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चुनाव आयोग कैसे काम करता है?

अगर कोई पार्टी बात न माने तो क्या करता है इलेक्शन कमीशन?

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अनुराग ठाकुर ने दिल्ली में चुनावी सभा के दौरान भड़काने वाले नारे लगवाए थे. (फाइल फोटो- ANI)
देश की राजधानी दिल्ली में चुनाव होने हैं. हर चुनाव में एक संस्था ज़रूर लाइमलाइट में रहती है. भारतीय निर्वाचन आयोग यानी इलेक्शन कमीशन (EC).
दिल्ली चुनाविन की जा रही बदज़ुबानी पर चुनाव आयोग एक्शन में आया और एक्शन लिया बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर और प्रवेश साहिब सिंह वर्मा पर. दोनों ने ऊल-जुलूल बयानबाजी की थी. नतीजा: EC ने पहले नोटिस भेजा, फिर बीजेपी से कह दिया कि दोनों को स्टार प्रचारक की लिस्ट से हटाया जाए.
ठाकुर और वर्मा ने क्या कहा था?
अनुराग ठाकुर ने दिल्ली की एक सभा में ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो *लों को’ वाला नारा लगवाया था. वहीं प्रवेश वर्मा ने कहा था, ‘शाहीन बाग में लाखों लोग जमा होते हैं, वे आपके घरों में घुस सकते हैं. आपकी बहन-बेटियों का बलात्कार और हत्या कर सकते हैं.’ दोनों नेताओं पर एक्शन लेकर इलेक्शन कमीशन ने घटिया बयानबाजी की पॉलिटिक्स में एक लकीर खींचने की कोशिश की है. बात इलेक्शन कमीशन की ही करते हैं. क्या है, कैसे काम करता है, क्या अधिकार हैं, सब.
EC क्या है?
EC एक इंडिपेंडेंट इंस्टीट्यूशन है, यानी स्वतंत्र संस्था. संविधान के आर्टिकल-324 के तहत भारत में चुनाव कराने की हर प्रक्रिया के लिए EC की ही जिम्मेदारी होती है.
कौन-कौन से चुनाव कराने की जिम्मेदारी होती है?
लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, विधान परिषद, राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के चुनाव. सुप्रीम कोर्ट, केंद्रीय लोक सेवा आयोग (UPSC) और कैग के अलावा EC ही ऐसी संस्था है, जो स्वतंत्र और स्वायत्त है. EC के काम करने का तरीका
EC 26 जनवरी 1950 से काम कर रहा है. 1989 तक EC का सिस्टम ऐसा था, जहां चीफ इलेक्शन कमिश्नर (CEC) ही पूरा काम संभालते थे. 1989 से 1990 तक CEC के साथ दो इलेक्शन कमिश्नर (EC) भी नियुक्त रहे. 1990 से 1993 तक फिर सारी वर्किंग CEC के जिम्मे पर ही रही और इसके बाद से अब तक CEC और EC साथ मिलकर ही आयोग का जिम्मा संभाल रहे हैं.
कोई गड़बड़ी हो तो EC में शिकायत कैसे करें?
अगर कोई प्रत्याशी, कोई पार्टी गड़बड़ करती है तो हम-आप भी EC में शिकायत कर सकते हैं. EC का C-VIGIL नाम का ऐप है, जिस पर जाकर किसी गड़बड़ी की शिकायत की जा सकती है. EC का दावा रहता है कि ऐप पर शिकायत करने के 100 घंटे के अंदर उस पर रिस्पॉन्स भी दिया जाता है.
EC की वेबसाइट पर टोल फ्री नंबर भी है. उस पर भी शिकायत कर सकते हैं.
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अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के लिए जारी किया गया नोटिस. (फोटो- India Today)

EC की ताकत क्या है?
EC ही पॉलिटिकल पार्टियों का रजिस्ट्रेशन करता है. उन्हें चुनाव चिन्ह देता है. पूरे चुनाव, पार्टियों के खर्चे वगैरह की खबर रखता है.
संविधान एक्सपर्ट सुभाष कश्यप बताते हैं,
“EC एक ऐसी संस्था है, जो अपनी ताकतों को खुद परिभाषा दे सकती है. मतलब- अगर कभी EC को लगता है कि देश में चुनाव को ठीक ढंग से कराने में कोई दिक्कत हो रही है, तो वो खुद अपनी सीमाएं नए सिरे से तय कर सकता है. हां देश का एक संविधान है, जो EC पर भी लागू है. तो ये सीमाएं भी संविधान के दायरे में ही होनी चाहिए. संसद और सुप्रीम कोर्ट की सहमति मायने रखती है.”
क्या कोई पार्टी या कैंडिडेट EC की बात मानने से मना भी कर सकता है? सुभाष कश्यप जवाब देते हैं- ‘ऐसा होना मुमकिन नहीं लगता. EC इसके बाद कोई भी एक्शन लेने के लिए आज़ाद होगा. इसमें पार्टी या कैंडिडेट को हमेशा के लिए चुनाव लड़ने से रोकना तक शामिल है. अभी तक ऐसा मामला याद नहीं आता, जब ऐसा हुआ हो. हां, लोकतंत्र के नाते EC के फैसले को भी चुनौती तो दी ही जा सकती है.’


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