इस खबर में हम बताएंगे कि भारत में तबाही मचाने वाले Tauktae शब्द का मतलब आखिर होता क्या है? तूफान का नाम Tauktae कैसे पड़ा. ये तूफान कहां से उठा, और अब तक कहां-कहां इससे नुकसान की खबरें हैं. हम ये भी बताएंगे कि चक्रवात क्या होते हैं, और इनका नामकरण कैसे होता है. लेकिन पहले जान लीजिए कि ये चक्रवात Tauktae किस राज्य में कैसे-क्या मुसीबत लेकर आया. सबसे पहले केरल में दिखा असर Tauktae तूफान की शुरुआत 14 मई की सुबह अरब सागर से हुई. सबसे पहले इसका असर केरल में देखा गया. केरल में इस तूफान की वजह से भारी बारिश हुई. तेज हवाएं चलने से सैकड़ों मकान क्षतिग्रस्त हो गए. पेड़ उखड़ गए. बिजली आपूर्ति बाधित हुई. कुछ इलाकों में समुद्र की ऊंची लहरों से सड़कें भी क्षतिग्रस्त हो गईं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्य में तीन लोगों की मौत हुई है. हजारों लोगों को राहत शिविरों में शिफ्ट करना पड़ा है.



गोवा में दो लोगों की मौत गोवा में भी तूफान ने कहर बरपाया. अलग-अलग हादसों में 2 लोगों की मौत हो गई. एक हादसे में बाइक सवार पर बिजली का पोल गिर गया. दूसरी घटना में पेड़ गिरने से एक शख्स की जान चली गई. गोवा में तूफान की वजह से उड़ानें रद्द कर दी गई हैं. मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के मुताबिक, तूफान में 100 घर बुरी तरह तबाह हुए हैं. तूफान की वजह से करीब 500 पेड़ गिरने से जगह-जगह रास्ते बंद पड़े हैं. NDRF की टीमों को राहत और बचाव में लगाया गया है.



चक्रवात की वजह से मुंबई में कोरोना वैक्सीनेशन का काम भी रोकना पड़ा है. कई अस्पतालों से कोरोना मरीजों को दूसरी जगहों पर शिफ्ट किया गया. मुंबई के अलावा रायगढ़, सिंधुदुर्ग, पालघर और ठाणे में भी वैक्सीनेशन रोक दिया गया है. मुंबई में कई जगहों पर पेड़ उखड़ गए. रास्तों पर ट्रैफिक जाम हो गया.

खबर लिखे जाने तक मुंबई में तेज हवाओं के साथ बारिश हो रही थी. तूफान के खतरे के बीच मुंबई में 5 जगह अस्थायी शेल्टर होम बनाए गए हैं. पुणे में खेड़ तहसील के भोरगिरी और भिवेगांव गांवों में चक्रवाती हवाओं के कारण 70 घर क्षतिग्रस्त हो गए. दो आंगनवाड़ी केंद्र, एक प्राथमिक विद्यालय और एक ग्राम पंचायत कार्यालय को भी नुकसान पहुंचा.
समंदर में इक्वेटर (माने उत्तरी गोलार्ध) के पास जब सूरज चढ़ता है तो उसका पानी गर्म होने लगता है. जब समंदर 27 डिग्री से ऊपर गर्म हो जाता है, तो खूब सारी भाप उठती है. ये भाप और गर्म होती हवा आसमान में ऊपर उठती है. जैसे रोडवेज़ की बस में किसी के जगह छोड़ते ही आजू-बाजू खड़े रहने वाले लोग वो जगह लेने दौड़े चले आते हैं, वैसे ही ऊपर उठती गर्म हवा की जगह लेने आस-पास की हवा आ जाती हैं.

