# बहुत से लोग अपनी कार में काफी एक्सेसरीज़ लगवाते हैं. एक्सेसरीज़ का शौक कई बार परेशानी भी खड़ी कर देता है. दरअसल हर ऐसी एक्सेसरीज़ जो बिजली से चलती है, उसे तारों के जरिए कार से जोड़ा जाता है. अगर गलती से भी कोई जोड़ हट गया, या फिर खुला रह गया तो शॉर्ट सर्किट हो सकता है. और आपकी गाड़ी आग के गोले में तब्दील हो सकती है. इसलिए गाड़ी में चुनिंदा एक्सेसरीज़ लगवाएं. कोशिश करें कि जो भी एक्सेसरीज़ लगवाएं, वह अच्छी कंपनी की हो और किसी अच्छे मैकेनिक से ही लगवाई जाए.

गाड़ी में सर्विस सेंटर के बाहर से काम करा सकते हैं लेकिन अच्छा मैकेनिक और जेनुइन स्पेयरपार्ट्स का इस्तेमाल करें. सांकेतिक फोटो- ANI Twitter
# जब आप गाड़ी में एक्सेसरीज़ लगवाते हैं तो इसके दो तरीके होते हैं. पहला कंपनी के अधिकृत मैकेनिक, अधिकृत सर्विस सेंटर से एक्सेसरीज़ लगवाई जाए. दूसरा, बाजार से एक्सेसरीज़ लगवा ली जाए. सर्विस सेंटर के मुकाबले बाजार से एक्सेसरीज़ लगवाना काफी सस्ता पड़ता है. इस वजह से अधिकतर लोग इसी को तवज्जो देते हैं. लेकिन अप्रशिक्षित मैकेनिक से एक्सेसरीज़ लगवाना खतरनाक हो सकता है. इसलिए कंपनी के अधिकृत सर्विस सेंटर से ही एक्सेसरीज़ लगवाएं. बाहर से ऐसी एक्सेसरीज़ खरीदी जा सकती हैं, जिनकी वायरिंग ना होनी हो. जैसे सीट कवर बाहर से ले सकते हैं लेकिन अगर आपको फॉग लाइटें लगवानी हैं तो कंपनी के अधिकृत सर्विस सेंटर का रुख करना बेहतर होगा.
# अब बात करते हैं सर्विस की. अक्सर देखने में आता है कि लोग फ्री सर्विस के वक्त तो कंपनी के सर्विस सेंटर जाते हैं, लेकिन उसके बाद जहां भी सस्ते में सर्विस होती है, वहां करा लेते हैं. अब इस बात को समझिए कि हर कार की जरूरतें अलग होती हैं. यानी मारुति की जरूरतें, सर्विस करने का तरीका अलग होता है. होंडा या ह्युंडई का अलग. कंपनियां अपने मैकेनिकों को ट्रेनिंग देती हैं. इन ट्रेंड मैकेनिकों को उस कंपनी की कारों के हर पार्ट की जानकारी होती है. लेकिन बाहर जो मैकेनिक होते हैं, वो हर कार की सर्विस करने का दावा करते हैं. ऐसे में अक्सर होता ये है कि वो किसी कार के एक्सपर्ट नहीं हो पाते. जानकार कहते हैं कि गलत सर्विस के कारण भी कार में आग लग सकती है. इसलिए किसी अधिकृत मैकेनिक, अधिकृत सर्विस सेंटर से ही सर्विस कराएं जहां ट्रेंड मैकेनिक आपकी गाड़ी की रिपेयरिंग करें.

CNG गाड़ी का खास ख्याल रखना होता है. सांकेतिक फोटो- ANI Twitter
# ऐसा भी देखने में आता है कि लोग गाड़ी में LPG/CNG किट लगवाते हैं. ये किट बाजार में आमतौर पर 15-20 हजार में लग जाती है, लेकिन अधिकृत सेंटर्स पर इसके लिए 50 से 70 हजार देने पड़ते है. ऐसे में लोग बाजार में किट लगवाना पसंद करते हैं. लेकिन ये किट अगर गलत तरह से लग जाए, कोई कमी रह जाए तो जान की दुश्मन बन सकती है. ऐसा माना जाता है कि जिन गाड़ियों में आग लगती है, उनमें से अधिकतर गाड़ियां LPG/CNG वाली होती हैं. इसलिए अगर आपको अपनी गाड़ी में LPG/CNG किट लगवानी है तो केवल कंपनी फिटेड किट ही इस्तेमाल करें. ऐसी कार को तवज्जो दें, जिनमें कंपनी CNG किट लगाकर बेचती हैं. अगर लगवानी ही हो तो कंपनी से लगवाएं. बाहर ना लगवाएं.
