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सोशल मीडिया से टिप्स लेकर शेयर मार्केट में पैसा लगाते हैं तो ये खबर जरूर पढ़नी चाहिए

कैसे चलता है फर्जी ' मार्केट गुरुओं ' का खेल

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शेयर मार्केट की वो बातें जो कहीं और नहीं मिलेंगी. (सांकेतिक फोटो-आजतक)
Behind every great fortune there is a crime यानी ‘ हर बड़ी तकदीर के पीछे एक गुनाह होता है’.
ये लाइन है फ्रांस के मशहूर कहानीकार होनरे डी बाल्ज़ाक की. आज बाल्ज़ाक होते तो भारतीय शेयर मार्केट रेग्युलेटर SEBI उन्हें अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाने की सोच रहा होता. शेयर मार्केट से रातों-रात किस्मत चमकाने के किस्से नए नहीं हैं, लेकिन उनके पीछे छुपा अपराध लगातार चोले बदल रहा है. SEBI की टीमों ने सोमवार, 30 नवंबर को गुजरात के अहमदाबाद और मेहसाणा में छापेमारी कर कई फर्जी फर्मों और लोगों को बेनकाब किया. आरोप है कि ये टेलीग्राम, यूट्यूब, वॉट्सऐप के जरिए शेयर ट्रेडिंग के टिप्स देते थे. इनके निशाने पर ज्यादातर वे नए लोग थे जिनकी आंखें कोविड के बाद शेयर मार्केट की तेजी से चौंधियाई हुई थीं और वे भी जल्द से जल्द इस तेजी में कुछ पैसे बना लेना चाहते थे.
तरीका सीधा था. ये 'फ्रॉड एडवाइजर्स' लोगों को अपने चैनलों पर पहले तो फटाफट कमाई के सपने दिखाते थे फिर बल्क में मैसेज भेजकर किसी खास स्टॉक में पैसा लगाने की राय देते थे. जैसे ही उस स्टॉक में खरीद बढ़ती और कीमतें ऊपर जातीं, ये 'मार्केट-गुरु' पहले से खरीदकर रखे इन स्टॉक्स को ऊंचे दाम में बेचकर अच्छी खासी कमाई के साथ निकल लेते.
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया SEBI (पिक्चर क्रेडिट - इंडिया टुडे) सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया SEBI (पिक्चर क्रेडिट - इंडिया टुडे)

SEBI अभी मामले की तहतकीकात में जुटा है, लेकिन यह साफ हो चुका है कि टेलीग्राम, यूट्यूब, वॉट्सऐप जैसे प्लेटफॉर्म पर फर्जी शेयर टिप्स का गोरखधंधा खूब फलफूल रहा है. सीधे-सादे ही नहीं, पढ़े लिखे लोग भी इनके झांसे में आकर अपनी गाढ़ी कमाई गंवा रहे हैं. हम यहां शेयर टिप्स के इस हाइटेक धंधे की एक-एक परत तो उधेड़ेंगे ही, साथ ही जानकारों की मदद से उन एहतियात से भी रूबरू कराएंगे, जो आपके पसीने की कमाई डूबने से बचा सकती है. पंप एंड डंप का धंधा मतलब साफ है, पहले शेयरों के दाम खूब बढ़ाओ और फिर एक दिन मुनाफा काटकर निकल लो. कुछ साल पहले तक आपको मोबाइल SMS पर गुमनाम नंबरों से शेयर टिप्स आते रहे होंगे. कई मशहूर सिक्योरिटी फर्मों के नाम से मिलते जुलते नाम या नंबरों से भी. वो इन फ्रॉड गुरुओं के बचपन के दिन थे, लेकिन जैसे ही टेलिकॉम रेग्युलेटर TRAI ने शेयर मार्केट रेग्युलेटर SEBI की मदद से ऐसे SMS पर रोक लगानी शुरू की, फर्जी एडवाइजर्स और कंपनियों ने ऐसे प्लेटफॉर्म का रुख किया जहां TRAI का कंट्रोल नहीं चलता.