अब ये गर्म हवा ऊपर उठकर ठंडी होने लगती है, और बनते हैं नमी से भरे बड़े-बड़े बादल. आसमान में ऊपर उठते बादल कोरियोलिस फोर्स (धरती के घूमने से पैदा होने वाला एक बल) के चलते गोल-गोल घूमने लगते हैं. हवा के इधर-उधर होने और बादल बनने का सिस्टम जब लगातार चलता है तो बात सीरियस हो जाती है. एक तूफान का जन्म होता है. जितनी गर्मी और नमी होगी, तूफान उतना ही ज़ोर का होगा.
ये जानिए कि इक्वेटर के ऊपर (माने उत्तरी गोलार्ध में) तूफान बाईं तरफ घूमते हैं, और नीचे (माने दक्षिणी गोलार्ध में) तूफान दाईं तरफ घूमते हैं. तूफानों को नाम कैसे देते हैं? तूफानों को सबसे पहले नाम 20वीं शताब्दी में दिया गया था. ये नाम आस्ट्रेलिया एक मौसम वैज्ञानिक ने देने शुरू किए थे. वो तूफानों के नाम उन राजनेताओं के नाम पर रखता था, जिन्हें वो पसंद नहीं करता था. वक्त के साथ कैरिबियन आइलैंड्स के लोग कैथलिक संतों के नाम पर चक्रवातों के नाम रखने लगे. इसके बाद अमेरिका दुनिया का चौधरी बन गया. तूफानों के नाम रखने की जिम्मेदारी अमेरिका के पास आ गई. अमेरिका हर साल 21 नामों की लिस्ट तैयार करता है. अंग्रेजी वर्णमाला के हर अक्षर से एक नाम रखा जाता है, लेकिन Q,U,X,Y और Z से नाम नहीं रखे जाते. अगर साल में 21 से ज़्यादा तूफान आते हैं, तो फिर उनका नाम ग्रीक अल्फाबेट जैसे अल्फा, बीटा, गामा रख दिया जाता है. इन नामों को रखने में भी ऑड-ईवन फॉर्मूला अपनाया जाता है. ईवन साल जैसे 2004, 2014, 2018 में चक्रवात को आदमी का नाम दिया जाता है. ऑड साल में (2001, 2003, 2007) में चक्रवात को औरत का नाम दिया जाता है. एक नाम छह साल के अंदर दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता. ज़्यादा तबाही मचाने वाले तूफानों के नाम रिटायर कर दिए जाते हैं, जैसे कटरीना.

भारत में क्या सिस्टम है? अपने यहां का सिस्टम थोड़ा सा अलग है. भारत सारे नाम खुद तय नहीं करता. भारत में तूफानों को नाम देने का चलन 2004 में शुरू हुआ था. उस वक्त भारत, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाइलैंड ने मिलकर नाम देने का एक फॉर्मूला बनाया. इसके मुताबिक, सभी देशों ने अपनी ओर से नामों की एक लिस्ट वर्ल्ड मीटियोरोलॉजिकल ऑर्गनाइज़ेशन को दी है. भारत की लिस्ट में ‘अग्नि’, ‘आकाश’, ‘बिजली’, ‘मेघ’ और ‘सागर’ जैसे नाम हैं. पाकिस्तान की भेजी लिस्ट में ‘नीलोफर’, ‘तितली’ और ‘बुलबुल’ जैसे नाम हैं. नाम देने लायक चक्रवात आने पर आठ देशों के भेजे नामों में से बारी-बारी एक नाम चुना जाता है. अपने यहां के सिस्टम में 10 साल तक एक नाम दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता. ज़्यादा तबाही मचाने वाले चक्रवातों के नाम को रिटायर कर दिया जाता है. इस बार नाम देने की बारी म्यांमार की थी. और उसने नाम दिया है Tauktae.

Tauktae का मतलब क्या है? Cyclone Tauktae जिसे अंग्रेजी में Tau-Te pronounce किया जा रहा है. हिन्दी में ताउ ते लिखा जा रहा है. Tauktae को बहुत ही गंभीर चक्रवाती तूफान की कैटिगरी में रखा गया है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के वर्षों में अरब सागर में पहले की तुलना में कई मजबूत चक्रवात विकसित हो रहे हैं. Tauktae अरब सागर में लगातार विकसित होने वाला चौथा चक्रवात है. वो भी प्री-मानसून के समय (अप्रैल से जून) में. 2018 के बाद से इन सभी चक्रवातों को या तो 'गंभीर चक्रवात' या उससे ऊपर की श्रेणी में रखा गया है. Tauktae का मतलब होता है ‘गेको’ (gecko). ये बर्मी भाषा में एक हिंसक छिपकली की प्रजाति है. यानी Tauktae का मतलब निकलता है शोर मचाने वाली छिपकली. इस चक्रवात को ये नाम म्यांमार ने दिया है.