# कई बार देखने में आता है कि लोग टाइम पर कार की सर्विस नहीं कराते. छोटी-छोटी कमियों और खराबियों को इग्नोर करते हैं. बहुत सारे लोग तो मीटर के इर्द-गिर्द दिखने वाले निशानों के अर्थ भी नहीं जानते. ना ही ये कि अगर ये निशान लाल रंग में हों तो खतरनाक हो सकते हैं. अगर आप कार इस्तेमाल करते हैं तो किसी कमी, किसी वॉर्निंग सिग्नल को नजरअंदाज ना करें. तुरंत अपने सर्विस एडवाइजर से बात करें. टाइम पर सर्विस कराएं. अपनी गाड़ी से जुड़े हर मैन्युअल को ठीक से पढ़ लें ताकि सड़क पर आपकी गाड़ी सुरक्षित रहे.
# कई बार ऐसा देखने में आता है कि एक्सीडेंट के बाद, रगड़ या चोट लगने से भी गाड़ी के पेट्रोल टैंक में आग लग जाती है. गाड़ी में आने वाली चोटों को नजरअंदाज ना करें. वक्त वक्त पर गाड़ी को चेक कराते रहें ताकि कोई दुर्घटना आदि ना हो. इसके अलावा गाड़ी में क्षमता से अधिक पेट्रोल ना भरें. भूलकर भी गाड़ी में स्मोकिंग ना करें. लंबी यात्रा के दौरान गाड़ी को आराम दें ताकि इंजन अधिक गर्म ना हो. कई कलपुर्जे बहुत अधिक गर्म होने पर परेशानी पैदा कर सकते हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
इस मामले में और जानकारी के लिए हमने बात की ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट टूटू धवन से. उन्होंने कहा,
"आजकल जो टेक्नोलॉजी आ गई है फ्यूल इंजेक्शन सिस्टम की, उसके कुछ प्लस पॉइन्ट्स हैं, कुछ माइनस भी हैं. प्लस ये कि आपको बेटर एफिसिएंसी मिलती है, फ्यूल कंजप्शन अच्छा मिलता है. माइनस पॉइंट्स की बात करें तो प्रेशराइज्ड फ्यूल सिस्टम को इसमें रखा जा सकता है. टैंक से इंजन तक प्रेशराइज्ड फ्यूल होता है. पाइप में जगह जगह यूनियन होते हैं, कनेक्शन होते हैं, रबड़ के जोड़ होते हैं. अगर इसका मेंटीनेंस, कनेक्शन सही ना हो या फिर पार्ट्स अच्छी कंपनी के ना हों तो लीकेज आदि हो सकती है. इंजन में स्पार्क रहता है. ऐसे में गाड़ी आग पकड़ सकती है."ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट विकास योगी ने बताया,
"कई बार गाड़ी से कुछ लीकेज होती है, जिसे अक्सर इग्नोर कर दिया जाता है. इस लीकेज को कतई इग्नोर ना करें. लोग हैंडलैंप्स या फिर कुछ और बाहर चेंज कराते हैं, वायरिंग गलत हो जाती है तो वायर जल जाते हैं. ऐसे में गाड़ी में आग लग सकती है. बाहर से काम कराएं तो बेहद प्रशिक्षित मैकेनिक से कराएं. साथ ही जेनुइन स्पेयर पार्ट्स ही खरीदें."पिछले 20 सालों से ड्राईवर के रूप में काम कर रहे हरीश कहते हैं,
"लोग टेंपरेचर मीटर को देखते तक नहीं हैं. अगर टेंपरेचर बढ़ा है तो क्यों बढ़ा है, ये चेक कराना चाहिए. रेडिएटर चॉक है, या फिर पानी नहीं है, या कूलेंट खत्म हो गया है. ये सभी बातें चेक करानी चाहिए. पैसे बचाने के लिए लोग इधर उधर काम करा लेते हैं. इससे बचना चाहिए. गाड़ी के बोर्ड पर जो सिंबल दिखते हैं उनके बारे में भी जानकारी होनी चाहिए."ऐसा माना जाता है कि आग लगने पर ऑटोमैटिक लॉक के कारण दरवाजे जाम हो जाते हैं. एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि गाड़ी के अंदर एक हथौड़ी, सीट बेल्ट काटने के लिए कैंची या चाकू, और आग बुझाने के लिए फायर एक्सटिंग्वशर (अग्निशामक यंत्र) जरूर रखना चाहिए.
बीमा मिलने में कब परेशानी होती है?
बीमा एडवाइजर से रूप में काम कर रहे सुभाष सैनी कहते हैं कि अगर आपके पास गाड़ी का फर्स्ट पार्टी क्लेम है या कॉम्प्रीहेंसिव बीमा है, तो आग लगने की स्थिति में उसके जरिए क्लेम किया जा सकता है. अगर किसी टोल को पार किया है तो उसकी पर्ची होनी चाहिए. ये भी देखा जाता है कि आपने दमकल को कॉल किया था या नहीं. उसकी भी एक कॉपी लगती है. दो से तीन बार सर्वे भी होते हैं. सीएनजी कारों में अक्सर आग लगती है. सभी कागज आपके पूरे होने चाहिए, नहीं तो क्लेम सैटल होने में दिक्कतें आ सकती हैं."