आज यू-ट्यूब पर सैकड़ों चैनल फल-फूल रहे हैं, जो शेयरों में निवेश और ट्रेडिंग के टिप्स देते हैं और उनके सब्सक्राइवर्स की तादाद लाखों में जा पहुंची है. इनमें से अधिकांश ने मैसेजिंग ऐप टेलीग्राम पर भी चैनल और ग्रुप बना रखे हैं. यहां सब्सक्राइबर्स या मेंबर्स को अक्सर किसी पेनी स्टॉक (ऐसे शेयर जिनके दाम 50 पैसे, 1 या दो रुपये हों ) में पैसा लगाने को कहा जाता है. एक रणनीति के तहत ये एडवाइजर पहले से बल्क में ये शेयर खरीदकर बैठे होते हैं. कुछ अपने सब्सक्राइवर्स को बाय-टिप्स देने के बाद भी खरीद जारी रखते हैं, जिससे इन शेयरों में हल्की-फुल्की तेजी नजर आती रहे. इनके मंसूबों से अनजान सब्सक्राइवर इन शेयरों में हजारों रुपये की खरीदारी कर बैठते  हैं और देखते ही देखते एक या कुछ दिन में इन शेयरों के दाम कई गुना बढ़ जाते. फिर पहले से कौड़ियों के भाव शेयर खरीदे बैठे साइबर गुरु प्रॉफिट बुक कर निकल जाते हैं.
शेयर मार्केट में भारी गिरावट देखने को मिली है. (Getty) सांकेतिक फोटो. (Getty)
टेलीग्राम क्यों बना अड्डा ? फास्ट और मल्टीमीडिया मैसेजिंग के इस पॉपुलर ऐप की एक खूबी ये भी है कि यहां टेक्स्ट और चैटिंग को एडिट किया जा सकता है. शेयर फ्रॉड के ताजा मामले में यह पाया गया है कि फ्रॉड एडवाइजर लोगों को बहुत कम प्राइस रेंज में शेयरों की खरीद, बिक्री, प्रॉफिट बुकिंग ( खरीद मूल्य से ज्यादा पर बेचकर निकल जाना) और स्टॉप लॉस (खरीद मूल्य से नीचे रेट पर थोड़ा लॉस झेलते हुए बेच देना) की सलाह देते हैं. उनकी सलाह पर एक्शन लेने वालों को जब मनमाफिक नतीजा नहीं दिखता और चैनल पर शिकायत या कॉमेंट करते हैं तब एडवाइजर पुराने मैसेज एडिट कर दावा करते हैं कि मैंने तो आपको इतने पर नहीं, उतने पर खरीदने या बेचने की सलाह दी थी. वैसे टेलीग्राम को मैसेजिंग सहूलियतों के चलते भी तरजीह दी जाती है.
Lt Telegram Whatsapp Facebook सांकेतिक फोटो.
कीमतों के झोल से बचें मैसेजिंग ऐप से टिप्स देने वाले ज्यादातर ग्रुप्स और चैनलों की एक मोडस ऑपरेंडी यह रही है कि नए और भोले-भाले निवेशकों को ब्लूचिप (नामी-गिरामी) कंपनियों की कीमतों के जाल में ऐसे फंसाया जाए कि फ्रॉड की भनक भी न लगे और उनका भरोसा कायम रहे. मसलन- मार्केट खुलने से 5-10 मिनट पहले ही आपके पास ट्रेडिंग कॉल आएगी कि रिलायंस इंडस्ट्रीज (उदाहरण) का शेयर जो पिछले दिन 2481 रुपये पर बंद हुआ था, 2500 से ऊपर खरीदें, 2525 पर प्रॉफिट बुक करें और 2450 पर स्टॉप लॉस लगाएं. जानकार बताते हैं कि एक तो शेयर बड़ी और मशहूर कंपनी का होने के चलते इनवेस्टर्स का भरोसा कायम रहता है. लेकिन वे यह नहीं समझ पाते कि मार्केट खुलने पर 2400 जैसी बड़ी प्राइस में 50 रुपये का उतार-चढ़ाव आम तौर पर होता ही रहता है. एडवाइजर्स के लिए दोनों ही हालात में अपनी कामयाबी का स्क्रीनशॉट शेयर करना आसान होता है. निवेशकों का यही कच्चा भरोसा किसी दिन उन्हें हाई-बीटा (भारी उतार चढ़ाव वाले शेयर) और पेनी स्टॉक्स ( एक-दो रुपये कीमत वाले शेयर ) में पैसा लगवा देता है, जहां उन्हें नुकसान होता है.
