इस जहाज को नाम दिया जाता है मदर शिप. स्क्वाड्रन के बाकी जहाज मानव रहित होंगे जो मदर शिप के आदेशानुसार काम करेंगे. जैसे आपके फोन में किसी ब्लूटूथ डिवाइस को पेयर किया जाता है, ठीक वैसे ही ये मानव रहित विमान मदर शिप से पेयर्ड रहेंगे. मकसद ये होता है कि मदर शिप एक निश्चित जगह जाकर रुक जाएगी. अगर ऑपरेशन किसी ऐसे क्षेत्र में हो जहां पायलट को भेजने पर पकड़े जाने का डर हो. ऐसे में ये कॉन्सेप्ट काम आता है.
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: फाइटर जेट में इस फीचर को इंटेलिजेंट वर्चुअल असिस्टेंट (IVA) के नाम से जाना जाता है. ए आई इंटीग्रेट होने की वजह से विमान उड़ाने या डेटा प्रोसेसिंग में मदद मिलती है. साथ ही पायलट पर एक साथ कई जानकारियों को प्रोसेस करने का लोड भी कम होता है.

भारत का पड़ोसी चीन स्टेल्थ तकनीक विकसित कर चुका है. और वो इसे पाकिस्तान के बेचने की तैयारी कर रहा है. पाकिस्तान के पूर्व पीएम ज़ुल्फिकार अली भुट्टो ने एक कसम खाई थी कि घास खाकर भी वो न्यूक्लियर बम बनाएंगे. पाकिस्तान आज भी कुछ-कुछ उसी ढर्रे पर चल रहा है. पूरी दुनिया से कर्ज लेकर वो आतंकवाद पर खर्च कर रहा है. और उस आतंकवाद को कवर प्रदान करने के लिए हथियार भी खरीद रहा है. ऐसे में भारत के लिए जरूरी है कि वो अपने फाइटर जेट्स और हथियारों को अप-टू-डेट रखे.
(यह भी पढ़ें: अमेरिका का F-35 फिर इमरजेंसी लैंडिंग पर मजबूर, जानिए 5 वजहें क्यों कई देश नहीं खरीदना चाहते)
भारत का स्टेल्थ अब भी डेवलपिंग स्टेज में है. भारत में बन रहे स्टेल्थ फाइटर जेट को Advance Medium Combat Aircraft (AMCA) नाम दिया गया है. ये एक सिंगल सीटर, दो इंजन वाला जहाज़ है. इस प्रोजेक्ट की फर्स्ट फ्लाइट 2028 तक होने की उम्मीद है. दूसरी तरफ GCAP इससे भी एक पीढ़ी आगे का विमान हो सकता है. भारत की ओर से अब तक GCAP पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि भारत अमेरिका से F-35 खरीदता है, रूस से Su-57 खरीदता है, खुद के AMCA प्रोजेक्ट पर जोर देता है या GCAP जैसे बड़े प्रोजेक्ट में जुड़ता है.
वीडियो: अमेरिका से फाइटर जेट F-35 खरीदने से भारत ने किया इनकार, ट्रेड डील पर क्या असर पड़ेगा?