शेयर बाजार लॉकडाउन में धड़ाम हो गया था लेकिन फिर से रिकवरी कर रहा है. शेयर मार्केट की सांकेतिक फोटो
कौन दे सकता है शेयर टिप्स ? शेयर मार्केट में निवेश के लिए हर कोई एडवाइस नहीं दे सकता और किसी भी मीडिया के इस्तेमाल से बल्क मेसेजिंग या कॉल तो अपराध की श्रेणी में आता है. शेयर एडवाइस का कानूनी अधिकार सिर्फ उन्हीं इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स या कंपनियों को है, जिन्हें SEBI ने मान्यता दे रखी है. सरकारी भाषा में इन्हें मार्केट इंटरमीडियरीज कहा जाता है और सेबी इन्हें बाकायदा रिसर्च एनालिस्ट की मान्यता और लाइसेंस देता है. पूरे देश में SEBI से मान्यता प्राप्त मार्केट एनालिस्ट और एडवाइजर्स की तादाद करीब 800 ही है. इसके लिए बाकायदा एक परीक्षा ली जाती है. कंपनी, फर्म या एलएलपी के लिए लाइसेंस की फीस करीब 5 लाख और व्यक्तियों के लिए 10,000 रुपये है. टर्म पूरा होने के बाद लाइसेंस रिन्यू कराना होता है.
स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव पर नजर गड़ाए बैठे ब्रोकर्स की सांकेतिक तस्वीर. स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव पर नजर गड़ाए बैठे ब्रोकर्स की सांकेतिक तस्वीर.
फ्रॉड एडवाइजर्स को कैसे पहचानें ? अगर सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर कोई आपको किसी शेयर में निवेश की सलाह दे रहा है, मैसेज भेज रहा है या किसी तरह के बहकावे में ला रहा है तो सबसे पहले उससे SEBI का रजिस्ट्रेशन नंबर मांगिए. SEBI की साइट पर सभी मान्यता प्राप्त एडवाइजर्स और कंपनियों की लिस्ट है. वहां जाकर नाम या रजिस्टेशन नंबर सर्च कीजिए. अगर नहीं मिलता तो समझ लीजिए कि वह एडवाइजर या कंपनी फ्रॉड है. ऐसे लोगों या फर्मों की अपनी वेबसाइट भी नहीं होती और न ही संपर्क सूत्र स्पष्ट होता है. क्या रजिस्टर्ड एडवाइजर सेफ हैं ? इसकी कोई गारंटी नहीं. खुद SEBI के पास हर साल हजारों शिकायतें पहुंचती हैं कि मान्यता प्राप्त एडवाइजर्स या फर्म ने धोखा दिया या गलत सलाह दी. एक अनुमान के मुताबिक यूट्यूब, टेलीग्राम और दूसरे प्लेफॉर्म्स पर निवेश सलाह या ट्रेडिंग टिप्स देने वालों में बड़े पैमाने पर रजिस्टर्ड एनालिस्ट भी हैं और कई ऐसे भी हैं, जो पहले तो सेबी की लिस्ट में थे, लेकिन अरसे से रजिस्ट्रेशन रिन्यू नहीं कराया. इनमें से कई के चैनल पर लाखों सब्सक्राइवर हैं और इस बात की कोई गारंटी नहीं कि वे लालच में आकर किसी मार्केट हालात का फायदा नहीं उठाएंगे. रजिस्टर्ड एडवाइजर्स की फीस ज्यादातर रजिस्टर्ड इनवेस्टमेंट एडवाइजर या फर्में एक निश्चित फीस लेकर आपका पोर्टफोलियो मैनेज करने से लेकर इनवेस्टमेंट एडवाइस देती हैं. इनकी फीस का कोई निश्चित फॉर्मूला नहीं है, लेकिन कई फर्मों की साइट्स पर पोर्टफोलियो मैनेजमेंट फीस का सांकेतिक कैलकुलेटर दिया होता है, जहां आप अपनी निवेश रकम के आधार पर फीस का आकलन कर सकते हैं. कई एडवाइजर कुल निवेश और मार्केट वैल्यू का एकमुश्त 1-2% चार्ज करते हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि यह व्यक्ति और फर्म पर निर्भर करता है. सिर्फ ट्रेडिंग टिप्स की फीस का कोई चलन नहीं है. अगर कोई चार्ज करता है तो वह धोखाधड़ी की कोशिश हो सकती है.
शेयर मार्केट में गिरावट से निवेशक परेशान हैं. सांकेतिक तस्वीर. शेयर मार्केट की सांकेतिक तस्वीर.
क्या कहते हैं मार्केट एक्सपर्ट ? मार्केट एनालिसिस फर्म Chartviewindia के  फाउंडर और चीफ मार्केट स्ट्रैटिजिस्ट मज़हर मोहम्मद कहते हैं-
''रिटेल इनवेस्टर अक्सर ही बेईमान एडवाइजर्स के झांसे में आ जाते हैं. लोग सोचते हैं कि एडवाइजर्स के पास कोई जादू की छड़ी है, जो रातोंरात रिटर्न दिला सकता है. कोई भी रिटेल इनवेस्टर जब तक शेयर मार्केट की बुनियादी समझ हासिल नहीं कर लेता उसे इस जोखिम भरे ऐसेट क्लास में पैसा नहीं लगाना चाहिए. यहां लगातार कमाई होती रहेगी, यह मुमकिन नहीं. सेबी अपना काम कर रहा है, लेकिन निवेशक की सुरक्षा खुद उसी के हाथ में है''.
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि अगर शेयर टिप्स रजिस्टर्ड कंपनियों या आपकी अपनी डीमैट होल्डर सिक्योरिटी या ब्रोकरेज फर्म से ही क्यों न आया हो, वह सिर्फ एक अनुमान हो सकता है. मार्केट का उतार-चढ़ाव बहुत सी ऐसी बातों पर निर्भर करता है, जिसका कंपनी की वित्तीय सेहत से भी कोई लेना देना नहीं होता. ऐसे में हर टिप्स गलत साबित हो सकती है. कैसे करें टिप्स की पड़ताल अगर आपको किसी अनजान कंपनी में निवेश करने के टिप्स मिल रहे हैं तो सबसे पहले कंपनी के फाइनेंशियल्स चेक करें. अगर उसके वित्तीय नतीजे न्यूज में नहीं तो कम से कम उसकी साइट पर होंगे. वहां भी नहीं तो बीएसई या एनएसआई की साइट पर ढूंढें. जरूरी नहीं कि रिजल्ट जारी नहीं करने वाली कंपनी फ्रॉड ही हो, लेकिन यह पहला अलर्ट है कि आप अंधेरे में तीर मारने जा रहे हैं. अगर उसकी बैलेंस शीट मिल जाती है तो उसमें रेवेन्यू, एबिटा (टैक्स, लोन वगैरह चुकाने के बाद की कमाई) और नेट प्रॉफिट कितना है. नेट प्रॉफिट पता चलने के बाद, अगर आपको मार्केट की ज्यादा जानकारी नहीं है तो सरसरी नजर में घाटे वाली यानी माइनस नेट प्रॉफिट कंपनी में हाथ न लगाएं.
एशियन पेंट्स ने कर्मचारियों की सैलरी को लेकर जो फैसला किया है वो दिल खुश करने वाला है. (प्रतीकात्मक फोटो) (प्रतीकात्मक फोटो)
कैसे और कहां करें शिकायत? SEBI और दोनों बड़े स्टॉक एक्सचेंज BSE और NSE की साइट पर ऐसे टिप्स (unsolicited Stock Tip/ Recommendation circulated by unauthorized/ unregistered entities, received through Whatsapp, Telegram, SMS, Calls)  की शिकायत के लिए ईमेल आईडी और फोन नंबर दिए गए हैं, मसलन feedbk_invg@nse.co.in या  +91 8291833676. आपकी शिकायतों के आधार पर BSE और NSE ऐसी संदिग्ध कंपनियों की  लिस्ट बनाते और उसमें नए नाम जोड़ते जाते हैं, जिनमें निवेश के टिप्स सर्कुलेट हुए हों. ऐसी कंपनियों में तब तक के लिए ट्रेडिंग भी रोक दी जाती है, जब तक वे विवादों से उबर न जाएं.

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